जसवन्तनगर/इटावा- सैफई उ0प्र0 आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय सैफई के नेत्र रोग विभाग द्वारा 36वॉ राष्ट्रीय नेत्रदान पखवाड़ा मनाया जा रहा है। यह पखवाड़ा 25 अगस्त से शुरू होकर 8 सितम्बर तक चलेगा। पखवाडे के चौदहवें दिन नेत्र रोग विभाग द्वारा एकदिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला का विषय ‘‘नेत्रदान का संकल्प करें‘‘ रहा। कार्यशाला का उद्घाटन विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो0 (डा0) रमाकान्त यादव ने किया। इस अवसर पर चिकित्सा अधीक्षक डा0 आदेश कुमार, कुलसचिव सुरेश चन्द्र शर्मा, संयोजक कोविड एवं नॉन कोविड अस्पताल डा0 एसपी सिंह, कम्युनिटी मेडिसिन विभाग के विभागाध्यक्ष डा0 पीके जैन, आर्थो विभाग के फैकेल्टी डा0 सुनील कुमार, नेत्र रोग विभाग के विभागाध्यक्ष एवं कार्यक्रम संयोजक डा0 रविरंजन, सहसंयोजक डा0 रीना शर्मा, डा0 मीनू बब्बर, आई बैंक इंचार्ज डा0 ब्रजेश सिंह, विभाग के फैकेल्टी मेम्बर, सीनियर रेजिडेन्ट डा0 दीप्ति जोशी, अनुज यादव, जूनियर रेजिडेन्ट डा0 पंकज मौर्या, डा0 शैलेन्द्र आदि उपस्थित रहे। इस अवसर पर विभाग के सीनियर रेजिडेन्ट डा0 दीप्ति जोशी ने केरेटोप्लास्टी एण्ड आई डोनेशन पर व्याख्यान दिया।
36वॉ राष्ट्रीय नेत्रदान पखवाड़ा के उद्घाटन अवसर पर बोलते हुए विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो0 (डा0) रमाकान्त यादव ने कहा कि इस बार राष्ट्रीय नेत्रदान पखवाड़ा पर सभी नेत्रदान हेतु आगे आयें तथा नेत्रदान हेतु संकल्प लेने के साथ दूसरों को भी इसके लिए प्रेरित करें। उन्होंने कहा कि नेत्रदान द्वारा मृत्यु के बाद भी किसी की ऑखों को रोशनी दी जा सकती है और यह बहुत बड़ी मानव सेवा है। उन्होंने अपील किया कि स्वेच्छा से आगे बढ़कर नेत्रदान हेतु पंजीकरण करायें ताकि किसी की ऑखों को फिर से रोशनी दी जा सके।
नेत्र रोग विभाग के विभागाध्यक्ष एवं कार्यक्रम संयोजक प्रो0 रविरंजन ने बताया कि नेत्रदान और कार्निया प्रत्यारोपण के वर्तमान आंकडे बताते हैं कि देश में स्थित बेहद चिन्ताजनक है। देश में 25 लाख लोग दृष्टिहीनता के शिकार हैं लेकिन नेत्रदान हेतु लोग अभी भी आगे बढ़कर नहीं आ रहे हैं। उन्होंने बताया कि स्वस्थ व्यक्ति के मृत्यु के 6 घंटे के भीतर ही कार्निया लिया जा सकता है।
नेत्र रोग विभाग के फैकेल्टी एवं आई बैंक इंचार्ज डा0 ब्रजेश सिंह ने बताया कि विश्वविद्यालय के नेत्र रोग विभाग में कोई भी व्यक्ति अपनी इच्छा से नेत्रदान हेतु पंजीकरण करा सकता है। उन्होंने कहा कि नेत्रदान करना व्यक्ति की इच्छा पर निर्भर करता है। विश्वविद्यालय के आई बैंक से कोई भी व्यक्ति फार्म भर कर स्वेच्छा से नेत्रदान हेतु रजिस्ट्रेशन करा सकता है। इसके बाद आई बैंक से एक आईडी जारी की जाती है। सम्बन्धियों द्वारा व्यक्ति के देहान्त के छः घंटे के अन्दर सम्बन्धित आई बैंक को सूचना देना जरूरी होता है। इसके बाद यदि सम्बन्धित के परिवार की सहमति होती है तो उसकी ऑख को निकालने के लिए टीम जाती है।, तभी वह निकाली जाती है अन्यथा नहीं। इसके बाद जरूरतमंद लोगों को कॉर्निया लगाई जाती है।
*फोटो परिचय-*
01, 02, 03- 36वॉ राष्ट्रीय नेत्रदान पखवाड़ा में बोलते विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो0 रमाकान्त यादव।
04- 36वॉ राष्ट्रीय नेत्रदान पखवाड़ा में बोलते आई बैंक इंचार्ज डा0 ब्रजेश सिंह।