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क्या लापरवाही-भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ रही लोगों की जान? इन सवालों से नहीं बच सकती सरकार

27 जुलाई शनिवार की शाम दिल्ली ही नहीं पूरे देश के लिए एक अनहोनी लेकर सामने आई। राजेंद्र नगर के एक कोचिंग सेंटर की लाइब्रेरी में अचानक भारी मात्रा में पानी भर जाने से तीन छात्रों की दर्दनाक मौत हो गई। कुछ ही देर में यह समाचार पूरी मीडिया की सुर्खियों में आ गया। पूरे देश से अभिभावक अपने बच्चों की सुरक्षा जानने के लिए परेशान हो गए। लोग बार-बार फोन कर अपने बच्चों के बारे में पता करने लगे।

गंभीर लापरवाही
पहली नजर में यह लगता है कि दिल्ली में हुई भारी बारिश से पानी तेजी से बेसमेंट में घुसने लगा। बच्चों को बाहर निकलने का अवसर नहीं मिला और वे इसकी चपेट में आ गए, लेकिन घटना के बाद बच्चों ने जो जानकारी दी है, उससे साफ पता चलता है कि इस मामले में गंभीर लापरवाही हुई है जिसका खामियाजा बच्चों को भुगतना पड़ा है। इस मामले में नगर निगम की सफाई व्यवस्था बुरी तरह घेरे में आ गई है। यदि नालों की सही से सफाई हुई होती तो संभवतः इस दर्दनाक घटना को रोका जा सकता था।

छात्रों ने बताया
छात्रों ने बताया है कि बारिश होने के बाद बेसमेंट में लगातार पानी भर जाता था, कोचिंग को कुछ समय के लिए बंद कर दिया जाता था। इसको ठीक कराने के लिए छात्रों ने पूर्व में कई बार कोचिंग संचालकों को बताया था, लेकिन कई बार कहने के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं हुई। अंततः इस लापरवाही की कीमत तीन बच्चों को अपनी जान देकर चुकानी पड़ी।

कीचड़ की गाद में कुछ दिखाई नहीं पड़ा
लोगों को इस बात पर भी आश्चर्य हो रहा है कि जब पानी भर रहा था, सीढ़ी बनी हुई लाइब्रेरी से बच्चे बाहर क्यों नहीं निकल पाए? छात्रों ने ही इसका कारण भी बताया है। छात्रों के अनुसार, एक ही निकास द्वार होने के कारण अचानक बाहर निकलने में बच्चों में भगदड़ सी मच गई थी। पानी तेजी से आ रहा था, लेकिन पानी इतना गंदा और बदबूदार था कि बच्चों को उसमें कुछ भी दिखाई नहीं दे रहा था। कहा जा रहा है कि नाले की एक दीवार के टूट जाने से नाले का गंदा पानी भी बहुत तेजी से कोचिंग के बेसमेंट में घुसने लगा जिससे स्थिति बेहद बुरी हो गई और बच्चे फंस गए।

पीएम मोदी की भाजपा शासित राज्यों के सीएम के साथ बैठक, नड्डा-शाह भी मौजूद

नई दिल्ली:  प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को भाजपा शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों और उप मुख्यमंत्रियों के साथ कई मुद्दों पर विचार-विमर्श किया। रविवार को भी पीएम मोदी ने मुख्यमंत्रियों और उप-मुख्यमंत्रियों के साथ बैठक की। इस बैठक में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और भाजपा प्रमुख जेपी नड्डा भी शामिल हुए।

इन राज्यों के मुख्यमंत्रियों औप उप-मुख्यमंत्रियों ने लिया हिस्सा
इस बैठक में राजस्थान के मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा, त्रिपुरा के मुख्यमंत्री माणिक साहा, मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन कुमार यादव, मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेन्द्र पटेल, उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा, गोवा के मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत, छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णु देव साई, अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री पेमा खांडू और ओडिशा के मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी शामिल हुए। इसके अलावा महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेन्द्र फड़नवीस, उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य, नागालैंड के उपमुख्यमंत्री वाई पैटन, बिहार के उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी और विजय कुमार सिन्हा और राजस्थान की उपमुख्यमंत्री दीया कुमारी बी इस बैठक में शामिल हुईं।

लोकसबा चुनाव 2024 के बाद भाजपा द्वारा आयोजित यह पहली इतनी बड़ी बैठक है। सूत्रों के अनुसार, इस बैठक में राज्य सरकारों द्वारा चलाए गए परियोजनाओं पर चर्चा की गई। राज्यों ने योजनाओं की समीक्षा के लिए प्रस्तुतियां भी दी। इस दौरान पीएम मोदी ने सरकार चलाने की रणनीतियों पर भी चर्चा की। लोकसभा चुनाव 2024 पर भी चर्चा की गई। इस बैठक में प्रधानमंत्री आवास योजना और हर घर नल से जल जैसी योजनाओं पर भी चर्चा की गई।

‘कर्नाटक का हक कभी नहीं मारा, 10 साल में दो लाख करोड़ रुपये दिए’, केंद्रीय वित्त मंत्री का दावा

बंगलूरू: केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि हमने कर्नाटक का हक कभी नहीं मारा। केंद्र सरकार को लेकर कर्नाटक सरकार काफी गलत जानकारी लोगों को दे रही है। हमने 10 साल में कर्नाटक के विकास के लिए दो लाख करोड़ रुपये से ज्यादा दिए हैं। जबकि यूपीए सरकार ने केवल 81 हजार करोड़ रुपये का बजट दिया था।

बंगलूरू में केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि कर्नाटक को केंद्र सरकार ने काफी बजट दिया है। लेकिन कर्नाटक सरकार लोगों को गलत जानकारी दे रही है। लोगों से कहा जाता है कि कर्नाटक का हक मारा जा रहा है, लेकिन केंद्र सरकार ऐसा नहीं करती। मैं जवाब देना चाहती हूं। उन्होंने कहा कि कर्नाटक सरकार जो कर रही है, उससे किसी का भला नहीं हो रहा है। न तो केंद्र सरकार का और न ही कर्नाटक के लोगों का।

वित्त मंत्री ने कहा कि कर्नाटक को 2004 से 2014 के बीच जब दिल्ली में यूपीए सरकार थी तब दस वर्षों में केवल 81,791 करोड़ रुपये मिले। जबकि 2014 से 24 के बीच पीएम मोदी की सरकार में दस वर्षों के दौरान कर्नाटक को 2,95,818 रुपये मिले। वहीं यूपीए ने महज 60,779 करोड़ रुपये सहायता अनुदान दिया। वहीं पीएम मोदी सरकार ने दस वर्षों में 2,39,955 करोड़ रुपये अनुदान दिया।

उन्होंने कहा कि बजट में मैनें इंप्लॉयमेंट शब्द का इस्तेमाल किया है। इसके हर अक्षर का मतलब है। ई का मतलब है इंप्लॉयमेंट, एम का मतलब है मध्यम वर्ग, इसी तरह हर अक्षर का कुछ न कुछ अर्थ है। इस बार के बजट में सब कुछ शामिल है। बजट में हमने युवाओं और एमएसएमई पर बहुत जोर दिया है। एमएसएमई को काफी सहूलियतें मिलेंगीं। हम उच्चशिक्षा के लिए दस लाख सब्सिडीयुक्त या ब्याज-सहायता वाले ऋण भी दे रहे हैं। इससे मध्यमवर्गीय परिवार और भारत में पढ़ने वाले युवाओं को सीधा लाभ होगा।

भोजपुरी को आधिकारिक भाषा का दर्जा देने की मांग, रविकिशन ने लोकसभा में पेश किया प्राइवेट बिल

भोजपुरी सुपरस्टार और भाजपा सांसद रवि किशन ने भोजपुरी को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने के लिए लोकसभा में एक प्राइवेट बिल (विधेयक) पेश किया, जिससे कि इसे आधिकारिक भाषा का दर्जा दिया जा सके। उन्होंने शुक्रवार को संविधान (संशोधन) विधेयक 2024 पेश किया। भाजपा सांसद ने बताया कि बोजपुरी भाषा केवल बेकार गानों के बारे में नहीं है, बल्कि इसका एक सांस्कृतिक इतिहास और साहित्य है, जिसे बढ़ावा देने की जरूरत है।

उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में भाजपा सांसद ने कहा, “कई लोग इस भाषा को बोलते और समझते हैं। यह हमारी मातृभाषा है। मैं इस भाषा को बढ़ावा देना चाहता हूं। फिल्म इंडस्ट्री में भी यह भाषा चल रहा है और लाखों लोगों को रोजगार मिल रहा है। म्यूजिक इंडस्ट्री भी बहुत बड़ा है।” उन्होंने आगे कहा, “यह विधेयक केवल भोजपुरी साहित्य को बढ़ावा देने के बारे में है, जो बहुत समृद्ध है।”

रवि किशन ने कहा, “लोग इस भाषा को गंभीरता से लेंगे। यह भाषा केवल बेकार गानों के बारे में नहीं है। यह इतना समृद्ध भाषा है कि इसमें साहित्य भी है। भोजपुरी के साहित्य को लोकप्रिय बनाने की जरूरत है।” इस पर जोर देते हुए रवि किशन ने कहा, “मैं अपने समुदाय को वापस भुगतान करना चाहता हूं। यह भाषा ही मेरी पहचान है।”

भोजपुरी उत्तर प्रदेश, पश्चिमी बिहार, झारखंड और मध्य प्रदेश के कुछ हिस्सों के साथ-साथ कई अन्य देशों में रहने वाले लोगों की भी मातृभाषा है। मॉरीशस में लगभग 140 मिलियन लोग भोजपुरी बोलते हैं। विधेयक में बताया गया कि देश-विदेश में भोजपुरी फिल्म बहुत मशहूर है और इसका प्रभाव हिंदी फिल्म इंडस्ट्री पर भी पड़ा है।

नहीं करते हैं व्यायाम तो हो जाइए सावधान, एक महीने में ही बढ़ जाता है इन समस्याओं का खतरा

शरीर को स्वस्थ और फिट रखने के लिए पौष्टिक आहार के साथ नियमित रूप से व्यायाम की आदत बनाना भी बहुत जरूरी माना जाता है। स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, अगर सिर्फ नियमित रूप से 30 मिनट व्यायाम की आदत बना ली जाए तो इससे कई प्रकार की क्रोनिक और मेटाबॉलिज्म से संबंधित बीमारियों का खतरा कम किया जा सकता है। योग-व्यायाम और शारीरिक रूप से सक्रिय रहने के कई सारे लाभ हैं।

हालांकि ऑफिस जाने वाले लोग या घरेलू महिलाओं में सेंडेंटरी लाइफस्टाइल की समस्या काफी तेजी से बढ़ती देखी जा रही है। सेडेंटरी लाइफस्टाइल यानी कि निष्क्रिय जीवनशैली होना, जैसे एक ही स्थान पर लंबे समय तक बैठे रहने, दिन का अधिकतर समय लेटे-लेटे बिताने जैसी आदतें गंभीर रोगों का खतरा बढ़ा देती हैं।

आइए जानते हैं कि ये आदतें शरीर को किस प्रकार से नुकसान पहुंचाती हैं?

सेंडेंटरी लाइफस्टाइल और इसके नुकसान

स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, वयस्कों से लेकर बुजुर्गों तक सभी को अपनी स्वास्थ्य स्थिति के आधार पर व्यायाम का चयन करके नियमित इसका अभ्यास करना चाहिए। सेंडेंटरी लाइफस्टाइल से बचना कई तरह की बीमारियों से सुरक्षित रहने के लिए सबसे आवश्यक माना जाता है।

व्यायाम न करने के कई तरह के प्रतिकूल स्वास्थ्य प्रभाव होते हैं, जिनमें वजन बढ़ना, हृदय रोग, टाइप-2 डायबिटीज, मांसपेशियों की कमजोरी और मानसिक स्वास्थ्य की समस्या शामिल है। आइए जानते हैं कि सिर्फ कुछ महीने ही व्यायाम न करने का स्वास्थ्य पर किस तरह से असर हो सकता है?

वजन बढ़ने और मोटापे का हो सकता है खतरा

शारीरिक निष्क्रियता का सबसे पहला असर आपके वजन पर होता है। व्यायाम न करने से कैलोरी बर्न नहीं होने पाती है और इस दौरान भोजन से मिल रही अतिरिक्त कैलोरी वसा के रूप में जमा होने लगती है। इसके परिणामस्वरूप वजन बढ़ सकता है और मोटापे का खतरा बढ़ जाता है। एक महीने भी शारीरिक निष्क्रियता या व्यायाम की कमी के कारण आपका वजन बढ़ सकता है।

स्वास्थ्य विशेषज्ञ वजन बढ़ने की समस्या को हृदय रोग, टाइप 2 डायबिटीज सहित कई तरह की क्रोनिक बीमारियों का कारण मानते हैं।

ब्लड प्रेशर और हृदय रोगों का जोखिम

गतिहीन जीवनशैली के कारण शरीर में रक्त का परिसंचरण बिगड़ने लगता है। इसके अलावा रक्तचाप और बैड कोलेस्ट्रॉल का स्तर भी बढ़ने लग जाता है जिससे हृदय पर अतिरिक्त दबाव पड़ सकता है। व्यायाम की कमी के कारण होने वाले ये परिवर्तन एथेरोस्क्लेरोसिस (धमनियों का सख्त होना) का भी खतरा बढ़ा देते हैं जिससे दिल के दौरे, स्ट्रोक और अन्य हृदय रोगों का जोखिम भी हो सकता है।यही कारण है कि नियमित व्यायाम करने और शारीरिक रूप से सक्रिय रहने वालों में ब्लड प्रेशर और हार्ट की बीमारियों का जोखिम कम देखा जाता है।

कमजोर होने लगती है इम्युनिटी

नियमित व्यायाम और शारीरिक गतिविधि शरीर में रक्त परिसंचरण को बढ़ावा देकर प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत बनाने में भी मदद करती है। अगर आप सेंडेंटरी लाइफस्टाइल के शिकार हैं तो इसका असर इम्युनिटी सिस्टम पर भी दिखने लगता है। प्रतिरक्षा प्रणाली में कमजोरी के कारण शरीर संक्रमण और बीमारियों के प्रति अधिक संवेदनशील हो जाता है। खून के संचार की समस्या प्रतिरक्षा प्रणाली को बिगाड़ने के साथ कई तरह की अन्य स्वास्थ्य समस्याओं का भी कारक है।

महाभारत काल से जुड़ा है कानपुर के इस शिव मंदिर का इतिहास, सावन में आप भी करें दर्शन

सावन का महीना हिंदू धर्म में काफी पवित्र माना जाता है। इस पूरे महीने लोग भोलेनाथ की सच्चे मन से पूजा-अर्चना करते हैं और शिव-शंकर को प्रसन्न करने का प्रयास करते हैं। खासतौर पर अगर बात करें सावन के सोमवार की तो इस दिन बहुत से लोग महादेव के दर्शन करने शिवालय भी जाते हैं। ऐसे में हम आपको आज एक ऐसे मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसका इतिहास महाभारत काल से जुड़ा है।

महादेव का ये प्राचीन मंदिर देशभर में भक्तों की आस्था का केंद्र है। लोग मीलों दूर से इस मंदिर में महादेव के दर्शन करने आते हैं। बड़ी बात ये है कि मंदिर को छूकर वहां गंगा नदी निकलती है। हम बात कर रहे हैं कानपुर के बाबा आनंदेश्वर मंदिर की, जिसे परमट के नाम से भी जाना जाता है। सावन के सोमवार के दिन इस मंदिर में शिव भक्त कांवड़ लेकर भी पहुंचते हैं। लोगों के बीच इस मंदिर की काफी मान्यता है, आइए आपको इसके बारे में बताते हैं।

महाभारत काल से जुड़ा है इतिहास

बहुत से लोगों को इस बात की जानकारी नहीं हैं कि कानपुर के परमट मंदिर का इतिहास महाभारत काल से जुड़ा है। ऐसा कहा जाता है कि इस मंदिर में दानवीर कर्ण पूजा करने आते थे। इस मंदिर के पास से ही गंगा नदी भी बहती है, ऐसे में वो सबसे पहले गंगा नदी में स्नान करते थे, और उसके बाद ही महादेव की पूजा करते थे।

खास बात ये थी कि सिर्फ कर्ण को ही इस शिवलिंग के बारे में पता था। कर्ण गंगा में स्नान करने के बाद गुपचुप तरीके से महादेव की पूजा करते थे और उसके बाद विलुप्त हो जाते थे।

एक दिन आनंदी नाम की गाय ने उन्हें यहां पूजा करते देख लिया। उसके बाद से आनंदी गाय हर रोज आकर अपना सारा दूध वहीं छोड़ देती थी। जब उस स्थान की ग्रामीणों द्वारा खुदाई की गई तब वहां से यह शिवलिंग निकला, जिसके बाद उसी स्थान पर शिवलिंग को स्थापित किया गया। शिवलिंग मिलने के बाद उस गाय ने भी वहां अपना दूध बहाना बंद कर दिया। इसी वजह से इस मंदिर का नाम आनंदेश्वर पड़ गया।

दर्शन से पूरी होती है हर मनोकामना

पहले ये मंदिर एक टीले पर स्थापित था, लेकिन अब तो ये मंदिर काफी ज्यादा भव्य बन गया है। यहां शिवलिंग के साथ विह्नहर्ता गणपति महाराज, संकटमोचन हनुमान जी, श्रीहरि विष्णु भगवान और समस्त देवी-देवताओं की प्रतिमाएं विराजमान हैं।

हार्ट सर्जन ने बताया- हृदय रोगों से बचने के लिए इन चार चीजों से बिल्कुल बना लें दूरी

हृदय रोगों का खतरा किसी भी उम्र में हो सकता है, यहां तक कि 10-15 साल के बच्चों के भी इसका शिकार पाया जा रहा है। स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, जिस तरह से हम सभी की लाइफस्टाइल गड़बड़ हो गई है, आहार में अशुद्धि बढ़ गई है इसका हृदय की सेहत पर नकारात्मक असर देखा जा रहा है। हृदय रोग (कार्डियोवस्कुलर डिजीज) का खतरा बढ़ने के कई कारण हो सकते हैं। उच्च रक्तचाप हृदय पर दबाव बढ़ाता है वहीं हाई कोलेस्ट्रॉल धमनी में प्लाक के निर्माण का कारण बनता है, जिससे रक्त प्रवाह में रुकावट आती है, इससे भी समस्याएं बढ़ जाती हैं।

हार्ट अटैक दुनिया भर में मौत के प्रमुख कारणों में से एक है। धमनियों में वसा और कोलेस्ट्रॉल के निर्माण के कारण हृदय में रक्त का प्रवाह अवरुद्ध हो जाने के कारण हार्ट अटैक हो सकता है। ये समस्या आखिर क्यों बढ़ रही है, कैसे इससे सुरक्षित रहा जा सकता है? इस बारे में बातचीत में लखनऊ के वरिष्ठ कार्डियोवस्कुलर सर्जन डॉ एस.पी. तिवारी ने विस्तार से जानकारी दी है।

हृदय रोग और इसके कारक

डॉक्टर कहते हैं, हृदय रोगों के लिए कई कारक जिम्मेदार होते हैं और इन सभी पर हमें ध्यान देने की आवश्यकता होती है। जैसे हाई ब्लड प्रेशर, कोलेस्ट्रॉल, ट्राइग्लिसराइड्स और शुगर का बढ़ना हार्ट के लिए खतरनाक माना जाता है। हम दैनिक जीवन में कई ऐसी गलतियां करते हैं जो इन कारकों को बढ़ा देती हैं। अक्सर इन्हें नजरअंदाज कर दिया जाता है पर हमारी यही गलती एक दिन बड़ी समस्या बनकर उभरती है। बढ़ता मोटापा हृदय रोगों सहित कई अन्य क्रोनिक बीमारियों के लिए प्रमुख जोखिम कारक माना जाता रहा है, देश की बड़ी आबादी इसका शिकार है।

आइए जानते हैं कि – हृदय रोगों से बचने के किन चीजों से बिल्कुल दूरी बना लेने की जरूरत है?

इन चीजों से बना लें दूरी

डॉ तिवारी बताते हैं, हृदय रोग से जुड़ी अपनी चिंताओं और दिल के दौरे के जोखिम को कम करने के तरीकों के बारे में जानने के लिए नियमित रूप से अपने डॉक्टर की सलाह लेते रहें। स्वस्थ और पौष्टिक आहार के साथ नियमित व्यायाम तो जरूरी है ही साथ ही कुछ आदतें हैं जिन्हें तुरंत छोड़ देना आवश्यक है। ये आदते हमारे हृदय और रक्त वाहिकाओं को गंभीर नुकसान पहुंचाती हैं और हार्ट अटैक के खतरे को कई गुना तक बढ़ा सकती हैं।

‘मणिपुर के लोग पूछ रहे यहां कब आएंगे प्रधानमंत्री’, कांग्रेस ने सीएम एन बीरेन सिंह पर साधा निशाना

नई दिल्ली: दिल्ली में नीति आयोग की बैठक में शामिल होने पहुंचे मणिपुर के सीएम एन बीरेन सिंह पर कांग्रेस ने निशाना साधा है। कांग्रेस ने रविवार को कहा कि क्या सीएम बीरेन सिंह ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को हिंसाग्रस्त मणिपुर की स्थिति बताई। साथ ही क्या मणिपुर आने के लिए कहा?

कांग्रेस के महासचिव और संचार प्रभारी जयराम रमेश ने कहा कि मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने शनिवार को प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में दो बैठकों में भाग लिया। पहले नीति आयोग और दूसरी भाजपा शासित राज्यों के सीएम-डिप्टी सीएम की बैठक में वह शामिल हुए। रमेश ने कहा कि मणिपुर के लोग पूछ रहे हैं कि क्या एन बीरेन सिंह ने पीएम से अलग से मुलाकात की? मुख्यमंत्री ने तीन मई 2023 की रात से जल रहे मणिपुर की स्थिति के बारे में पीएम को बताया?

वहीं मणिपुर के सीएम एन बीरेन सिंह ने कहा कि मुख्यमंत्रियों के सम्मेलन में उन्होंने पार्टी को मजबूत करने और इसकी विचारधारा को बनाए रखते हुए राष्ट्र की सेवा करने की भावना व्यक्त की। साथ ही नीति आयोग की बैठक में देश की प्रगति में तेजी लाने और बाधाओं को दूर करने की रणनीति बनाई गई।

मणिपुर में एक साल से जारी है हिंसा
मणिपुर में पिछले एक साल से ही हिंसा जारी है। दरअसल, मैतेई समुदाय को अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा दिए जाने की मांग के विरोध में पिछले साल तीन मई को पर्वतीय जिलों में ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ के आयोजन के बाद झड़पें शुरू हुई थीं। राज्य में तब से अब तक कम से कम 160 से अधिक लोगों की जान जा चुकी है। हिंसा में सैकड़ों लोगों की जान जा चुकी है और हजारों लोग विस्थापित हुए हैं।

नीति आयोग की बैठक में नहीं शामिल हुए राज्य
शनिवार को दिल्ली में नीति आयोग की बैठक हुई थी। इसमें 10 राज्य नहीं शामिल हुए थे, जबकि 26 राज्यों ने इसमें हिस्सा लिया था। जो राज्य नहीं शामिल हुए थे उनमें केरल, तमिलनाडु, कर्नाटक, तेलंगाना, बिहार, दिल्ली, पंजाब, हिमाचल प्रदेश, झारखंड और पुद्दुचेरी हैं।

‘क्षेत्र को बाढ़ प्रभावित घोषित किया तो ही मिलेगी केंद्रीय सहायता’, केंद्र कर रहा कानून पर विचार

नई दिल्ली:  केंद्र सरकार अब जल्द ही बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों को केंद्रीय सहायता मुहैया कराने के लिए कानून लाने पर विचार कर रहा है। दरअसल, केंद्र ने बाढ़ का सामना कर रहे राज्यों को निर्देश दिया है कि उनके जिन भी इलाकों में बाढ़ आई है, वह उन्हें बाढ़ग्रस्त इलाका घोषित करें। हालांकि, इस सिलसिले में कई बार राज्यों को निर्देश भेजे जाने के बावजूद अब तक सिर्फ चार राज्यों ने ही इसका पालन किया है। ऐसे में अब केंद्र सरकार इसे लेकर कानून लाने की तैयारी में है।

अधिकारियों के मुताबिक, इस कानून के आने के बाद बाढ़ का सामना कर रहे राज्यों को केंद्र की सहायता हासिल करने के लिए अपने प्रभावित क्षेत्रों को बाढ़ग्रस्त घोषित करना होगा। इसके बाद ही उन्हें किसी तरह की मदद भेजी जाएगी। मौजूदा समय में जिन चार राज्यों ने केंद्र के नियम को मानकर अपने क्षेत्रों को बाढ़ प्रभावित घोषित किया है, उनमें मणिपुर, राजस्थान, उत्तराखंड और जम्मू-कश्मीर शामिल हैं।

एक अधिकारी ने दावा किया कि जलशक्ति मंत्रालय लगातार राज्य सरकारों से इसे लेकर संपर्क में है। राज्यों को इसके मद्देनजर कई बार अपने प्रभावित क्षेत्रों को बाढ़ग्रस्त घोषित करने और उन क्षेत्रों का सीमांकन करने के लिए भी कहा गया है। अधिकारी ने बताया कि केंद्रीय जल आयोग ने अपने मॉडल कानून को अपडेट किया है और मंत्रालय इस बारे में जल्द ही राज्यों के साथ विचार-विमर्श शुरू कर सकता है।

क्या है फ्लडप्लेन जोनिंग?
गौरतलब है कि बाढ़ क्षेत्रों में जमीन के इस्तेमाल को विनियमित करना ‘फ्लड-प्लेन जोनिंग’ का मूल है। ताकि बाढ़ से होने वाले नुकसान को सीमित किया जा सके। अधिकारी ने बताया कि मंत्रालय ने बाढ़ प्रबंधन एवं सीमा क्षेत्र कार्यक्रम (एफएमबीएपी) के तहत निधि का इस्तेमाल करने को राज्यों के लिए ‘फ्लड प्लेन जोनिंग एक्ट’ को लागू करने को एक पूर्व अनिवार्य शर्त बनाने का प्रस्ताव दिया है।

अधिकारी ने कहा, ‘‘हम बाढ़ प्रबंधन और सीमा क्षेत्र कार्यक्रम के अगले चरण के लिए मंत्रिमंडल की स्वीकृति प्राप्त करेंगे। इससे अब किसी भी राज्य के लिए एफएमबीएपी के तहत संसाधनों तक पहुंच हासिल करने की शर्त यह होगी कि उसने ‘फ्लड प्लेन जोनिंग एक्ट’ लागू किया हो। अगर आपने यह कानून लागू नहीं किया होगा, तो आपको पैसा नहीं मिलेगा।’’

‘पश्चिम बंगाल की सीएम का व्यवहार गलत था’, ममता बनर्जी के आरोप पर चिराग पासवान ने किया पलटवार

नई दिल्ली:  नीति आयोग की नौवीं गवर्निंग काउंसिल (शासी परिषद) की बैठक 27 जुलाई को नई दिल्ली में आयोजित की गई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस बैठक की अध्यक्षता की। केंद्रीय बजट में भेदभाव का आरोप लगाते हुए कुछ गैर भाजपा शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने इस बैठक में हिस्सा नहीं लिया। इस पर शिवसेना (यूबीटी) नेता संजय राउत ने भी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि जिस तरह से बजट बनाया गया, नीति आयोग भी उसके अनुसार काम करेगा। बता दें कि विपक्षी गठबंधन की तरफ से केवल पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी इस बैठक में शामिल हुईं, लेकिन वह बैठक को बीच में ही छोड़कर बाहर आ गईं। उन्होंने आरोप लगाया कि उन्हें बैठक में बोलने का मौका नहीं दिया गया। ममता बनर्जी के आरोप पर केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान ने प्रतिक्रिया दी। उन्होंने बंगाल की सीएम के व्यवहार को गलत बताया।

चिराग पासवान ने ममता बनर्जी के इस आरोप को खारिज कर दिया। उन्होंने कहा, “नीति आयोग की बैठक में किसी का भी माइक बंद करने का आरोप झूठ है। जिस तरह से पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी बैठक बीच में ही छोड़कर बाहर चली गईं, वह गलत था। ऐसा प्रतीत होता है कि यह विपक्ष में अराजकता और अपनी तरफ ध्यान आकर्षित करने की सोची समझी रणनीति थी। अगर किसी भी राज्य को ऐसा लगता है कि उनके साथ गलत हुआ है, तो वे नीति आयोग में अपने मुद्दे उठा सकते हैं।”

संजय राउत ने बताया नेताओं के बैठक में शामिल न होने का कारण
नीति आयोग की बैठक में कई नेताओं ने हिस्सा नहीं लिया। इस पर शिवसेना (यूबीटी) नेता संजय राउत ने जवाब दिया। उन्होंने कहा, “जिस तरह से बजट बनाया गया, नीति आयोग भी उसके अनुसार ही काम करेगा। केवल भाजपा शासित राज्यों को पैसा और योजनाओं का लाभ दिया गया है। इसलिए एमके स्टालिन (तमिलनाडु के मुख्यमंत्री), तेलंगाना और हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्रियों ने इस बैठक में हिस्सा नहीं लिया।”

संजय राउत ने आगे कहा कि ममता बनर्जी इस बैठक में शामिल हुईं, लेकिन उन्हें बोलने का मौका नहीं दिया गया। पश्चिम बंगाल की सीएम का अपमान किया गया। उनका माइक स्विचऑफ था। यह लोकतंत्र के अनुकूल नहीं है।