महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में मतदान में केवल 15 दिन का समय ही शेष बचा है, लेकिन इस अंतिम समय में महायुति गठबंधन में आपसी तालमेल की कमी से गठबंधन के नेता परेशान हैं। अजित पवार कैंप से इस तरह की खबरें सामने आ रही हैं कि चुनाव बाद चाचा-भतीजे के बीच की दूरी कम हो सकती है, वहीं, एकनाथ शिंदे ने भी भाजपा टीम से पूरा सहयोग न मिलने की बात कही है। महाराष्ट्र में किसी भी कीमत पर सरकार में वापसी का लक्ष्य लेकर उतरी भाजपा का शीर्ष नेतृत्व इस मामले में दखल देकर मामला सुलटाने का प्रयास कर रहा है।
सूत्रों के अनुसार, महायुति गठबंधन में दरार उसी समय से आनी शुरू हो गई थी जब से भाजपा की ओर से यह संकेत दे दिए गए थे कि चुनाव बाद मुख्यमंत्री उसके दल से हो सकता है। इसके लिए पार्टी के शीर्ष नेतृत्व की ओर से एकनाथ शिंदे और अजित पवार को भी संकेत दे दिया गया है। इसके बाद से ही सहयोगी दलों के बीच खींचतान शुरू हो गई थी।
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भाजपा के विरोध के बाद भी नवाब मलिक को चुनाव मैदान में उतारना भी भाजपाई खेमे में चिंता का विषय बना हुआ है। इसे अजित पवार की ओर से भाजपा को दिए गए एक संकेत के रूप में देखा जा रहा है। यानी यदि चुनाव के बाद समीकरण अजित पवार के अनुसार नहीं हुए तो उनके दरवाजे सभी विकल्पों के लिए खुले रह सकते हैं। स्वयं नवाब मलिक ने इसी तरह की बात कहकर इस पर मुहर लगा दी है। उन्होंने तो यहां तक कह दिया है कि चुनाव के बाद चाचा-भतीजे के बीच दूरी कम हो सकती है।
चर्चा है कि महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने भाजपा शीर्ष नेतृत्व से इस बात की शिकायत की है कि चुनाव में उनकी पार्टी के उम्मीदवारों को प्रचार में भाजपा के स्थानीय कार्यकर्ताओं से अपेक्षित सहयोग नहीं मिल रहा है। इससे चुनाव के समीकरण प्रभावित हो सकते हैं। यदि इसके कारण आपसी तालमेल गड़बड़ाई तो शिवसेना के कार्यकर्ता भी भाजपा उम्मीदवारों के प्रचार के दौरान सहयोग देने में कमी कर सकते हैं। यदि ऐसा होता है तो महायुति का समीकरण गड़बड़ हो सकता है।