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ममता के दावे पर पीआईबी का खुलासा, ‘नहीं बंद किया गया था माइक और न ही बोलने से रोका गया’

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में आज नीति आयोग की नौवीं गवर्निंग काउंसिल की बैठक आयोजित की गई। जिसमें सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने शिरकत की थी। वहीं इस बैठक के बीच में ही बाहर निकलीं पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने दावा किया कि उन्हें इस बैठक के दौरान बोलने से रोका गया और उनका माइक भी बंद कर दिया गया था।

पीआईबी ने अपने फैक्ट चेक में क्या कहा
मामले में पीआईबी का कहना है कि वर्णमाला के अनुसार, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के संबोधन की बारी लंच के बाद आती। लेकिन पश्चिम बंगाल सरकार के आधिकारिक अनुरोध पर उन्हें 7वें वक्ता के रूप में शामिल किया गया क्योंकि उन्हें जल्दी लौटना था। जबकि उनके संबोधन के दौरान टाइम क्लॉक ने केवल यह दिखाया कि उनका बोलने का समय समाप्त हो गया है। यहां तक कि घंटी भी नहीं बजाई गई थी।

निर्मला सीतारमण ने भी दावे को बताया झूठ
वहीं इस मामले में केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि, ममता बनर्जी के माइक बंद का दावा ये पूरी तरह से गलत है और सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों को बोलने का उचित समय आवंटित किया गया था। उन्होंने आगे कहा कि, पश्चिम बंगाल की मुख्यममंत्री ममता बनर्जी आज नीति आयोग की बैठक में शामिल हुईं, हम सबने उन्हें सुना। सभी मुख्यमंत्रियों को समय आवंटित किया गया था, जो सभी के टेबल के सामने मौजूद स्क्रीन पर दिखाया गया। उन्होंने मीडिया में कहा कि उनका माइक बंद कर दिया गया था। यह पूरी तरह से झूठ है।

केंद्रीय वित्त मंत्री ने आगे कहा कि सभी मुख्यमंत्रियों को समय आवंटित किया गया था, लेकिन ये दुर्भाग्यपूर्ण है कि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने ये दावा किया कि उनका माइक बंद कर दिया गया था, जो कि सच नहीं है। उन्हें झूठ पर आधारित कहानी गढ़ने के बजाय इसके पीछे का सच बोलना चाहिए।

ममता बनर्जी ने क्या लगाए थे आरोप?
वहीं इससे पहले पत्रकारों से बातचीत करते हुए ममता बनर्जी ने राजनीतिक भेदभाव का आरोप लगाया और कहा कि उन्हें नीति आयोग की बैठक में सिर्फ पांच मिनट बोलने दिया गया। जबकि अन्य मुख्यमंत्रियों को ज्यादा समय दिया गया था। मैंने बैठक में कहा कि केंद्र सरकार को राज्य सरकारों के साथ भेदभाव नहीं करना चाहिए। मैं और बोलना चाहती थी, लेकिन मेरा माइक बंद कर दिया गया। मुझे सिर्फ पांच मिनट बोलने दिया गया, जबकि मेरे सामने बाकि लोगों ने 10-20 मिनट तक बोला। उन्होंने आगे कहा कि विपक्ष की तरफ से मैं एकमात्र नेता थी, जो इस बैठक में शामिल हुई, लेकिन मुझे बोलने नहीं दिया गया।