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एथलीट ‘अंश’ के अंतिम संस्कार में हजारों लोग शरीक, अमर रहे के नारों की गूंज

फोटो: एथलीट अंश यादव उर्फ काकू की अंतिम यात्रा में अमर रहे के पोस्टर लेकर चलते स्पोर्ट्स कॉलेज, सैफई के उसके सहपाठी

जसवंतनगर (इटावा)। 16 वर्ष की उम्र में ‘काकू’ ने सपने देखे थे कि एक दिन बड़ा होकर वह देश का नामी एथलीट बनेगा और अपने जसवंत नगर का नाम गौरवान्वित करेगा,मगर सोमवार को उस युवा एथलीट की जय- जय कार की वजाय ,जब यहां की सड़कों पर ‘काकू’ अमर रहे की गूंज हर सख्श गूंजा रहा था, तो देखने सुनने वालों की आंखें नम हो रही थीं। बहुतेरों को तो फूट फूटकर रोते देखा गया। परिजनों पापा-मम्मी,चाचा -चाची भाई बहन सभी को संभाला जाना मुश्किल था।

रेलमंडी का वह इलाका ,जहां अंश उर्फ काकू पला बढा था, वहां सन्नाटा और सिसकियां थीं और आसपास के सारे प्रतिष्ठान बंद थे। छतों पर खड़ी महिलाएं बच्चे भी बिलख रहे थे।

नगर के सर्वाधिक बार सभासद रहे और लोगों के सुख दुख में हर वक्त शुमार रहने वाले राजीव यादव पर इतना बड़ा वज्रपात देख हर कोई कह रहा था..हे ईश्वर साढ़े 4 वर्ष तक उस मासूम को आपने जीवन- मृत्यु के झूले में झुलाते छीन लिया… उसे नवजीवन तो दे ही देते।

अंश यादव उर्फ काकू की रविवार सुबह जीबी सिंड्रोम वायरस से ग्रसित होने और साढ़े 4 वर्ष तक अनवरत इलाज चलने के बाद मौत हो गई थी।

आज सवेरे जब उसकी अंतिम यात्रा निकली,तो सब तरफ गम पसरा हुआ था।हर शख्स उसके अंतिम दर्शन करने को उतावला था।

काकू के सैफई स्पोर्ट्स कॉलेज के दर्जनों सहपाठी उसके अंतिम संस्कार में भाग लेने तड़के ही जसवंतनगर पहुंच गए थे। ट्रैक सूट पहने ये सहपाठी उसके अंतिम दर्शन कर बस यही कह रहे थे.. भैया अंश उठो !..तुम भी ट्रैक सूट पहनो और चलो दौड़ो.. लंबी छलांग लगाओ। यह सहपाठी अपने हाथों में बैनर और पोस्टर लेकर आये थे। उन पर लिखा था… ‘अमर रहो … हमारे चैंपियन अंश भाई’। यह सब आगे आगे मौन और रूदन मुद्रा में अंतिम यात्रा में चले।

अंश की अंतिम यात्रा करीब 11 बजे शुरू हुई और 12:30 बजे शमशान पर उसका शरीर पंचतत्व में विलीन हो गया।भाई ने उसे मुखाग्नि दी।

स्वर्गीय के निधन पर समाजवादी पार्टी, भारतीय जनता पार्टी के अलावा नगर की स्वयंसेवी संस्थाओं भारत विकास परिषद, लायंस क्लब, मानव सेवा समिति ,उद्योग व्यापार मंडल, हिंदू विद्यालय इंटर कालेज, चौ सुघर सिंह कालेज, मां नारायणी कालेज, शांति देवी इंटर कालेज आदि ने अश्रुपूरित श्रद्धांजलि देते, स्वर्गीय की आत्मा को भगवान के श्री चरणों में स्थान मिलने की कामना की है। उसके पापा चाचा और मां की आंखें रोते-रोते सूख गई थी और लोग उन्हें ढाढस बंधाते बंधाते खुद रो पड़ रहे थे।वेदव्रत गुप्ता

*वेदव्रत गुप्ता