सैफई क्षेत्र में शार्ट फ़िल्म की शूटिंग शुरू
धार्मिक एकता पर किया जा रहा है फ़िल्म का निर्माण, शूटिंग देखने उमड़ी भीड़
इटावा/सैफई अवंकार ब्रॉडकास्ट मीडिया प्रा० लिमिटेड मुम्बई के बैनर तले फ़िल्म निर्माता प्रॉड्यूसर संजय शुक्ला द्वारा सामाजिक एकता को लेकर एक फ़िल्म की शूटिंग की जा रही है। जिसकी शूटिंग सैफई क्षेत्र के कस्बो में की गई। शूटिंग के दौरान आसपास के काफी लोग शूटिंग देखने उमड़ पड़ें।
फ़िल्म की कहानी दो बचपन के दोस्तो से शुरू होती है दो बच्चे योगेश और आफताब ट्यूबेल पर बैठे हुए हैं और बचपन में एक दूसरे से बातें कर रहे हैं हम लोग एक दूसरे का साथ कभी नहीं छोड़ेंगे उसके बाद दोनों मिलकर कंचे खेलते हैं और फिर साइकिल चलाते हुए घर चले जाते हैं बाद में दोनों दोस्तों की मुलाकात 15 साल बाद बाजार में होती है आफताब अपनी पत्नी के साथ बाजार में समान लेने जाता है। तो योगेश आफताब को पहचान लेता है दोनो दोस्त गले मिलते हैं और योगेश आफताब व उसकी पत्नी को अपने घर ले जाता है तो आफताब अपनी समस्या बताता है कि मेरा मकान मालिक मुझसे एक साल का एडवांस मांग रहा है मेरे लिए कोई मकान देख ले। इस बात पर योगेश कहता है कि मेरा ऊपर का कमरा खाली पड़ा है तो मेरे घर पर रह सकता है तो योगेश अपने मुस्लिम मित्र को अपना कमरा रहने के लिए दे देता है योगेश के पिता पूजा पाठ करने वाले व्यक्ति हैं और जब भी आफताब घर आता है तो उसके पास काली पॉलिथीन में कुछ होता है तो योगेश के पिता समझते है कि वह काली पन्नी में मीट लेकर आया है अगले दिन योगेश के पिता पूजा कर रहे होते हैं इसी बीच आफताब काली पन्नी लेकर सीढ़ियां चढ़ते हुए अपने कमरे में चला जाता है कुछ देर बाद योगेश के पिता को मीट की बदबू लगती है। तो वह गुस्से से आफताब का दरवाजा बजाते हैं और कहते हैं मांस मदिरा बाद में पका लेना पहले दरवाजा खोल इसी बीच आफताब की पत्नी दरवाजा खोलती है और योगेश के पिता बड़बड़ाते हुए कमरे में दाखिल होते हैं वहां का नजारा देखकर योगेश के पिता की आंखें फटी रह जाते हैं वह देखते है कि मुस्लिम आफताब हिंदू देवी देवताओं की मूर्तियां पेंट करता हुआ दिखाई देता है कुछ मूर्तियां पेंट हो चुकी होती हैं तो कुछ मूर्तियों पर आफताब कलर कर रहा होता है यह देख योगेश के पिता की आंखें खुली रह जाती हैं और वह कहते हैं कि तो यह बदबू कहां से आ रही है और उस काली पन्नी में क्या लाते थे तो आफताब कहता है वह आपका लड़का।
इसी बीच इसी बीच आफताब की पत्नी कहती है वह काली पन्नी में रंग लाया करते थे जो उन्हें मूर्ति पेंट करने के लिए उनका मालिक देता था आपको क्या लगता था कि वह काली पन्नी में मांस मदिरा लाते थे आपके हिंदू धर्म में जो मांस मदिरा खाता है क्या वह सच्चा हिंदू नहीं होता। वैसे ही हमारे धर्म में जो मांस मंदिरा खाता है वह सच्चा मुस्लिम नहीं होता। अगर होली आती है तो आप भी होली नहीं मनाते हम भी नहीं मनाते हैं। अगर आप रक्षाबंधन मनाते हैं तो क्या हम रक्षाबंधन नहीं मनाते। खुशी हमें भी होती है और हां हर मुस्लिम आतंकवादी नहीं होता है। उसके भी दिल में भारत माता के लिए जान और जज्बे का जुनून होता है आप यह मत भूलिए अब्दुल कलाम जैसे जो देश के राष्ट्रपति थे वह मुसलमान थे। यह सुनकर योगेश के पिता शर्मिन्दा हो जाते है। और नीचे आकर देखते हैं उनका लड़का किचन में खुद मीट बना रहा था यह देखकर उसे हड़काते है और कहते हैं कि तेरी वजह से आज मैंने किसी के मजहब और धर्म को ठेस पहुंचाई है शॉर्ट फिल्म में आफताब की पत्नी का रोल आकांक्षा यादव इटावा, आफताब का किरदार योगेश कुमार फिरोजाबाद, योगेश का किरदार सौरभ कुमार दिल्ली, योगेश के पिता का रोल गोविंद पाल इटावा, योगेश के पिता के मित्र का रोल पंजाब से आये रविंद्र प्रकाश सिंह भाटिया के द्वारा निभाया जा रहा है।