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रामनगरी से जुड़े हाईवे घोषित होंगे ग्रीन रूट, चलेंगे सिर्फ इलेक्ट्रिक वाहन, डीजल गाड़ियां होंगी बैन

अयोध्या:  प्रदेश के प्रमुख सचिव परिवहन एल वेंकटेश्वर लू ने बताया कि अयोध्या से जुड़े चार हाईवे आने वाले समय में ग्रीन रूट घोषित किए जाएंगे। यहां से प्रयागराज, वाराणसी, लखनऊ और गोरखपुर मार्ग पर सार्वजनिक परिवहन के लिए सिर्फ इलेक्ट्रिक वाहन चलेंगे। डीजल वाहनों को धीरे-धीरे हटा दिया जाएगा। 500 करोड़ से 120 नई इलेक्ट्रिक बसें खरीदी जाएंगी। अनुबंध की नीति के तहत 5000 अन्य इलेक्ट्रिक वाहनों का संचालन किया जाएगा।

प्रमुख सचिव शनिवार को यहां संवाददाताओं से बातचीत कर रहे थे। उन्होंने बताया कि परिवहन निगम ने पहले से 100 इलेक्ट्रिक बसों की खरीदारी कर चुका है। ग्रीन रूट पर डीजल वाहनों का संचालन बंद करने से पहले उन मार्गों पर जितने यात्री चलते हैं, उनके लिए इलेक्ट्रिक वाहनों का प्रबंध किया जाएगा। अनुबंध के तहत इलेक्ट्रिक वाहनों के संचालन के लिए बेहतर रूट और बस स्टेशन दिए जाएंगे। इलेक्ट्राॅनिक टिकट मशीन उपलब्ध कराने के साथ परिवहन निगम के अफसर सुपरविजन करेंगे। इन सुविधाओं के लिए जो परिवहन निगम को जयादा शुल्क देगा, उसे रूट उपलब्ध कराया जाएगा।
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प्रदेश में 13,000 यात्री व 12,000 स्कूल बसों में हैं खामियां : प्रमुख सचिव
प्रमुख सचिव के अनुसार प्रदेश में 13,000 यात्री और 12,000 स्कूल बसों में अलग-अलग तरह की खामियां हैं। इन सबका ब्योरा वाहन पोर्टल पर दर्ज है। इसका जिलावार विवरण निकालकर मुख्य सचिव मनोज सिंह की ओर से जिला प्रशासन और पुलिस विभाग को कार्रवाई के निर्देश दिए गए हैं। पहले संवाद किया जाएगा, फिर कार्रवाई होगी। अपेक्षा रहेगी कि अवैध वाहनों को उनके स्वामी वैध की श्रेणी में लाएं, नहीं तो स्क्रैप सेंटर में भेजवाने के लिए तैयार रहें। अवैध वाहनों का संचालन किसी भी सूरत में सड?क पर नहीं होने दिया जाएगा।

बैठक में नहीं शामिल हुए 10 राज्य और UT; नीति आयोग के सीईओ ने ममता बनर्जी के आरोपों पर भी दिया जवाब

पश्चिम बंगाल :  पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने जब से केंद्र सरकार पर नीति आयोग की बैठक में उनको न बोलने देने का आरोप लगाया है, तब से भाजपा और तृणमूल कांग्रेस के नेताओं में जुबानी जंग जारी है। वहीं इस सब के बीच अब नीति आयोग ने खुद मोर्चा संभालते हुए पूरे मीटिंग का घटनाक्रम साझा किया है।

बैठक में ये राज्य नहीं हुए शामिल
नीति आयोग के सीईओ बी. वी. आर सुब्रह्मण्यम ने बैठक की जानकारी देते हुए बताया कि इस बैठक में 10 राज्य नहीं शामिल हुए थे, जबकि 26 राज्यों ने इसमें हिस्सा लिया था। जो राज्य नहीं शामिल हुए थे उनमें केरल, तमिलनाडु, कर्नाटक, तेलंगाना, बिहार, दिल्ली, पंजाब, हिमाचल प्रदेश, झारखंड और पुद्दुचेरी हैं। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री बैठक में शामिल हुईं।
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ममता बनर्जी ने पहले बोलने का किया था अनुरोध
नीति आयोग के सीईओ ने बताया कि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ने अनुरोध किया था कि उन्हें लंच से पहले बोलने का मौका दिया जाए। बी. वी. आर सुब्रह्मण्यम ने कहा कि मैं सिर्फ तथ्य बता रहा हूं।क्योंकि आमतौर पर अल्फाबेट के आधार पर सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों को बोलने का मौका दिया जाता है।

उनकी बातों को सम्मानपूर्वक सुना गया- सीईओ
जिसके तहत गुजरात से पहले रक्षा मंत्री ने उनको बोलने का मौका दिया। इसके बाद उन्होंने अपनी बातें रखीं। बी. वी. आर सुब्रह्मण्यम ने बताया कि सभी मुख्यमंत्रियों को सात मिनट बोलने का मौका दिया गया था और स्क्रीन के सबसे उपर समय प्रदर्शित किया जा रहा था कि उनका संबोधन का कितना समय बचा है। इस दौरान जब उनका समय खत्म हो गया तो उन्होंने कहा कि मैं बोलने के लिए और समय चाहती हूं। उनके संबोधन को हम सबने सम्मानपूर्वक सुना और अहम बिंदुओं को नोट भी किया। नीति आयोग के सीईओ ने आगे कहा कि जब उनका समय खत्म हो गया, तो रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने माइक थपथपाया। इसके तुरंत बाद उन्होंने बोलना बंद कर दिया और बाहर चली गईं। हालांकि इसके बाद भी पश्चिम बंगाल सरकार के अधिकारी बैठक में शामिल रहे।

बैठक में पीएम मोदी ने दिए ये निर्देश
नीति आयोग के सीईओ ने बताया कि प्रधानमंत्री ने आज नीति आयोग की 9वीं गवर्निंग काउंसिल की बैठक की अध्यक्षता की। इस दौरान पीएम ने कहा कि विकसित भारत का विजन विकसित राज्यों के जरिए साकार किया जा सकता है। सभी राज्य और जिलों को विकसित भारत@2047 को साकार करने के लिए 2047 के लिए एक विजन बनाना चाहिए। पीएम मोदी ने निवेश आकर्षित करने के लिए नीति आयोग को ‘निवेश-अनुकूल चार्टर’ तैयार करने का निर्देश भी दिया। इस दौरान पीएम ने जल संसाधनों के प्रभावी उपयोग के लिए राज्य स्तर पर नदी ग्रिड बनाने को प्रोत्साहित किया।

25 साल पहले हुई सड़क दुर्घटना का निपटारा, ओएनजीसी अधिकारी के परिजनों को 2.85 करोड़ रुपये का मुआवजा

सड़क दुर्घटना में जून 2022 में मारे गए एक व्यक्ति के परिजनों को 2.85 करोड़ रुपये का मुआवजा देने का आदेश राष्ट्रीय लोक अदालत ने दिया है। 25 साल बाद ठाणे में आयोजित लोक अदालत में यह आदेश देकर मृत्यु दावे का निपटारा किया है। वहीं एक अन्य मामले में मुकदमा दायर, सुनवाई ऑनलाइन माध्यम से ही की गई।

ओएनजीसी के महाप्रबंधक धीरेंद्र चंद्र ठाकुरदास रॉय की 19 जून 2022 को मृत्यु हो गई थी। 59 वर्षीय धीरेंद्र चंद्र ठाकुरदास रॉय को पहले एक ट्रक ने टक्कर मार दी, उसके बाद उनकी गाड़ी पनवेल-सायन रोड पर एक राज्य परिवहन बस से टकरा गई। जिला न्यायाधीश एसएस शिंदे और एमएसीटी सदस्य एसएन शाह ने उनकी विधवा, दो बेटियों और 86 वर्षीय मां को 2.85 करोड़ रुपये का मुआवजा चेक दिया। लोक अदालत में मृतक के परिजनों का प्रतिनिधित्व करने वाले अधिवक्ता एसटी कदम ने बताया कि दुर्घटना के समय रॉय का मासिक वेतन 6 लाख रुपये था।
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वहीं पिछले साल 23 फरवरी को घोड़बंदर रोड पर चलते समय सड़क दुर्घटना में आईटी फर्म के एचआर प्रमुख 38 वर्षीय मौसमी मेहेंदले मारे गए। उनके परिवार को एक अन्य अदालत में 1.15 करोड़ रुपये का मुआवजा दिया गया। लोक अदालत में एक अन्य बहुचर्चित घटनाक्रम मामला रहा। जिसमें एमएसीटी सदस्य शाह ने एक फार्मेसी छात्र के समझौते का आदेश दिया। यह मामला भी ठाणे में हुई एक सड़क दुर्घटना से संबंधित था। हालांकि आवेदन वर्तमान में लंदन में रहता है। अधिकारियों का कहना है कि उसने ऑनलाइन ही याचिका दी थी, और ऑनलाइन ही इस मामले को निपटाया गया। न्यायाधीश शिंदे ने इस तरह की लोक अदालत में सौहार्दपूर्ण समझौतों के महत्व पर जोर दिया और मामलों को प्रभावी ढंग से हल करने में निरंतर सफलता की उम्मीद जताई।

पुरानी पेंशन पर आर-पार की लड़ाई, NPS पर अड़ी सरकार, कर्मचारी संगठनों ने संसद घेराव की दी चेतावनी

केंद्रीय बजट में सरकार ने अपने कर्मचारियों को यह सख्त संदेश दे दिया है कि उन्हें ओपीएस नहीं मिलेगी। सरकार को कई बार मांग पत्र सौंपने वाले कर्मचारी संगठन भी अब ‘पुरानी पेंशन’ के मुद्दे पर आरपार की लड़ाई करने का मन बना चुके हैं। अगले माह केंद्रीय एवं राज्यों के कर्मचारी संगठनों के कई बड़े प्रदर्शन देखने को मिलेंगे। पेंशन के मुद्दे पर 15 जुलाई को वित्त मंत्रालय की कमेटी की बैठक का बहिष्कार करने वाले अखिल भारतीय रक्षा कर्मचारी महासंघ (एआईडीईएफ) की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य, दो अगस्त को दिल्ली के जंतर-मंतर पर प्रदर्शन करेंगे। अखिल भारतीय राज्य सरकारी कर्मचारी महासंघ, 13-14 अगस्त को राष्ट्रव्यापी आंदोलन पर फैसला लेगा। ‘नेशनल मिशन फॉर ओल्ड पेंशन स्कीम भारत’ ने सरकार को चेतावनी दी है कि एक महीने के भीतर अगर ओपीएस पर गजट नहीं आता है तो ‘संसद घेराव’ की तिथि का एलान कर दिया जाएगा।

बता दें कि ‘पुरानी पेंशन बहाली’, जिसके लिए विभिन्न केंद्रीय संगठन लंबे समय से आवाज उठा रहे थे, बजट में उसका जिक्र तक नहीं किया गया। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने बजट भाषण में ‘आठवें वेतन आयोग’ के गठन को लेकर भी कोई घोषणा नहीं की। यह वित्त मंत्री का सरकारी कर्मियों के लिए सख्त संदेश था कि उन्हें एनपीएस में ही रहना होगा। वित्त मंत्री ने अपने बजट भाषण के दौरान कहा, वे नेशनल पेंशन सिस्टम को लेकर सरकारी कर्मचारियों की चिंताओं से अवगत हैं। इस बाबत जल्द ही एक समाधान की घोषणा की जाएगी।
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अखिल भारतीय रक्षा कर्मचारी महासंघ (एआईडीईएफ) के महासचिव सी.श्रीकुमार का कहना है, कर्मचारी वर्ग को ओपीएस चाहिए। इसे कम उन्हें कुछ भी मंजूर नहीं है। ओपीएस, आठवें वेतन आयोग का गठन व दूसरी मांगों को लेकर दो अगस्त को एआईडीईएफ की राष्ट्रीय कार्यकारिणी, दिल्ली के जंतर-मंतर पर धरना देगी। इसके अलावा रक्षा क्षेत्र की 400 यूनिटों पर विरोध प्रदर्शन किया जाएगा। इसके बाद दूसरे कर्मचारी संगठनों से विचार विमर्श कर आगे की आंदोलन की रणनीति तय की जाएगी। ओपीएस की लड़ाई अब तेजी से आगे बढ़ेगी।

शिवसेना नेता राउत का बयान- महाराष्ट्र में शिवाजी फैन क्लब, गुजरात में चलता है औरंगजेब फैन क्लब

मुंबई: शिवसेना (यूबीटी) अध्यक्ष उद्धव ठाकरे को औरंगजेब फैन क्लब का प्रमुख बताने वाले केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के बयान पर शिवसेना सांसद संजय राउत ने पलटवार किया है। शनिवार को संजय राउत ने कहा कि महाराष्ट्र में छत्रपति शिवाजी फैन क्लब है। औरंगजेब फैन क्लब गुजरात में चलता है, क्योंकि मुगल सम्राट का जन्म वहां हुआ था। उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र के लोग शिवसेना के संस्थापक बाल ठाकरे की तरह की पार्टी अध्यक्ष उद्धव ठाकरे को प्यार करते हैं।

सांसद संजय राउत ने कहा कि गुजरात के औरंगजेब के साथी शिवसेना को खत्म नहीं कर सकते। शिवसेना का जन्म मराठा साम्राज्य के संस्थापक छत्रपति शिवाजी महाराज के आदर्शों को ध्यान में रखकर किया गया था। महाराष्ट्र छत्रपति शिवाजी महाराज का है। यहां शिवाजी फैन क्लब है। औरंगजेब फैन क्लब भाजपा और गुजरात में चलता है, जहां औरंगजेब का जन्म हुआ था।

पिछले दिनों पुणे में भाजपा के राज्य सम्मेलन में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने उद्धव ठाकरे को लेकर टिप्पणी की थी। उन्होंने कहा था कि उद्धव ठाकरे मुंबई हमलों के दोषी याकूब मेनन के लिए माफी मांगने वाले लोगों के साथ बैठते हैं, वह औरंगजेब क्लब के प्रमुख हैं। अमित शाह ने कहा था कि औरंगजेब फैन क्लब में कौन है? जो 26/11 आतंकी हमलों के दोषी कसाब को बिरयानी परोसते हैं, जो विवादित इस्लामिक प्रचारक जाकिर नाइक को शांति दूत का अवार्ड देते हैं और जो पीएफआई का सहयोग करते हैं। उद्धव ठाकरे को ऐसे लोगों के साथ बैठने में शर्म आनी चाहिए। इसके अलावा उन्होंने एनसीपी के प्रमुख शरद पवार को भ्रष्टाचार का मुखिया बताया था।

शिवसेना नेता ने भी किया था पलटवार
अमित शाह के बयान पर शिवसेना-यूबीटी नेता आनंद दुबे ने कहा था कि हमारी पार्टी का चुनाव चिह्न छीनने के बाद भी महाराष्ट्र की जनता ने महायुति को 17 सीटों पर रोक दिया था। उनके लिए शरद पवार, भ्रष्टाचार के मुखिया हो गए हैं और अजित पवार संत हो गए हैं। अगर भाजपा के खिलाफ उद्धव ठाकरे खड़े होते हैं, तो वे ठाकरे को औरंगजेब फैन क्लब का प्रमुख कहते हैं। विधानसभा चुनाव में भाजपा को इस गंदी राजनीति का जवाब मिल जाएगा। वहीं बारामती से सांसद और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरद चंद्र पवार) नेता सुप्रिया सुले ने कहा था कि अमित शाह के बयान पर मुझे हंसी आती है।

लोकतंत्र की भावना को आघात पहुंचा रहा सदन में अशोभनीय व्यवहार, सांसदों पर जमकर बरसे जगदीप धनखड़

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने शनिवार को कहा कि राजनीतिक लाभ उठाने के लिए सदन की कार्यवाही के दौरान अशोभनीय व्यवहार लोकतंत्र की भावना को आघात पहुंचाता है। इस दौरान उन्होंने इस बात पर भी दुख जताया कि आजकल सदस्य दूसरों के विचारों को सुनने को बिल्कुल तैयार नहीं हैं।

ओरिएंटेशन कार्यक्रम में नए राज्यसभा सदस्यों को दी सलाह
राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने एक ओरिएंटेशन कार्यक्रम में नए राज्यसभा सदस्यों से कहा- आप दूसरों के विचारों से असहमत होने के लिए स्वतंत्र हैं। लेकिन दूसरे के दृष्टिकोण को नजरअंदाज करना संसदीय परंपरा का हिस्सा नहीं है। उन्होंने कहा कि कुछ सदस्य अखबारों में जगह पाने की कोशिश करते हैं और सदन से बाहर निकलने के तुरंत बाद मीडिया में बयान देते हैं और लोगों का ध्यान खींचने के लिए सोशल मीडिया का भी इस्तेमाल करते हैं।

सदस्यों के व्यवहार से दुखी नजर आए सभापति
उन्होंने आगे कहा कि कुछ सदस्य सदन में अपने भाषण से एक मिनट पहले आते हैं और भाषण खत्म होने के तुरंत बाद चले जाते हैं। आपकी उपस्थिति का मतलब यह नहीं है कि आप हिट-एंड-रन रणनीति अपनाएं। उपराष्ट्रपति ने कहा कि संसद संवैधानिक मूल्यों और स्वतंत्रता का गढ़ रही है। उन्होंने कहा कि कई बार समस्याएं आई हैं, लेकिन सदन के नेताओं ने बुद्धिमता का प्रयोग करते हुए रास्ता दिखाया है।

आपातकाल के समय को भी धनखड़ ने किया याद
उन्होंने सदस्यों से कहा, लेकिन अब स्थिति चिंताजनक है। अभद्र व्यवहार को राजनीतिक हथियार के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है, जो लोकतंत्र की भावना पर आघात है। इस दौरान उन्होंने ने अपने भाषण में आपातकाल के दौर का भी जिक्र किया, उन्होंने कहा कि- केवल एक दर्दनाक, हृदय विदारक काला दौर रहा है, जब आपातकाल की घोषणा की गई थी। उस समय हमारा संविधान केवल कागज बनकर रह गया था। इसे फाड़ दिया गया था और नेताओं को जेल में डाल दिया गया था।

राजनीति करना स्वस्थ प्रजातंत्र के लिए जरूरी- धनखड़
राज्यसभा के सभापति ने कहा कि हम संसदीय प्रणाली को राजनीतिक दल की भूमिका से आकलन कर के नहीं देख सकते। राजनीति का स्थान है, राजनीति करनी होती है। राजनीति करना स्वस्थ प्रजातंत्र के लिए आवश्यक है। लेकिन राष्ट्र से जुड़े हुए मुद्दों को देखकर, राष्ट्रहित को देखकर, राष्ट्रवाद को समर्पित करते हुए।

ममता के दावे पर पीआईबी का खुलासा, ‘नहीं बंद किया गया था माइक और न ही बोलने से रोका गया’

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में आज नीति आयोग की नौवीं गवर्निंग काउंसिल की बैठक आयोजित की गई। जिसमें सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने शिरकत की थी। वहीं इस बैठक के बीच में ही बाहर निकलीं पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने दावा किया कि उन्हें इस बैठक के दौरान बोलने से रोका गया और उनका माइक भी बंद कर दिया गया था।

पीआईबी ने अपने फैक्ट चेक में क्या कहा
मामले में पीआईबी का कहना है कि वर्णमाला के अनुसार, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के संबोधन की बारी लंच के बाद आती। लेकिन पश्चिम बंगाल सरकार के आधिकारिक अनुरोध पर उन्हें 7वें वक्ता के रूप में शामिल किया गया क्योंकि उन्हें जल्दी लौटना था। जबकि उनके संबोधन के दौरान टाइम क्लॉक ने केवल यह दिखाया कि उनका बोलने का समय समाप्त हो गया है। यहां तक कि घंटी भी नहीं बजाई गई थी।

निर्मला सीतारमण ने भी दावे को बताया झूठ
वहीं इस मामले में केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि, ममता बनर्जी के माइक बंद का दावा ये पूरी तरह से गलत है और सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों को बोलने का उचित समय आवंटित किया गया था। उन्होंने आगे कहा कि, पश्चिम बंगाल की मुख्यममंत्री ममता बनर्जी आज नीति आयोग की बैठक में शामिल हुईं, हम सबने उन्हें सुना। सभी मुख्यमंत्रियों को समय आवंटित किया गया था, जो सभी के टेबल के सामने मौजूद स्क्रीन पर दिखाया गया। उन्होंने मीडिया में कहा कि उनका माइक बंद कर दिया गया था। यह पूरी तरह से झूठ है।

केंद्रीय वित्त मंत्री ने आगे कहा कि सभी मुख्यमंत्रियों को समय आवंटित किया गया था, लेकिन ये दुर्भाग्यपूर्ण है कि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने ये दावा किया कि उनका माइक बंद कर दिया गया था, जो कि सच नहीं है। उन्हें झूठ पर आधारित कहानी गढ़ने के बजाय इसके पीछे का सच बोलना चाहिए।

ममता बनर्जी ने क्या लगाए थे आरोप?
वहीं इससे पहले पत्रकारों से बातचीत करते हुए ममता बनर्जी ने राजनीतिक भेदभाव का आरोप लगाया और कहा कि उन्हें नीति आयोग की बैठक में सिर्फ पांच मिनट बोलने दिया गया। जबकि अन्य मुख्यमंत्रियों को ज्यादा समय दिया गया था। मैंने बैठक में कहा कि केंद्र सरकार को राज्य सरकारों के साथ भेदभाव नहीं करना चाहिए। मैं और बोलना चाहती थी, लेकिन मेरा माइक बंद कर दिया गया। मुझे सिर्फ पांच मिनट बोलने दिया गया, जबकि मेरे सामने बाकि लोगों ने 10-20 मिनट तक बोला। उन्होंने आगे कहा कि विपक्ष की तरफ से मैं एकमात्र नेता थी, जो इस बैठक में शामिल हुई, लेकिन मुझे बोलने नहीं दिया गया।

आरक्षण के लेकर मतभेद पर शरद पवार ने जताई चिंता, कहा- सरकार को सबसे बात करने की जरूरत

समुदायों के बीच आरक्षण के मुद्दे को लेकर शरद पवार ने चिंता जताते हुए कहा कि महाराष्ट्र सरकार को हितधारकों के साथ बातचीत करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री एक समूह के लोगों के साथ बातचीत करते हैं, और सरकार के अन्य लोग दूसरे समूहों के साथ बातचीत करते हैं। इसके चलते दोनों में गलतफहमी पैदा हो रही है।

महाराष्ट्र में इन दिनों आरक्षण के मुद्दे को लेकर माहौल गरमाया हुआ है। इस पर एनसीपी एसपी प्रमुख पवार ने चिंता व्यक्त की है। उन्होंने बताया कि महाराष्ट्र सरकार को हितधारकों के साथ खुलकर बात करनी चाहिए। पवार ने कहा कि उन्होंने हाल ही में मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के साथ अपनी प्रतिक्रिया साझा की जो कि बातचीत के पक्ष में थी। उन्होंने कहा, “कोटा को लेकर हितधारकों के साथ जो बातचीत होनी चाहिए थी, वह नहीं हुई है। मुख्यमंत्री एक समूह के लोगों से बात करते हैं, जबकि सरकार में अन्य लोग अलग-अलग समूहों के साथ बातचीत करते हैं। इससे गलतफहमी पैदा होती है।”

शरद पवार ने कहा कि सरकार को मराठा कार्यकर्ता मनोज जरांगे, छगन भुजबल और ओबीसी आरक्षण की मांग कर रहे अन्य लोगों को बातचीत के लिए बुलाना चाहिए।” दरअसल मनोज जरांगे उस मसौदा अधिसूचना के क्रियान्वयन की मांग कर रहे हैं, जिसमें कुनबियों को मराठों का ऋषि सोयारे या रक्त संबंधी माना गया है। उन्हें ओबीसी श्रेणी के तहत आरक्षण दिया गया है। कुनबियों को ओबीसी के रूप में कोटा लाभ मिलता है।

वहीं मंत्री छगन भुजबल सहित ओबीसी सदस्य इस आरक्षण की मांग के बाद परेशान नजर आए। उन्होंने सरकार से जोर देकर कहा है कि उनके कोटे को कम नहीं किया जाना चाहिए। शरद पवार ने कहा कि वह कोटा मुद्दे पर समुदायों के बीच आई दरार से चिंतित हैं। उन्होंने बताया कि मनोज जारंगे ने कहा है कि लिंगायत, मुस्लिम और धनगर समुदाय को भी आरक्षण दिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि आरक्षण को लेकर सही मायने में बातचीत होनी चाहिए। अगर ऐसा किया जाता है, तो समाज में कोई कड़वाहट नहीं होगी।

डीएम-एसएसपी ने किया जेल का निरीक्षण, पांच कैमरे खराब मिले, सब रजिस्ट्रार कार्यालय में छापा

मुरादाबाद: मुरादाबाद डीएम ने एसएसपी के साथ शुक्रवार शाम जिला जेल का निरीक्षण कर कई गड़बड़ियां पकड़ीं। जांच के दौरान पांच सीसीटीवी कैमरे खराब मिले। बैरक के नजदीक गंदगी भी पाई गई। डीएम ने खराब कैमरों को शीघ्र दुरुस्त कराने के निर्देश दिए।

डीएम अनुज सिंह, एसएसपी सतपाल अंतिल के साथ शुक्रवार की शाम चार बजे अचानक जिला जेल पहुंच गए। इस दौरान बैरक के पास काफी गंदगी पड़ी थी। जेल के हैंडपंप का हत्था निकला हुआ था। पांच सीसीटीवी कैमरे काम नहीं कर रहे थे।
इस बारे में पूछने पर जेल अधीक्षक ने बताया कि कैमरों को दुरुस्त करने के लिए मैकेनिक बुलाए गए हैं। डीएम ने बैरक के अंदर और बाहर सफाई व्यवस्था दुरुस्त रखने की हिदायत दी। कुछ देर तक जेल के अभिलेखों को देखने के बाद दोनों अधिकारी चले गए।

रिकाॅर्ड रूम में तीन बाहरी लोग मिले

शासन के निर्देश पर अपर आयुक्त ने शुक्रवार को सब रजिस्ट्रार कार्यालय में छापा मारा तो दो लोग भाग निकले। इस दौरान रिकाॅर्ड रूम में तीन बाहरी लोग खड़े मिले। इस मामले में मंडलायुक्त ने सब रजिस्ट्रार को नोटिस जारी करते हुए स्पष्टीकरण मांगा है।

मंडलायुक्त आंजनेय कुमार सिंह ने बताया कि शासन के निर्देश पर शुक्रवार की दोपहर अपर आयुक्त ब्रजेश कुमार सिंह ने टीम के साथ रजिस्ट्रार कार्यालय में छापा मार दिया। टीम को देखकर कार्यालय में मौजूद दो लोग भाग निकले।

इस दौरान बाहरी तीन लोग रिकाॅर्ड रूम में पाए गए जो अपने कागजातों की छानबीन कराने के लिए आए थे। अपर आयुक्त ने बताया कि किसी बाहरी व्यक्ति को रिकाॅर्ड रूम के अंदर प्रवेश देना नियम विरुद्ध है।

फंदा कसने से विवाहिता की मौत, पति सहित ससुरालीजन फरार; पुलिस ने मायकवालों को दी जानकारी

फिरोजाबाद: उत्तर प्रदेश के फिरोजाबाद में संदिग्ध परिस्थिति में फंदा कसने विवाहिता की मौत हो गई। ससुराली शव को सरकारी ट्रामा सेंटर लेकर पहुंचे। जहां परीक्षण के बाद चिकित्सक ने उसे मृत घोषित कर दिया। सूचना पर पहुंची पुलिस ने शव को पोस्टमार्टम गृह में रखवा दिया है। पुलिस मामले की जांच में जुटी है।

घटना मक्खनपुर थाना क्षेत्र के गांव नगला मवासी की है। गांव निवासी विद्या (25) की शुक्रवार रात संदिग्ध परिस्थिति में फंदा कसने से मौत हो गई। काफी देर तक कमरे में कोई हलचल न होने पर ससुरालियों ने दरवाजा तोड़कर देखा तो विवाहिता फंदे से लटकी हुई थी। उसके शव को फंदे से उतारकर ससुराली सरकारी ट्रामा सेंटर लेकर पहुंच गए। जहां चिकित्सकों ने परीक्षण के बाद उसे मृत घोषित कर दिया।

इसके बाद पति सहित ससुराली अस्पताल से ही फरार हो गए। मामले की सूचना पर थाना पुलिस अस्पताल पहुंच गए। पुलिस ने किसी तरह मायके वालों से संपर्क कर घटना की जानकारी दी। साथ ही उसके शव को पोस्टमार्टम गृह में रखवाया है। थाना प्रभारी शिवकुमार चौहान ने बताया कि शव का पोस्टमार्टम कराया गया है। तहरीर मिलने पर मुकदमा दर्ज कर कार्रवाई की जाएगी।