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इटावा, जसवंत नगर का रेल मंडी शिवालय: भोलेनाथ का यहां परिवार बसता है

जसवंत नगर का रेल मंडी शिवालय: भोलेनाथ का यहां परिवार बसता है

*200 वर्षों से ज्यादा प्राचीन

जसवन्तनगर(इटावा)।यहां नगर में 24 शिवालय हैं, जिनमे चार शिवालयों को, जो नगर के चारों कोनों पर हैं ,उन्हें यहां के लोगों को आपदाओं विपत्तियों से रक्षा का कवच माना जाता है। इनमें दक्षिणी कोने पर स्थित रेलवे फाटक स्थित शिवालय प्राचीनतम है। इसकी स्थापना करीब 200 वर्ष पूर्व हुई थी।


इस शिवालय को बनाते समय स्वर्गीय रामस्वरूप शिवहरे के पूर्वजों ने भगवान शंकर का पूरा परिवार पार्वती, गणेश,कार्तिकेय और नंदी को विराजित कराया था।यानि भगवान भोलेनाथ सपरिवार बसते थे। मगर कालांतर में कुछ पारिवारिक मूर्तियां खंडित हो विलुप्त हो गईं। शिवालय में तीन मठियां हैं।शिवालय के बगल से सटकर रेलवे लाइन निकली है। इसे डाले जाने के दौरान नक्शे में ठीक मंदिर की जगह पर जसवंतनगर की रेलवे स्टेशन बनना तय हुआ था। रेल फाटक सिसहाट गांव के सामने बनने का नक्शा बना था। मगर बताते हैं कि निर्माण से जुड़े इंजीनियरों को तभी स्वप्न में भगवान शंकर आए और उनसे उनका घर न उजाड़ने की कहा।इसके बाद रेल इंजीनियरों ने स्टेशन को पूर्वी तरफ 150-200 मीटर आगे बनाने का निर्णय लिया। स्टेशन की सिग्नल चौकी मंदिर के उत्तरी और बनाई गई, ताकि सिग्नलमैन भोलाभंडारी की छत्र-छाया में रहें।यही वजह मानी जाती है कि इस शिवालय की 500 मीटर परिधि में रेल ड्रेलमेंट की आज तक कोई दुर्घटना नही हुई।मंदिर परिसर में पीपल का एक विशालतम वृक्ष है, इस की खासियत यह है कि इसी वृक्ष में बरगद और नीम भी इसकी डालों से निकलकर विशालकाय रूप ले गए हैं। पीपल और बरगद की पूजा महिलाए विभिन्न अवसरों पर शिवलिंग की छांव में करती हैं।


इस मंदिर में कभी कोई पुजारी तैनात नहीं रहा।भक्त लोग ही रखरखाव करते रहे हैं।
इस शिवालय के पास ही रहने वाले कई स्वयंसेवी संस्थाओं के पदाधिकारी श्याम मोहन गुप्ता ने बताया कि इस प्राचीन शिवलिंग के आगे जो भी मन्नत भक्त मांगते ,वह पूरी होती।मेरा परिवार ही नही रेलमंडी के अनेक परिवार इन भोलेनाथ की कृपा से सरसब्ज हुए हैं। वह बताते कि भगवान राम यहीं से आशीर्वाद लेकर अपनी बारात निकालते रहे। नगर की गणेश बारात भी यहीं से निकलती थी।

जुगौरा गांव निवासी ब्लॉक प्रमुख परिवार के बुजुर्ग 65 वर्षीय कुशल पाल सिंह यादव ने बताया कि यह शिवालय उन्हें आलोकित ऊर्जा प्रदान करता है।मैं कई बार बहुत बीमार हुआ,मगर हर बार इनकी कृपा से स्वस्थ हो गया। अब मेरा नियम है कि मैं सबेरे रोज अपने घर से चलकर इस शिवलिंग को माथा नवाता हूं। उन्होंने बताया कि सावन के महीने और शिवरात्रि पर दूर दूर से लोग दर्शनों को आते हैं।

वेद व्रत गुप्ता*

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