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नीम की जड़ में बैठने वाली केला देवी अब भव्य मंदिर से देती आशीर्वाद

फोटो -देवी के भव्य भवन का द्वार  जसवंतनगर(इटावा)।नगर के केला त्रिगमा देवी मंदिर में इन दिनों गूंजते घंटे,भक्तों द्वारा की जा रही पूजा – आरती से नवरात्रि के इन दिनों में जसवंतनगर का माहौल रामलीला मय होने के साथ साथ अलौकिक देवी मय भी है।

नगर में 45 वर्ष पूर्व तक कोई ऐसा देवी स्थल नहीं था,जहां लोग नवरात्रि या अन्य दिनों में देवी आराधना कर सकें ,तब यहां के अहीर टोला मोहल्ले में केवल शाला मठ था,जहां लोग देवी की पूजा करते थे और नवविवाहित जोड़े शादी होने के बाद देवी पूजने आते थे।

फोटो-द्वार, देवी की जुड़वां शक्ल की मूर्तियां    नगर के लोहा मंडी, जिसे पंसारी बाजार भी कहा जाता हैं, वहां एक नीम के पेड़ से देवी की छोटी बड़ी बटियां थीं, जिन्हे तब भक्त त्रिगमा देवी कहते थे, जो पूजी जाती थीं।

1970 के दशक में पेड़ के नीचे रखीं इन देवी बटियों को देख एलआईसी के एक विकास अधिकारी लालबिहारी चौबे की निगाह गई। वह और नगर के कुछ श्रद्धालु भक्तों ने मंत्रणा कर तय किया कि इस स्थान को देवी के थान के रूप में जीर्णोद्धार कराया जाए।बताते हैं कि इसी दौरान रूपनारायण गुप्ता नामक एक भक्त रात में ही देवी की पत्थर की एक डेढ़ फुट ऊंची सिंह वाहिनी मूर्ति ले आया। जुनूनी ठहरे चौबे ने नीम के पेड़ के चारों तरफ घेरा बनवाकर रातों रात देवी की वह मूर्ति व बटियां लाकर चबूतरे पर स्थापित करा दी। सबेरा होते ही नगर में एक संप्रदाय ने हायतौबा मचा दी, क्योंकि इसी संप्रदाय के व्यक्ति का टेंट हाउस बगल में चलता था। फिर चौबे जी को मंदिर के कारण मीसा में जेल जाना पड़ा।

फोटो-त्रिगमा देवी की सिंदूर से सुसज्जित बटियां बाद में चबूतरे की जगह के दावे को लेकर सिविल कोर्ट में मुकद्दमा शुरू हो गया। दौराने मुकद्दमा इस चबूतरे के पुजारी बौने बाबा जयनारायण दास ने स्टेट की मालकिन शांतिदेवी बहू जी से दान में मठिया के पास की जगह मांगी, ताकि मुकद्दमा हारने की स्थिति में देवी को वहां विराजित कराया जा सके। इसी दौरान टेंट वाले के बेटे ने मठिया की जगह से लगी जगह एक अन्य को 3 लाख में जब बैनामा कर दी ,तो नगर में बबाल पैदा हो गया। सन 1997 में जगह पर कब्जे को लेकर बबाल की बात विधायक शिवपाल सिंह की निगाह में आई, तो उन्होंने लमबरदार अजय कुमार गुप्ता तथा अन्य समझदारों के साथ बैठक कर देवी थान और पास की जगह का बैनामा देवी मंदिर के पक्ष में करा दिया।कोर्ट से भी बताते है कि मुकद्दमा जीत लिया गया।

पुजारी बाबा जयनारायण दास और शंकर बारात समिति ने मंदिर और अन्य श्रोतों की आमदनी से इस करीब 2500 फुट से ज्यादा जगह पर तिमंजिला’ त्रिगमा केला देवी मंदिर’ जसवंतनगर कस्बे में उसी थान पर बनवाया। आज यह मंदिर जसवंतनगर का सर्वाधिक भव्य और आराध्य केला त्रिगमा देवी मंदिर है।

स्व बाबा जयनारायण दास के बाद पुजारी के रूप में विशेष कुमार उर्फ लाला भैया ने भी मंदिर का बहुत विस्तार किया। आज दो जुड़वा शक्ल की देवी मूर्तियां ,काली मैया और नीम के नीचे सैकड़ों वर्ष रखी रहीं प्राचीन बटियां भव्यता से मंदिर में विराजमान हैं। स्व शांती देवी बहू जी द्वारा दान में दिए गए स्थान में साई बाबा, खाटू श्याम की मूर्तियां के अलावा स्व जयनारायण दास और स्व लाला भैया बाबा की समाधि हैं। इस देवी मंदिर की नगर में ही नहीं दूर दूर तक ख्याति है। नव रात्रियों ही नहीं रोज हजारों श्रद्धालु मंदिर की ड्योढ़ी पर पंहुचते और देवी से मनौतियां मांगते हैं। -वेदव्रत गुप्ता

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