म्यांमार में लोकतंत्र की प्रतीक समझी जाने वाली नेता आंग सान सू ची को दो साल की कैद सुनाए जाने को लेकर म्यांमार के सैनिक शासकों की तीखी अंतरराष्ट्रीय आलोचना हुई है।
इस बीच म्यांमार के सैनिक शासन विरोधी आंदोलनकारियों ने साफ किया है कि इस सजा से उनके इरादे पर कोई फर्क नहीं पड़ा है। वे लोकतंत्र बहाली के लिए अपना संघर्ष जारी रखेंगे।
नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित सू ची को कोविड-19 संबंधी प्रतिबंधों का उल्लंघन करने के आरोप में सैनिक कोर्ट ने चार साल कैद की सजा सुनाई थी। लेकिन बाद में सैनिक शासकों ने इस सजा को घटा कर दो साल कैद कर दिया। जिस दिन म्यांमार की सेना ने निर्वाचित सरकार के पद ग्रहण करने से कुछ घंटों पहले ही सत्ता पर कब्जा जमा लिया।
नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित सू ची को कोविड-19 संबंधी प्रतिबंधों का उल्लंघन करने के आरोप में सैनिक कोर्ट ने चार साल कैद की सजा सुनाई थी। लेकिन बाद में सैनिक शासकों ने इस सजा को घटा कर दो साल कैद कर दिया। जिस दिन म्यांमार की सेना ने निर्वाचित सरकार के पद ग्रहण करने से कुछ घंटों पहले ही सत्ता पर कब्जा जमा लिया।
सजा सुनाए जाने के बाद सू ची को कहां रखा गया है, इस बारे में कोई जानकारी नहीं है। उधर अंतरराष्ट्रीय आलोचनाओं का जवाब देते हुए सैनिक शासन के विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि ‘हर व्यक्ति कानून के आगे बराबर है, कोई भी कानून के ऊपर नहीं है।