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लखना, मना लिया “विश्व पर्यावरण दिवस” पर्यावरण जस का तस*

*मना लिया “विश्व पर्यावरण दिवस” पर्यावरण जस का तस*

लखना,इटावा। ग्रामीण पत्रकार एसोसिएशन के जिलाध्यक्ष स्वामी शरण श्रीवास्तव ने कहा है कि प्रति वर्ष की भांति इस वर्ष भी बड़े जोर शोर से विश्व पर्यावरण दिवस मना कर लोगों ने खाना पूरी करदी और अपनी-अपनी फोटो खींचा कर सार्वजनिक तौर पर यह बताने की नाकाम कोशिश की गई कि वह भी पर्यावरण के प्रति खास तौर पर चिंतित हैं इस देश का यह दुर्भाग्य है यहां लोग धरातल पर काम करने की वजाय निमित्त मात्र फोटो खिंचाकर और उसे समाचार पत्रों व फेसबुक एवं अन्य संचार माध्यमों के द्वारा प्रसारित कर अपने कार्य की इतिश्री कर लेते हैं यदि इस देश में धरातल पर काम किया गया होता तो पूरे देश में हरियाली ही हरियाली दिखती हमारी सरकारें जनता की गाढ़ी कमाई का बहुत सारा धन विज्ञापन में ही खर्च कर अपनी जिम्मेदारी से मुक्त हो जाती हैं क्योंकि सरकार द्वारा विगत कई वर्षों में प्रत्येक ग्राम पंचायत को लाखों रुपए वृक्षारोपण के नाम पर दिए गए लेकिन धरातल पर आपको वृक्ष तो क्या उनकी एक सूखी लकड़ी भी नहीं दिखाई पड़ेगी उन्होंने कहा है यदि हम विश्व पर्यावरण दिवस की प्रति गंभीर होते तो आज देश में हरियाली ही हरियाली होती वृक्षारोपण के नाम पर जितना धन बहा दिया गया है उसका एक चौथाई भी धरातल पर दिखाई नहीं दे रहा है सरकारें भी वृक्षारोपण और पर्यावरण के नाम पर गंभीर नहीं दिखाई देती यदि वह गंभीर होती तो वृक्षारोपण जैसी महान कार्य के लिए वन विभाग को ही इसकी एकमात्र जिम्मेदारी दी जाती और इसके लिए ग्राम पंचायतों और दूसरी संस्थाओं को ध्यान देने के बजाय केवल वन विभाग को ही धन दिया जाता तो शायद आज हरियाली कुछ ज्यादा ही दिखाई देती साथ ही वन विभाग को भी इस प्रकार के कड़े निर्देश देती कि वह ऐसे वृक्षों का पौधा रोपण करें जिसकी बहुत लंबी उम्र होती है जैसे पीपल, बरगद,आम नीम,बेल, शीशम आज का भारी पैमाने पर वृक्षारोपण किया जाता जो आने वाले लंबे समय में हरियाली के साथ-साथ फर्नीचर निर्माण के कार्य में भी काम आते यह वन विभाग भी तत्काल हरियाली दिखाने के लिए उन वृक्षों को लगाती है जिससे हरियाली तो दिखने लगती है परंतु दो चार साल बाद वह वृक्ष खत्म हो जाते हैं जबकि उनके रख रखाव पर उतना ही खर्च होता है जितना कि इन लंबी उम्र के वृक्षों पर।
उत्तर प्रदेश सरकार को चाहिए कि वह आने वाले समय में ग्राम पंचायतों को एक पैसा भी वृक्षारोपण के नाम पर देकर धन की बर्बादी को रोके तथा पूरा बजट केवल वन विभाग को ही दे और नहरों, रजबहों सड़कों के दोनों ओर वृक्षारोपण अभियान चलाकर वृक्ष लगाएं और उनकी सुरक्षा और रखरखाव की पूरी जिम्मेदारी वन विभाग को दें तो ही यह विश्व पर्यावरण दिवस सफल हो सकेगा अन्यथा प्रतिवर्ष लगने वाले लाखों पेड़ लगने के कुछ दिन बाद ही लापता होते रहेंगे सरकार को बड़ी जिम्मेदारी के साथ खाना पूर्ति ना करके इस ओर गंभीरता से ध्यान देना होगा तभी पर्यावरण दिवस सार्थक होगा और पर्यावरण भी सुरक्षित होगा।