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यूपीयूएमएस में राष्ट्रीय फार्माकोविजलेंस सप्ताह की शुरूआत

सुबोध पाठक इटावा

जसवन्तनगर/इटावा।सैफई उ0प्र0 आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय, सैफई के फार्माकोलॉजी विभाग द्वारा फार्माकोविजिलेंस सप्ताह पर जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया। जागरूकता कार्यक्रमों की शुरूआत विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो0 (डा0) रमाकान्त यादव ने की। इस अवसर पर विश्वविद्यालय के  संकायाध्यक्ष डा0 आलोक कुमार, चिकित्सा अधीक्षक डा0 आदेश कुमार, संयोजक कोविड एवं नॉन कोविड अस्पताल डा0 एसपी सिंह, डा0 आईके शर्मा, विभागाध्यक्ष एवं संकायाध्यक्ष छात्र कल्याण प्रकोष्ठ डा0 आलोक दीक्षित, फार्माकोविजिलेंस संयोजक डा0 आशा पाठक, फैकेल्टी मेम्बर डा0 चन्द्रवीर सिह, कार्यक्रम संयोजक डा0 विनय गुप्ता सभी विभागों के फैकेल्टी मेम्बर, चिकित्सा अधिकारी, जूनियर एवं सीनियर रेजिडेंट, मेडिकल एवं पैरामेडिकल स्टूडेन्ट्स आदि उपस्थित रहे।


फार्माकोविजिलेंस सप्ताह पर आयोजित जागरूकता कार्यक्रम में बोलते हुए विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो0 (डा0) रमाकान्त यादव ने कहा कि फार्माकोविजिलेंस विषय चिकित्सा जगत के लिए महत्वपूर्ण विषय है क्योंकि यह मरीज के स्वास्थ्य तथा जीवन से जुड़ा हुआ है। सही दवा जहॉ मरीज को ठीक कर सकती है वहीं गलत दवा के कई प्रतिकूल प्रभाव सामने आ सकते हैं। उन्होंने कहा कि वर्तमान में दवाओं के प्रतिकूल प्रभाव पर काफी अनुसंधान चल रहा है। व्यापक अनुसंधान द्वारा यह जानने की आवश्यकता है कि किन दवाओं के प्रतिकूल प्रभाव हैं तथा किन-किन दवाओं को मरीजों को नहीं दिया जाना चाहिए।
फार्माकोविजिलेंस संयोजक एवं फार्माकोलॉजी विभाग की फैकेल्टी डा0 आशा पाठक ने कहा कि दवाओं के प्रतिकूल प्रभाव के सम्बन्ध में विशेष जॉच के लिए विश्वविद्यालय के ओपीडी के कमरा नं0 40 में एडीआर सेल खोला गया गया है। यदि कोई मरीज या परिजन यहॉ आ पाने में समर्थ न हो तो वह एडीआर सेल के नं0 05688-276131 या मोबाइल नं0 9410646131 पर सम्पर्क कर दवाओं के प्रतिकूल प्रभाव पर अपनी जानकारी दे सकता है। उन्होंने बताया कि कोई व्यक्ति जो चिकित्सक के परामर्श पर दवा लेता है और उसे दवा लेने के दौरान असामान्य महसूस हो रहा है या उसके शरीर पर दवा का प्रतिकूल प्रभाव हो रहा है तो ऐसे में उसे नजदीकी फार्माकोविजिलेंस शाखा को सूचित करने की आवश्यकता है।
चिकित्सा अधीक्षक डा0 आदेश कुमार ने बताया कि विश्वविद्यालय में फार्माकोविजिलेंस के लिए ओपीडी में एक सेल का गठन किया गया है यहॉ कोई भी मरीज या उसका परिजन जिसे चिकित्सक द्वारा दी गयी किसी भी दवा से प्रतिकूल प्रभाव हो रहा है चिकित्सक के दिये पर्चे के साथ सम्पर्क कर सकता है। उन्होंने यह भी कहा कि दवाओं का प्रतिकूल प्रभाव चिकित्सा जगत के समक्ष आ रही बड़ी चुनौतियों में से एक है।