*विधायक ने दवा खिलाकर कृमि मुक्ति अभियान का किया शुभारंभ*
● इटावा में 7 लाख बच्चों को दवा खिलाने का कृमि मुक्ति अभियान शुरू,
● स्कूलों व आंगनबाडी केंद्रों पर मना गया राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस,
इटावा। इटावा जनपद में बुधवार को राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस (एनडीडी) पर सदर विधायिका श्रीमती सरिता भदौरिया ने कृमि मुक्ति की दवा प्राथमिक स्कूल के बच्चों को खिलाकर अभियान का शुभारंभ किया। यह दवा 1 वर्ष से 19 वर्ष उम्र तक के सभी लोगों को खानी है।
मुख्य चिकित्सा आधिकारी डॉ०बीडी भदौरिया ने बताया कि जिले में 7 लाख बच्चों और किशोरों को कृमि मुक्ति की दवा यानि पेट से कीड़े निकालने की दवा खिलाने के उद्देश्य से यह अभियान शुरू हुआ है। इस अभियान के तहत आंगनबाड़ी केन्द्रों,स्वास्थ्य केन्द्रों और पंजीकृत स्कूलों,ईंट भट्ठों पर कार्य करने वाले श्रमिकों और घुमन्तू लोगों को दवा खिलाई जा रही है। उन्होंने बताया कि किसी कारण आज जो बच्चे दवा नहीं खा पाए हैं उनको मॉपअप राउंड में खिलाई जाएगी। जनपद में मॉपअप राउंड 25 जुलाई से 27 जुलाई तक चलेगा। शिक्षक, आंगनबाड़ी व स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को यह दवा अपने सामने ही खिलाने के निर्देश हैं।
नोडल अधिकारी / डीसीपीएम प्रभात बाजपेई ने बताया कि कुछ खाकर ही यह दवा खानी है। 3 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को यह दवा पीसकर पिलानी है जबकि 3 वर्ष से ऊपर के बच्चों को यह दवा चबाकर खानी है। उन्होंने बताया कि पेट से कीड़े निकलने की दवा एल्बेन्डाजॉल बहुत ही स्वादिष्ट बनाने की कोशिश की जाती है। इससे बच्चे आसानी से खा लेते हैं। पहले यह दवा वनीला और मैंगो फ्लेवर में उपलब्ध थी जबकि इस बार यह स्ट्राबेरी फ्लेवर में मिल रही है।
महेवा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र चिकित्सा अधीक्षक डॉ०गौरव त्रिपाठी ने सुखदेवी उच्चतर माध्यमिक विद्यालय में जाकर बच्चों को दवा खिलाई और कहा कि हम लोगों को दवा खिलाने के लिए प्रशिक्षित किया गया था। हम सब कोविड प्रोटोकॉल का पालन करते हुए दवा खिला रहे हैं। जो लोग दवा नहीं खा सके हैं, उनको मॉपअप राउंड में दवा खिलाने का प्रयास करेंगे।
*क्यों खाएं दवा*
डीसीपीएम प्रभात बाजपेई ने बताया कि बच्चे अक्सर कुछ भी उठाकर मुंह में डाल लेते हैं या फिर नंगे पांव ही संक्रमित स्थानों पर चले जाते हैं। इससे उनके पेट में कीड़े विकसित हो जाते हैं। इसलिए एल्बेन्डाजॉल खाने से यह कीड़े पेट से बाहर हो जाते हैं। अगर यह कीड़े पेट में मौजूद हैं तो बच्चे के आहार का पूरा पोषण कृमि हजम कर जाते हैं। इससे बच्चा शारीरिक व मानसिक रूप से कमजोर होने लगता है। बच्चा धीरे-धीरे खून की कमी (एनीमिया) समेत अनेक बीमारियों से ग्रस्त हो जाता है। कृमि से होने वाली बीमारियों से बचाव के लिए यह दवा एक बेहतर उपाय है। जिन बच्चों के पेट में पहले से कृमि होते हैं उन्हें कई बार कुछ हल्के प्रतिकूल प्रभाव हो सकते हैं। जैसे हल्का चक्कर,थोड़ी घबराहट, सिर दर्द,दस्त,पेट में दर्द, कमजोरी,मितली,उल्टी या भूख लगना। इससे घबराना नहीं है। दो से चार घंटे में स्वतः ही समाप्त हो जाती है। आवश्यकता पड़ने पर आशा या आंगनबाड़ी कार्यकर्ता की मदद से चिकित्सक से संपर्क करें। उन्होंने बताया कि कृमि मुक्ति दवा बच्चे को कुपोषण,खून की कमी समेत कई प्रकार की दिक्कतों से बचाती है।