*लंका में कोलाहल
*रावण ने खुद को युद्ध मे झोंका
*सुबोध पाठक*
जसवंतनगर(इटावा)। नगर की सड़कें और रामलीला मैदान गुरुवार को भयावह प्राचीनकालीन युद्ध की गवाह बन गयीं।
लक्ष्मण ने रावण पुत्र का बध किया, तो रावण के भाई कुम्भकर्ण ने भगवान राम के हाथों जीवन समाप्त करवा अपने दैत्यजीवन से मुक्ति पायी।
गुरुवार को नवमी के चलते परंपरागत रूप से लँका से कुम्भकर्ण और मेघनाद अपनी राक्षसी सेना के साथ युद्ध को नगर में निकले। इटावा के एसएसपी डॉ ब्रजेश सिंह यहां की रामलीला की ख्याति सुन नगर आये हुए थे । वह रामलीला मैदान पहुंचे , तो रामलीला प्रबंधक राजीव गुप्ता बबलू ,मंत्री हीरालाल गुप्ता, संयोजक ठा अजेंद्र सिंह के पी सिंह भदौरिया, राजीव माथुर,रामनरेश पप्पू,रतन शर्मा, निखिल गुप्ता, इंस्पेक्टर सुधीर सिंह, सी ओ राजीव प्रताप सिंह ने उनका स्वागत और कुम्भकर्ण मेघनाद ने युद्धक सलामी अपने प्रदर्शन से उन्हें दी।
दोनों राक्षसों ने नरसिंह मंदिर पर धावा बोलते तीर तलवारों से युद्ध प्रदर्शन शुरू किया।राम-लक्ष्मण और वानर दल ने करारा जबाब दिया। युद्ध प्रदर्शन को देखने के लिए सड़कों पर तिल रखने को जगह नही थी। बाद में ये युद्ध प्रदर्शन रामलीला मैदान पहुंचा। इससे पहले बड़ा चौराहा पर देवी भक्त मेघनाद ने शंखवार समाज द्वारा निकाले जा रहे जवारों की पूजा की।
राम लीला मैदान में पहुंचते ही मेघनाद ने नांग फांस में पूरे राम दल को बांध डाला, फिर देवी की तंत्र पूजा की ,मगर फिर भी लक्ष्मण के हाथों मारा गया। इससे पूर्व रावण के भाई कुम्भकर्ण का बध कर रामा दल ने लंका में खलबली मचा दी थी। जब मेघनाद भी मारा गया ,तो रावण विचलित हो गया।
।मेघनाद की पत्नी सुलोचना अपने पति का सर लेने राम के पास पहुंची, तो सब अश्रुपूरित थे। रावण अब खुद युद्ध के लिए तैयारी में जुट गया। मंदोदरी ने उसे एक बार फिर राम से संधि करने का सुझाव दिया परंतु वह नही माना।आज की लीलाओं में मेघनाद-कुमकर्ण के युद्ध 3-,3 घण्टे चले। इसलिए श्रेयस मिश्र, शिवम गुप्ता, मोना मिश्रा, राजन गुप्ता, भोला मिश्र , भोले झा, निखिल गुप्ता क्रमशः पात्र बने। भारी भीड़ की व्यवस्था खुद थाना प्रभारी सुधीर सिंह संभाले थे।
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फोटो–रामा दल और कुम्भकर्ण मेघनाद के मध्य युद्ध का जसवंतनगर की सड़कों पर प्रदर्शन होता हुआ