अलीगढ़ हाथ मे जूते कंधों पर बैग,शिक्षा ग्रहण करने के लिए गंदे पानी से होकर हर रोज गुजरता है देश का भविष्य
कहते हैं देश की खुशहाली का रास्ता गांव से होकर गुजरता है लेकिन जमीनी स्तर पर ग्रामीण कितना परेशान नजर आ रहे हैं इस बात का अंदाजा तस्वीरों से साफ लगाया जा सकता है जहां गांव के लोग नरकीय जीवन जीने पर मजबूर नजर आ रहे हैं वहीं दूसरी ओर बच्चों को देश का भविष्य कहा जाता है लेकिन जमीनी स्तर पर यह बच्चे शिक्षा ग्रहण करने के लिए हाथों में जूते और कंधों पर बैग लटका कर शिक्षा ग्रहण करने कॉलेज की ओर निकलते हैं जहां ड्रेस गंदी होने सहित बैग भी भीगने का बच्चों को डर सताता है साथ ही तमाम तरह की बीमारियों का प्रकोप गांव में फैलता नजर आ रहा है लेकिन जिम्मेदार अधिकारी मोन नजर आ रहे हैं यही कारण है गांव की दुर्दशा ऐसे ही बनी हुई है गांव के मुख्य रास्ते पर ताल तलैया बना तालाब जल मग्न नजर आता है पढ़ने वाले बच्चों के साथ-साथ आम राहगीर भी परेशान होते नजर आते हैं हर रोज पानी में गिर कर लोग जलमग्न होते नजर आते हैं बिना बरसात के ही यहां सड़क तालाब नजर आती है
दरअसल पूरा मामला जिला अलीगढ़ के तहसील खैर में स्थित टप्पल ब्लॉक के गांव
धरबरा का हे जहां ग्रामीण नरकीय जीवन जीने पर मजबूर नजर आ रहे हैं काफी लंबे समय से सड़क के मुख्य मार्ग पर गंदे पानी का कब्जा है सड़क पर ऐसा लगता है जैसे मानो तालाब बना हुआ हो कई बार अधिकारियों से ग्रामीणों के द्वारा गांव से जाने वाले रास्ते से को सही कराने को प्रार्थना पत्र दिया गया साथ ही प्रधानमंत्री पोर्टल पर भी इसका शिकायत पत्र डाला गया लेकिन आज तक कोई कार्यवाही नहीं हुई दूसरी और लक्ष्मी नारायण इंटर कॉलेज के प्रधानाचार्य के द्वारा जानकारी देते हुए बताया गया काफी लंबे समय से गांव से रास्ते के रास्ते में जलभराव की समस्या बनी हुई है स्थानीय लोगों सहित उनके द्वारा भी कई बार प्रशासनिक अधिकारियों को इस बारे में अवगत कराया है लेकिन आज तक गांव की रास्ता का निस्तारण नहीं हो पाया यही कारण है कॉलेज व प्राथमिक विद्यालय में जाने वाले बच्चों को गंदे पानी से होकर गुजरना पड़ता है छोटे-छोटे बच्चे जिस उम्र में हाथ मे किताब साधने का साहस होता है उस उम्र में जूते भी हाथ में लेकर उन्हें किताब साधकर घर गंदे पानी से होकर गुजरना पड़ता है लेकिन मौजूदा प्रशासन इस ओर कोई ध्यान नहीं देता नरकीय जीवन जीने के लिए ग्रामीण परेशान नजर आते वीआईपी गाड़ियों में बैठकर अधिकारी गांव की दुर्दशा का अनुमान लगा लेते हैं लेकिन जमीनी स्तर पर कोई भी अधिकारी गांव वालों की परेशानियों को सुनने को तैयार नहीं है यही कारण है ऐसे गांव की दुर्दशा की तस्वीरों में सांफ देखने को मिलती है।