श्रीलंका में संकट के बदतर होने से पहले ही नई दिल्ली ने कोलंबो के साथ अपने सहायता प्रयासों में तेजी लाने, महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे को बढ़ाने और दोनों पड़ोसियों के बीच पारंपरिक संबंधों को मजबूत करने के अवसर का इस्तेमाल करने के लिए एक व्यापक योजना बना ली है.चीन श्रीलंका की स्थिति पर पैनी नजर रख रहा है, जहां सरकार विरोधी प्रदर्शनकारियों ने राष्ट्रपति आवास पर धावा बोल दिया और प्रधानमंत्री के आवास में आग लगा दी।
श्रीलंका में फिर से अपनी उपस्थिति बढ़ाने की भारत की उत्सुकता द्वीप राष्ट्र में चीन के बढ़ते प्रभाव की पृष्ठभूमि में आती है. बीजिंग कोलंबो के लेनदारों में तीसरे नंबर पर आता है और इसके बकाया ऋण के 10 प्रतिशत से थोड़ा अधिक हिस्से के लिए जिम्मेदार है.चीन ने आर्थिक संकट का सामना कर रहे श्रीलंका को कुछ लाख डॉलर की सहायता प्रदान की है
हाल में चावल की बड़ी खेप भेजी थी, लेकिन राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे या उनके भाई पूर्व प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे द्वारा चीनी ऋण की अदायगी टालने के लिए मांगी गई बड़े पैमाने पर मौद्रिक सहायता प्रदान नहीं की। चीन के इस इनकार के पीछे की वजह स्पष्ट नहीं है।सरकारी अधिकारियों ने बताया कि इस महीने की शुरुआत में डिप्टी एनएसए की अध्यक्षता में हुई अंतर-मंत्रालयी बैठक के दौरान ‘ प्राथमिकता वाले प्रोजेक्ट’ – श्रीलंका के साथ भारत के व्यापार और कनेक्टिविटी को बढ़ाने के प्रस्तावों- पर चर्चा की गई थी.