डॉ भीमराव अंबेडकर जिला चिकित्सालय के ओपीडी में अल्जाइमर दिवस पर मंगलवार को संगोष्ठी आयोजित हुई, जिसमें लोगों को अल्जाइमर रोग के बारे में विस्तार पूर्वक जानकारी दी गई।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि जिला अस्पताल के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉ एमएम आर्या ने कहा – बदलते वक्त के दौर में जो बीमारी कभी 65 से 70 साल के बाद हुआ करती थी अब 40 से 50 की उम्र में भी होने लगी है। इतना ही नहीं नौजवान भी इसका शिकार होने लगे हैं। बदलती जीवनशैली और तनावपूर्ण जीवन से भी यह बीमारी जल्दी जन्म लेने लगती है। हर साल 21 सितंबर को विश्व अल्जाइमर दिवस मनाया जाता है। इस समस्या से ग्रसित लोगों को अक्सर कुछ याद नहीं रहता है। लोग खाना खाकर भूल जाते हैं, चीजों को रखकर भूल जाते हैं तो इंसान का नाम और शक्ल भी भूल जाते हैं। इस बीमारी का कोई सटीक इलाज नहीं मिला है। डॉ आर्या ने बताया – इस रोग का कनेक्शन दिमाग से होता है, कहते हैं जब जरूरी टिश्यूज मस्तिष्क संचार के लिए सही से काम नहीं करते तब इस बीमारी का खतरा बढ़ जाता है।
अल्जाइमर के लक्षण
– याददाशत की कमी होना।
– बोलने में दिक्कत होना।
– याददाशत कमजोर हो जाना, छोटी-बड़ी चीजें याद नहीं रहना।
– चीजों को समझने में समस्या होना।
– स्थान और समय में मेलजोल नहीं कर पाना।
– दिमाग का अस्थिर होना।
-अकारण गुस्सा या चिड़चिड़ापन, रोना आना।
-निर्णय लेने में कठिनाई आना।
– किसी पर विश्वास नहीं करना व भ्रामक स्थिति में रहना।
अल्जाइमर से बचाव के उपाय –
हालांकि इस बीमारी से बचाव का अभी तक कोई सटीक इलाज नहीं मिला है लेकिन विशेषज्ञों के मुताबिक लाइफस्टाइल में बदलाव कर इस बीमारी पर काबू पाया जा सकता है। – आहार परामर्शदाता से चर्चा कर भरपूर डाइट लें।
-लोगों से मिलते रहें, मन नहीं करने पर भी लोगों के बीच बैठे रहे।
-पर्याप्त नींद लें। नींद नहीं आने पर डॉक्टर से चर्चा करें।
– सकारात्मक सोच रखें।
– ध्यान व योगा करें।
-पानी भरपूर मात्रा में पानी पिएं।
– डाइट में साबुत अनाज, प्रोटीन को शामिल करें।
क्यों होती है अल्जाइमर की बीमारी –
अल्जाइमर का खतरा उस वक्त बढ़ जाता है जब दिमाग में प्रोटीन की संरचना में गड़बड़ी होने लगती है। इस बीमारी की चपेट में आने के बाद इंसान धीरे-धीरे अपनी याददाश्त खोने लगता है।
जिला अस्पताल में अल्जाइमर दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में हॉस्पिटल मैनेजर डॉ निखिलेश ने बताया- अल्जाइमर दिवस को मनाने का उद्देश्य है लोगों को इसके प्रति जागरूक करना । इस दिवस को मनाने की शुरूआत 21 सितंबर 1994 को एडिनबर्ग में हुई थी। इसके बाद हर साल इस दिवस को मनाया जाता है और लोगों को जागरूक किया जाता है। इस कार्यक्रम में डॉ पी के गुप्ता मानसिक प्रकोष्ठ की ओर से क्लीनिक साइकोलॉजिस्ट रामेश्वरी प्रजापति, सेक्रेटरीक्लिनिकल,साइकोलॉजिस्ट एवं एवं मेडिकल सोशल वर्कर दिलीप कुमार चौबे और विवेक कुमार ने भी अल्जाइमर दिवस पर अपने विचारों को प्रकट कर लोगों को जागरूक किया।