Fri. Jan 31st, 2025

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को एम्स(दिल्ली) सहित सभी अस्पतालों को निर्देश दिया कि वे उन डॉक्टरों की अनधिकृत अनुपस्थिति को “हाजिर“ दिखाने का निर्देश दिया, जो कोलकाता के आरजी कर अस्पताल में एक डॉक्टर के दुष्कर्म और हत्या के खिलाफ विरोध प्रदर्शन का हिस्सा थे।

भारत के मुख्य न्यायाधीश(सीजेआई) संजीव खन्ना और न्जस्टिस संजय कुमार की पीठ ने डॉक्टरों के एक संगठन की दलीलों पर ध्यान दिया कि कुछ अस्पतालों ने 22 अगस्त, 2024 के आदेश के बाद डॉक्टरों की “हाजिर“ मान लिया था लेकिन एम्स, दिल्ली सहित कुछ अन्य ने इस अवधि को अनुपस्थिति की छुट्टी के रूप में मानने का फैसला किया है। सीजेआई ने कहा, “हम यह स्पष्ट करना उचित समझते हैं कि यदि प्रदर्शनकारी सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद काम पर आए हैं तो उनकी अनुपस्थिति को नियमित किया जाएगा और इसे ड्यूटी से अनुपस्थिति नहीं माना जाएगा। यह मामले के विशिष्ट तथ्यों और परिस्थितियों को देखते हुए जारी किया गया है और यह कोई मिसाल नहीं है।” सुनवाई के दौरान संगठन की ओर से पेश हुए वकील ने कहा कि विरोध अवधि को छुट्टी मानने का फैसला कुछ मेडिकल पीजी छात्रों के लिए परेशानी खड़ी कर सकता है।

केंद्र का प्रतिनिधित्व कर रहे सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि अस्पताल शीर्ष अदालत के निर्देशों का पालन करेंगे। मेहता ने कहा कि एम्स, दिल्ली ने इस अवधि को डॉक्टरों द्वारा ली गई छुट्टी के रूप में मानने का फैसला किया है। पीठ ने कहा कि पूर्व आदेश में कहा गया था कि आदेश की तिथि तक विरोध प्रदर्शन करने वाले डॉक्टरों के खिलाफ कोई बलपूर्वक कदम नहीं उठाया जाएगा। कोर्ट ने नोट किया कि कल्याणी और गोरखपुर जैसे कुछ एम्स और पीजीआई चंडीगढ़ ने अनुपस्थिति को “हाजिर“ मान लिया है। हालांकि कुछ अन्य संस्थानों ने छुट्टी मान लिया है। पिछले साल 22 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने देशभर में प्रदर्शनकारी डॉक्टरों से भावुक अपील करते हुए उनसे काम पर लौटने के लिए कहा था।

पीड़िता के माता-पिता ने नए सिरे से जांच की मांग वाली याचिका ली वापस
वहीं, कोलकाता के आरजी कर अस्पताल में दुष्कर्म और हत्या मामले में पीड़िता के माता-पिता ने सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका वापस ले ली। यह मामला आज सुनवाई के लिए रखा गया था। इस याचिका में पीड़िता के माता-पिता मामले में नए सिरे से जांच की मांग की थी। जब यह मामला सुनवाई के लिए आया तो सुप्रीम कोर्ट ने माता-पिता के वकील से पूछा कि क्या अदालत को मामले को आगे बढ़ाना चाहिए या नहीं क्योंकि कलकत्ता हाई कोर्ट में भी एक याचिका दायर की गई है।

By Editor