Thursday , October 24 2024

Editor

कोलकाता में महिला डॉक्टर को न्याय दिलाने को आगे आए ढाका के छात्र, विरोध-प्रदर्शन कर दिखाई एकजुटता

पश्चिम बंगाल के कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज में महिला ट्रेनी डॉक्टर से दुष्कर्म और हत्या के मामले पर लगातार विवाद गहराता जा रहा है। पूरे भारत में डॉक्टर और छात्र सड़क पर उतरकर लगातार विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। वहीं, अब पड़ोसी देश बांग्लादेश के प्रतिष्ठित ढाका विश्वविद्यालय के छात्र भी अपनी एकजुटता दिखाते हुए विरोध-प्रदर्शन में शामिल हो गए हैं।

राजू मूर्तिकला के पास प्रदर्शन
रिपोर्ट के अनुसार, ‘आवाज तोलो नारी’ के बैनर तले शुक्रवार को ढाका विश्वविद्यालय में राजू मूर्तिकला के पास प्रदर्शन किया गया। भौतिकी विभाग की एक छात्रा रहनुमा अहमद निरेट ने कहा, ‘हम बंगाल में महिला डॉक्टर के साथ हुए दुष्कर्म मामले के बारे में मेडिकल कॉलेज प्रशासन के असहयोग रवैये से अवगत हैं। महिला के रूप में, हम मांग करते हैं कि प्रशासन अधिक से अधिक कानूनी सहायता करे, कानून को सख्ती से लागू करे और तुरंत फैसला सुनाए’

मानव विज्ञान विभाग की छात्रा आन्या फहमीन ने कहा, ‘दुनिया भर में महिलाओं को दुष्कर्म जैसे घिनौने अपराध का सामना करना पड़ता है और हम कोलकाता के आरजी कर अस्पताल मामले में निष्पक्ष जवाबदेही के लिए चल रहे आंदोलन का पूरा समर्थन करते हैं।’

पीड़ितों के नाम सार्वजनिक कर दिए…
जहांगीरनगर विश्वविद्यालय की छात्रा लमिशा जहां ने कहा, पिछली दुष्कर्म की की घटनाओं में पीड़ितों के नाम सार्वजनिक कर दिए गए, जबकि दोषी अपराधियों के नाम अक्सर छिपे रहते हैं। कभी-कभी इन मामलों को सरकार या सत्तारूढ़ पार्टी द्वारा दबा दिया जाता है। आत्मसंतुष्टि के दिन खत्म हो गए हैं। हमें महिलाओं के प्रति सभी प्रकार के अपमान के खिलाफ आवाज उठानी चाहिए।’

महिलाओं के लिए सुरक्षित देश बनाना जरूरी
वित्त विभाग की एक छात्रा अनिका अरेफिन अनु ने कहा, ‘हमें महिलाओं के लिए सुरक्षित देश बनाना है। छात्रों ने बड़े पैमाने पर विद्रोह में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और हमें अपनी सरकार को सभी दुष्कर्म के मामलों पर मुकदमा चलाने और महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए मजबूर करना चाहिए।’

बांग्लादेश की हिंसा में 650 के करीब लोगों की हुई मौत, संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट में दावा

संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार कार्यालय ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया है कि बांग्लादेश में हालिया हिंसा में करीब 650 लोगों की मौत हुई। संयुक्त राष्ट्र ने कहा है कि हिंसा, गिरफ्तारियों और न्यायिक हिरासत में मौत की घटनाओं की निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से जांच होनी चाहिए। संयुक्त राष्ट्र ने बांग्लादेश हिंसा पर 10 पेज की एक रिपोर्ट तैयार की है।

यूएन ने शुक्रवार को जारी की रिपोर्ट
रिपोर्ट के अनुसार, 16 जुलाई से 4 अगस्त के बीच हिंसा में करीब 400 लोगों की मौत हुई। वहीं 5-6 अगस्त को हुई हिंसा में करीब 250 लोगों की जान गई थी, जिसके चलते शेख हसीना को अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा। विभिन्न मीडिया रिपोर्ट्स और आंदोलनकारी संगठनों ने भी जुलाई से अगस्त में आरक्षण विरोधी प्रदर्शन के दौरान 600 लोगों की मौत की बात कही थी। संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार कार्यालय ने शुक्रवार को जिनेवा में यह रिपोर्ट जारी की। रिपोर्ट के अनुसार, मरने वालों में प्रदर्शनकारी, मूकदर्शक, पत्रकार और विभिन्न बलों के सुरक्षाकर्मी शामिल हैं। हिंसा में हजारों की संख्या में लोग घायल भी हुए हैं।

बढ़ सकता है मृतकों का आंकड़ा
यूएन की रिपोर्ट में ये भी आशंका जताई गई है कि मृतकों का आंकड़ा इससे भी ज्यादा हो सकता है क्योंकि कई इलाकों में कर्फ्यू लगा होने के चलते उन्हें जानकारी इकट्ठा करने में परेशानी का सामना करना पड़ा। सरकार द्वारा भी अस्पतालों को जानकारी देने से रोका जा रहा है। बांग्लादेश में आरक्षण के विरोध में जून में विरोध प्रदर्शन शुरू हुए थे। विरोध प्रदर्शन के दौरान सुरक्षा बलों द्वारा मानवाधिकार उल्लंघन के भी आरोप लगे। रिपोर्ट में कहा गया है कि सुरक्षा बलों द्वारा प्रदर्शनकारियों के खिलाफ सख्ती से निपटा गया, जिससे हालात बिगड़े।

रिपोर्ट में धार्मिक अल्पसंख्यकों पर भी हमलों का जिक्र
रिपोर्ट में कहा गया है कि धार्मिक अल्पसंख्यकों के खिलाफ भी लूटपाट, तोड़फोड़ और आगजनी की घटनाएं हुईं। साथ ही आवामी लीग के कार्यकर्ताओं और नेताओं की प्रतिशोध की भावना से भी हत्याएं की गईं। रिपोर्ट में कहा गया है कि बांग्लादेश में कानून व्यवस्था को तेजी से बहाल करने की जरूरत है। साथ ही हिंसा के दोषियों के खिलाफ जवाबदेही तय करने की जरूरत बताई गई है।

‘हमारी सरकार स्वतंत्र-निष्पक्ष चुनाव कराने को प्रतिबद्ध’, ग्लोबल साउथ समिट में बोले मोहम्मद यूनुस

बांग्लादेश में हिंसा का दौर अभी भी जारी है। शेख हसीना के प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देने और देश छोड़ने के बाद भी प्रदर्शनकारी सड़कों पर डटे हुए हैं। हालात इतने बदतर हो गए हैं कि देश में अल्पसंख्यकों के घरों और व्यापारिक प्रतिष्ठानों को निशाना बनाया जा रहा है। हालांकि इन सबके बीच, देश की कार्यवाहक सरकार के प्रमुख मोहम्मद यूनुस ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय को आश्वस्त किया कि वह समावेशी और बहुलवादी लोकतंत्र की स्थापना सुनिश्चित करने तथा ऐसा माहौल बनाने के लिए प्रतिबद्ध है, जिसमें स्वतंत्र, निष्पक्ष और भागीदारीपूर्ण चुनाव कराए जा सकें।

अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार यूनुस ने तीसरे वॉयस ऑफ ग्लोबल साउथ समिट को संबोधित करते हुए यह बात कही। बता दें, इस कार्यक्रम की मेजबानी भारत ने वर्चुअल तरीके से की थी।

84 वर्षीय नोबेल पुरस्कार विजेता ने अपने देश में राजनीतिक उथल-पुथल और पांच अगस्त को प्रधानमंत्री शेख हसीना के इस्तीफे का जिक्र करते हुए कहा, ‘आप सभी जानते हैं कि बांग्लादेश ने पांच अगस्त को हमारे बहादुर छात्रों के नेतृत्व में और आम जनता के साथ एक बड़े विद्रोह के माध्यम से दूसरी क्रांति देखी।

स्वतंत्र, निष्पक्ष और सहभागितापूर्ण चुनाव…
आठ अगस्त को अंतरिम सरकार द्वारा शपथ लिए जाने पर यूनुस ने कहा, ‘हमारी सरकार समावेशी और बहुलवादी लोकतंत्र में बदलाव सुनिश्चित करने और ऐसा माहौल बनाने के लिए प्रतिबद्ध है, जिसमें स्वतंत्र, निष्पक्ष और सहभागितापूर्ण चुनाव कराए जा सकें।’

यूनुस ने अल्पसंख्यकों के खिलाफ जारी हिंसा और बर्बरता के बीच अंतरिम सरकार का कार्यभार संभाला। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उपस्थिति में आयोजित वॉयस ऑफ ग्लोबल साउथ समिट में कहा, ‘हमारा काम अब हमारी चुनाव प्रणाली, न्यायपालिका, स्थानीय सरकार, मीडिया, अर्थव्यवस्था और शिक्षा में महत्वपूर्ण सुधार करना है।’

दीवारों पर बनाए गए चित्र
उन्होंने आगे कहा, ‘मैं आपको जल्द ही ढाका आने के लिए आमंत्रित करता हूं। अन्यथा, आप कुछ महत्वपूर्ण चीजों से चूक सकते हैं। ढाका का अधिकांश हिस्सा दीवारों पर बने चित्र की राजधानी के रूप में बदल गया है। युवा छात्र और 12-13 साल की उम्र के बच्चे इस 400 साल पुराने शहर की दीवारों को नए लोकतांत्रिक पर्यावरण के अनुकूल बांग्लादेश की तस्वीरें बना रहे हैं।’

शिवाजी के सेनापतियों के वंशजों ने शुरू की गरुड़ झेप यात्रा, आगरा से राजगढ़ तक 1253 किमी की होगी

आगरा: 17 अगस्त 1666 को महाराज छत्रपति शिवाजी अपनी कार्य कुशलता, युद्ध क्षमता और वीरता के बल पर औरंगजेब की कैद से मुक्त होकर आगरा से निकले थे। शिवाजी के सेनापतियों के 14वें वंशज इस दिन को स्मृति दिवस के रूप में मनाते हैं। इस अवसर पर वह आगरा से राजगढ़ तक 1253 किलोमीटर लंबी गरुड़ झेप यात्रा निकाल रहे हैं। यात्रा का शुभारंभ शनिवार को हुआ।

यह यात्रा आगरा स्थित लाल किला के सामने शिवाजी प्रतिमा स्थल से शुरू हुई। इसमें 1000 धावक, 100 साइकिल सवार सम्मिलित हुए। यात्रा का शुभारंभ उत्तर प्रदेश सरकार के कैबिनेट मंत्री योगेंद्र उपाध्याय ने छत्रपति शिवाजी की प्रतिमा पर माल्यार्पण करके किया।इस मौके पर मंत्री योगेंद्र उपाध्याय ने कहा कि छत्रपति शिवाजी को लेकर इतिहासकारों के शोध के बाद कोठी मीना बाजार स्थित राम सिंह की कोठी को संग्रहालय और स्मारक के रूप में विकसित किया जाएगा। यह भव्य संग्रहालय पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र बनेगा।

इस मौके पर उन्होंने छत्रपति शिवाजी की युद्ध कौशलता, वीरता और राष्ट्रीय एकता की भावना का भी स्मरण किया। उन्होंने कहा छत्रपति शिवाजी महाराज ने 17 अगस्त 1666 को औरंगजेब को उसे समय छठी का दूध याद दिला होगा, जब हजारों सैनिकों की निगरानी की आंखों में धूल झोंककर अपनी कार्य कुशलता से छत्रपति शिवाजी महाराज अपने पुत्र के साथ आगरा से निकले थे।

मराठी कलाकारों ने दिखाई युद्ध कला
छत्रपति शिवाजी के सेनापतियों के 14वें वंशजों की मौजूदगी में लाल किला के सामने शिवाजी महाराज प्रतिमा के समक्ष मराठी कलाकारों ने प्राचीन युद्ध कला का प्रदर्शन किया। यात्रा संयोजक मारुति आभा गोले ने बताया कि आज भी हम लोग शिवाजी महाराज से प्रेरणा लेकर उनके द्वारा दर्शाई और बताई गई युद्ध कौशल कला और करतब का अनुसरण करते हैं। इस मौके पर गोवा से आई महिला कलाकारों ने भी युद्ध कला में तलवारबाजी, लाठी कला का प्रदर्शन किया।

कोठी मीना बाजार में बनेगा भव्य संग्रहालय
99 दिन तक मुगल शासक औरंगजेब की कैद में छल से रहने वाले शिवाजी महाराज की स्मृति में कोठी मीना बाजार में भव्य स्मारक बनाया जाएगा। कैबिनेट मंत्री योगेंद्र उपाध्याय के मुताबिक़ ऐसे स्थल पर 100 फुट ऊंची छत्रपति शिवाजी की भव्य प्रतिमा भी लगाई जाएगी। ऐसा होने से उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र के बीच आपसी सौहार्द के साथ पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा। संग्रहालय में छत्रपति शिवाजी की वीरता कार्यकुशलता और युद्ध कौशल क्षमता से संबंधित दृश्यों को संग्रहित किया जाएगा।

डिप्टी सीएम केशव बोले- कोर्ट का फैसला स्वागत योग्य, मायावती ने सरकार पर उठाए सवाल

लखनऊ:इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने 69000 शिक्षक भर्ती में आरक्षण के नियमों का पालन न करने पर सरकार को तीन महीने में नई सूची बनाने का निर्देश दिया है और पुरानी सूची को रद्द कर दिया है।प्रदेश के उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने हाईकोर्ट के इस फैसले को स्वागत योग्य बताया है। उन्होंने कहा कि शिक्षकों की भर्ती में इलाहाबाद हाईकोर्ट का फैसला सामाजिक न्याय की दिशा में स्वागत योग्य कदम है। यह उन पिछड़ा व दलित वर्ग के पात्रों की जीत है जिन्होंने अपने अधिकार के लिए लंबा संघर्ष किया। उनका मैं तहेदिल से स्वागत करता हूं।

वहीं, बसपा सुप्रीमो मायावती ने कोर्ट के फैसले को लेकर योगी सरकार पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि फैसला ये साबित करता है कि सरकार ने अपना काम निष्पक्षता और ईमानदारी से नहीं किया है। उन्होंने कहा कि यूपी में सन 2019 में चयनित 69,000 शिक्षक अभ्यार्थियों की चयन सूची को रद्द करके तीन महीने के अन्दर नई सूची बनाने के हाईकोर्ट के फैसले से साबित है कि सरकार ने अपना काम निष्पक्षता व ईमानदारी से नहीं किया है। इस मामले में खासकर आरक्षण वर्ग के पीड़ितों को न्याय मिलना सुनिश्चित हो।

उन्होंने कहा कि वैसे भी सरकारी नौकरियों की भर्तियों में पेपर लीक आदि के मामले में यूपी सरकार का रिकार्ड भी पाक-साफ नहीं होने पर यह काफी चर्चाओं में रहा है। अब सहायक शिक्षकों की सही बहाली नहीं होने से शिक्षा व्यवस्था पर इसका बुरा असर पड़ना स्वाभाविक है। सरकार इस ओर जरूर ध्यान दे।

हाईकोई के इस फैसले से पहले से चयनित सहायक प्राथमिक शिक्षकों की नौकरी पर संकट आ गया है। हाईकोर्ट ने पुरानी सूची रद्द कर अगले तीन महीनों में नई सूची जारी करने का निर्देश दिया है।

डॉ. पल्लवी पटेल बोलीं, हिम्मते मर्दा तो मददे खुदा
सपा विधायक डॉ. पल्लवी पटेल ने एक्स पर कहा कि लंबे समय से चल रहे इस 69000 शिक्षक भर्ती घोटाले के विरुद्ध छात्र – छात्राओं के आंदोलन को देश की न्यायपालिका ने सुखद न्याय दिया है। इस फैसले का बारम बार स्वागत है और सही कहा गया है कि हिम्मते मर्दा तो मददे खुदा।

पेट्रोल से भरी मालगाड़ी के डब्बे में लगी आग, ईंधन लेकर भरतपुर जा रही थी ट्रेन

मेरठ: मेरठ में शनिवार दोपहर को एक बड़ा हादसा हो गया। यहां रेलवे रोड थानाक्षेत्र के रोहटा फाटक के नजदीक पेट्रोल लेकर जार ही मालगाड़ी के एक डिब्बे में आग लग गई।जानकारी के अनुसार पेट्रोल से भरी मालगाड़ी ईंधन लेकर रेलवे यार्ड से भरतपुर जा रही थी।

इसी बीच मेरठ में रोहटा फाटक के नजदीक ट्रेन के एक वैगन में आग लग गई। सूचना पर दमकल गाड़िया भी माैके पर पहुंचीं और आग को बुझाने का प्रयास किया। दमकलकर्मी आग बुझाने में जुटे हैं। वहीं आग लगे वैगन को ट्रेन से अलग कर दिया गया।

मायावती का बंगाल सरकार पर हमला, कहा- कोलकाता की घटना को धार्मिक रंग दे रही टीएमसी

लखनऊ:बहुजन समाज पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने शनिवार को कहा कि बंगाल में लेडी डाक्टर के साथ हुए रेप-मर्डर की जघन्य वारदात से पूरा देश चिन्तित व आक्रोशित है फिर भी तृणमूल कांग्रेस सरकार अपने बचाव में इसे धार्मिक व राजनैतिक रंग देने में लगी है। वहीं विपक्ष भी इस मामले में कम नहीं है।

उन्होंने कहा कि ऐसे मामले में दोषियों को सख्त सजा व पीड़ित परिवार को न्याय कैसे मिले इसकी चिन्ता जरूरी है। मायावती ने सोशल मीडिया पर लिखा कि इस मामले में आरोप-प्रत्यारोप आदि को त्याग कर असली दोषियों के विरुद्ध सख्त कार्रवाई के लिए सभी को दलगत राजनीति से ऊपर उठकर आगे आना होगा। पीड़ित परिवार ने मुआवजा नहीं लेने व न्याय की बात कही है। उनकी पीड़ा व घटना को लेकर इंसाफ के तकाजे पर सभी को गंभीर होने की जरूरत है।

इस घटना को लेकर डाक्टरों व मेडिकल छात्रों का आन्दोलन भी अपनी जगह सही है जिसका समर्थन भी है लेकिन इस दौरान गरीब मरीजों के इलाज की तरफ भी जरूर ध्यान दिया जाए तो यह उचित होगा साथ ही सरकार अस्पतालों व डाक्टरों की भी सुरक्षा व सम्मान का विशेष ध्यान रखे।

कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष बोले- आरक्षण विरोधी है भाजपा सरकार, न्याय और संविधान की जीत हुई

लखनऊ: 69000 शिक्षक भर्ती मामले में हाई कोर्ट की डबल बेंच ने सभी चयन सूचियां को रद्द कर नई चयन सूची बनाकर आरक्षण नियमावली 1994 में निहित प्रावधानों के अनुसार नियुक्ति किए जाने का आदेश दिया है।इस पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष व पूर्व मंत्री अजय राय ने कहा कि भाजपा सरकार आरक्षण विरोधी है। दलित और पिछड़ों के हक के लिए सिर्फ जबानी जमा खर्च करने वाली भाजपा सरकार हर कदम पर उनके साथ छल करती है, इतना ही नहीं भाजपा सरकार दलित और पिछड़ों को उनके जायज हक से महरूम रखने का हर संभव प्रयास करती है।

राय ने कहा कि इस मामले में हाईकोर्ट की सिंगल और डबल बेंच से सरकार के आरक्षण विरोधी चेहरे को बेनकाब किया गया है। हालत यह हैं कि सरकार के अपने मंत्री और सहयोगी दल, सरकार को आरक्षण के मुद्दे पर आइना दिखा रहे हैं। सच तो यह है कि सरकार के वे मंत्री जो आज फैसले को सही बता रहे हैं वो भी इस अन्याय पर चुप थे। जबकि पीड़ित अभ्यर्थियों ने इन सभी के दरवाजों पर न्याय की गुहार लगाई थी। यह तब भी चुप थे जब न्याय मांगने पर अभ्यर्थियों को लाठियों से पीटा जा रहा था।

अजय राय ने कहा कि जब अभ्यर्थी मुख्यमंत्री आवास से लेकर इको गार्डन तक न्याय की लड़ाई लड़ रहे थे और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के इशारे पर उनका दमन किया जा रहा था तब उप मुख्यमंत्री केशव मौर्य जैसे सरकार के मंत्री जो आज अपनी राजनीति बचाने के लिए उनके शुभेच्छु बन रहें है उस वक्त मौन की चादर ओढे़ हुए थे। इतना ही नहीं भाजपा के सहयोगी दल सुभासपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर अभ्यर्थियों को लात मारने का सुझाव दे रहे थे।

मेघालय HC ने सिंगल यूज प्लास्टिक पर लगाया प्रतिबंध, कहा- अगर कोई नहीं माने तो वसूलें भारी जुर्माना

शिलांग:प्रधान न्यायाधीश एस वैद्यनाथन की अध्यक्षता वाली पीठ ने टेट्रा पैक कार्टन की भी वकालत की। यह मुख्य रूप से कागज से बने होते हैं और प्लास्टिक की जगह इस्तेमाल में लाए जाने के लिए एक प्रभावी विकल्प हो सकते हैं। अदालत ने कहा कि प्लास्टिक के खिलाफ लड़ाई सिर्फ एक पर्यावरण के लिए धर्मयुद्ध नहीं है, बल्कि हमारी दुनिया के स्वास्थ्य और भविष्य के लिए एक लड़ाई है।

पूजा स्थलों में और उसके आसपास प्लास्टिक की थैलियों का उपयोग न हो
खंडपीठ ने शुक्रवार को इस मामले पर एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए आदेश जारी किया। अदालत ने कहा, ‘इस तरह के कदम की शुरुआत मंदिर परिसर से की जा सकती है। मंदिर के अधिकारियों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि पूजा स्थलों में और उसके आसपास प्लास्टिक की थैलियों का कोई उपयोग न हो।’

सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएं
अदालत ने यह भी आदेश दिया कि सभी मंदिरों में सीसीटीवी कैमरे लगाए जाने चाहिए, ताकि अगर कोई मंदिर के अंदर प्लास्टिक ले जाता है, तो उस पर कुछ हद तक अंकुश लगाया जा सके। पीठ ने दुकानों पर प्लास्टिक की थैलियों के भंडारण और उपयोग पर प्रतिबंध लगा दिया। साथ ही उल्लंघन करने वालों पर भारी जुर्माना लगाने का निर्देश भी दिया।

पीठ ने कहा, ‘अगर किसी भी दुकान से प्लास्टिक की थैलियां मिलती हैं तो उन पर भारी जुर्माना लगाया जाना चाहिए। साथ ही अगर ऐसा जारी रहा तो ऐसी दुकानों को सील कर दिया जाना चाहिए।’

राज्य सरकार लगाए भारी जुर्माना
राज्य सरकार को सतर्क रहने का निर्देश देते हुए पीठ ने यह भी आदेश दिया कि प्लास्टिक की वस्तुओं को प्रवेश स्तर पर ही रोक दिया जाए। अदालत ने कहा, ‘सभी दुकानों पर समय-समय पर छापे मारे जाने चाहिए और मेघालय सरकार को राज्य के अंदर प्लास्टिक का उपयोग करने वालों के खिलाफ भारी जुर्माना लगाने के बारे में सोचना चाहिए।’

‘5000 करोड़ का है मुडा घोटाला, निष्पक्ष जांच के लिए इस्तीफा दें सीएम’, सिद्धारमैया पर हमलावर भाजपा

बंगलूरू: कर्नाटक के राज्यपाल द्वारा कथित MUDA घोटाले में सीएम सिद्धारमैया पर मुकदमा चलाने की अनुमति दिए जाने पर राजनीति गरमा गई है। कांग्रेस जहां केंद्र सरकार पर राज्य सरकार को अस्थिर करने का आरोप लगा रही है। वहीं भाजपा सीएम पर हमलावर है और उनसे इस्तीफे की मांग कर रही है।

‘विपक्षी गठबंधन के नेता संविधान का अपमान कर रहे’
भाजपा ने कर्नाटक के मुद्दे पर प्रेस कॉन्फ्रेंस की। इस प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान भाजपा नेताओं ने कर्नाटक सरकार और सीएम सिद्धारमैया पर गंभीर आरोप लगाए। प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान भाजपा सांसद संबित पात्रा ने कहा, ‘विपक्षी गठबंधन सरकार और उसके नेता संविधान का अपमान कर रहे हैं। यह पश्चिम बंगाल और कर्नाटक में देखा जा सकता है। कर्नाटक के राज्यपाल थावरचंद गहलोत ने सीएम सिद्धारमैया पर मुकदमा चलाने की अनुमति दे दी है। MUDA भूमि घोटाला कुछ दिन पहले ही उजागर हुआ था। लोगों ने राज्यपाल को एक याचिका देकर सीएम पर मुकदमा चलाने की अनुमति मांगी थी। राज्यपाल ने पहले सरकार से जानकारी मांगी थी, लेकिन जब वे उनके तथ्यों और तर्कों से संतुष्ट नहीं हुए, तो उन्होंने सीएम के खिलाफ मुकदमा चलाने की अनुमति दे दी।’

‘5000 करोड़ का है घोटाला’
भाजपा नेता शहजाद पूनावाला ने कहा, ‘कर्नाटक की कांग्रेस सरकार शायद इस देश के इतिहास की सबसे भ्रष्ट सरकार है और लूट और झूठ को इन्होंने अपना प्राथमिक एजेंडा बना लिया है। सरकार के हर विभाग को लूटा जा रहा है। मुडा घोटाला 5,000 करोड़ रुपये का घोटाला है, जिसमें महंगी जमीनें मुख्यमंत्री की पत्नी, मुख्यमंत्री के मित्रों और सहयोगियों को बांटी गई और मुख्यमंत्री ने अपने हलफनामे में इसका खुलासा भी नहीं किया। सीएम को इस्तीफा दे देना चाहिए ताकि मामले में निष्पक्ष जांच हो सके।