कई बार देखा जाता है पुलिस अफसर अपने बंगलों पर एक साथ कई कई कर्मचारी तैनात कर लेते हैं, जिसकी वजह से इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अब इस मामले में सख्त रुख अपनाया है. दरअसल, रक्षक कल्याण ट्रस्ट ने याचिका दाखिल की थी कि सरकार के आदेश के खिलाफ कैसे पुलिस अफसरों के बंगलों पर नियम से ज्यादा चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारी तैनात किये जा रहे हैं. इस पर हाईकोर्ट ने कहा है कि स्वीकृति पदों के मुकाबले अधिक कर्मचारियों की तैनाती न की जाए और उसका कड़ाई से पालन किया जाए.
याचिका में कहा गया था ये
जानकारी के मुताबिक, रक्षक कल्याण ट्रस्ट की ओर से दाखिल की गई याचिका पर अधिवक्ता राम अवतार वर्मा का तर्क था कि सरकार के 28 मार्च 2014 के आदेश के विरूद्ध पुलिस अफसरों के बंगलों में स्वीकृति पदों के मुकाबले अधिक संख्या में चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों की तैनात किए हैं. इन कर्मचारियों से तरह-तरह के घरेलू काम कराए जा रहे हैं, जो कि घरेलू हिंसा के नियमों के विरूद्ध हैं. इसके अलावा आरक्षी और मुख्य आरक्षियों से भी घरेलू काम कराए जा रहे हैं. याचिका कर्ता ने अपने पक्ष में प्रदेश सरकार की ओर से 28 मार्च 2014 को जारी किए गए आदेश का हवाला दिया. सरकारी आदेश के तहत सीओ स्तर के अधिकारियों के बंगलों पर एक और उससे ऊपर के अधिकारियों पर दो और डीजीपी रैंक के अफसर के बंगलों पर तीन चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों की तैनाती हो सकती है. इस पर कोर्ट ने सख्ती बरतते हुए कहा कि नियमों का कड़ाई के साथ अनुपालन किया जाए. अगर ऐसा नहीं होता है तो आगे आने वाले समय में कार्रवाई भी की जा सकती है. नजर रखने के लिए पुलिस अफसरों के बंगलों पर सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं तो उसकी रिकॉर्डिंग की जाए.