ताइवान को चीन में मिलाने की कसम खाने वाले ड्रैगन को करारा जवाब मिला है। चीनी राष्ट्रपति के बयान का मुंहतोड़ जवाब देते हुए ताइवान की राष्ट्रपति त्साई इंग-वेन ने रविवार को कहा कि ताइवान बीजिंग के किसी भी दबाव के आगे नहीं झुकेगा और अपने लोकतांत्रिक जीवन की रक्षा करेगा।
ताइवान के राष्ट्रीय दिवस के मौके पर राष्ट्रपति ने एक भाषण में कहा कि हम जितना अधिक हासिल करते हैं, चीन से उतना ही अधिक दबाव का सामना करना पड़ता है।। ताइवान की राष्ट्रपति का बयान ऐसे वक्त में आया है, जब चीन की ओर से लगातार हवाई घुसपैठ की हिमाकत हो रही है और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने ताइवान के एकीकरण की वकालत की है।
उन्होंने कहा कि हम (बीजिंग के साथ) संबंधों को ठीक करने की उम्मीद करते हैं और हम कोई भी काम जल्दबाजी में नहीं करेंगे। मगर उन्होंने चीन को ललकारते हुए कहा कि इसमें कोई भ्रम नहीं होना चाहिए कि ताइवान के लोग दबाव के आगे झुकेंगे।
ताइवान और चीन 1949 में गृह युद्ध के बीच उस समय अलग हो गए थे जब माओ जेदोंग के नेतृत्व में देश के मुख्य हिस्से पर साम्यवादियों (कम्युनिस्ट) की सत्ता में आने के बाद सत्तारूढ़ नेशनलिस्ट पार्टी के लोग भागकर इस द्वीप पर चले गए थे। इसके बाद से ताइवान में स्वशासन है और चीन ने इसे वैधता प्रदान करने से इनकार कर दिया।