ऊसराहार
सरकार किसानों से बातचीत करके किसानों की मांगों का हल निकाले नहीं तो आंदोलन और तेज होगा। संविधान हमें शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन की अनुमति देता है। इस देश में तानाशाही नहीं चलेगी। यह बात अखिल भारतीय सभा के राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष पी कृष्ण प्रसाद ने किसान कार्यकर्ताओं के स्थानीय सेमिनार में भरतीय चौराहा स्थित मैरिज होम में कहीं।
उन्होंने कहा पूंजीवादी शासन में गरीब जनता का शोषण होता है। जब तक मजदूर किसान का राज नहीं होगा तब तक यह वर्ग सुखी नहीं हो सकता । न्यूनतम मूल्य हर फसल का होना चाहिए। स्वामीनाथन आयोग का गठन वामपंथियों के दबाव में यू पी ए सरकार ने किया था। आज उत्तर प्रदेश के किसानों को अपने परिवार पालने के लिए बाहर मजदूरी करने के लिए जाना पड़ता है। गौतम अडानी 20 रूपए किलो धान खरीद कर 208 रूपए किलो चावल बेचता है। किसान आंदोलन हमारी आने वाली पीढ़ियों को बचाने का आंदोलन है । किसान सभा का जन्म 1936 में उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में हुआ था। उन्होंने नारा दिया था हर गांव में किसान सभा, किसान सभा में हर किसान।
उत्तर प्रदेश किसान सभा के महामंत्री मुकुट सिंह ने कहा कि इतने लंबे और लगातार बढ़ते आंदोलन से सरकार के पेट में पानी हो गया है। धान खरीद का इटावा में कोई खरीद केंद्र शुरू नहीं हुआ है । अगर किसान को खेती से लाभ नहीं मिलेगा तो किसान खेती क्यों करेगा। सरकार यही चाहती है किसान खेती छोड़े और खेती कारपोरेट के हाथों में चली जाए। हमारी जिम्मेदारी आंदोलन को तेज करने की है। किसानसभा के पूर्व जिला अध्यक्ष नाथूराम यादव ने कहा तीनों कानूनों की वापसी, समर्थन मूल्य की गारंटी का कानून, बिजली बिल 2020 की वापसी तक किसानों का आंदोलन जारी रहेगा। किसान सभा के पूर्व जिला अध्यक्ष विश्राम सिंह ने कहा कि अगर हमारे कार्यकर्ता के खिलाफ पुलिस को दमनात्मक कार्रवाई करती है तो हम चुप रहने वाले नहीं हैं । सेमिनार की अध्यक्षता कर रहे वैद्य विश्राम सिंह ने सभी किसानों से अपना धान क्रय केंद्रों पर ही बेचने को कहा