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’24 घंटे के भीतर साबित करें आरोप, वरना परिणाम भुगतने के लिए तैयार रहें’, शुभेंदु की डीजीपी को चुनौती

पश्चिम बंगाल में संदेशखाली हिंसा अब एक नया मोड़ ले लिया है। भाजपा नेता शुभेंदु अधिकारी द्वारा एक सिख आईपीएस अधिकारी को खालिस्तानी कहने का मामला अब अदालत पहुंच चुका है। अपने ऊपर लगे आरोप पर अधिकारी ने एडीजी (पश्चिम बंगाल) को चुनौती दी कि वह अगले 24 घंटों के भीतर इस आरोप को साबित करें अन्यथा इसका परिणाम भुगतने के लिए तैयार रहें।

अधिकारी ने दी एडीजी को चुनौती
भाजपा के आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट करते हुए इसकी जानकारी दी। उन्होंने कहा, “शुभेंदु अधिकारी ने अपने ऊपर लगे सिख पुलिस अधिकारी को खालीस्तानी कहने के आरोप को 24 घंटे के भीतर साबित करने के लिए एडीजी को चुनौती दी है। वरना ववह इसका परणाम भुगतने के लिए तैयार हो जाएं। पश्चिम बंगाल पुलिस जो कि ममता बनर्जी की एकमात्र बचाव दल है वह अब ढह रही है।”

पश्चिम बंगाल के वरिष्ठ भाजपा नेता शुभेंदु अधिकारी को दक्षिण 24 परगना के संदेशखाली का दौरा करने से रोकने के लिए धामखाली में एक सिख आईपीएस अधिकारी को तैनात किया गया था। इस दौरान अधिकारी के साथ अग्निमित्र पॉल भी थे। उन्होंने दावा किया कि पुलिस अधिकारी अपने कर्तव्यों का पालन नहीं कर रहे थे।

इस मामले पर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी भी भाजपा पर भड़क गई। उन्होंने कहा कि उन्हें (भाजपा) लगता है कि पगड़ी पहनने वाले सभी सिख खालिस्तानी है। ममता ने एक्स पर पोस्ट करते हुए कहा, “आज भाजपा कि विभाजनकारी राजनीति ने संवैधानिक सीमाओं को बेशर्मी से पार कर लिया है। भाजपा के अनुसार, सभी पगड़ी पहनने वाले व्यक्ति खालिस्तानी है। इस पोस्ट के साथ उन्होंने एक वीडियो भी लगाया है। इस घटना की निंदा करते हुए ममता बनर्जी ने कहा कि वह इस मामले पर उचित कार्रवाई करेंगी।”

सिख आईपीएस अधिकारी को खालिस्तानी कहकर पुकारा
संदेशखाली में कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए तैनात सिख आईपीएस अधिकारी जसप्रीत सिंह ने दावा किया कि शुभेंदु अधिकारी के साथ चल रहे भाजपा कार्यकर्ताओं ने उन्हें खालिस्तानी कहा। उन्होंने भाजपा कार्यकर्ताओं को कहा, “मैं अपनी ड्यूटी कर रहा हूं। आप मेरे धर्म को क्यों निशाना बना रहे हैं।” पुलिस अधिकारी को खालिस्तानी कहे जाने के विरोध में सिख समुदाय के लोगों ने कोलकाता में भाजपा के प्रदेश मुख्यालय और आसनसोल में उसके कार्यालय के खिलाफ प्रदर्शन किया।