श्री बाबूराम त्रिवेदी सरस्वती शिशु/ विद्या मंदिर अल्लीपुर, हरदोई के छात्र व छात्राओं ने शैक्षिक भ्रमण कार्यक्रम के अंतर्गत वृंदावन का भ्रमण किया ।सभी अपने पदवेश को वाहन में ही उतारकर नंगे पैर ब्रजरज पर चल दिये। प्रधानाचार्य सुश्री आंकक्षा शुक्ला ने बताया कि हम लोगों ने सर्वप्रथम यमुना नदी के तट पर स्थित भगवान श्री कृष्ण द्वारा बुराई के प्रतीक कालियानाग के दमन करने वाले स्थान कालीदीह को देखा। और कहा कि बच्चों उम्र किसी अच्छे कार्य में बाधक नहीं है कालिया नाग रूपी बुराई को कन्हैया ने अपने बाल रूप में ही समाप्त कर दिया था । शिक्षिका सुश्री गरिमा मिश्रा ने बच्चों को कहा कि वृंदावन में प्रेम और प्रकृति का सारे विश्व को संदेश देने वाले निधिवन में ललिता सरोवर, हरिदास जी महाराज द्वारा बांके बिहारी और दाऊजी मूर्ति के प्राकट्य स्थल , राधा रानी मंदिर , रास मंडल , मुरली चोरी स्थल आदि और हरिदास जी महाराज के समाधि स्थल की विस्तृत जानकारी देते हुए दर्शन कराएं । इस निधिवन में वन तुलसी की शाखाओं का आपस में आलिंगन और आज भी रात्रि में किसी पशु पक्षी का इस वन में न रहना आश्चर्य और विश्वास का प्रतीक है। अध्यापक श्री सिद्धार्थ मिश्रा ने बताया कि सनातन धर्म संपूर्ण भारत की वरन् विश्व के अद्यतन काल से भक्ति का सर्वश्रेष्ठ मानक रहा है उदाहरण के लिए सफेद संगमरमर से निर्मित यह अंग्रेजों द्वारा निर्मित इस्कॉन मंदिर के भावनात्मक संकीर्तन से सभी को भक्ति रस से सराबोर करता है ।”वसुधैव कुटुंबकम” की विचारधारा अनुपम उदाहरण है इस्कॉन मंदिर में लगभग सभी सेवादार विदेशों से हैं। शिक्षक श्री शिवम शुक्ला ने कहा वृंदावन के आराध्य बांके बिहारी मंदिर में जीवान्त दर्शन कर सभी अपने जीवन को धन्य मानकर आप संतोष का अनुभव करने लगे । अध्यापिका सुश्री सुनीता जी ने कहा कि वर्तमान में आध्यात्मिकता और आधुनिकता के सामंजस्य का अनुपम उदाहरण सांयकालीन इंद्रधनुष रंगों की रोशनी से तथा अपने आकर्षण से सभी को सम्मोहित करने वाले पूज्य संत श्री कृपालु जी महाराज द्वारा स्थापित प्रेम मंदिर की भव्यता और दिव्यता ने सभी को वशीभूत कर ही लिया । प्रेम मंदिर श्री कृष्ण के जीवन लीलाओं पर आधारित मनोरम झांकियों ने सभी के साथ तन्मयता से आनंद विभोर कर दिया।कुंजगली, राधाबल्लभ मंदिर आदि विभिन्न ज्ञानवर्धक और आत्मसात करने योग्य स्थानों का भ्रमण प्रियंका शोभा ,बबीता ,सुमन ,प्रतिक्षा, रंजना, प्रवीण आदि गुरुजनों के सानिध्य में किया। सुगंधा, श्याम पाल ,अमन, स्नेह लता आदि सभी विद्यार्थियों ने वृंदावन में अपने ज्ञान अर्जन को भविष्य के लिए जीवन उपयोगी बताया।