Thursday , October 24 2024

Editor

प्रियंका गांधी ने किया यूपी सरकार की सोशल मीडिया पॉलिसी पर हमला, पूछा महिलाओं की आवाज किस श्रेणी में?

लखनऊ: कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी ने यूपी सरकार की हाल ही में लाई गई सोशल मीडिया पॉलिसी पर सीधा हमला किया है। उन्होंने ट्वीट करते हुए लिखा कि

जो तुमको हो पसंद, वही बात कहेंगे
तुम दिन को अगर रात कहो, रात कहेंगे

उप्र सरकार की सोशल मीडिया पॉलिसी में न्याय मांग रही महिलाओं की आवाजें किस श्रेणी में आएँगी? 69000 शिक्षक भर्ती आरक्षण घोटाले में उठने वाले सवाल किस श्रेणी में आएंगे? भाजपा नेताओं-विधायकों द्वारा भाजपा सरकार की पोल-पट्टी खोलना किस श्रेणी में आएगा?

‘तुम दिन को कहो रात तो रात, वरना हवालात’ नीति सच को दबाने का एक और तरीका है। क्या भाजपा लोकतंत्र और संविधान को कुचलने से ज्यादा कुछ सोच ही नहीं सकती?

तेजी से फैल रहे मंकीपॉक्स ने इस देश में ले ली 600 लोगों की जान, भारत में क्या है स्थिति

दुनिया के कई देशों में मंकीपॉक्स (एमपॉक्स) संक्रमण के बढ़ते मामले स्वास्थ्य विशेषज्ञों के लिए गंभीर चिंता का कारण बने हुए हैं। वायरल जूनोटिक रोग से मध्य और पश्चिमी अफ्रीका के देश सबसे ज्यादा प्रभावित देखे जा रहे हैं। कांगो में इसका सबसे ज्यादा खतरा देखा जा रहा है, यहां संक्रमित और मृतकों दोनों की संख्या में भारी उछाल आया है।

हालिया रिपोर्ट्स में कांगो के स्वास्थ्य मंत्री रोजर काम्बा ने बताया कि देश में अब तक 18 हजार से अधिक संदिग्ध मामले सामने आए हैं, जबकि कम से कम 610 लोगों की इससे जान जा चुकी है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने सभी लोगों को मंकीपॉक्स संक्रमण को लेकर सावधानी बरतते रहने की सलाह दी है। गौरतलब है कि ये संक्रामक रोग मुख्य रूप से संक्रमित व्यक्तियों के निकट संपर्क जैसे शरीर के दाने, यौन संपर्क, शारीरिक तरल पदार्थों के सीधे संपर्क में आने से फैलता है। यह अन्य प्रकार के निकट संपर्क जैसे ड्रॉप लेट्स के माध्यम से भी फैल सकता है। मंकीपॉक्स के बढ़ते खतरे को देखते हुए सभी लोगों को सावधानी बरतते रहने की सलाह दी गई है।

क्या कहते हैं वैज्ञानिक?

कांगो सहित कई देशों में फैल रहे नए एमपॉक्स स्ट्रेन का अध्ययन कर रहे वैज्ञानिकों का कहना है कि वायरस उम्मीद से कहीं ज्यादा तेजी से बढ़ रहा है साथ ही इसके स्वरूप में भी बदलाव देखा जा रहा है। दुनिया के ऐसे हिस्सों से इसमें परिवर्तन के मामले अधिक देखे जा रहे है जहां पर अब तक इसे ठीक से ट्रैक करने के लिए सुविधाएं नहीं थीं।

वैज्ञानिकों का कहना है कि वायरस के बारे में कई अज्ञात बातें हैं जैसे इसकी गंभीरता और यह किस-किस तरह से फैल रहा है इन सबके बारे में फिर से अध्ययन करने की आवश्यकता है।

नया स्ट्रेन क्लेड आईबी

मंकीपॉक्स के खतरे को देखते हुए डब्ल्यूएचओ ने इसे दो साल में दूसरी बार ग्लोबल हेल्थ इमरजेंसी घोषित किया है। इसके कुछ दिनों बाद ही एमपॉक्स का एक नया स्ट्रेन क्लेड आईबी सामने आया था, संभवत: इसके कारण रोग के मामलों के बढ़ने का खतरा हो सकता है।नाइजीरिया स्थित डेल्टा यूनिवर्सिटी हॉस्पिटल में संक्रामक रोग विशेषज्ञ और डब्ल्यूएचओ की एमपॉक्स आपातकालीन समिति के अध्यक्ष डॉ. डिमी ओगोइना कहते हैं, अफ्रीका में बढ़ते मंकीपॉक्स को लेकर हम काफी चिंतित हैं।

बढ़ रहा है प्रकोप

स्वास्थ्य विशेषज्ञ ने कहा, हम इस बार के प्रकोप को बहुत अच्छी तरह से नहीं समझ पाए हैं और अगर इसपर जल्दी काम न किया गया तो संक्रमण की गतिशीलता, बीमारी की गंभीरता, बीमारी के जोखिम कारकों के संदर्भ में समस्या का समाधान करने में कठिनाई हो सकती है। इस बात की भी गंभीर चिंता है कि वायरस म्यूटेट हो रहा है और नए स्ट्रेन पैदा कर रहा है।

यूएस, स्वीडन और थाईलैंड जैसे कई देशों में इस रोग के मामले बढ़ते जा रहे हैं जो निश्चित ही चिंता बढ़ाने वाले हैं।

क्या चावल खाने से वजन बढ़ता है? जानिए क्या है सच और इसका स्वास्थ्य पर असर

चावल भारतीय भोजन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है और इसे देश के अलग-अलग राज्यों में विभिन्न प्रकार से खाया जाता है। लेकिन चावल के सेवन को लेकर लोगों का मानना है कि चावल के सेवन से वजन बढ़ता है। मोटापा कम करने या वजन नियंत्रित रखने के लिए अक्सर लोग चावल खाना छोड़ देते हैं।

ऐसे में सवाल उठता है कि क्या सच में चावल के सेवन से मोटापा बढ़ता है? इसके अलावा चावल का हमारे स्वास्थ्य पर क्या असर हो सकता है? क्या इसका सेवन फायदेमंद होता है या नुकसानदायक होता है। अगर आप भी वजन कम करने के लिए चावल नहीं खाते हैं या कम खाते हैं तो इस लेख में चावल के सेवन से जुड़ी सही जानकारी दी गई है।

क्या चावल खाने से वजन बढ़ता है?
चावल में मुख्य रूप से कार्बोहाइड्रेट्स होते हैं, जो ऊर्जा का प्रमुख स्रोत हैं। सफेद चावल (रिफाइंड चावल) में कार्बोहाइड्रेट्स की मात्रा अधिक होती है और फाइबर की मात्रा कम। इसलिए, सफेद चावल का अधिक सेवन करने से वजन बढ़ सकता है, खासकर यदि आप एक निष्क्रिय जीवनशैली जीते हैं या कैलोरी की खपत अधिक है।

हालांकि, यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि चावल स्वयं वजन बढ़ाने का कारण नहीं होता, बल्कि यह इस बात पर निर्भर करता है कि आप इसे किस मात्रा में और किस तरीके से खा रहे हैं। विशेषज्ञों के मुताबिक, सीमित मात्रा में चावल के सेवन से वजन नहीं बढ़ता है। इससे शरीर में फैट की मात्रा नहीं बढ़ती है।

चावल के सेवन का सही तरीका

सफेद चावल की तुलना में ब्राउन राइस में अधिक फाइबर, विटामिन और मिनरल्स होते है। ये धीरे धीरे पचता है जिससे लंबे समय तक भूख नहीं लगती और वजन नियंत्रित रखने में मदद मिलती है।

चावल की मात्रा

सीमित मात्रा में चावल का सेवन करना चाहिए। एक सामान्य वयस्क के लिए एक बार में 1 से डेढ कटोरी चावल पर्याप्त होता है।

चावल के साथ आहार

चावल को दाल, सब्जियों, सलाद या दही के साथ खाना चाहिए। ये मिश्रण आपके भोजन को संतुलित बनाता है। हालांकि फ्राइड चावल या अधिक तेल वाले चावल के सेवन से बचें। इससे कैलोरी की मात्रा बढ़ जाती है।

चावल के सेवन का सही समय

चावल खाने का सबसे अच्छा समय दोपहर का भोजन माना जाता है। इस समय शरीर की पाचन शक्ति अधिक होती है और दिनभर में चावल से प्राप्त ऊर्जा का उपयोग कर सकते हैं। अगर आप रात में चावल खाते हैं तो इसे हल्के रूप में खाएं और मात्रा सीमित रखें। रात में शरीर की मेटाबाॅलिज्म दर कम होने से चावल पचने में अधिक समय लग सकता है।

इस बार बप्पा को लगाएं चॉकलेट मोदक का भोग, बनाने का तरीका जान लें

सावन के बाद से भारत में त्योहारों की झड़ी लग जाती है। रक्षाबंधन के कुछ दिन बाद ही गणेश चतुर्थी का त्योहार मनाया जाता है। इस दिन से गणेश उत्सव का आरंभ होता है, जोकि पूरे 10 दिन तक चलता है। गणेश उत्सव की धूम हर जगह दिखाई देती है। दस दिन तक लोग घरों में बप्पा को स्थापित करके रखते हैं। इन दस दिनों में उन्हें खूब पकवानों का भोग लगाया जाता है।

अगर गणपति बप्पा के प्रिय भोग की बात करें तो इसमें मोदक सबसे पहले आता है। वैसे तो बाजार में आपको हर तरह के मोदक मिल जाएंगे, लेकिन अगर आप खुद से मोदक बनाकर इसका भोग भगवान गणेश को लगाएंगे तो इससे बप्पा जरूर प्रसन्न होंगे । इस बार गणपति उत्सव में आप बप्पा को साधारण की जगह चॉकलेट मोदक का भोग लगा सकते हैं। यहां हम आपको स्वदिष्ट चॉकलेट मोदक बनाने की रेसिपी बताने जा रहे हैं।

चॉकलेट मोदक बनाने का सामान

मिल्क चॉकलेट – 200 ग्राम
कोको पाउडर – 1 बड़ा चम्मच

स्टफिंग के लिए सामान

  • खोया ( मावा ) – 100 ग्राम
  • चीनी पाउडर – 2 बड़े चम्मच
  • नारियल बूरा – 2 बड़े चम्मच
  • काजू, बादाम, पिस्ता (बारीक कटे हुए)
  • इलायची पाउडर
  • घी

विधि

चॉकलेट मोदक बनाने के लिए आपको सबसे पहले इसकी स्टफिंग तैयार करनी है। स्टफिंग को तैयार करने के लिए एक कढ़ाई में मावा को हल्की आंच पर भून लें। इसे तब तक भूनें जब तक यह हल्का गुलाबी न हो जाए और घी छोड़ने लगे। जब मावा घी छोड़ने लगे तो इसमें चीनी पाउडर, नारियल बूरा, काजू, बादाम, पिस्ता, और इलायची पाउडर डालें। इसे अच्छी तरह से मिलाएं और फिर आंच से उतारकर ठंडा होने दें।

पैन कार्ड के लिए ट्रांसजेंडर पहचान प्रमाण पत्र माना जाएगा वैध दस्तावेज, केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट से कहा

नई दिल्ली:  केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट को बताया है कि ट्रांसजेंडर व्यक्ति (अधिकारों का संरक्षण) अधिनियम, 2019 के तहत जिला मजिस्ट्रेट द्वारा जारी ‘पहचान प्रमाण पत्र’ को पैन कार्ड के लिए आवेदन करने के लिए वैध दस्तावेज माना जाएगा। जस्टिस सुधांशु धूलिया और अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की पीठ ने कहा कि भारत संघ ने सैद्धांतिक रूप से इस अनुरोध को स्वीकार कर लिया है। केंद्र सरकार इसे लेकर नियमों में भी स्पष्टता लाने पर विचार कर रही है।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा- केंद्र ने सभी मांगों को स्वीकार किया
पीठ ने कहा, ‘याचिका के लंबित रहने के दौरान, हमने भारत संघ से जवाब मांगा, जो इस मामले में बहुत सहायक रहा है और मोटे तौर पर उन्होंने वर्तमान याचिका में उठाई गई सभी मांगों को स्वीकार कर लिया है। इसमें ये भी कहा गया है कि ट्रांसजेंडर व्यक्ति (अधिकारों का संरक्षण) अधिनियम, 2019 की धारा 6/7 के तहत जिला मजिस्ट्रेट द्वारा जारी किया जाने वाला प्रमाण पत्र स्वीकार्य होगा।’ ट्रांसजेंडर व्यक्ति (अधिकारों का संरक्षण) अधिनियम, 2019 की धारा 6 और 7 पहचान प्रमाण पत्र और लिंग में परिवर्तन के मुद्दे से संबंधित हैं।

क्या है मामला
दरअसल एक ट्रांसजेंडर ने साल 2018 में याचिका दायर की थी। इस याचिका में आरोप लगाया गया था कि उसके पैन को आधार से जोड़ने का प्रयास विफल हो गया है क्योंकि पैन कार्ड में आधार कार्ड के विपरीत कोई ‘तीसरा लिंग’ का विकल्प नहीं है। बिहार के सामाजिक कार्यकर्ता रेशमा प्रसाद ने सुप्रीम कोर्ट से मांग की थी कि वह केंद्र को निर्देश दें कि वह पैन कार्ड पर तीसरे लिंग की अलग श्रेणी का विकल्प बनाएं, ताकि उनके जैसे ट्रांसजेंडर लोग इसे आधार से जोड़कर ‘सटीक पहचान प्रमाण पत्र’ प्राप्त कर सकें। उन्होंने कहा कि आधार प्रणाली में शीर्ष अदालत के फैसले के बाद तीसरे लिंग की श्रेणी को शामिल किया गया और उन्होंने आधार में ट्रांसजेंडर के रूप में पंजीकरण कराया।

आईपीएल मैचों के दौरान पुलिस कवर शुल्क माफ करने पर हाईकोर्ट ने जताई नाराजगी, सरकार से मांगा जवाब

मुंबई:  बॉम्बे हाईकोर्ट ने आईपीएल मैचों के दौरान पुलिस की तैनाती का शुल्क कम करने और माफ करने के सरकार के फैसले पर हैरानी जताई है। उच्च न्यायालय ने इसे लेकर महाराष्ट्र सराकर से जवाब मांगा है। गुरुवार को उच्च न्यायालय ने महाराष्ट्र सरकार को निर्देश दिया कि वह आईपीएल मैचों के आयोजकों से पुलिस तैनाती के लिए बकाया राशि कम करने और माफ करने के अपने फैसले को उचित ठहराए। उच्च न्यायालय ने ये भी कहा कि उन्हें इस कदम के पीछे कोई तर्क नजर नहीं आता।

उच्च न्यायालय ने जताई नाराजगी
मुख्य न्यायाधीश डी के उपाध्याय और न्यायमूर्ति अमित बोरकर की खंडपीठ ने नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि ‘सरकार एक तरफ झुग्गीवासियों पर जल कर शुल्क बढ़ाती जा रही है, लेकिन दूसरी तरफ क्रिकेट मैचों के धनी आयोजकों से मिलने वाला पुलिस कवर शुल्क माफ कर रही है। उच्च न्यायालय ने कहा कि ‘यह क्या है? आप (सरकार) क्या कर रहे हैं? यह कर नहीं शुल्क है। आप झुग्गीवासियों से जल कर बढ़ाते रहेंगे और फिर आप ऐसे क्रिकेट मैचों के लिए शुल्क माफ कर देंगे। बीसीसीआई (भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड) दुनिया का सबसे अमीर क्रिकेट संघ है।’

उच्च न्यायालय में दायर हुई जनहित याचिका
सामाजिक कार्यकर्ता अनिल गलगली ने एक जनहित याचिका दायर कर सरकार द्वारा शुल्क माफ करने पर आपत्ति जताई थी। याचिका में राज्य सरकार द्वारा 2011 के बाद से इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) के टी20 मैचों को प्रदान की जाने वाली पुलिस सुरक्षा की दर को कम करने के फैसले को चुनौती दी गई थी। याचिका में कहा गया है कि पुलिस को मुंबई क्रिकेट एसोसिएशन (एमसीए) से 2013 से 2018 तक शहर के वानखेड़े और ब्रेबोर्न स्टेडियम में आयोजित आईपीएल मैचों के लिए 14.82 करोड़ रुपये का बकाया वसूलना बाकी है।

जदयू ने मिलाया विपक्ष के सुर में सुर, संसदीय पैनल में जाति जनगणना पर चर्चा की मांग की

नई दिल्ली:भाजपा की सहयोगी पार्टी जनता दल (यूनाइटेड)/जदयू ने गुरुवार को विपक्ष के सुर में सुर मिलाते हुए जाति जनगणना पर अन्य पिछड़ा वर्ग के कल्याण पर संसदीय समिति में चर्चा के लिए एक विषय के तौर पर देखने की मांग की। भाजपा नेता गणेश सिंह की अध्यक्षता वाली समिति की पहली बैठक में द्रमुक सदस्य टीआर बालू ने इस मुद्दे को उठाया था। संसद के सूत्रों ने बताया कि ममिकम टैगोर चाहते थे कि समिति विचार-विमर्श के लिए जाति-जनगणना को विषय के रूप में सूचीबद्ध करें। इसमें उन्हें तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) सदस्य कल्याण बनर्जी का समर्थन मिला।

सूत्रों ने बताया कि जदयू नेता गिरधारी यादव चाहते थे कि चर्चा के लिए जाति-जनगणना को एक विषय के रूप में सूचीबद्ध किया जाए। कल्याण बनर्जी ने भी इसका समर्थन करते हुए बताया कि समिति गृह मंत्रालय को इसके लिए चिट्ठी लिखेगी। भाजपा सदस्य ने बताया कि आरक्षण में अस्थायी तौर पर की गई भर्तियां और नियुक्तियां भी शामिल होनी चाहिए। बता दें कि जदयू राष्ट्रव्यापी जाति जनगणना कराने से पीछे हट रहा है। बिहार के मुख्य मंत्री नीतीश कुमार ने जाति-जनगणना कराने के आदेश दिए थे और पिछले साल इसे सार्वजनिक भी किया गया था।

तेलंगाना सीएम की टिप्पणी से सुप्रीम कोर्ट नाराज, रेवंत रेड्डी ने के. कविता की जमानत को लेकर दिया था बयान

सुप्रीम कोर्ट ने तेलंगाना के सीएम रेवंत रेड्डी की तरफ से शीर्ष अदालत के बारे में दिए गए बयान पर कड़ी आपत्ति जताई है। जस्टिस बी आर गवई की अध्यक्षता वाली सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने सीएम रेवंत रेड्डी के बयानों की आलोचना की और टिप्पणी की कि एक संवैधानिक पदाधिकारी इस तरह से बोल रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि उन्हें किसी की आलोचना से कोई परेशानी नहीं है, लेकिन वे अपने विवेक के अनुसार कर्तव्यों का पालन करते रहेंगे।

‘क्या हम किसी दल से परामर्श करके आदेश पारित करेंगे?’
सुप्रीम कोर्ट ने इसके साथ सवाल भी किया कि क्या वह किसी राजनीतिक दल से परामर्श करके आदेश पारित करेगा। जबकि सुप्रीम कोर्ट ने चेतावनी दी और कहा कि अगर तेलंगाना के सीएम को देश की सबसे बड़ी अदालत सुप्रीम कोर्ट का सम्मान नहीं है तो मुकदमा कहीं और भी चलाया जा सकता है।

ऐसे बयान लोगों के मन में आशंका पैदा करते हैं- सुप्रीम कोर्ट
इस मामले में प्रतिक्रिया देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर न्यायपालिका विधायिका में हस्तक्षेप नहीं करती है, तो उनसे भी यही अपेक्षा की जाती है। वहीं भारत राष्ट्र समिति नेता के. कविता को जमानत दिए जाने पर तेलंगाना के सीएम की टिप्पणी पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस तरह के बयान लोगों के मन में आशंका पैदा कर सकते हैं।

दो दिन पहले ही तिहाड़ से रिहा हुई हैं के. कविता
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने 2015 के कैश-फॉर-वोट मामले को तेलंगाना से बाहर स्थानांतरित करने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई 2 सितंबर तक के लिए स्थगित कर दी है। बीआरएस नेता के. कविता दो दिन पहले ही जमानत पर तिहाड़ जेल से रिहा हुईं हैं।

डीसी के पद रिक्त, ग्राउंड कमांडरों को 14 साल में नहीं मिली पदोन्नति, कब खत्म होगा प्रमोशन का वनवास

नई दिल्ली:  देश के सबसे बड़े केंद्रीय अर्धसैनिक बल ‘सीआरपीएफ’ में ग्राउंड कमांडर यानी ‘सहायक कमांडेंट’ को 14 साल बाद भी पहली पदोन्नति नहीं मिल पा रही है। हैरानी की बात है कि सीआरपीएफ में करीब डेढ़ सौ डिप्टी कमांडेंट के पद रिक्त हैं, लेकिन इसके बावजूद ग्राउंड कमांडरों को आगे नहीं बढ़ाया जा रहा। कैडर अधिकारियों के मुताबिक, बल मुख्यालय द्वारा कोर्ट केस का हवाला देकर ग्राउंड कमांडरों को शांत कर दिया जाता है।

ऐसा आरोप है कि बल मुख्यालय इस मामले में कोई विधिक उपाय भी नहीं कर रहा। न ही डीसी के रिक्त पदों पर ‘अगेंस्ट द वैकेंसी ऑफ डीसी’ की पोस्टिंग मिल रही है। समय पर पदोन्नति न मिलने से अफसरों के मनोबल पर विपरीत असर पड़ता है। यही ग्राउंड कमांडर, बल में टेरेरिस्ट/नक्सली ऑपरेशन के अलावा चुनावी ड्यूटी और आपदा के दौरान कंपनी कमांड करते हैं। अगर जल्द ही इस मुद्दे का समाधान नहीं तलाशा गया तो रिक्तियां बढ़ती रहेंगी और बल का कामकाज भी प्रभावित होगा।

स्वयं को अभिशापित अधिकारी बता दिया था …
पिछले दिनों सीआरपीएफ डीजी ने ग्राउंड कमांडरों के साथ संवाद किया था। उस दौरान अन्य बातों के अलावा कैडर अफसरों ने अपनी पदोन्नति का मुद्दा भी प्रमुखता से उठाया। एक अधिकारी ने तो भावुक होकर स्वयं को अभिशापित अधिकारी बता दिया था। संवाद के दौरान कई दूसरे ग्राउंड कमांडर भी पदोन्नति को लेकर हतोत्साहित नजर आए थे। ग्राउंड कमांडरों से संवाद के बाद डीजी सीआरपीएफ ने उन्हें आश्वासन दिया था कि जल्द ही उनकी समस्या को हल किया जाएगा।

डीजी ने इस मसले पर कैडर अधिकारियों की एक कमेटी भी गठित की थी। उसे 30 जून तक अपनी रिपोर्ट देनी थी। वह रिपोर्ट बल मुख्यालय द्वारा गृह मंत्रालय को भेजी जानी थी। सूत्र बताते हैं कि ऐसी रिपोर्ट कई बार बन चुकी हैं। समस्या क्या है और उसका हल क्या है, ये बात गृह मंत्रालय और बल मुख्यालय के शीर्ष अधिकारी जानते हैं। इसके बावजूद ग्राउंड कमांडरों की डिप्टी कमांडेंट बनने की फाइल आगे नहीं बढ़ पा रही है।

ग्राउंड कमांडर, कब करेंगे बटालियन कमांड …
कैडर अधिकारी बताते हैं, हमारा क्या कसूर है। बल में ऐसी कौन सी ड्यूटी है, जिसमें उनकी भूमिका नहीं होती। अगर पहली पदोन्नति मिलने में ही 15 साल लग रहे हैं तो बाकी के सेवाकाल का अंदाजा लगाया जा सकता है। मतलब, आधी सर्विस में एक भी पदोन्नति नहीं मिल रही। अगर पदोन्नति, इसी रफ्तार से मिलती रही तो इन अधिकारियों को कब बटालियन कमांड करने का मौका मिलेगा। जब वे रिटायरमेंट के करीब होंगे, तब वे कमांडेंट बनेंगे। उनके लिए डीआईजी, आईजी या एडीजी के पदों तक पहुंचना तो एक सपना ही बना रहेगा। ग्राउंड कमांडर व दूसरे अधिकारियों को अपने हकों के लिए अदालत में जाना पड़ रहा है।

आईएसआई को सूचना भेजने के अपराध में पांच साल की सजा, सेना से निकाला गया था आरोपी

लखनऊ:  भारतीय सेना के गोपनीय, प्रतिबंधित दस्तावेज तथा आंकड़े पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई को भेजने के आरोपी सौरभ शर्मा को दोषी ठहराते हुए एनआईए के विशेष न्यायाधीश विवेकानंद शरण त्रिपाठी ने पांच साल की कठोर कैद और 22 हजार रुपये के जुर्माने की सजा सुनाई है।

कोर्ट में एनआईए के विशेष लोक अभियोजक एमके सिंह का तर्क था कि सौरभ शर्मा ने भारतीय सेना में रहते हुए गोपनीय प्रतिबंधित दस्तावेज एवं वर्गीकृत आंकड़े पाकिस्तान आधारित आईएसआई गुप्तचर एजेंसी की एजेंट कथित नेहा शर्मा के साथ साझा किया था। सौरभ शर्मा एवं उसकी पत्नी पूजा सिंह के खाते में विदेशों से हजारों रुपये भेजे गए हैं। यह भी कहा गया कि सौरव शर्मा की पत्नी पूजा सिंह के खाते में अनस याकूब गिटैली द्वारा 4000 रुपये भेजे गए हैं।

इस मामले में एटीएस उत्तर प्रदेश को सूचना प्राप्त हुई थी कि कुछ अज्ञात पाकिस्तानी खुफिया विभाग के अधिकारियों द्वारा षड्यंत्र के तहत कुछ नाम धारी व्यक्तियों के माध्यम से भारतीय सेना के कर्मचारियों को बहला-फुसलाकर एवं धन का लालच देकर विभिन्न माध्यमों से धन भेजकर भारतीय सेना से संबंधित गोपनीय दस्तावेज प्राप्त किए जा रहे हैं।