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डिमेंशिया Vs अल्जाइमर में जानिए आखिर कौनसी बिमारी हैं आपके लिए सबसे ज्यादा खतरनाक

डिमेंशिया और अल्जाइमर दो शब्द हैं जिनका उपयोग अक्सर मेमोरी लॉस और एकाग्रता की कमी से जुड़ी मानसिक स्वास्थ्य स्थितियों के लिए किया जाता है। कई लोगों इसे एक समझने की गलती कर देते है।

डिमेंशिया एक ऐसा शब्द है जिसका इस्‍तेमाल असंख्य लक्षणों का वर्णन करने के लिए किया जाता है जो किसी व्यक्ति की दैनिक गतिविधियों को स्वतंत्र रूप से करने की क्षमता को प्रभावित करता हैं।

इसके लक्षण व्यक्ति की संज्ञानात्मक कार्यप्रणाली को प्रभावित करता है जैसे याददाश्‍त खोना, सोच और ध्यान, समस्या को सुलझाने की क्षमता, भाषा का उपयोग और दृश्य धारणा।

कुल मामलों में से लगभग 70 प्रतिशत मामलों में अल्जाइमर रोग डिमेंशिया का सबसे आम रूप है, लेकिन उनके कारण और लक्षणों के आधार पर डिमेंशिया को इस प्रकार वर्गीकृत किया जा सकता है:

यह स्पष्ट नहीं है कि वास्तव में डिमेंशिया का कारण क्या है। अध्ययनों से पता चलता है कि कई चीजें योगदान दे सकती हैं। यह ज्यादातर अधिक उम्र के लोगों को प्रभावित करता है।

मस्तिष्क के क्षतिग्रस्त होने के काफी समय बाद रोग के लक्षण प्रकट होते हैं। इसका निदान केवल बाद में किया जाता है जब लक्षण अधिक प्रमुख हो जाते हैं। फिर भी एक व्यक्ति के जीवित रहते हुए पूरी सटीकता के साथ अल्जाइमर का निदान करना संभव नहीं है।

केवल अगर स्थिति कुछ विशिष्ट स्वास्थ्य स्थितियों के कारण होती है तो प्राथमिक स्थिति का इलाज होने पर चीजें वापस सामान्य हो सकती हैं। उपचार केवल स्थिति के साथ जीने में मदद कर सकता है।