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राम बनना या रावण,यह मनुष्य के अपने हाथ में : आचार्य आदित्य सागर

फोटो – तीर्थंकर भगवानों का अभिषेक और महाआरती करते इंद्र और इंद्राणी

जसवंतनगर(इटावा)। चातुर्मास महोत्सव के तहत आयोजित श्री कल्पद्रुम महामंडल विधान में अध्यात्म योगी आचार्य आदित्य सागर महाराज ने अपने प्रवचनों में दुर्जन और सज्जन के लक्षण बताये हैं।

सोमवार को सौधर्म इंद्र राजकमल जैन, कुबेर इंद्र विनोद जैन, चक्रवर्ती चिराग जैन ने शमवशरण में 4 तीर्थंकर भगवानों का महा अभिषेक किया। भजनों की धुन पर इंद्रों – इंद्राणीयो ने तीर्थंकर की भक्ति की। विनीत जैन द्वारा अखंड शांति धारा की गई।

राम और रावण प्रकरण पर आचार्य श्री ने प्रकाश डालते बताया कि कुछ चीजें, जैसे विद्या,धन, शक्ति आदि पुण्य उदय से प्राप्त होती हैं। सज्जन व्यक्ति इसका सदुपयोग धर्म मार्ग और जनकल्याण में करता है, जबकि दुर्जन लोग इसका दुरुपयोग करते है और पाप रास्ते पर चलते है।

हमें भगवान राम की तरह अपने जीवन में मर्यादा और धर्मपथ को उतारना चाहिए। हमें राम बनना है या रावण इसका निर्णय हमे स्वयं करना है और यह सब कुछ अपने हाथ में है।

इससे पूर्व रविवार रात्रि तक सौधर्म इंद्र मनोज जैन,कुबेर इन्द्र अनुभव जैन, चक्रवर्ती प्रखर जैन द्वारा समवशरण में विराजमान तीर्थंकर भगवान एवं आचार्य श्री की मंगल महाआरती की गई। ओतप्रोत होकर तीर्थंकर भगवान का गुणगान किया।

तत्पश्चात बाहरी कलाकारों ने मनमोहक प्रस्तुति – “बोया पेड़ बबूल का आम कहां से होय”,नाटक का प्रेरणादायी मंचन किया गया।

~वेदव्रत गुप्ता

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