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जसवंतनगर। कड़ाके की सर्दी के बावजूद 15 दिन से किसी मुसाफिर या बेघर ने सरकारी रैन बसेरे में शरण नहीं ली।

 

जसवंतनगर। कड़ाके की सर्दी के बावजूद 15 दिन से किसी मुसाफिर या बेघर ने सरकारी रैन बसेरे में शरण नहीं ली।
देर शाम 7 बजे हमारे संवाददाता ने जब हाईवे चौराहे के निकट नगर पालिका की तीन दुकानों में बनाए गए रैन बसेरा पहुंच कर हालात जाने। वहां एक दुकान में महिलाओं के लिए व दो दुकानों में पुरुषों के लिए तकिया चादर गद्दा रजाई डालकर मुसाफिरों व बेघरों को शीतलहर से बचने के लिए रात्रि विश्राम की व्यवस्था कराई गई है किंतु कोई भी मुसाफिर या बेघर वहां रुका नहीं मिला। मौजूद कर्मचारी ने बताया कि 10 दिसंबर से 31 दिसंबर तक 20 दिनों में कुल 31 लोगों का रुकना हुआ था। 3 जनवरी को करीब आधा दर्जन लोग भी रुके थे लेकिन उसके बाद से कोई मुसाफिर या बेघर यहां रुकने नहीं आया है। कर्मचारी के मुताबिक यहां साफ सफाई के साथ स्वच्छ पेयजल, मास्क, सैनिटाइजर व सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए रुकने की व्यवस्था की गई है।
अब सवाल यह उठता है कि 15 दिन से आखिर कोई मुसाफिर या बेघर यहां रुकने क्यों नहीं आया! क्या वाकई किसी को जरूरत महसूस नहीं हुई! जागरूक नागरिकों का कहना है कि यदि इस रेन बसेरे का समुचित प्रचार-प्रसार किया जाता तो मुसाफिर और बेघर रुकने जरूर आते।