सर्पदंश के बाद झाड़ फूंक कराना व कसकर बन्ध लगाना बेहद खतरनाक
सर्पमित्र- डॉ आशीष त्रिपाठी
इटावा। जैसा कि हम सभी जानते है कि, उत्तर प्रदेश में सर्प दंश अब एक राज्य आपदा का विषय भी हो चुका है जिसके तहत सर्पदंश से मरने वाले व्यक्ति के परिवार को 4 लाख रुपये की आर्थिक सहायता का भी प्रावधान राज्य सरकार द्वारा किया गया है। अब आजकल प्री मानसून सीजन (बरसात के पहले का समय) भी चल रहा है बरसात भी बस आने ही वाली ही है और तब जनपद के आसपास के ग्रामीण इलाकों में सर्पो का दिखाई देना व कहीं सर्पदंश होना भी एक आम बात ही होगी। लेकिन आज 21 वीं सदी के इस आधुनिक भारत मे सुदूरवर्ती ग्रामीण इलाकों में सर्पदंश के प्रति बिल्कुल जन जागरूकता न होना हम सबके लिये एक बड़ी ही शर्मनाक बात भी है। इसी का खामियाजा आज कई ग्रामीण जन भुगत भी रहे है और आने वाले समय मे भी भुगतेंगे क्यों कि सही जानकारी न होने की वजह से सर्प दंश के बाद सही समय से सही इलाज न मिलने पर कई युवा पीढ़ी के लोग असमय काल के गाल में अक्सर ही समा जाते है या फिर न्यूरोटॉक्सिक वेनम के दुष्प्रभाव से शरीर का तंत्रिका तंत्र सामान्य से विकृत हो जाने के कारण हमेशा के लिये विकलांग हो जाते है। ऐसा ही एक ताजा मामला पिछले शनिवार की रात्रि का सामने आया है जिसमे एक 15 वर्षीय बच्ची जौली निवासी सुजापुर मैनपुरी जो कि अभी सैफई पीजीआई में भर्ती है। जिसके बाएं पैर में स्पेक्टिकल कोबरा की बाइट हुई । असल मे जौली घर मे लाइट चली जाने के बाद बक्से के नीचे से हाथ वाला पंखा निकाल रही थी तभी बक्से के नीचे छिपे जहरीले कोबरा सर्प ने उसे काट लिया। जब उसे थोड़ा सा चक्कर आया तो बाइट के बाद माता पिता ने सोचा कि किसी चूहे ने काटा होगा। तबियत बिगड़ने पर घर वाले उसे गाँव के ही किसी झाड़ फूंक करने वाले तांत्रिक बाबा के पास ले गये वहाँ झाड़ फूँक में 2 से 3 घण्टे लग गये जिससे उसका वह महत्वपूर्ण समय बर्बाद हो गया जिससे उसकी हालत सुधर सकती थी व ऐसी स्थिति उतपन्न नही होती। अब यदि इस बच्ची की हालत यूं ही बनी रही तो दुर्भाग्य से भविष्य में इसका अंग भंग भी हो सकता है। जनपद इटावा के वन्यजीव विशेषज्ञ व मिशन स्नेक बाइट डेथ फ्री इंडिया के यूपी कोर्डिनेटर सर्पमित्र डॉ आशीष त्रिपाठी ने सर्पदंश की इस घटना का जिक्र करते हुये सभी जनपद वासियों से निवेदन किया है कि, कृपया सर्पदंश होने पर बिल्कुल भी न घबराये बस काटे गये स्थान से दूर दो जगह एक हल्का सा ही बन्ध लगाकर सीधे 20 से 30 मिनट में ही मरीज को अपने नजदीकी जिला अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड में ही ले जायें और चिकित्सक की देख रेख में एंटीवेनम या पोलिवेनम लगवायें और इस तरह की परेशानी से अपने प्रियजन को भी बचाये।