बरेली: बरेली में दिवाली पर आतिशबाजी के बाजार ने कारोबार का रिकॉर्ड बनाया। करीब 45 करोड़ रुपये के पटाखे जले, जिसका असर शुक्रवार को शहर की हवा पर दिखा। ग्रीन पटाखे जलने के बावजूद वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) करीब दो सौ दर्ज हुआ। पूरा शहर धुंध की चादर में लिपटा रहा।
पंच दीपोत्सव पर्व की शुरुआत धनतेरस से हुई। अगले दिन छोटी दिवाली पर रात 12 बजे तक शहर का एक्यूआई 110 यानी सामान्य रहा। लेकिन दिवाली पर बृहस्पतिवार की शाम से पटाखे जलने शुरू हुए तो एक्यूआई में भी उछाल दर्ज होता रहा। रात बजे तक एक्यूआई का स्तर 130 दर्ज हुआ। जो शुक्रवार सुबह 11 बजे 150, दोपहर एक बजे 170, दोपहर तीन बजे 180, शाम पांच बजे तक 196 जा पहुंचा। एक्यूआई में बढ़त का सिलसिला देर रात तक जारी रहा। दूसरी ओर, हवा में घुले प्रदूषण से शहर पर सुबह से ही धुंध की परत छाई रही।
दोपहर में कुछ देर चली तेज हवा से हल्की धुंध छंटने पर धूप निकली। शाम पांच बजे के बाद फिर शहर पर धुंध मंडराने से शाम पांच बजे ही अंधेरा सा छाने लगा। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के आंकड़ों के मुताबिक साल दर साल एक्यूआई कम हो रहा है। बीते वर्ष एक्यूआई 208 था।
हवा में घुले प्रदूषण के कण
वरिष्ठ फिजिशियन डॉ. सतीश चंद्रा के मुताबिक पहाड़ों से शहर में प्रवेश कर रही हवा में नमी का स्तर 80 फीसदी के पास है। पटाखों के जलने से उत्सर्जित हानिकारक गंधक, पोटाश, कार्बन मोनो ऑक्साइड आदि गैसों के कण फंस जाते हैं। जो संघनित होकर धुंध की परत बनाते हैं। ऐसी स्थिति में सांस के साथ ये गैसें भी शरीर में प्रवेश करती हैं। सांस रोगियों की तकलीफ बढ़ती है। सामान्य लोगों के गले में खराश सी होती है।