फोटो~पिता राजकुमार गुप्ता उर्फ मामू की अर्थी को काँधा देती बेटियां आकांक्षा और अपूर्वा, इनसेट में स्व राजकुमार गुप्ता
*जसवन्तनगर(इटावा)*। हर व्यक्ति के शरीर में दो किडनियां(गुर्दे) होती हैं,मगर जसवन्तनगर के राजकुमार गुप्ता के शरीर में जन्मजात एक ही आई थी।पूरी जिंदगी इसी एक किडनी की दम पर जीवटता की दम पर काट दी।सोमवार शाम जब वह अपने जीवन के 60वाँ बसंत में थे, तब शाम 5 बजे के आसपास हार्ट अटैक आया और जिंदगी से हार गए।
यहां के मोहल्ला कटरा पुख्ता निवासी राजकुमार गुप्ता, जो जग मामू थे। छोटे-बड़े, बूढ़े कोई भी।उनको नाम से नगर।में नही जानता था। सब मामू कहकर बुलाते थे।
बताते है कि उनके जन्म के बाद जब 7 महीने के वह हुए थे, तब बीमार पड़ने पर उनके पिता स्व शान्ती गुप्ता धारवालों को डॉक्टर्स ने बताया था कि आपके बेटे के शरीर में केवल एक किडनी है। सेवानिवृत सरकारी डॉक्टर राजीव गुप्ता बताते हैं कि दुनियां में लाखों लोगों में एक दो ही ऐसे पैदा होते हैं, जिनको जन्मजात शरीर में एक ही किडनी आती है।ऐसे लोगों की जिंदगी दुष्कर तब आकर होती है, जब वह 40-45 की उम्र पर पहुंचते है।लेकिन स्व मामू उम्र के पड़ाव पार करते गल्ले की आढ़त का व्यवसाय संभाले हंसमुख अंदाज में अपनी जिंदगी बिताते रहे।
उनको भगवान ने दो बेटियां ही दी थीं, कोई बेटा नही जन्मा था, हालांकि उनके भाइयों के बेटे थे, मगर वह कहते थे कि मेरी बेटियां ही मेरे बेटे हैं।आज जब उनकी अर्थी उठने को हुई,तो उनकी दोनो बेटियां जुटी भीड़ के बीच आकर बोली कि हम दोनों ही अपने पापा का अंतिम संस्कार करेंगे। बाद में जब अर्थी उठी,तो दोनो बेटियों ने भरी आंखों के साथ पापा को कांधा दिया और शांति वन पहुंच अपने चिरनिद्रा में लीन पिता को मुखाग्नि दी।