अलीगढ़ के पिसावा में पांच करोड़ की चोरी में छह साल पूरे होने के बाद भी नतीजा सिफर है। पुलिसकर्मियों को ऐसी उम्मीद नहीं थी कि यह मुकदमा उनके गले की फांस बन सकता है। तत्कालीन थानाध्यक्ष समेत दस पुलिसकर्मियों पर मुकदमा दर्ज होने के बाद मामला एक बार फिर से सुर्खियों में आ गया है।
नामजद लोगों ने पुलिस द्वारा अपना उत्पीड़न करने की शिकायत राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग में की थी। उनका कहना था कि पूरे मामले में पुलिस ने उनके साथ इंसाफ नहीं किया। पुलिस ने उनका उत्पीड़न किया गया। आयोग ने इसे गंभीरता से लेते हुए पूरे मामले की जांच सीबीसीआइडी से कराने के निर्देश दिए थे। इसके बाद सीबीसीआइडी ने जांच शुरू कर दी है। इसमें पुलिस की भूमिका और उसके द्वारा की गई विवेचना की भी जांच की गई। सीबीसीआइडी की टीम ने पिछले दिनों पिसावा थाने पहुंचकर मुकदमे से संबंधित रिकार्ड खंगाले थे।
जिन पुलिसकर्मियों पर मुकदमा दर्ज किया गया है, उनमें कमलेश यादव वर्तमान में अलीगढ में तैनात है। बाकि सभी पुलिसकर्मी अन्य जिलों में स्थानांतरित हो गये है। कमलेश वर्तमान में डीसीआरबी का काम संभाल रहे है।
सीबीसीआईडी को सौँपी गई थी जांच
चोरी गए सामान में शामिल सभी हथियार विदेशी थे। चोरी गए माल की कीमत लगभग पांच करोड़ रुपये थी। वर्ष 2018 में इस मामले में चार्जशीट लगा दी गई थी। इस मामले के आरोपियों ने पुलिस पर उत्पीड़न करने आदि के गंभीर आरोप लगाते हुए मानवाधिकार आयोग से शिकायत की थी। इसके बाद मामले की जांच सीबीसीआईडी को सौंपी गई।सोमवार को सीबीसीआईडी आगरा की इंस्पेक्टर विद्योत्तमा शर्मा की ओर से पिसावा पहुंचकरमुकदमा दर्ज कराया गया है। जिसमें तत्कालीन थाना प्रभारी निरीक्षक कमलेश यादव, थाने के एसआई केके सिंह, सिपाही अमित कुमार अग्निहोत्री, तत्कालीन एसओजी प्रभारी निरीक्षक रवि त्यागी, सिपाही वीरेश, राकेश, मोहन, सुखवीर, दुर्विजय, मुकेश कुमार को नामजद किया गया है। आरोप लगाया गया है कि चोरी के मुकदमे की विवेचना करते हुए तत्कालीन थानाध्यक्ष व अन्य पुलिसकर्मी टप्पल के विनोद को हिरासत में थाने ले आये थे। ग्रामीणों को यह भनक लगी तो छुड़वाने के लिए थाने पहुंचे थे। थानाध्यक्ष ने ग्रामीणों को जवाब दिया कि गांव के जगवीर को थाने ले आओ, उसके बाद विनोद को छोड़ देंगे। आरोप है कि 25 मार्च को ग्रामीण रामपाल, रवेंद्र जगवीर को थाने लेकर गए तो पुलिस ने उनको भी वहां बैठा लिया और विनोद को भी नहीं छोड़ा। पांच अप्रैल को पुलिस हिरासत में विनोद के सीने में दर्द हुआ तो पुलिस विनोद को उसके गांव छोड़ गई। बाद में जगवीर की हालत बिगड़ी तो उसको भी ग्रामीणों के सुपुर्द कर दिया। मुकदमा धारा 218, 330, 342, 420, 504 में दर्ज किया गया है।
दिल्ली के साकेत विहार में रहते है कुंवर यादवेंद्र
पिसावा रियासत के कुंवर यादवेंद्र सिंह सपरिवार दिल्ली में रहते हैं। किले की निगरानी और देखभाल रायपुर निवासी जगदीश सिंह समेत पांच नौकर करते थे। यादवेंद्र सिंह 21 मार्च 2015 को लौटे तो पता चला था कि किले से देशी-विदेशी हथियार, सोने-चांदी की ट्रॉफी और सोने के कुंडल चोरी हो गए हैं। चोरी गए हथियार और ट्रॉफी आदि की कीमत कई करोड़ रुपये बतायी गयी थी। मामले में कुंवर यादवेंद्र सिंह ने पिसावा थाने में इसकी रिपोर्ट दर्ज कराई थी।
मुकदमे में इनको किया गया था नामजद
कुंवर यादवेंद्र सिंह की ओर से चोरी का मुकदमा दर्ज कराया गया था। जिसमें जगदीश सिंह, सुनील, रोहित और वीर बहादुर को आरोपी बनाया गया था। अप्रैल 2015 में एक और मुकदमा धमकी देने का दर्ज कराया गया था। इसमें सुनील, विनोद, वीर बहादुर और ग्राम प्रधान रामपाल सिंह को नामजद किया था। यादवेंद्र सिंह ने किले से हुई चोरी का खुलासा न होने की शिकायत लखनऊ में सपा अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव से की थी। इसके बाद क्राइम ब्रांच को जांच सौपी गई थी।
चोरी की तहरीर में यह किया गया था उल्लेख
दो हिस्सों में बंटी दोआब स्टेट के एक हिस्से के वारिस कुंवर यादवेंद्र सिंह ने वर्ष 2015 में चोरी की रिपोर्ट दर्ज कराते समय यह उल्लेख किया था कि उनकी हवेली से दो 500 ग्राम सोना जड़ित और पांच चांदी जड़ित बेशकीमती विदेशी ट्राफियां, 12 बोर की तीन बंदूक, 32 बोर की दो रिवाल्वर, दो रायफल गायब थे। सभी हथियार विदेशी थे। इसके अलावा चांदी के बर्तन-सिक्के भी गायब थे। सोना-चांदी के माल की कीमत एक करोड़ के करीब बताई गई।
मामले में सीबीसीआईडी के पत्र के बाद तत्कालीन थानाध्यक्ष समेत 10 पुलिसकर्मियों के विरुद्ध मुकदमा पंजीकृत किया गया है। जांच की जा रही है।
शुभम पटेल, एसपी ग्रामीण