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72 साल की महिला ने दर्ज कराया दहेज उत्पीड़न का केस, बोली-धोखे से शादी की, शराब पीकर घर आता था पति

मेरठ: मेरठ में ईश्वरपुरी निवासी 72 साल की सेवानिवृत्त शिक्षिका देविंद्रा रानी ने पति के खिलाफ कोर्ट के आदेश पर दहेज उत्पीड़न की रिपोर्ट दर्ज कराई है। शिक्षिका की 48 साल की उम्र में कम आयु के नरेश से शादी हुई थी। आरोप है कि नरेश ने खुद को सुपरवाइजर बता धोखा देकर शादी की थी। दो साल पहले दोनों का तलाक भी हो चुका है।

ब्रह्मपुरी थाना क्षेत्र की ईश्वरपुरी निवासी देविंद्रा रानी ने कोर्ट में दिए प्रार्थना पत्र में बताया कि वर्ष 2000 में उनकी शादी बुलंदशहर के गांव सराय लौंगा निवासी नरेश के साथ हुई थी। शादी से पहले ही वह माध्यमिक विद्यालय में शिक्षिका थीं। नरेश और उसके परिजन ने शादी से पहले झूठ बोला था कि वह एक प्राइवेट कंपनी में सुपरवाइजर है।

बाद में पता चला कि नरेश कोई काम नहीं करता है। वह शराब पीकर आता था और पैसों की मांग करता था। पैसे देने से मना करने पर शिक्षिका से मारपीट करता था। नरेश ने उनकी सरकारी नौकरी के लालच में उम्र में काफी छोटा होने के बावजूद शादी की थी। पति के उत्पीड़न से त्रस्त होकर शिक्षिका मायके में आकर रहने लगीं।

कुछ समय बाद नरेश आया और अपने व्यवहार के लिए माफी मांगकर उन्हें साथ ले गया। कुछ दिन बाद फिर से उसने जबरदस्ती शराब पीने के लिए पैसे वसूलने शुरू कर दिए। पीड़िता सात माह की गर्भवती हुईं तो नरेश ने उनके साथ बुरी तरह मारपीट की। जिससे उनका गर्भपात हो गया।

नरेश ने उनकी संपत्ति और पैसे हड़पने के लिए सोते समय उनके सिर पर किसी भारी वस्तु से प्रहार किया। जिससे वह बेहोश हो गईं। मुंहबोले भाई फूल सिंह ने नरेश के विरोध के बावजूद उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया। जब होश आया तो पीड़िता की स्मरण शक्ति काफी कमजोर हो गई थी। शरीर का कुछ हिस्सा लकवाग्रस्त भी हो गया था।

शराब नीति केस में CBI द्वारा गिरफ्तारी को केजरीवाल ने सुप्रीम कोर्ट में दी चुनौती, जमानत की याचिका भी डाली

नई दिल्ली:दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने शराब घोटाला केस में जमानत के लिए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है। आम आदमी पार्टी की लीगल टीम ने सोमवार को इसकी जानकारी दी। इसमें बताया गया कि केजरीवाल ने इस मामले में सीबीआई की तरफ से गिरफ्तारी को भी चुनौती दी है।

गौरतलब है कि हाल ही में केजरीवाल ने सीबीआई द्वारा गिरफ्तारी को दिल्ली हाईकोर्ट में भी चुनौती दी थी। हालांकि, वहां उन्हें राहत नहीं मिली थी। हाईकोर्ट ने मामले में केजरीवाल की गिरफ्तारी को सही करार देते हुए पांच अगस्त को इसे बरकरार रखा था। अदालत ने कहा था कि सीबीआई की कार्रवाई दुर्भावना से प्रेरित नहीं है और उसने साबित किया है कि ‘आप’ सुप्रीमो कैसे उन गवाहों को प्रभावित कर सकते हैं, जो उनकी गिरफ्तारी के बाद ही गवाही देने की हिम्मत जुटा सके। हाईकोर्ट ने केजरीवाल की गिरफ्तारी को बरकरार रखते हुए उन्हें जमानत के लिए पहले निचली अदालत जाने को कहा था।

निचली अदालत ने केजरीवाल के दी थी जमानत
केजरीवाल को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने दिल्ली आबकारी नीति में कथित घोटाले से जुड़े धन शोधन मामले में 21 मार्च को गिरफ्तार किया था। सुनवाई अदालत ने इस मामले में उन्हें 20 जून को जमानत दे दी थी। हालांकि, उच्च न्यायालय ने सुनवाई अदालत के फैसले पर रोक लगा दी थी। इसके बाद, 12 जुलाई को उच्चतम न्यायालय ने केजरीवाल को धन शोधन मामले में अंतरिम जमानत दे दी। सीबीआई और ईडी का आरोप है कि आबकारी नीति में संशोधन में अनियमितताएं बरती गईं और लाइसेंस धारियों को अवैध लाभ पहुंचाया गया।

नवभारत मीडिया समूह के चेयरमैन विनोद माहेश्वरी का निधन, 79 वर्ष की उम्र में ली आखिरी सांस

मुंबई: महाराष्ट्र के प्रतिष्ठित नवभारत समूह के चेयरमैन और मीडिया जगत की लोकप्रिय हस्तियों में शुमार विनोद माहेश्वरी का सोमवार को सुबह मुंबई में निधन हो गया। वह 79 वर्ष के थे।माहेश्वरी परिवार के एक करीबी व्यक्ति ने बताया कि उनका स्वास्थ्य पिछले पांच दिन से ठीक नहीं था। शनिवार को उन्हें एयरलिफ्ट कर मुंबई लाया गया था, जहां सोमवार को सुबह उन्होंने आखिरी सांस ली।

वे प्रखर पत्रकार एवं स्वतंत्र संग्राम सेनानी स्व. रामगोपालजी माहेश्वरी के पुत्र थे। वे अपने पीछे पत्नी श्रीरंगादेवी माहेश्वरी, पुत्र निमिष माहेश्वरी, पुत्रवधु अनुपमा माहेश्वरी, पौत्र वैभव माहेश्वरी, पौत्रवधु श्रृति माहेश्वरी, राघव माहेश्वरी एवं भरापुरा परिवार छोड़ गए हैं। नवभारत निकुंज, सिविल लाइंस, नागपुर स्थित निवास से शाम 5 बजे अंत्ययात्रा निकलकर मोक्षधाम घाट, काटन मार्केट जाएगी।

राजनीतिक दिग्गजों ने जताया शोक
माहेश्वरी के निधन पर भाजपा के नेताओं ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी है। केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने श्रद्धांजलि देते हुए सोशल मीडिया पर लिखा, “नवभारत समूह के अध्यक्ष विनोद माहेश्वरी जी के निधन का समाचार सुनकर अतीव दु:ख हुआ। उन्हें मेरी भावभीनी श्रद्धांजलि। मध्य भारत में नवभारत के माध्यम से उन्होंने हमेशा लोगों की आवाज बुलंद की। पत्रकारिता के मुल्यों को हमेशा प्राथमिकता दी। कई दशकों से मेरा उनके साथ व्यक्तिगत स्नेह रहा है। उनके निधन से मैने एक करीबी मित्र खोया है। ईश्वर दिवंगत आत्मा को शांति प्रदान करें और परिजनों को संबल दे। ॐ शांति”

उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने सोशल मीडिया पर लिखा, “नवभारत समूह के अध्यक्ष विनोद माहेश्वरी जी के निधन की सूचना अत्यंत ही दुःखद है। उनका निधन पत्रकारिता जगत के लिए अपूरणीय क्षति है। ईश्वर से प्रार्थना है कि पुण्यात्मा को अपने श्रीचरणों में स्थान दें एवं शोकाकुल अनुयायियों को यह दु:ख सहन करने की शक्ति दें।”

कांग्रेस ने मांगा सेबी प्रमुख माधबी का इस्तीफा, कहा- सुप्रीम कोर्ट सीबीआई या एसआईटी से कराए जांच

नई दिल्ली:हिंडनबर्ग रिपोर्ट को लेकर कांग्रेस ने भी सेबी और भाजपा पर हमला बोला है। कांग्रेस ने सेबी प्रमुख माधबी बुच से इस्तीफा मांगा है। साथ ही सुप्रीम कोर्ट से मामले की जांच सीबीआई या एसआईटी से कराने की मांग की है।

कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि अदाणी मामले में सेबी समझौता कर सकती है। इसलिए मोदानी महा घोटाले की जांच के लिए संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) का गठन किया जाए। उन्होंने कहा कि मामले में सेबी ने काफी सक्रियता दिखाई। उसने हिंडनबर्ग को 100 सम्मन, 1100 पत्र और ईमेल जारी किए और 12 हजार पृष्ठों वाले 300 दस्तावेजों की जांच की है। लेकिन मुख्य बात है कि कार्रवाई नहीं की गई।

जयराम रमेश ने कहा कि 14 फरवरी, 2023 को मैंने सेबी अध्यक्ष को पत्र लिखा था। मैनें देश के करोड़ों नागरिकों की ओर से भारतीय वित्तीय बाजार के प्रबंधक की भूमिका निभाने के लिए कहा था, लेकिन मुझे कोई जवाब नहीं मिला। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने सेबी को दो महीने में अदाणी समूह के खिलाफ स्टॉक हेरफेर और अकाउंटिंग धोखाधड़ी के आरोपों की जांच पूरी करने के निर्देश दिए थे। इसके 18 महीने बाद सेबी ने जांच तो की, लेकिन यह नहीं बताया कि अदाणी ने न्यूनतम सार्वजनिक शेयरधारिता से संबंधित नियम 19ए का उल्लंघन किया है या नहीं।

उन्होंने दावा किया कि सेबी की अपनी 24 जांच में से दो को बंद करने में असमर्थ रही। इसलिए जांच के परिणाम सामने आने में एक साल से ज्यादा का समय लग गया। रमेश ने आरोप लगाया कि इस देरी की आड़ में प्रधानमंत्री अपने दोस्त अदाणी की अवैध गतिविधियों को बढ़ावा देते रहे और आम चुनाव में भाग ले पाए। उन्होंने यह भी कहा कि अदाणी समूह को क्लीन चिट मिलने के बाद भी सेबी ने समूह की कई कंपनियों को कारण बताओ नोटिस जारी किया है।

उन्होंने कहा कि हाल ही में जारी हुई हिंडनबर्ग रिपोर्ट अदाणी महा घोटाले की जांच में सेबी की ईमानदारी और आचरण को लेकर सवाल उठ रहे हैं। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट को जांच को सीबीआई या एसआईटी को स्थानांतरित करना चाहिए। साथ ही सेबी अध्यक्ष को इस्तीफा देना चाहिए।

कोलकाता के अस्पताल में महिला डॉक्टर की हत्या का मामला हाईकोर्ट पहुंचा; तीन याचिकाएं दाखिल, सुनवाई कल

कोलकाता: कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में एक महिला डॉक्टर के कथित दुष्कर्म और हत्या मामले में कम से कम तीन जनहित याचिकाएं कलकत्ता हाईकोर्ट में दाखिल की गई हैं। इनमें मामले की जांच केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) से कराने की मांग की गई है। सभी याचिकाओं पर मंगलवार को कलकत्ता उच्च न्यायालय में सुनवाई होगी।

मुख्य न्यायाधीश टीएस शिवज्ञानम की अध्यक्षता वाली खंडपीठ के समक्ष सोमवार को कम से कम तीन जनहित याचिकाएं दायर की गईं, जिनमें आरजी कर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में महिला डॉक्टर के कथित बलात्कार और जघन्य हत्या की जांच सीबीआई को सौंपने की मांग की गई। खंडपीठ में न्यायमूर्ति हिरण्मय भट्टाचार्य भी शामिल हैं। पीठ ने कहा कि वह जनहित याचिकाओं तथा इस मुद्दे से संबंधित अन्य याचिकाओं पर मंगलवार को सुनवाई करेगी।

जानकारी के मुताबिक, एक याचिका कलकत्ता हाईकोर्ट के वकील कौस्तव बागची ने अदालत में एक याचिका दायर की है। उन्होंने इस मामले में सीबीआई जांच की मांग की और सभी मेडिकल कॉलेजों, अस्पतालों और रेस्ट रूम में उचित सुरक्षा के साथ सीसीटीवी कैमरा लगाने का अनुरोध किया।

हाईकोर्ट के मुख्यय न्यायाधीश टीएस शिवगणनम की पीठ ने इसकी जानकारी दी। इसके साथ ही वकील फिरोज एडुल्जी ने पुलिस की जांच में त्रुटि का आरोप लगाया है और उन्होंने अदालत से कहा कि वह मामले की सुनवाई के दौरान इस संबंध में दलीलें पेश करेंगे।

बता दें कि कोलकाता के आरजीकर मेडिकल अस्पताल में महिला डॉक्टर की हत्या के बाद मेडिकल कॉलेज के डॉक्टर और छात्र सड़क पर उतरकर लगातार विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। इस पूरे मामले की मजिस्ट्रेट जांच की मांग को लेकर जूनियर डॉक्टर्स, प्रशिक्षु और स्नातकोत्तर प्रशिक्षु हड़ताल पर हैं। इस भयावह घटना के बाद आरजी कर मेडिकल कॉलेज अस्पताल के प्रिंसिपल ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है।

‘जिलों को जातीय आधार पर देखना दुर्भाग्यपूर्ण’, बीरेन सिंह ने कहा- ये शांति और सद्भाव के लिए हानिकारक

मणिपुर विधानसभा में बोलते हुए सीएम एन बीरेन सिंह ने कहा, जातीय आधार पर नहीं बल्कि प्रशासनिक सुविधा के आधार पर जिलों की सीमाओं को संशोधित करना बहुत महत्वपूर्ण है। सीएम ने जिलों के पुनर्गठन की आवश्यकता पर जोर दिया और सुझाव दिया कि इसमें विधायकों और नागरिक समाज के साथ गहन चर्चा शामिल होनी चाहिए।

सीएम ने एक राज्यव्यापी सर्वेक्षण का किया आह्वान
इस दौरान उन्होंने शिकायतों को स्वीकार किया कि कुछ गांवों को गलत तरीके से नए जिलों में आवंटित किया गया था और इन मुद्दों को हल करने के लिए गांव के अधिकारियों, समुदाय के नेताओं और विधायकों को शामिल करते हुए एक राज्यव्यापी सर्वेक्षण का आह्वान किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि कुछ नए बनाए गए जिलों को वापस लेने की भी मांग की जा रही है। जबकि नगा पीपुल्स फ्रंट के विधायक लीशियो कीशिंग की तरफ से 2016 में नए जिलों के निर्माण के बारे में उठाई गई चिंताओं को संबोधित करते हुए, सीएम ने स्वीकार किया कि जबकि घोषित उद्देश्य प्रशासनिक सुविधा था, यह अक्सर राजनीतिक हितों को पूरा करता था।

‘प्रशासनिक और राजनीतिक के लिए है जिलों का निर्माण’
सीएम ने कहा, हालांकि यह स्पष्ट रूप से उल्लेख किया गया है कि जिलों का निर्माण प्रशासनिक सुविधाओं के लिए है, लेकिन कुछ जिलों के संबंध में यह राजनीतिक सुविधा के रूप में काम करता है। वहीं कीशिंग ने इस बात पर प्रकाश डाला था कि 2016 में कांगपोकपी जिले के गठन ने कई तांगखुल और रोंगमेई नागाओं की राजनीतिक आकांक्षाओं और अन्य अवसरों को कैसे प्रभावित किया है। इस पर सीएम ने उल्लेख किया कि कांगपोकपी और चुराचांदपुर में नगा निवासियों ने आवश्यक सेवाओं की कमी और अवैध कराधान का आरोप लगाया है, जिसके कारण उन्होंने अधिक उपयुक्त जिलों में पुनर्निर्धारण के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से याचिका दायर की है।

राज्य के जिलों में क्यों पैदा हुई समस्याएं?
सीएम ने आगे बताया कि, हाल ही में, कांगपोकपी और चुराचांदपुर जिलों में रहने वाले कई नगा निवासियों ने मुझसे मुलाकात की और दावा किया कि उन्हें अपने जिलों में आवश्यक सेवाएं, वस्तुएं और अवसर नहीं मिल रहे हैं। सीएम ने तर्क दिया कि ये समस्याएं इसलिए उत्पन्न हुईं क्योंकि नए जिले स्थानीय समुदायों की आवश्यकताओं को उचित रूप से पूरा नहीं कर रहे थे। 2016 में, इबोबी सिंह के नेतृत्व वाली तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने सात नए जिले बनाए थे। कंगपोकपी और टेंग्नौपाल जिलों को क्रमशः सेनापति और चंदेल जिलों से अलग किया गया था, जबकि फेरजावल और जिरीबाम को क्रमशः चुराचांदपुर और इंफाल पूर्वी जिलों से अलग किया गया था।

‘बांधों की स्थिति का आकलन करेगी विशेष समिति’, तुंगभद्रा जलाशय का गेट टूटने के बाद बोले शिवकुमार

बंगलूरू:  कर्नाटक के उप मुख्यमंत्री डी.के. शिवकुमार ने सोमवार कहा कि सरकार राज्य के सभी बांधों की स्थिति का आकलन करने के लिए एक विशेषज्ञ समिति का गठन कर रही है। उनकी यह टिप्पणी तुंगभद्रा बांध के एक गेट के बह जाने की पृष्ठभूमि में आई है। शिवकुमार राज्य के जल संसाधन मंत्री भी हैं।

शुक्रवार की रात टूटा तुंगभद्रा बांध का 19वां गेट
उन्होंने कहा कि तुंगभद्रा बांध के क्रेस्ट गेट को बहाल करने के प्रयास जारी हैं। इस मुद्दे पर किसी को चिंता करने की जरूरत नहीं है। तुंगभद्रा बांध का कोप्पल जिला मुख्यालय शहर के पास एक गेट (19वां गेट) शुक्रवार की रात को टूट जाने के कारण बह गया था। जिसके बाद भारी मात्रा में पानी छोड़ा गया था और निचले इलाकों को अलर्ट पर रखा गया था।

चार से पांच दिनों में दुरुस्त करेंगे
शिवकुमार ने कहा, “कल मैंने तुंगभद्रा बांध का दौरा किया और तत्काल कार्रवाई की। मैंने ठेकेदारों से बात की है और हमने डिजाइन भेज दिए हैं। चार से पांच दिनों में हम इसे दुरुस्त करने की कोशिश करेंगे। हम अपने किसानों के लिए कम से कम एक फसल को बचाना चाहते हैं। हम इसके लिए सभी जरूरी उपाय कर रहे हैं। मुख्यमंत्री भी कल वहां का दौरा कर रहे हैं। मैंने एक तकनीकी टीम के साथ भी चर्चा की है।”

‘विशेषज्ञ समिति का गठन किया जाएगा’
पत्रकारों के साथ बातचीत में उप मुख्यमंत्री ने कहा, “मैं इस बात से इनकार नहीं कर रहा हूं कि यह खतरा नहीं था। सत्तर वर्षों में ऐसा पहली बार हुआ है। लेकिन किसानों सहित किसी को भी चिंता करने की जरूरत नहीं है। उन्होंने कहा, हम सभी बांधों की सुरक्षा के लिए एक समिति बनाएंगे और उन्हें सभी बांधों में भेजेंगे। कुछ दिनों में एक विशेषज्ञ समिति का गठन किया जाएगा। उसे सभी बांधों का दौरा करने और आकलन के बाद रिपोर्ट पेश करने के लिए कहा जाएगा।”

शाहरुख खान ने आखिर क्यों की थी ‘डर’ में खलनायक की भूमिका? बोले- ‘स्विस चॉकलेट की तरह नहीं दिखता था’

बॉलीवुड के रोमांस किंग शाहरुख खान ने हाल ही में लोकार्नो फिल्म फेस्टिवल 2024 के दौरान अपने करियर की शुरुआत में आए कई संघर्षों के बारे में खुलकर बात की। उन्होंने इस दौरान निर्देशक यश चोपड़ा की तीखी आलोचना के साथ एक सच्ची कहानी पेश की और साथ ही बताया कि आखिर उन्हें फिल्म ‘डर’ में एक खलनायक की भूमिका के लिए कैसे और क्यों चुना गया था।

कैसे मिला था ‘डर’ में खलनायक का किरदार
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, 77वें लोकार्नो फिल्म फेस्टिवल के दौरान शाहरुख खान ने अपने पिछले अनुभव को याद किया, जब निर्देशक यश चोपड़ा ने उनके लुक पर टिप्पणी की थी। निर्देशक ने उन्हें बाकी अभिनेताओं से अलग बताते हुआ कहा था कि वह ‘स्विस चॉकलेट’ की तरह नहीं दिखते हैं। यही वजह है कि उन्हें खलनायक की भूमिका निभाने के लिए प्रेरित किया, जिसमें यश चोपड़ा की डर में उनका किरदार भी शामिल है, जिसे स्विट्जरलैंड में शूट किया गया था। जब निर्देशक यश चोपड़ा अभिनेता एसआरके के पास फिल्म ‘डर’ की स्क्रिप्ट लेकर गए थे और उनसे कहा था कि “मैं आपको एक प्रेम कहानी में लेना चाहता हूं। लेकिन इसमें आपको एक खलनायक की भूमिका निभानी होगी।”

एसआरके का सिग्नेचर पोज
हालांकि निर्देशक आदित्य चोपड़ा द्वारा निर्देशित फिल्म ‘दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे’ में कास्ट को लेकर शाहरुख ने मजाकिया अंदाज में कहा, “मैं अब स्विस चॉकलेट बॉय हूं।” इस दौरान एसआरके ने अपना सिग्नेचर पोज दिया और सभी का दिल जीत लिया। शाहरुख ने अपने सिग्नेचर पोज के लिए कोरियोग्राफर सरोज खान को धन्यवाद दिया, क्योंकि उन्होंने ही एसआरके को उनके सिग्नेचर पोज को बेहतर करने में मदद की थी।

आगामी फिल्म ‘किंग’
इसी फेस्टिवल में शाहरुख खान ने सुजॉय घोष द्वारा निर्देशित अपनी आगामी बहुप्रतीक्षित एक्शन फिल्म ‘किंग’ के बारे में खुलकर बात की। उन्होंने बताया कि इस फिल्म में एक्शन सीन करने के लिए उन्हें और अधिक फिटनेस की जरूरत है। सुजॉय घोष निर्देशित ‘किंग’ में शाहरुख खान के साथ उनकी बेटी सुहाना खान और अभिनेता अभिषेक बच्चन अहम भूमिका में नजर आएंगे। इसके अलावा एसआरके के प्रशंसकों को उनकी आगामी फिल्म ‘पठान वर्सेस टाइगर’ का भी बेसब्री से इंतजार है।

रनिंग या वॉकिंग कौन सा अभ्यास आपके लिए ज्यादा फायदेमंद? जानिए वजन घटाने के लिए क्या करें

शरीर को स्वस्थ और फिट रखने के लिए नियमित व्यायाम की आदत बनाना बहुत जरूरी है। ये संपूर्ण स्वास्थ्य- शारीरिक और मानसिक दोनों तरह से आपको फिट रखने में लाभकारी है। अगर आप जिम नहीं जा सकते हैं तो हल्के स्तर के अभ्यास को भी दिनचर्या का हिस्सा बनाकर स्वास्थ्य लाभ प्राप्त कर सकते हैं।

रनिंग या वाकिंग जैसे हल्के स्तर के अभ्यास की आदत भी आपको शारीरिक रूप से सक्रिय रखने और कई प्रकार की क्रोनिक बीमारियों से सुरक्षित रखने में मददगार हो सकती है। अब ये सवाल उठना लाजमी है कि रनिंग और वॉकिंग में कौन सा सबसे ज्यादा लाभकारी है?

स्वास्थ्य विशेषज्ञ बताते हैं, चलना और दौड़ना दोनों ही व्यायाम लाभकारी हैं। हृदय स्वास्थ्य, वजन को कंट्रोल रखने, मानसिक स्वास्थ्य और समग्र फिटनेस के लिए इनसे कई प्रकार के लाभ प्राप्त हो सकते हैं। आइए जानते हैं कि आपकी सेहत के हिसाब से कौन से अभ्यास ज्यादा फायदेमंद हो सकते हैं?

क्या कहते हैं विशेषज्ञ?

फिटनेस एक्सपर्ट कहते हैं वाकिंग एक प्रभावशाली शारीरिक गतिविधि है जो आमतौर पर सभी उम्र के लोगों के लिए काफी सुलभ है। वहीं रनिंग करना अपेक्षाकृत कठिन अभ्यास है जिससे आप कम समय में अधिक कैलोरी बर्न कर सकते हैं। हृदय संबंधी फिटनेस और शारीरिक शक्ति में सुधार के लिए इससे लाभ पाया जा सकता है।

आइए दोनों अभ्यास से सेहत को होने वाले फायदों के बारे में जानते हैं।

वॉकिंग के फायदे

वॉक करना हल्के स्तर का अभ्यास माना जाता है। ये अभ्यास आपके जोड़ों पर ज्यादा दबाव नहीं डालता है ऐसे में यह उन लोगों के लिए फायदेमंद माना जाता है जो घुटने या पीठ के दर्द से पीड़ित हैं।

वॉकिंग एक ऐसा व्यायाम है जिसे आप लंबे समय तक बिना थके कर सकते हैं। रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रित बनाए रखने और हृदय स्वास्थ्य लाभ के लिए वॉकिंग को दिनचर्या का हिस्सा बनाना लाभकारी है। सभी उम्र के लोगों के लिए ये अभ्यास करना आसान माना जाता है।

रनिंग करने के क्या फायदे हैं?

वॉकिंग की तुलना में रनिंग करना अपेक्षाकृत कठिन अभ्यास माना जाता है। विशेषतौर पर ये उन लोगों के लिए फायदेमंद है जो तेजी से कैलोरी बर्न करना चाहते हैं। कैलोरी बर्न होने से वजन घटाने में मदद मिलती है। ये एक प्रभावी एरोबिक व्यायाम है, जो हृदय को मजबूत बनाने और कार्डियोवास्कुलर सिस्टम को बेहतर करने में मदद करता है। शरीर की शक्ति और सहनशीलता को बढ़ाने में भी इस अभ्यास की मदद से लाभ पाया जा सकता है।

कौन सा अभ्यास करें?

स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, आप अपनी जरूरतों के आधार पर रनिंग और वाकिंग जैसे अभ्यास का चयन कर सकते हैं।

वजन घटाने और तेजी से कैलोरी बर्न करने के लिए प्रयास कर रहे हैं तो रनिंग ज्यादा फायदेमंद हो सकता है। वहीं गठिया और हड्डियों से संबंधित समस्याओं से परेशान लोगों के लिए वॉक करना बेहतर विकल्प माना जाता है। दोनों ही व्यायाम आपके स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में सहायक हो सकते हैं।

दाल-चावल देखकर बच्चे बनाते हैं मुंह तो उनके सामने परोसें ये पकवान, चट कर जाएंगे प्लेट

हर माता-पिता यह चाहते हैं कि वह अपने बच्चों को पौष्टिक से पौष्टिक खाना खिलाएं ताकि बच्चों को सही पोषण मिल सके। लेकिन आजकल के बच्चे खाने से ही जी चुराते हैं। खास तौर पर अगर उनके सामने खाने में दाल, चावल, रोटी रख दी जाए तब तो वह मुंह बनाने लगते हैं।

आज के समय में बच्चों को खाना खिलाना किसी टास्क से काम नहीं है। अगर आपका बच्चा भी दाल-चावल को देखकर मुंह बनाता है तो हम आपको कुछ ऐसे हेल्दी विकल्प बताने जा रहे हैं, जिसे आप अपने बच्चों के सामने परोस सकते हैं।

ये सभी दक्षिण भारत के ऐसे पकवान है जो खाने में बहुत स्वादिष्ट होते हैं और यह काफी हेल्दी भी होते हैं। ऐसे में गर्मी के मौसम में भी आप अपने बच्चों को यह साउथ इंडियन डिश परोस सकते हैं। ये इतने स्वादिष्ट होती हैं कि बच्चे पूरी प्लेट चट कर जाएंगे।

डोसा

शायद ही कोई ऐसा बच्चा होगा, जिसे डोसा खाने में पसंद न हो। आप चाहें तो डोसा बनाकर इसे चटनी के साथ परोस सकते हैं। इसमें किसी प्रकार के मसाले नहीं होते। ऐसे में ये शरीर को नुकसान नहीं पहुंचाता है।

इडली सांभर

अपने बच्चे को आप इडली सांभर भी बनाकर खिला सकते हैं। बहुत से बच्चे सांभर खाना पसंद नहीं करते हैं। ऐसे में आप उन्हें इडली फ्राई करके भी परोस सकते हैं। फ्राइड इडली तो बच्चे खा ही लेते हैं।

अप्पे

ये देखने में काफी क्यूट होते हैं। इसलिए बच्चे इसे काफी चाव से खाते हैं। अप्पे सूजी से बनते हैं। आप इंस्टेंट अप्पे बनाकर भी अपने बच्चे को परोस सकती हैं। बच्चे इसे टोमेटो केचअप के साथ खाना भी पसंद करते हैं।

पोंगल

ये दाल-चावल से बनने वाला बेहद ही खास पकवान है। दक्षिण भारत में लोग इसे काफी चाव से खाते हैं। ऐसे में आप भी चाहें तो पोंगल बनाकर अपने बच्चे को खिला सकते हैं।

उत्तपम

ये चीले की तरह से बनता है लेकिन इस का स्वाद बच्चों को पसंद आता है। नारियल की चटनी के साथ अपने बच्चे को उत्तपम बनाकर परोसें।