रूस और यूक्रेन की लड़ाई अपने निर्णायक मोड़ पर पहुंच गई है. यूक्रेन के शहर खेरसॉन में रूसी सैनिकों ने अपना झंडा लहरा दिया है. अब तक 137 यूक्रेनी नागरिकों के मारे जाने की खबर आ रही है. यूक्रेन भी 800 रूसी सैनिकों के मारे जाने का दावा कर रहा है. लेकिन दोनों देशों की जंग में असली अग्निपरीक्षा भारत की है.
अगर देखा जाए तो भारत इस वक्त ‘तटस्थ’ की नीति अपना रहा है. भारत ने खुलकर न तो यूक्रेन का समर्थन किया है और न ही रूस का विरोध. जहां अमेरिका और अन्य यूरोपीय देश रूस की जमकर आलोचना कर रहे हैं
भारत ने जोर देकर कहा कि यूक्रेन संकट के समाधान के लिये बातचीत और कूटनीति सबसे अच्छा रास्ता है. भारत के सामने नैतिक मूल्यों और व्यवहारवाद संबंधों में किसी एक को चुनने की चुनौती है.
अब तक उन्हें भी बाहर नहीं निकाला गया है. चार देशों-रोमानिया, हंगरी, पोलैंड और स्लोवाक रिपब्लिक से छात्रों का एग्जिट प्लान तैयार किया गया है.
भारत के विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का सदस्य होने के नाते और ऐसा देश होने के नाते, जिसका उस क्षेत्र में काफी कुछ दांव पर लगा है, जिसके अनेक नागरिक संवेदनशील क्षेत्रों में हैं.