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माफियाओं से मिल पुलिस ने पत्रकारों को फर्जी केश में भेजा जेल

 

केन्द्रीय पत्रकार हेल्प एसोसिएशन के राष्ट्रीय संगठन मंत्री अनीस अंसारी ने पीड़ित पत्रकारों को फर्जी केस में फंसा कर जेल पर सुरक्षा की मांग को उठाई आवाज

माधव संदेश/पंकज शाक्य

नजीबाबाद/बिजनौर – पुलिस ने बिना जांच किये ही दो पत्रकार को संगीन धाराओं में भेजा जेल। लेकिन पुलिस की इस बेतुकी कार्य सैली से जनपद सहित पूरे प्रदेश के पत्रकारों में आज आक्रोश देखने को मिल रहा है। पत्रकारो के जेल जाने के बाद सम्पूर्ण जिले व प्रदेश के अंतरराष्ट्रीय स्तर के मीडिया संगठन आगे की रणनीति तय करेंगे।
केन्द्रीय पत्रकार हेल्प एसोसिएशन के द्वारा प्राप्त जानकारी के अनुसार वायरल वीडियो के आधार पर केन्द्रीय पत्रकार हेल्प एसोसिएशन के राष्ट्रीय संगठन मंत्री अनीस अंसारी ने बताया कि नजीबाबाद में दबंग लोगो द्वारा सट्टे का खेल पुलिस की मिलीभगत से काफी समय से चल रहा था। जिस बारे में कई बार पत्रकारो ने पुलिस को इस मामले से अवगत भी कराया था। परन्तु पुलिस के द्वारा कभी भी कोई एक्शन नही लिया गया था। जिसके बाद 18 /10/2021,समय रात्रि 9 बजे के लगभग पत्रकार शाही अराफात सैफी अपने साथी के साथ सट्टा माफयाओ के गढ़ में ही पहुँच गए। जहां सट्टे माफिया रेलवे कॉलोनी के एक मकान में सट्टा खेल रहे थे। जब पत्रकार कैमरे द्वारा कवरेज करने लगे, तो सट्टा माफयाओ ने पत्रकारों के साथ मारपीट कर उन्हें अंदर ही बंद कर लिया। मौका पाकर जैसे तैसे किसी तरह मीडिया बंधुओ ने वहां से भागकर अपनी जान बचाई। लेकिन रसूखदार सट्टा माफियाओ ने जिनकी पुलिस के साथ पहले से ही मिलीभगत थी। जिन्होंने ऐसा झूठा खेल रचा कि पुलिस वालों ने पत्रकारो के विरुद्ध एक फर्जी केस बनाकर उल्टा मुकदमा दर्ज करके उन्हें जेल भिजवा दिया। केन्द्रीय पत्रकार हेल्प एसोसिएशन को सूत्रों से ज्ञात हुआ है कि स्थानीय पुलिस की मिलीभगत पर ही यह जुए सट्टे का खेल खेला जाता था। पत्रकारो के जेल जाने के बाद पत्रकारो पत्रकारों में रोष फैल गया उसके बाद पत्रकारों द्वारा बनाई गई सट्टे की वीडियो सोशल मीडिया पर डाली गई। जो तेजी से वायरल हो रही है। वीडियो में साफ साफ दिखाई दे रहा जिसमे वहां पर बैठे व्यक्तियों के हाथ मे तास के पत्ते और पैसे साफ-साफ दिखाई दे रहे है। हाथ मे पैसों का होना और दूसरे के हाथ मे तास के पत्तो की गड्डी इस बात का बहुत बड़ा सबूत है। यहां पर बहुत बड़ी संख्या में जुआ और सट्टा खेला जाता है। उक्त वीडियो को देखकर शासन प्रशासन अंदाजा लगा सकता है कि वहां कौन सा खेल खेला जा रहा था। जबकि नजीबाबाद थाना प्रभारी कह रहे है वहा पर विदाई पार्टी चल रही थी। अगर वहां विदाई पार्टी चल रही थी तो वीडियो में तास और पैसे कहा से आये ? सबसे बड़ा सवाल है, विदाई पार्टी में खाना खाया जाता है या जुआ खेला जाता है। लेकिन वीडियो में सच्चाई साफ दिखाई दे रही है। इस बात से आप अंदाजा लगा सकते है कि पुलिस की मिलीभगत यह सब काफी लंबे समय से चालू था सट्टा। जिसको छिपाने के लिए निर्दोष पत्रकारो को झूठा केस बनाकर जेल भेजा गया था ताकि दूसरा कोई भी पत्रकार डर की वजह से आगे से न्यूज़ न बना सके। उच्चस्तरीय शासन प्रशासन के द्वारा इस घटना की निष्पक्ष जांच होनी चाहिए। पत्रकार लोकतंत्र का चौथा स्तंभ है लेकिन नजीबाबाद पुलिस ने निर्दोष पत्रकारों को झूठे केस में फंसा कर जेल भेज कर लोकतंत्र की हत्या की है। पत्रकारो से उनका मौलिक अधिकार छीना है। अगर ऐसे ही चलता रहा तो जनपद में केवल माफयाओ का राज हो जायेगा।
इसलिए केन्द्रीय पत्रकार हेल्प एसोसिएशन के माध्यम से राष्ट्रीय संगठन मंत्री अनीस अंसारी ने पुलिस के उच्च स्तर के अधिकारियों से मांग की है इस मामले की सही जांच करा कर दोषी अधिकारियों पर कार्यवाही की जाए केन्द्रीय पत्रकार हेल्प एसोसिएशन के माध्यम से राष्ट्रीय संगठन मंत्री अनीस अंसारी ने कहा कि अगर पीड़ितों को न्याय नही मिला तो जिले भर के सम्पूर्ण पत्रकार अब धरना प्रदर्शन करेगे। जिसकी जिम्मेदार पुलिस होगी।