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विश्व हिंदी दिवस पर हिंदी प्रौद्योगिकी को बढ़ाने की आवश्यकता- डॉ.धर्मेंद्र शर्मा

हिंदी प्रौद्योगिकी को बढ़ाने की आवश्यकता- डॉ.धर्मेंद्र शर्मा

*इटावा।विश्व हिंदी दिवस के मौके पर नारायण कॉलेज ऑफ साइंस एंड आर्ट में हिंदी की समृद्धि पर गोष्ठी का आयोजन किया गया।कार्यक्रम का शुभारंभ प्रधानाचार्य डॉ.धर्मेंद्र शर्मा ने ज्ञान की देवी माँ सरस्वती की प्रतिमा पर माल्यार्पण व दीप प्रज्वलन के साथ किया।उन्होंने कहा कि हिंदी एक जगन्नाथी रथ के समान है,जिसमें सब के आवाहन की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि हिंदी प्रौद्योगिकी को बढ़ाने की जरूरत है।कंप्यूटर के युग में कलम का स्थान विज्ञान और तकनीक ने लिया है।हमें हिंदी के लिए मार्ग अनुसरण करना चाहिए।ऐसे में जरूरी है कि भले ही हम अंग्रेजी में सर्व करें लेकिन हिंदी पर गर्व भी करें।*

*उन्होंने कहा कि निश्चित तौर पर देश की भाषा के तौर पर हिंदी ने न सिर्फ यहां की संस्कृति को बरकरार रखा बल्कि परंपराओं को भी लोग सहज स्वीकार किये हुए है।वर्तमान परिस्थितियों में हिंदी में परिवर्तन पर उन्होंने कहा कि हिंदी का स्वरूप बदल रहा है।ऐसे में लेखक, विचारक और चिंतक इसकी सेवा में निरंतर कार्य कर रहे।लेखक दिशा दर्शक होते हैं और उनकी लेखनी से निकले हुए शब्द का प्रहार तोप और तमंचे से बड़ा होता है।उन्होंने कहा कि हिंदी समुद्र है जो अन्य भाषाओं को जोड़कर रखती है,उसका प्रवाहन करती है।पश्चात दर्शन को लेकर उन्होंने कहा कि हम जिस दृष्टिकोण से चीजों को देखते हैं उसी प्रकार परिलक्षित होती हैं।हिंदी भाषा ही नहीं संस्कार है हिंदी की पुष्टि और वलिष्ठता और समृद्धि हो इसी कामना के साथ सद इच्छा की पूर्ति की कल्पना करते हैं।*

*उन्होंने बताया कि सिर्फ देश में ही नहीं बल्कि दुनिया में हिंदी प्रेमियों की संख्या तेजी से बढ़ रही है।विदेश में भी लोग बड़ी संख्या में हिंदी बोलते हैं।यही कारण है कि हिंदी संपर्क सूत्र की भूमिका निभा रही है।उन्होंने कहा कि हिंदी को किसी की सेवा की आवश्यकता नहीं है,हिंदी स्वयं में पुष्ट है और वह लगातार पुष्ट होती रहेगी।इस मौके पर स्कूल कॉर्डिनेटर खुशी टण्डन, स्मृति सक्सेना,सुधि यादव,अर्जुन सिंह,मुकेश पांडेय,अमित आदि शिक्षक मौजूद रहे