अफगान महिलाओं के अधिकार बरकरार रखने के वादों के बावजूद तालिबान उनका भरोसा जीतने में विफल रहा है। अफगानिस्तान में आतंकी संगठन के शासन में महिलाएं खौफजदा हैं।
थिंक टैंक इंटरनेशनल फोरम फॉर राइट एंड सिक्योरिटी का कहना है कि जब अर्घंद जैसी पढ़ी-लिखी महिला को तालिबान के डर के मारे भागना पड़ा तो गांव-कस्बों में रहने वाली आम महिलाओं की पीड़ा समझी जा सकती है।
यहां तक कि महिला पुलिसकर्मियों को भी धमकियां मिल रही हैं। शहरी इलाकों से दूर महिलाएं, बच्चियां परिवार के पुरुषों के बिना गली-सड़कों पर नहीं निकल सकतीं। सरकार में महिलाओं को जगह न मिलने से भी साफ हो गया है कि तालिबान राज में उनके लिए झूठ के अलावा ज्यादा कुछ नहीं है।
काबुल के अंतरिम मेयर हमदुल्लाह नमोनी ने शहर की कामकाजी महिलाओं को नई सरकार के नियमों का हवाला देकर घर में ही रहने का फरमान जारी किया है।