फोटो-जसवंतनगर
जसवंतनगर(इटावा)। आखिर उत्तर प्रदेश सरकार ने निकाय चुनाव की आरक्षण की स्थिति स्पष्ट कर दी और राजनीतिक गढ़ माने जाने वाले जसवंतनगर पालिका अध्यक्ष की कुर्सी इस बार अनारक्षित यानी सभी जातियों के प्रत्याशियों के लिए चुनाव लड़ने योग्य खुली छोड़ दी गई है।
जसवंतनगर में 2017 में पालिका सीट अनुसूचित जाति पुरुष के लिए आरक्षित हुई थी। इससे पूर्व 2012 में पिछड़ा जाति महिला के लिए आरक्षित थी। 2017 में सुनील जोली, जो कि बेड़िया जाति के हैं, पालिका अध्यक्ष बने थ ,
जबकि 2012 में विमलेश यादव चेयरमैन हुई थी ।उससे पूर्व 2007 में सामान्य महिला के रूप में मौरश्री और 1997 और 2002 में श्रीपति यादव पालिकाध्यक्ष बने थे, इसलिए देखा जाए ,तो 1997 से लेकर 2012 तक जसवंतनगर की पालिका अध्यक्ष की कुर्सी किसी यादव जातिय पर ही रही।
नगर पालिका परिषद जसवंतनगर के 25 वार्डों के वोटरों की संख्या सन 2017 में कुल 25,137 थी, जबकि अब 2022 में यह संख्या बढ़कर 27,495 हो गई है। इस तरह कुल मिलाकर ढाई हजार वोट बढ़े हैं, जिनमें अकेले यादव जाति के 1000 से ज्यादा वोट बढ़े हैं ,जबकि अन्य जातियों के कुल मिलाकर डेढ़ हजार वोटों का ही इजाफा हुआ है।
यादवों के वोटर सबसे ज्यादा
सूत्रों ने बताया कि इन 27,495 वोटों में जातिगत हिसाब से निम्न प्रकार जसवंतनगर में वोटर हैं।इन जातिगत आंकड़े में दस-बीस वोटों की घट बढ हो सकती है-
यादव-7500,मुस्लिम-4500,शाक्य-1700,वैश्य-1800,ब्राहमण-800, शंखवार-1200,जाटव-1200,पाल गडरिया500जैन-800,बाल्मीकि-600,शर्मा बडई-400,ठाकुर-400,राठौर-150,खटीक-500,गिहार-450,जोशी50,दिवाकर-500,बाथम-400
स्वर्णकार-500,सक्सेना-150,राजपूत-150,प्रजापति-250,सविता-350,कठेरिया-150,,भुर्जी-100,चौरसिया-100,बेड़िया-25 और कुर्मी-20 ।
जसवंत नगर में पालिका अध्यक्ष की कुर्सी पर बैठने की इच्छा रखने वालों मैं से कई दावेदार पिछले डेढ़ और दो वर्ष से कमर कसे चुनाव प्रचार में जुटे हैं। इनमें अहीर टोला निवासी भागीरथ यादव उर्फ करूं तथा स्थानीय खटखटा बाबा कुटी के महंत मोहनगिरी महाराज, तो अपना प्रचार शुरू से ही तेज किए हुए हैं और सभी वार्ड में दो-दो , चार -चार बार घूम चुके हैं।
भागीरथ ने 2017 के चुनाव में सुनील जोली के चुनाव की कमान भी संभाली थी और अपरोक्ष रूप से शुरू से ही वह जोली के साथ पालिका अध्यक्ष की कुर्सी भी उन्होंने ही चलायी। वह काफी मजबूत उम्मीदवार माने जा रहे है, वह सपा की टिकिट को पाने को जोरदारी से प्रयासरत भी हैं।उन्हे स्थानीय सपा सिपहसालारों का साथ हासिल है।
यादव जातिय मतदाताओं की संख्या सर्वाधिक होने के कारण इस जाति के उम्मीदवारों के दावेदारों की भी संख्या भी सर्वाधिक रूप से उभरी है। यादवों में अजय यादव ‘बिंदु’ भाजपा से अकेले टिकट के दावेदार हैं, जबकि अन्य यादव जातिय दावेदार समाजवादी पार्टी टिकट की उम्मीद लगाए हैं । यादव जातिय दावेदारों में भागीरथ यादव’करू’ के अलावा जितेंद्र यादव मोना ,राजीव यादव ,पी एल फार्म परिवार के मनोज यादव ‘गोपी’, छात्र नेता खन्ना यादव, सुनील यादव,पूर्व चेयरमैन विमलेश यादव के नाम प्रमुख हैं। कई और भी नाम अभी आ सकते हैं। मनोज गोपी सिसहाट गांव के निवासी होने के साथ-साथ कोल्ड स्टोर मालिक भी है । इस गांव में ही अकेले कुल मिलाकर 2300 वोटर हैं। गोपी के भाई दुष्यंत भूरे राजनीति के चाणक्य रहे है, मगर अब जसवंतनगर में अनेक चाणक्य पैदा हो गए हैं, जो उन्हें काटने में कोई कोर कसर नहीं रखेंगे।
राजीव यादव सबसे ज्यादा बार नगर में सभासद रहे है। विधानसभा और लोकसभा चुनाव में वह समाजवादी पार्टी के उम्मीदवारों के चुनाव का संचालन करते रहे हैं ।साथ ही उस रेल मंडी इलाके के निवासी हैं ,जहां विभिन्न गांव के मतदाता आकर बसे हैं। यादबो में वह काफी सशक्त चेहरा है। रेल मंडी इलाके से मुलायम परिवार के रिश्तेदार का नाम भी उभरा है।
मुस्लिम प्रत्यासी जुटा सकते एकता
मुसलमान दावेदारों में मोहम्मद नबी, शहाबुद्दीन कुरेशी और मोहम्मद अहसान के नाम सामने आए हैं। इनमें ‘नवी’ विकलांग होने के कारण काफी संवेदना इकट्ठा करने की क्षमता रखते हैं और वह निर्विवाद भी हैं।
अब चूंकि सपा और प्रसपा दोनों ही एक हो गए हैं, इसलिए यहां के विधायक शिवपाल सिंह यादव जिसे चाहेंगे ,उसे ही टिकिट देंगे। अब वह किसी यादव को लड़ाते हैं या मुसलमान को अथवा अन्य किसी को ?..आने वाला समय ही बताएगा। बहरहाल दावेदारों ने उनसे पहुंच बनाना पूरी जोरदारी से बनाना शुरू कर दिया है।
कालांतर में जसवंतनगर में ज्यादातर चेयरमैन वैश्य समुदाय के हुआ करते थे।एक बार जैन चेयरमैन भी बना था। इस बार की सीट सामान्य होने से वैश्य वर्ग से कई नाम उभरे हैं। बाबा श्री मोहन गिरी वैश्य समाज के हैं ,उनके अलावा राहुल गुप्ता ,अमरनाथ गुप्ता, सुभाष गुप्ता, राजेंद्र गुप्ता एडवोकेट, प्रमोद माथुर, पप्पू और सुरेश चंद्र गुप्ता शामिल हैं।इनमे राजेंद्र गुप्ता और सुरेश गुप्ता बीजेपी से आश लगाए हैं। एकादि नाम और ऐसे हैं, जिनकी हैसियत 300 या 400 वोट तक पाने की नहीं है।
राहुल गुप्ता का नाम काफी गंभीर है, क्योंकि वह अभी तक प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के नगर अध्यक्ष रहने के साथ-साथ शिवपाल सिंह यादव के काफी करीबी है।
अन्य बिरादरी के भी कस रहे कमर
नगर में ब्राह्मणों के कई बड़े चढ़े नेता हैं और पालिका अध्यक्षीय के लिए कमर कस रहे हैं, इनमे विनय पांडे की पत्नी कल्पना पांडेय, बालकृष्ण दुबे, ऋषिकांत चतुर्वेदी और भाजपा के कुशल पाल शर्मा भोले शामिल हैं, यदि इनमे से कोई मैदान में उतरकर सवर्णों को एक जुट करने की कोशिश में कामयाब होता हैं, तो कड़ी टक्कर ले सकते हैंऔर समीकरण मजबूत प्रत्याशियों की बिगाड सकते हैं। बटेश्वरी दयाल प्रजापति पुराने भाजपा नेता और मंडी आढ़ती हैं ,वह भी भाजपा टिकट के दावेदार हैं। सत्यनारायण पुद्दल ,जो 2017 मैं समाजवादी पार्टी प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़े थे, इस बार भी टिकट के लिए प्रयासरत हैं। नगर के नामचीन चिकित्सक डॉक्टर स्वराज्य प्रकाश श्रीवास्तव का भी नाम चला है। इनके अलावा एक दर्जन और नाम हैं। जैन समाज में इकलौता और प्रभावी नाम केवल स्वर्गीय अमोलकचंद जैन के पौत्र अतुल बजाज जैन का है, जो यह युवक काफी मेहनती और समाजवादी पार्टी का अपने बाबा की तरह कट्टर समर्थक है।
बहरहाल जसवंतनगर पालिका अध्यक्ष के चुनाव की उदघोषणा की प्रतीक्षा के साथ-साथ शिवपाल सिंह यादव द्वारा पत्ते खोले जाने से यहां का चुनावी गणित कुछ स्पष्ट होगा। हाल में हुए लोकसभा उपचुनाव में सपा प्रत्याशी डिंपल यादव की जीत से व यहां से उन्हें मिली बड़ी लीड के कारण चुनाव समाजवादी पार्टी के घोषित उम्मीदवार के लिए काफी निर्णायक हो सकता है।
– वेदव्रत गुप्ता