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राहुल गांधी की दावेदारी पर सपा का दांव, कांग्रेस भी एकमत नहीं, रायबरेली में बताया जा रहा भावी पीएम

लखनऊ: लोकसभा चुनाव अपने शबाब पर पहुंच गया है। पांचवें चरण में 20 मई को अमेठी व रायबरेली में भी मतदान होगा। रायबरेली में कांग्रेस ने जीत के लिए राहुल के लिए पीएम पद का दांव चला है। लेकिन, सहयोगी दल सपा ने रणनीतिक दांव दे दिया जबकि कांग्रेस के अपने नेताओं के एकसुर न होने से मतभिन्नता उजागर हो गई।

दरअसल, इंडिया गठबंधन में तय हुआ था कि जनादेश मिलने पर पीएम का चयन चुनाव बाद सहयोगी दल मिलकर करेंगे। लेकिन, रायबरेली में पिछले कई दिनों से राहुल गांधी को भावी पीएम के तौर पर प्रोजेक्ट कर वोट मांगा जा रहा है। रायबरेली के पर्यवेक्षक और छत्तीसगढ़ के पूर्व सीएम भूपेश बघेल हर जगह कह रहे हैं कि आप सिर्फ सांसद नहीं, देश का पीएम चुन रहे हैं। इसके बाद तरह-तरह से सवाल किए जाने शुरू हो गए।

जानकार बताते हैं कि राहुल गांधी रायबरेली से इसलिए मैदान में आए क्योंकि वह जीती हुई सीट थी। परिवार का लगातार कब्जा रहा है। साथ ही मां सोनिया गांधी की भावनात्मक अपील भी साथ है। शुरुआत में राहुल एकतरफा आगे चल रहे थे। लेकिन, भाजपा प्रत्याशी के पक्ष में गृहमंत्री अमित शाह की रैली व उनके पैतरों से भाजपा लड़ाई में लौट आई है। इसके बाद से कांग्रेस की रणनीति बदल गई। कांग्रेस के रायबरेली के प्रभारी व छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश सिंह बघेल ने राहुल को पीएम दावेदार के रूप में पेश कर भावनात्मक फायदा उठाने का दांव चला। मगर, इससे गठबंधन व पार्टी की आंतरिक स्थिति भी उजागर हो गई।

दरअसल, कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के साथ हुई प्रेसवार्ता में गठबंधन के पीएम पद पर राहुल की दावेदारी को लेकर सवाल हुआ। खरगे की उपस्थिति में सपा मुखिया इस सवाल को रणनीतिक फैसला कहकर टाल गए। दूसरी ओर, कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार ने बृहस्पतिवार को कहा कि गठबंधन चुनाव बाद अपना नेता चुनेगा।

बड़ा सवाल : 17 सीटों पर लड़ने वाली पार्टी के नेता को पीएम का दावेदार कैसे मानें
अमेठी व रायबरेली के चुनाव को काफी करीब से देख रहे बीबीएयू अमेठी कैंपस के प्रो. सुशील पांडेय कहते हैं कि सपा को लग रहा है कि यूपी में मात्र 17 सीट पर ही चुनाव लड़ने वाली कांग्रेस को पीएम पद का दावेदार कैसे माना जाए। यही वजह है कि अखिलेश इस पर खुलकर नहीं बोल रहे हैं। दूसरी ओर राहुल खुद इस सीट पर जीत को लेकर दबाव में हैं। उनका आत्मविश्वास डगमगाया नजर आ रहा है। उनको पीएम के रूप में प्रस्तुत करना पार्टी का एक रक्षात्मक कदम है। यहां लोगों के बीच में एक सवाल यह भी खड़ा है कि आखिर राहुल कौन सी सीट छोड़ेंगे?