फोटो मे- जसवंतनगर धुनष यज्ञ की लीला मे धनुष तोडते राम
जसवंतनगर(इटावा)।नगर के रामलीला महोत्सव का 162 वर्ष वां आयोजन शनिवार रात रामलीला मैदान मे धनुष यंज्ञ लीला के साथ शुरू हो गया। मिथिलानरेश राजा जनक के दरबार में आयोजित सीता स्वयंवर में गुरू विश्वामित्र के साथ आये अयोध्या नरेश दशरथ के पुत्र राम द्वारा शिवधनुष तोडते ही जनकपुरी हर्षाल्लास में डूब गई।
मगर शिवधनु टूटने की आवाज सुन गुस्से से लालताव ऋषि परशुराम के जनक दरबार में आ जाने से रंग में भंग पड गया।इसके।बाद लक्ष्मण व परशुराम के बीच जबरदस्त वाक युद्ध संवाद तब छिड़ गया,जब गुस्साए मुनि परशुराम से लक्ष्मण ने कह दिया..’ बहु धनुही तोरी लरकाईं, कबहूं न असरिष कींह गोसाईं !’
यह संवाद देर रात से शुरू होकर सुबह साढ़े सात बजे तक चलता रहा। इस लीला को देखने आए श्रोता मंत्रमुग्ध हो गए । जमकर प्रशंशा की और लुत्फ उठाया। लीला दौरान हुई वर्षा के बावजूद भी लोग डटे रहे।
सीता स्वयंवर मे भाग लेने के लिए आए आमंत्रित राजा महाराजा, विद्वान, तपस्वी धनुर्धरों,जिनमें रावण ,वाणासुर आदि वलशाली योद्वा भी शामिल थे,मगर कोई धनुष।तोड़ना तो दूर हिला भी नही पाया, तो अपने प्रण पर राजा जनक मार्मिक विलाप करने लगे। लेकिन लेकिन राम रमापति करधन लेहू, खेचउ चाप मिटह संदेहू की चौपाई गाये जाने के साथ ही राम ने एक झटके मे धनुष को उठा लिया और प्रत्यांचा चढाकर उसे खंड खंड कर डाला। जब खुशियां मननी शुरू ही हुईं थीं कि
मुनि परशुराम आ धमके । परशुराम और लक्ष्मण के वीच जबरदस्त संवाद शुरू हो गया।
रामलीला समिति जसवंतनगर और संकट मोचन रामलीला मंडल दिवियापुर के कलाकारो द्वारा धनुष भंग की इस मंचीय लीला में राम की भूमिका मे पंडित हरिओम शास्त्री दिवियापुर, लक्ष्मण आशीष दुवे कानपुर, परशुराम संदीप मिश्रा कानपुर, जनक नरेन्द्र कुमार आचार्य झीझक , बाणासुर रामकुमार शर्मा कानपुर तथा ब्यास की भूमिका मे गौरब रामायणी थे। सभी पात्रो ने शानदार अभिनय करते हुये लोगो को सुवह तक बांधे रखा।
रामलीला समिति के व्यवस्थापक राजीव गुप्ता उर्फ बबलू, संयोजक अजेन्द्र गौर,मंत्री हीरालाल गुप्ता, विवेक उर्फ रतन पांडेय,अनिल गुप्ता, प्रमोद गुप्ता पप्पू,राजकमल गुप्ता, के पी सिंह चौहान,राजीव गुप्ता, किशन सिंह मेंबर, बूटी चक, रामनरेश पप्पू, सचिन गुप्ता, शुभ गुप्ता आदि का विशेष सहयोग रहा। थाना प्रभारी अब्दुल सलाम सिद्दीकी के नेतृत्व में पुलिस की व्यवस्था चाक चौकंद थी।
रिपोर्ट~वेदव्रत गुप्ता
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