Sat. Feb 8th, 2025

सेंट्रल बोर्ड ऑफ फिल्म सर्टिफिकेशन (सीबीएफसी) के तत्कालीन सीईओ राकेश कुमार सिंह को करीब एक दशक पहले रिश्वत लेने के आरोप में गिरफ्तार किया गया। राकेश कुमार पर फिल्मों को जल्दी मंजूरी देने के लिए कथित तौर पर लाखों रुपये रिश्वत लेने का आरोप था। मामला दर्ज होने के 11 साल बाद भी उन्हें राहत नहीं मिली है। इस मामले से बरी किए जाने की उनकी याचिका खारिज कर दी गई है।

साक्ष्यों से किया जा सकता है साबित
सीबीएफसी के पूर्व सीईओ राकेश कुमार सिंह के खिलाफ फिल्मों को जल्दी मंजूरी देने के लिए लाखों रुपये और प्रमोशनल फिल्मों और विज्ञापनों के लिए न्यूनतम 10,000 रुपये की रिश्वत लेने के आरोप में सीबीआई ने मामला दर्ज किया था। मामल दर्ज किए जाने के करीब 11 साल बाद हाल ही में बॉम्बे की एक विशेष अदालत ने पूर्व सीईओ को मामले से बरी करने की उनकी याचिका खारिज कर दी। न्यायाधीश ने कहा कि राकेश सिंह ने पैसे की मांग की, यह बिल्कुल स्पष्ट था। परिस्थितिजन्य साक्ष्यों से इसे साबित किया जा सकता है।

आरोप तय करने के लिए पर्याप्त सामग्री
विशेष न्यायाधीश एस.एम. मेंजोगे ने कहा, ‘वह अपने एजेंटों के माध्यम से राशि एकत्र कर रहे थे, इसलिए आरोप तय करने के लिए पर्याप्त सामग्री है। इसलिए, उन्हें बरी नहीं किया जा सकता, जैसा कि प्रार्थना की गई थी’। मामले से बरी होने की मांग करते हुए राकेश कुमार सिंह ने कहा कि उन्हें निर्माता प्रवीण मोहरे की शिकायत के बाद 18 अगस्त 2014 को गिरफ्तार किया गया था। उन्होंने आगे कहा कि रिश्वत की कोई मांग, स्वीकृति या वसूली नहीं हुई थी।

विभागीय जांच में दोषमुक्त किए जाने की दलील
राकेश कुमार सिंह ने यह भी बताया कि प्रमाणपत्र जारी करने के लिए सीबीएफसी के सीईओ अकेले जिम्मेदार नहीं थे, क्योंकि यह कार्य चयनित स्क्रीनिंग समिति को सौंपा गया था। राकेश कुमार सिंह ने कहा कि सीबीआई ने रिश्वत की किसी भी कथित मांग को प्रमाणित करने के लिए अभी तक उनकी आवाज का नमूना नहीं लिया है। उन्होंने कहा कि विभागीय जांच में उन्हें दोषमुक्त कर दिया गया है।

By Editor