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औरैया, श्रीमद भागवत कथा सुन भक्त हुए मन मुग्ध*

*औरैया, श्रीमद भागवत कथा सुन भक्त हुए मन मुग्ध*

*फफूंद,औरैया।* विकास खण्ड भाग्यनगर के गांव दूल्हाराय का पुरवा चल रही श्रीमद भागवत कथा के पाँचवे दिन गुरुवार को कथा वाचक पं.ओम प्रकाश त्रिपाठी ने हिरण्यकश्यप व भक्त प्रहलाद की कथा सुनाई। उन्होंने कहा कि हिरण्यकश्यप अपने भाई की मौत का बदला भगवान विष्णु से लेने के लिए ब्रह्मा जी की तपस्या करने के लिए एक वट के नीचे बैठ गया। जहां देव गुरु वृहस्पति तोता का रूप धारण कर वृक्ष पर बैठ गए। और नारायण नाम का रट लगाने लगा। आजिज हिरण्यकश्यप तपस्या छोड़ कर घर आ गया। पत्‍‌नी ने पूछा कि आप तपस्या छोड़कर क्यों चले आए तो तोता की बात बताई। पत्‍‌नी ने भी भगवान के नाम क जप किया और गर्भ ठहर गया और भक्त प्रहलाद के रूप में बालक का जन्म हुआ। जब प्रहलाद गुरुकुल से घर आए तो हिरण्यकश्यप ने पूछा कि क्या शिक्षा ग्रहण किए हो। प्रहलाद भगवान का गुणगान करने लगे। इससे हिरण्यकश्यप क्रोधित हो उठा और कहा कि तुम मेरे शत्रु का गुणगान कर रहे हो। लेकिन प्रहलाद ने भगवान की अराधना नहीं छोड़ी। हिरण्याकश्यप अत्याचार करता रहा और भगवान प्रहलाद को बचाते रहे। एक दिन हिरण्यकश्यपु ने प्रहलाद से कहा कि तुम्हारे भगवान कहां हैं। प्रहलाद ने जवाब दिया कि कण-कण में हैं और इस खंभे में भी हैं। इतना सुनते ही हिरण्यकश्यपु ने तलवार निकाल कर खंभे पर वार कर दिया। तब नरंिसंह के रूप में भगवान प्रकट होकर हिरण्यकश्यप का वध कर देते है।

रिपोर्ट :-: आकाश उर्फ अक्की भईया संवाददाता