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माइग्रेन की बिमारी से बचाव के लिए आप भी करें ये सरल योग

आज से लगभग बीस तीस साल पहले ‘योग’  का जिक्र आते ही सबसे पहली छवि उभरती थी, एक ऐसे व्यक्ति की जिसके पैर ऊपर हों और सिर जमीन पर हो।  या फिर यूं भी कह सकते हैं कि गिरी कंदराओं या हिमालय में रहने वाले संन्यासियों को ही इसका ज्ञान हुआ करता था।

पैर ऊपर तथा सिर जमीन पर, योग के बारे में जो हमने पहले ही लिखा है, यह हठयोग का एक अत्यंत प्रसिद्ध आसन है, जिसे ‘शीर्षासन’  के नाम से जाना जाता है।

माइग्रेन के लिए चिकित्सीय:
सिरसाना मस्तिष्क में रक्त वाहिकाओं को प्रभावी ढंग से आराम और मजबूत करता है जिससे सिरदर्द और माइग्रेन को रोका जा सकता है। साथ ही, हेडस्टैंड के अभ्यास से दिमाग में पोषक तत्व बढ़ जाते हैं जो मस्तिष्क को शांत करता है और सिरदर्द को रोकता है।
शस्त्र और कंधे को मजबूत करता है:
सिरसा ऊपरी शरीर की ताकत, और मांसपेशियों की सहनशक्ति में सुधार करके कोर को मजबूत करता है। अपने आप को हेडस्टैंड में पकड़कर, सिर और गर्दन को आराम देने के लिए फोरआर्म्स, कंधों और पीठ का उपयोग करके, आप रीढ़ को लंबा करने और मुखर मांसपेशियों को आराम करने में सक्षम हैं।
पाचन में सुधार करता है:
उलटा प्रदर्शन करके, आप गुरुत्वाकर्षण के प्रभाव को पाचन तंत्र पर उलट जाने देते हैं जो अटकी हुई सामग्री को निकालता है, फंसी हुई गैसों को छोड़ता है और पाचन अंगों में रक्त के प्रवाह को बढ़ाता है।

आमतौर पर सभी लोगों को मालूम है कि सिरदर्द के इलाज में शीर्षासन बहुत फायदेमंद होता है। यही कारण है कि अक्सर हम एक दूसरे को शीर्षासन करने की सलाह (tips) देते हैं। चूंकि इस आसन का अभ्यास करते समय शरीर को उल्टा करना पड़ता है, अर्थात् सिर को जमीन पर टिकाकर बैलेंस बनाना होता है, इस क्रिया में मस्तिष्क में खून का बेहतर तरीके से प्रवाह (blood flow) होता है, जिससे यह मस्तिष्क से जुड़ी सभी बीमारियों (mental issues) के लिए फायदेमंद होता है।