Thursday , October 24 2024

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लड़की की शादी से जुड़े 6 अधिकार, हर महिला को पता होने चाहिए

समाज में महिलाओं की स्थिति को मजबूत बनाने के लिए कानून महिलाओं को कुछ अधिकार देता है। अधिकतर मामलों में वैवाहिक महिलाएं अविवाहित स्त्रियों की तुलना में दूसरों पर निर्भर होती हैं। उनके लिए फैसले परिवार के लौग ही लेते हैं। आत्मनिर्भरता न होने से महिलाओं को उनके अधिकारों के बारे में जानकारी भी कम होती है और अपना हक मांगने के लिए आत्मविश्वास की कमी भी रहती है। ऐसे में महिलाओं को शादी से जुडे अपने कुछ अधिकारों के बारे में जरूर जान लेना चाहिए ताकि अपने जीवन को वह मनमुताबिक जी सकें और शादी के बाद दूसरों के फैसलों पर निर्भर न रहें। यह रहे महिलाओं के लिए शादी से जुड़े कुछ अधिकार।

स्त्री धन अधिकार

हर महिला को उसकी शादी के वक्त, गोद भराई या किसी रस्म के दौरान मिले सभी तरह के तोहफे, जेवर, कपड़े, पैसे या संपत्ति पर उसी महिला का हक होता है। बिना किसी जोर जबरदस्ती के शादी से पहले और शादी के बाद महिला को मिले सामान को स्त्री धन कहते हैं, जिस पर सिर्फ उसी का अधिकार होता है।

पैतृक संपत्ति अधिकार

विवाहित बेटी का अपने माता पिता की संपत्ति पर हक बनता है। शादी के बाद भी वह माता-पिता की संपत्ति की वारिस बन सकती है। चाहे वह विवाहित हो या अविवाहित अन्य बच्चों की तरह उसका भी माता पिता की संपत्ति पर समान अधिकार होता है।

दहेज निषेध अधिकार

महिला के पास यह अधिकार है कि वह दहेज मांगे जाने पर केस दर्ज करा सकती है। दहेज लेने वाले और देने वाले दोनों ही अपराधी होते हैं। ऐसे में महिला अपने माता पिता या लड़के के माता पिता पर केस कर सकती है और उन्हें गिरफ्तार भी किया जा सकता है।

गर्भपात का अधिकार

महिला के पास ये अधिकार होता है कि वह शादी के बाद अगर मां नहीं बनना चाहती तो अपनी मर्जी से गर्भपात करवा सकती है। गर्भपात के लिए महिला को अपने पति या परिवार की रजामंदी की जरूरत नहीं होती।

विवाह का अधिकार

महिला से शादी या कोई संबंध बनाने के लिए उसके माता पिता समेत कोई भी जोर जबरदस्ती नहीं कर सकता है। महिला के पास कानूनी अधिकार होता है कि वह अपनी पसंद के शख्स से शादी कर सकती है।

पति पर अधिकार

विवाहित महिला को कानून ये अधिकार देता है कि अगर उन का पति किसी दूसरी स्त्री से मानसिक और शारीरिक संबंध बनाता है तो वह इसका विरोध कर सकती हैं। विवाहित महिला का पति किसी दूसरी महिला से संबंध नहीं बना सकता है।

यमूर्ति हेमा समिति के सुझाव पर न्यायाधिकरण बनाएगी केरल सरकार, सीएम पिनाराई विजयन ने दिए संकेत

केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने मंगलवार को कहा कि राज्य सरकार न्यायमूर्ति हेमा समिति की तरफ से दी गई तमाम सिफारिशों पर गंभीरता से विचार कर रही है, जिसमें न्यायाधिकरण की स्थापना और एक व्यापक सिनेमा कानून तैयार करना शामिल है।

जिम्मेदार एजेंसियां पहले से ही कर रही विचार- सीएम
सीएम विजयन ने यह भी कहा कि फिल्म उद्योग में महिलाओं के खिलाफ कई अपराधों के खिलाफ समिति की तरफ से अनुशंसित कार्रवाई पर राज्य में कानून और व्यवस्था सुनिश्चित करने के लिए जिम्मेदार एजेंसियां पहले से ही विचार कर रही हैं।

भाजपा के आरोप पर का सीएम ने किया खंडन
इधर भाजपा ने आरोप लगाया कि सरकार आरोपियों की तरफ से किए गए अपराधों की जानकारी मिलने के बावजूद उनके खिलाफ कोई कानूनी कार्रवाई करने में विफल रही है। इन आरोपों का खंडन करते हुए सीएम विजयन ने पीड़ितों के प्रति सरकार के समर्थन की पुष्टि की और कहा कि वह कथित अपराधियों के साथ नहीं है, जिनके खिलाफ कानून के अनुसार कार्रवाई की जाएगी।

कानून के सामने सभी जवाबदेह- सीएम विजयन
मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने कहा कि यदि हेमा आयोग के समक्ष गवाही देने वालों में से कोई भी शिकायत लेकर आता है, तो उचित कार्रवाई की जाएगी। चाहे वह कोई भी कितने भी बड़े पद पर क्यों न हो, कानून के सामने सभी को जवाबदेह ठहराया जाएगा।

सोमवार को जारी हेमा समिति की रिपोर्ट में खुलासा
सोमवार को जारी की गई बहुप्रतीक्षित रिपोर्ट में फिल्म उद्योग में महिला पेशेवरों के उत्पीड़न, शोषण और दुर्व्यवहार के विवरण दर्ज किए गए हैं और आरोप लगाया गया है कि एक आपराधिक गिरोह इस उद्योग को नियंत्रित कर रहा है, जहां महिलाओं को दबाया जा रहा है। केरल सरकार ने मलयालम सिनेमा में यौन उत्पीड़न और लैंगिक असमानता के मुद्दों का अध्ययन करने के लिए अभिनेता दिलीप से जुड़े 2017 के अभिनेत्री हमला मामले के बाद पैनल का गठन किया था।

‘शिवसेना-कांग्रेस कट्टर विरोधी रहे, लेकिन बदले की भावना से काम नहीं किया’; PM पर उद्धव ठाकरे का निशाना

महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने कहा, उनके पिता बाल ठाकरे ने पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की आलोचना की थी, लेकिन केंद्रीय एजेंसियों ने कभी शिवसेना कार्यकर्ताओं को परेशान नहीं किया। उद्धव ठाकरे ने कांग्रेस के सद्भावना दिवस कार्यक्रम में पीएम मोदी के नेतृत्व वाली सरकार पर जमकर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि राजीव गांधी की सरकार ने चुनौतियों का डटकर सामना किया लेकिन वर्तमान सरकार मणिपुर और कश्मीर में हिंसा की समस्याओं पर मौन रही।

कांग्रेस के सद्भावना दिवस कार्यक्रम में बरसे उद्धव
कांग्रेस मुंबई की तरफ से आयोजित सद्भावना दिवस कार्यक्रम में बोलते हुए शिवसेना (उद्धव बालासाहब ठाकरे) प्रमुख उद्धव ठाकरे ने कहा कि प्रधानमंत्री के रूप में राजीव गांधी कभी भी चुनौतियों का सामना करने से पीछे नहीं हटे, जबकि मौजूदा सरकार मणिपुर और कश्मीर में हिंसा भड़कने पर भी चिंतित नहीं थी।

2019 में एनडीए से अलग हुई थी अविभाजित शिवसेना
कभी भाजपा की सबसे पुरानी सहयोगी पार्टी रही शिवसेना 2019 में एनडीए गठबंधन से अलग हो गई थी, वहीं 2022 में राज्य के मौजूदा मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने पार्टी के 39 अन्य विधायकों के साथ बगावत किया। जिसकी वजह से राज्य में तत्कालीन महा विकास अघाड़ी सरकार गिर गई थी और शिवसेना दो हिस्सों में बंट गई थी। इसके बाद एकनाथ शिंदे भाजपा के समर्थन से राज्य के नए मुख्यमंत्री बने।

56 साल बाद हुआ था शिवसेना का विभाजन
वहीं इस विभाजन के बाद चुनाव आयोग ने फैसला करते हुए एकनाथ शिंदे गुट को शिवसेना का सही उत्तराधिकारी घोषित करते हुए पार्टी का मूल नाम और चुनाव चिन्ह धनुष और तीर सौंप दिया था। वहीं इस बदलाव के बाद उद्धव ठाकरे के गुट को नया नाम शिवसेना (उद्धव बालासाहब ठाकरे) मिला था।

मायावती बोलीं- आरक्षण विरोधी प्रक्रिया पर हर स्तर पर रोक लगे

लखनऊ:  बसपा सुप्रीमो मायावती ने यूपीएससी में लेटरल इंट्री पर जारी किए गए विज्ञापन को निरस्त किए जाने पर बयान दिया है। उन्होंने कहा कि आरक्षण विरोधी प्रक्रिया पर हर स्तर पर रोक लगाई जानी चाहिए।

उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार में संयुक्त सचिव व निदेशक आदि के उच्च पदों पर आरक्षण सहित सामान्य प्रक्रिया से प्रमोशन व बहाली के बजाय भारी वेतन पर बाहर के 47 लोगों की लेटरल नियुक्ति बसपा के तीव्र विरोध के बाद रद्द की गई है लेकिन ऐसी सभी आरक्षण विरोधी प्रक्रियाओं को हर स्तर पर रोक लगाने की जरूरत है।

इसके साथ ही उन्होंने कहा कि दिनांक एक अगस्त 2024 के सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के विरुद्ध एसी-एसटी के पूर्व की आरक्षण व्यवस्था को बहाल करने हेतु केन्द्र संविधान संशोधन की कार्रवाई करे, जिसको लेकर कल इन वर्गों द्वारा ‘भारत बंद’ का आहवान किया गया है जिनसे इसे बिना कोई हिंसा के अर्थात शान्तिपूर्ण करने की अपील है।

योगी सरकार के नौकरियां देने के दावों पर उठाए सवाल
मायावती ने कहा कि देश में रोजगार का घोर अभाव ही नहीं बल्कि अमीर व गरीबों के बीच बढ़ती खाई अर्थात देश में पूंजी के असामान्य वितरण से आर्थिक गैर-बराबरी के रोग के गंभीर होने से जन व देशहित प्रभावित हो रहा है जो कि अति चिन्तनीय है। देश में विकास दर के दावे के हिसाब से यहां उतनी नौकरी क्यों नहीं? इसके लिए दोषी कौन है?

उन्होंने कहा कि यूपी सरकार द्वारा भारी भरकम विज्ञापनों के जरिए यह दावा करना कि यहां रोजगार की बहार है वास्तव में इनके अन्य दावों की तरह ही यह जमीनी हकीकत से दूर हवाहवाई ज्यादा है। पेट भरने के लिए मेहनत व जैसा-तैसा स्वरोजगार को भी अपनी उपलब्धि मानना बेरोजगारी आदि की समस्या का समाधान नहीं है।

उन्होंने कहा कि लगभग 25 करोड़ की आबादी वाले यूपी में 6.5 लाख सरकारी नौकरी का दावा क्या ऊंट के मुंह में ज़ीरा नहीं है? इसी प्रकार केन्द्र में भी स्थाई नौकरियों का बुरा हाल है जहां पद खाली पड़े हैं। इससे एससी, एसटी और ओबीसी आरक्षण का कोटा भी प्रभावित है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में अपार बेरोजगारी के मद्देनजर सही समाधान जरूरी है।

29 अगस्त से आला हजरत के उर्स का आगाज, कई देशों से जायरीन करेंगे शिरकत

बरेली:  बरेली में विश्व प्रसिद्ध आला हजरत के उर्स में आने वाले विदेशी जायरीन पहले से भी ठहरने का इंतजाम कर ले रहे हैं। इसको लेकर अभी से शहर के ज्यादातर होटल फुल हो चुके हैं। दरगाह के गेस्ट हाउस में भी जगह नहीं है। जिन होटलों में जगह है, वहां भी जल्द ही बुकिंग पूरी होने का अनुमान है।

आला हजरत इमाम अहमद रजा खां फाजिले बरेलवी का तीन दिवसीय उर्स-ए-रजवी 29 अगस्त से शुरू हो रहा है। तीन रोजा उर्स में शिरकत करने के लिए विदेशों से भी बड़ी संख्या में जायरीन आ रहे हैं। तमाम मेहमान होटलों और गेस्ट हाउस में ठहरना पसंद करते हैं। वह यहां उर्स के पहले से पहुंच जाते हैं और समापन के बाद ही रवाना होते हैं।

शहर में जायरीनों की भारी भीड़ के बीच परेशानी से बचने के लिए विदेशी जायरीन आने से पहले ही ठहरने के लिए होटलों और गेस्ट हाउस में बुकिंग करा रहे हैं। जमात रजा मुस्तफा के समरान खान ने बताया कि इस बार मॉरिशस, दुबई, मिस्र, साउथ अफ्रीका, सऊदी अरब, श्रीलंका, सिंगापुर, नेपाल आदि देशों से जायरीन आ रहे हैं। वह यहां 28 अगस्त से लेकर करीब दो सितंबर तक ठहरेंगे।

पति की मौत के बाद नहीं मिल रही पेंशन, प्राधिकरण सचिव ने बुजुर्गों से मिलकर सुनी समस्याएं

मैनपुरी:  उत्तर प्रदेश के मैनपुरी में जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव अपर जिला जज कमल सिंह ने मंगलवार को जेल रोड स्थित वृद्धाश्रम का निरीक्षण किया। वृद्धाश्रम में मिले वृद्धों की शिकायतें सुनीं। कृष्णा देवी ने बताया कि उनके पति पातीराम लोक निर्माण विभाग में नौकरी करते थे। पति की मौत के बाद उनको पेंशन नहीं मिल रही है। प्राधिकरण सचिव ने पीड़िता की शिकायत प्राधिकरण में भेजने के निर्देश दिए।

मंगलवार को वृद्धाश्रम के निरीक्षण में प्राधिकरण सचिव ने सभी वृद्धों से मिलकर उनकी समस्यायें सुनीं। अधीक्षिका नीतू सिंह तथा संचालिका कमलेश कुमारी अनुपस्थित मिले। केयर टेकर रोजी और संदीप सिंह को वृद्धों की समस्याओं का निराकरण करने के निर्देश दिए। वृद्धाश्रम के भोजनालय में बने भोजन को चेक करने के साथ ही वृद्धाश्रम के मीनू को भी देखा।

निरीक्षण के बाद वृद्धाश्रम में विधिक साक्षरता शिविर लगाया गया। प्राधिकरण सचिव अपर जिला जज कमल सिंह ने वृद्धजनों के अधिकारों की उनको जानकारी दी। बताया कि जिला विधिक सेवा प्राधिकरण में समस्या की शिकायत की जा सकती है।प्राधिकरण द्वारा शिकायत का निराकरण कराया जाएगा। पीएलवी सुरेंद्र सिंह यादव ने वृद्धजनों को उनके कानूनी अधिकारों की जानकारी दी। स्थायी लोक अदालत की सदस्य एकता मिश्रा, प्राधिकरण कार्यालय प्रभारी देवेंद्र सिंह मौजूद रहे।

‘समर्थ समाज और सशक्त राष्ट्र की बुनियादी आवश्यकता है शिक्षा’, सीएम योगी ने किया ‘रोड टू स्कूल’ का शुभारंभ

गोरखपुर: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि किसी भी समर्थ और सशक्त राष्ट्र की सबसे प्रमुख उपलब्धि शिक्षा होती है। शिक्षा सभ्य व समर्थ समाज और सशक्त राष्ट्र की बुनियादी आवश्यकता है। शिक्षा के बिना मानवीय मूल्यों और जीवन सृष्टि की आवश्यकताओं की पूर्ति की कल्पना नहीं की जा सकती है।

सीएम योगी मंगलवार को गोरखपुर के चरगांवा ब्लॉक के लिए निपुण भारत मिशन के तहत प्रदेश में ‘रोड टू स्कूल’ के पहले प्रोजेक्ट का शुभारंभ कर रहे थे। चरगांवा ब्लॉक क्षेत्र के एक रिजॉर्ट में आयोजित कार्यक्रम में मुख्यमंत्री ने कहा कि व्यक्ति को आत्मनिर्भर बनाने के लिए शिक्षा बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।

व्यक्ति आत्मनिर्भर होगा तो समाज और राष्ट्र भी आत्मनिर्भर होगा। ऐसे में कोई कारण नहीं कि भारत दुनिया की सबसे बड़ी ताकत बनने से वंचित रह जाए। उन्होंने शिक्षा के महत्व की चर्चा करते हुए कहा कि प्राचीन समय से अलग अलग कालखंडों में शिक्षा को सर्वसुलभ बनाने के प्रयास किए गए।

इसमें गुरुकुल प्रणाली भी प्रेरक रही। तक्षशिला, नालंदा, विक्रमशिला, काशी, कांचीपुरम की ख्याति अध्ययन और अध्यापन के बेहतरीन केंद्र के रूप में रही। प्राचीनकाल के अलावा बदले हालात में देश को आजादी मिलने के बाद भी शिक्षा के क्षेत्र को मजबूत बनाने के लिए प्रयास हुए लेकिन अभी भी बहुत कुछ करने की जरूरत है।

2017 से दूर हो रही ड्रापआउट की समस्या
सीएम योगी ने पिछले सात सालों से सरकार के प्रयासों से प्रदेश के परिषदीय स्कूलों की दशा में आए बदलाव का उल्लेख करते हुए कहा कि 2017 के पहले ड्रापआउट एक बड़ी समस्या थी। बड़ी संख्या में नामांकित बच्चे भी स्कूल नहीं आते थे तो कई कक्षा पांच के बाद छह में और कक्षा आठ के बाद नौ में एडमिशन नहीं लेते थे। सरकार ने स्कूल चलो अभियान में शिक्षकों की भूमिका को महत्व दिया तो आज ये समस्या दूर होती जा रही है।

20 हजार अभ्यर्थी संदिग्ध, ढाई घंटे पहले परीक्षा केंद्र जाकर करानी होगी ई-केवाईसी

लखनऊ: उत्तर प्रदेश में 23 अगस्त से शुरू हो रही सिपाही भर्ती परीक्षा के पहले दिन करीब 9.50 लाख अभ्यर्थी परीक्षा देंगे। इसके लिए अभी तक करीब 4.50 लाख से अधिक अभ्यर्थी अब तक एडमिट कार्ड डाउनलोड कर चुके हैं। सभी का आधार कार्ड सत्यापित किया जा रहा है।

भर्ती बोर्ड के अध्यक्ष डीजी राजीव कृष्णा ने बताया जा रहा है कि इसमें से करीब 20 हजार अभ्यर्थी संदिग्ध हैं। ऐसे अभ्यर्थियों को परीक्षा के ढाई घंटे पहले केंद्र जाकर दस्तावेजों की ई-केवाईसी करानी होगी। वहीं, जिन अभ्यर्थियों के आधार प्रमाणित हैं उन्हें परीक्षा शुरू होने से आधे घंटे पूर्व हर हाल में केंद्र के भीतर प्रवेश करना है जिनके एडमिट कार्ड में ई-केवाईसी रिक्वायर्ड एटीएस एग्जामिनेशन सेंटर लिखा है, उन्हें अब दो के बजाय ढाई घंटे पहले पहुंचना होगा। बाहर से करायी गयी ई-केवाईसी मान्य नहीं होगी। परीक्षा केंद्र पर जाकर ही कराना होगा।

आधार कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस, पैन कार्ड और पासपोर्ट में से कोई भी एक दस्तावेज सही मिलने पर ही अभ्यर्थी परीक्षा में शामिल हो सकेंगे। गड़बड़ी मिलने पर कानूनी कार्रवाई की जाएगी। परीक्षा के दौरान धार्मिक चिन्ह जैसे मंगलसूत्र, कड़ा आदि पर रोक नहीं है।

उन्होंने बताया कि परीक्षा केंद्रों के बाहर अभ्यर्थियों को सामान रखने के लिए प्रशासन लॉकर की सुविधा प्रदान करेगा। इसकी पर्ची को साथ ले जा सकेंगे। रीक्षा में फोर्स डिप्लायमेंट की जानकारी संबंधित कमिश्नरेट और जिलों के अधिकारी देंगे।

भर्ती बोर्ड को जानकारी मिली है कि एक दर्जन से ज्यादा टेलीग्राम और व्हाट्सएप ग्रुपों पर पेपर बेचने के नाम पर ठगी की जा रही है। इसकी जांच एसटीएफ कर रही है। डमिट कार्ड में कोई त्रुटि होने पर अभ्यर्थी हेल्पलाइन, ईमेल और ट्विटर के जरिए बोर्ड को सूचना दे सकते हैं जिसका तत्काल निस्तारण कराया जाएगा। बीते डेढ़ दशक में पेपर लीक, साल्वर गिरोह, नकल माफिया गिरोह से जुड़े 1541 सदस्यों की गहन निगरानी का कार्य एसटीएफ और जिला पुलिस को सौंपा गया है।

सपा का दांव फिर पीडीए पर, आसपा मुस्लिम-अनुसूचित वोटों के सहारे

मुजफ्फरनगर:  मीरापुर विधानसभा उपचुनाव के लिए सपा ने अपने हर एक कार्यकर्ता को अपने साथ पांच नए लोगों को जोड़ने की जिम्मेदारी दी है। सपा का दांव फिर से पीडीए (पिछड़ा-दलित-अल्पसंख्यक) पर है। वहीं आसपा ने विधानसभा प्रभारियों की घोषणा के साथ ही साफ कर दिया है कि उसकी नजर अनुसूचित जाति और मुस्लिम वोटों पर है।

डिग्री कॉलेज की लाइब्रेरी में आयोजित समाजवादी पार्टी की समीक्षा बैठक में मुख्य अतिथि प्रदेश सचिव चौधरी मजाहिर राणा और चौधरी लियाकत अली एडवोकेट रहे। उन्होंने विधानसभा के पांच जोन, 10 सेक्टर, 114 बूथ और 38 गांवों में तैयारियों का जायजा लिया। चौधरी मजाहिर राणा ने कार्यकर्ताओं की आगामी रणनीति के विषय में विस्तार से समझाया और प्रत्येक कार्यकर्ता से पांच-पांच नए लोगों को जोड़ने के लिए कहा। चौधरी लियाकत अली ने समाजवादी विचारधारा को जन-जन तक पहुंचाने और पूरे क्षेत्र में पार्टी का झंडा लेकर निकलने का आह्वान किया। माना जा रहा है कि सपा का दांव फिर से पीडीए पर है। बैठक की अध्यक्षता जिलाध्यक्ष जिया चौधरी एडवोकेट ने की और संचालन विधानसभा अध्यक्ष सादिक चौहान ने किया।

इस मौके पर अंजार अब्बासी, अजय कुमार, इश्तकार अंसारी, राशिद मलिक, डॉ. हनी समाअत, इसरार अंसारी, रजनीश यादव, जुबेर अंसारी, शाह रजा जैदी, कादिर प्रधान, इमरान एडवोकेट, शाहनवाज, जावेद, हाजी गुफरान, मुमताज सलमानी, सोनू प्रजापति, प्रदीप प्रजापति, डॉ. अरशद आदि उपस्थित रहे।

मीरापुर विधानसभा उपचुनाव के लिए सपा ने अपने हर एक कार्यकर्ता को अपने साथ पांच नए लोगों को जोड़ने की जिम्मेदारी दी है। सपा का दांव फिर से पीडीए (पिछड़ा-दलित-अल्पसंख्यक) पर है। वहीं आसपा ने विधानसभा प्रभारियों की घोषणा के साथ ही साफ कर दिया है कि उसकी नजर अनुसूचित जाति और मुस्लिम वोटों पर है।

डिग्री कॉलेज की लाइब्रेरी में आयोजित समाजवादी पार्टी की समीक्षा बैठक में मुख्य अतिथि प्रदेश सचिव चौधरी मजाहिर राणा और चौधरी लियाकत अली एडवोकेट रहे। उन्होंने विधानसभा के पांच जोन, 10 सेक्टर, 114 बूथ और 38 गांवों में तैयारियों का जायजा लिया। चौधरी मजाहिर राणा ने कार्यकर्ताओं की आगामी रणनीति के विषय में विस्तार से समझाया और प्रत्येक कार्यकर्ता से पांच-पांच नए लोगों को जोड़ने के लिए कहा। चौधरी लियाकत अली ने समाजवादी विचारधारा को जन-जन तक पहुंचाने और पूरे क्षेत्र में पार्टी का झंडा लेकर निकलने का आह्वान किया। माना जा रहा है कि सपा का दांव फिर से पीडीए पर है। बैठक की अध्यक्षता जिलाध्यक्ष जिया चौधरी एडवोकेट ने की और संचालन विधानसभा अध्यक्ष सादिक चौहान ने किया।

इस मौके पर अंजार अब्बासी, अजय कुमार, इश्तकार अंसारी, राशिद मलिक, डॉ. हनी समाअत, इसरार अंसारी, रजनीश यादव, जुबेर अंसारी, शाह रजा जैदी, कादिर प्रधान, इमरान एडवोकेट, शाहनवाज, जावेद, हाजी गुफरान, मुमताज सलमानी, सोनू प्रजापति, प्रदीप प्रजापति, डॉ. अरशद आदि उपस्थित रहे।

‘कमजोर बहाने पेश किए’, दहेज उत्पीड़न मामले की जल्द सुनवाई न होने पर अदालत ने मजिस्ट्रेट को फटकारा

मुंबई:  बॉम्बे उच्च न्यायालय ने निचली अदालत के एक न्यायधीश (मजिस्ट्रेट) को फटकार लगाई है। दरअसल उच्च न्यायालय ने वर्ष 2011 में मजिस्ट्रेट को निर्देश दिए थे कि दहेज उत्पीड़न के एक मामले में सुनवाई में तेजी लाएं। अदालत ने कहा कि मजिस्ट्रेट ने इस आदेश का पालन नहीं किया। अदालत ने यह भी कहा कि मजिस्ट्रेट ने इस मामले में कमजोर बहाने पेश किए।

‘मजिस्ट्रेट अपना काम करने में गंभीर नहीं थीं’
न्यायमूर्ति ए.एस. गडकरी और न्यायमूर्ति नीला गोखले की पीठ ने इस मामले की सुनवाई की। पीठ ने नौ अगस्त को कहा था, ‘नवी मुंबई न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत की मजिस्ट्रेट ने उच्च न्यायालय के निर्देशों का सम्मान नहीं किया। ऐसा लगता है कि मजिस्ट्रेट अपना काम करने में गंभीर नहीं थीं।’ अदालत के आदेश की प्रति मंगलवार को उपलब्ध कराई गई है। बॉम्बे हाईकोर्ट की पीठ ने आगे कहा कि मजिस्ट्रेट ने निर्धारित समय के भीतर सुनवाई पूरी न करने के लिए सिर्फ बहाने बनाए।

‘हम कमजोर बहानों को स्वीकार नहीं कर सकते’
आपको बता दें कि यह पूरा मामला वैवाहिक विवाद और दहेज उत्पीड़न से जुड़ा है। अदालत ने कहा, ‘हम मजिस्ट्रेट द्वारा इस अदालत से जारी निर्देशों का पालन न करने के लिए बताए गए कमजोर बहानों को स्वीकार नहीं कर सकते। हमें लगता है कि मजिस्ट्रेट अपने न्यायिक कार्य का निर्वहन करने के लिए गंभीर नहीं है।’ पीठ ने निर्देश दिया कि मजिस्ट्रेट की रिपोर्ट को उच्च न्यायालय की प्रशासनिक समिति के समक्ष रखा जाए।

क्या है पूरा मामला?
दरअसल, उच्च न्यायालय ने यह आदेश दहेज उत्पीड़न के मामले का सामना कर रहे एक व्यक्ति द्वारा दायर आवेदन पर पारित किया है। आवेदन में दावा किया गया था कि उच्च न्यायालय द्वारा वर्ष 2021 में मुकदमे में तेजी लाने के निर्देश दिए गए थे। इसके बावजूद, मजिस्ट्रेट ने अभी तक मुकदमे की सुनवाई पूरी नहीं की। वर्ष 2021 के फरवरी महीने में उच्च न्यायालय ने मजिस्ट्रेट अदालत को मुकदमे में तेजी लाने का निर्देश दिया था।

अदालत ने कहा था कि चार महीने के भीतर इस मामले में फैसला दिया जाए। अदालत ने याचिकाकर्ता द्वारा दायर अर्जी को लेकर यह आदेश पारित किया था। याचिकाकर्ता ने मामले में आरोप मुक्त होने की मांग की थी। जब वर्ष 2021 के फरवरी महीने में उच्च न्यायालय ने मुकदमे में तेजी लाने के आदेश दिए, तो व्यक्ति ने अपनी याचिका वापस ले ली थी।