Thursday , October 24 2024

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‘सब राजनीतिक ड्रामा..’ एमयूडीए में कथित घोटाले को लेकर BJP के धरने पर भड़के डिप्टी CM डीके शिवकुमार

कर्नाटक: कर्नाटक में मैसुरु शहरी विकास प्राधिकरण (एमयूडीए) द्वारा भूखंड आवंटित करने में कथित फर्जीवाड़े के संबंध में चर्चा की अनुमति नहीं दी गई। इस बात से नाराज भाजपा विधानसभा और विधानपरिषद में धरना का ऐलान कर चुकी है। बता दें कि इस मामले में मुख्यमंत्री सिद्धारमैया की पत्नी का नाम शामिल है। भाजपा के धरना प्रदर्शन के कदम की कर्नाटक सरकार के मंत्रियों ने जमकर आलोचना की।

कर्नाटक के कानून एवं संसदीय कार्य मंत्री एचके पाटिल ने कहा कि भाजपा ने मैसूर शहरी विकास प्राधिकरण (एमयूडीए) में वैकल्पिक साइट (भूखंड) घोटाले में स्थगन प्रस्ताव क्यों नहीं लिया जा सकता है? यह समझाने के बावजूद चल रहे विधानसभा सत्र का अपने राजनीतिक लाभ के लिए इस्तेमाल किया है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश द्वारा मूडा में अनियमितताओं की जांच का आदेश दिया है। उन्होंने पूछा कि “मुख्यमंत्री ने अपने खिलाफ आरोपों की जांच के लिए एक आयोग का गठन किया है। क्या ऐसा कोई उदाहरण है जब किसी मुख्यमंत्री ने अपने खिलाफ आरोप होने पर जांच आयोग का गठन किया हो?”

वहीं उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार ने कहा, “भाजपा शासन में बहुत सारे घोटाले हुए हैं और जिनकी जांच चल रही है। हम विधानसभा में जवाब देना चाहते थे और वे हमें रोकना चाहते थे। लेकिन सीएम ने अपने लिखित भाषण में इस बात का विस्तृत जवाब दिया था कि कितने घोटाले हुए हैं और वे कैसे हुए हैं। एसआईटी पहले से ही जांच कर रही थी, अब ईडी और सीबीआई भी आ गई है इसलिए हम जांच में हस्तक्षेप नहीं करना चाहते।”

कानून एवं संसदीय कार्य मंत्री एचके पाटिल ने विपक्षी भाजपा और उसके सहयोगी जद (एस) से सवाल किया कि क्या पूर्व मुख्यमंत्रियों एच डी कुमारस्वामी, बी एस येदियुरप्पा और बसवराज बोम्मई द्वारा आयोग गठित करने का कोई उदाहरण है। उन्होंने कहा, “विपक्षी दल को सीएम के रुख की सराहना करनी चाहिए थी। यह सिर्फ एक राजनीतिक नाटक है। उन्होंने याद दिलाया कि विपक्ष उत्तर कन्नड़ जिले के शिरूर में भूस्खलन पर चर्चा करने के लिए तैयार नहीं है। पाटिल ने आरोप भी लगाया कि भाजपा लोगों के लाभ के लिए एक राष्ट्र एक चुनाव, राष्ट्रीय प्रवेश-सह-पात्रता परीक्षा (नीट) के खिलाफ सामान्य प्रवेश परीक्षा (सीईटी) को फिर से स्थापित करने और कई अन्य विधेयकों पर चर्चा करने के लिए भी इच्छुक नहीं है।

उन्होंने बताया कि विपक्षी भाजपा द्वारा यह आरोप लगाया गया है कि सिद्धारमैया की पत्नी पार्वती को मैसूर के एक अपमार्केट इलाके में वैकल्पिक स्थल आवंटित किए गए थे। जिसकी संपत्ति का मूल्य उनकी भूमि के स्थान की तुलना में अधिक था जिसे एमयूडीए द्वारा अधिग्रहित किया गया था। भाजपा नेताओं ने आरोप लगाया कि सिद्धारमैया के कई समर्थकों ने भी इस तरह से लाभ उठाया है।

बेबाक राय रखने और चुनौतियों से कभी हार न मानने वाली शख्सियत, दिव्यांगों से विशेष स्नेह

द्रौपदी मुर्मू देश की दूसरी महिला और पहली आदिवासी राष्ट्रपति हैं। वह अपनी बेबाक राय और महिला सशक्तीकरण की खुली हिमायत के लिए पहचानी जाती हैं। मुर्मू बृहस्पतिवार को अपने कार्यकाल के दो सफल वर्ष पूर्ण कर रही हैं। ओडिशा के मयूरभंज के छोटे से गांव से राष्ट्रपति पद तक का सफर तय करने वाली द्रौपदी मुर्मू अपने व्यवहार और महिलाओं की दुश्वारियों को दूर कराने से लेकर अपने स्वाभिमान को सार्वजनिक रूप से व्यक्त करने से नहीं रुकती हैं। यही वजह है कि देश के सबसे प्रतिष्ठित शैक्षणिक संस्थान में महिला शौचालय की बदहाली पर वह सार्वजनिक रूप से प्रबंधन को न केवल परामर्श देती हैं, बल्कि यह भी कहती हैं कि देश के संस्थानों के लिए मॉडल होने वाले ऐसे शैक्षणिक स्थलों पर यदि महिलाओं के लिए उनकी जरूरतों की पूर्ति के लिए कॉमन रूम व शौचालय का ऐसा अव्यवस्थित ढांचा होगा, तो वह कैसे रोल मॉडल बनने का दावा करेंगे।

अवसाद से निकलकर शिखर तक
द्रौपदी मुर्मु दूसरी राष्ट्रपति हैं, जिन्होंने अपना जीवन शिक्षक के रूप में शुरू किया। प्राथमिक विद्यालयों में अलग-अलग विषयों को पढ़ाने वालीं मुर्मू ने निजी जीवन में तमाम चुनौतियों को पार किया है। संथाल परिवार में जन्मी मुर्मू छोटे से स्कूल में पढ़ी हैं। उन्होंने पति व दोनों बेटों को एक ही कालखंड में खोया है। ऐसे में मानसिक अवसाद और जीवन की दुश्वारियां को पार कर चट्टान की तरह सबला के रूप में खुद को स्थापित किया।

हर खास और आम के लिए खोले द्वार
मुर्मू के दो साल के कार्यकाल में तीन राष्ट्रपति आवासों में नागरिकों की भागीदारी एक वर्ष के दौरान 18 लाख से अधिक रही है। उनके नई दिल्ली स्थित आवास से लेकर, सिकंदराबाद व मशोबरा में राष्ट्रपति आवासों के द्वार हर आम व खास आदमी के लिए खोल दिए गए हैं।

महिलाओं-युवाओं को दिया प्रोत्साहन
महिलाओं और युवाओं को प्रोत्साहित व प्रेरित करने के लिए राष्ट्रपति ‘हर स्टोरी माय स्टोरी’ नामक संवाद का आयोजन करती हैं। इसमें पद्म पुरस्कार प्राप्त महिलाओं के साथ, राष्ट्रपति भवन में संवाद होता है। हाल ही में मुर्मू ने सुधा मूर्ति और साइना नेहवाल इसका हिस्सा बनीं। साइना के साथ बैडमिंटन खेलकर उन्होंने खेल के माध्यम से स्वस्थ जीवन का पाठ पढ़ाया। स्कूली बच्चों और बुद्धिजीवियों ने भी संवाद में भाग लिया। जेलाें में बंद विचाराधीन कैदियों के अधिकारों और जिंदगी की दुश्वारियों की चिंता करते हुए राष्ट्रपति मुर्मू ने जब न्यायपालिका से उनके मामले संवेदशीलता से निस्तारित करने का आग्रह किया, तो न्यायपालिका और सरकार दोनों इस दिशा में सक्रिय हुए।

दिव्यांगों से विशेष स्नेह
दिव्यांग उनके हृदय के करीब हैं। इसलिए 20 जून को वह हर साल अपना समय उनके साथ बिताती हैं। दिव्यांग जनों की उपलब्धियों का जश्न मनाने के लिए राष्ट्रपति भवन में पर्पल फेस्ट भी हुआ था। विविधता का अमृत महोत्सव-भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का उत्सव भी मनाया गया, जिसके पहले संस्करण में राष्ट्रपति भवन में पूर्वोत्तर भारत की कला, संस्कृति, भोजन व जीवन को प्रदर्शित किया गया।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा-रेलवे की जरूरतें स्वीकार, प्रभावितों से हो मानवीय व्यवहार

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि उत्तराखंड में हल्द्वानी रेलवे स्टेशन के विकास के लिए भूमि सुरक्षित करने के लिए अधिकारियों को बेदखल करने से पहले प्रभावितों के पुनर्वास को सुनिश्चित करना चाहिए। कोर्ट ने कहा, वे (अतिक्रमणकारी) भी इन्सान हैं और रेलवे व लोगों की जरूरतों के बीच संतुलन बनाने की जरूरत है।

जस्टिस सूर्यकांत, जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस उज्ज्वल भुइयां की पीठ ने रेलवे की आवश्यकता को स्वीकार किया, लेकिन प्रभावित लोगों के साथ मानवीय व्यवहार और पुनर्वास की आवश्यकता पर जोर दिया। पीठ रेलवे के उस आवेदन पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें हल्द्वानी में रेलवे की संपत्तियों पर अतिक्रमण करने वाले लगभग 50,000 लोगों को बेदखल करने पर रोक के आदेश में संशोधन की मांग की गई थी। रेलवे ने कहा, पिछले साल मानसून के दौरान घुआला नदी के तेज बहाव के कारण पटरियों की सुरक्षा करने वाली एक दीवार ढह गई थी। परिचालन को सुविधाजनक बनाने के लिए भूमि की एक पट्टी तत्काल उपलब्ध कराई जाए।

पीठ ने एडिशनल सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) ऐश्वर्या भाटी से पूछा, क्या आपने अतिक्रमणकारियों को कोई नोटिस जारी किया है? आप जनहित याचिका के सहारे क्यों चल रहे हैं? पीठ ने कहा, मान लीजिए कि वे अतिक्रमणकारी हैं, फिर भी वे सभी इन्सान हैं और दशकों से रह रहे हैं। ये सभी पक्के मकान हैं। न्यायालय निर्दयी नहीं हो सकता, लेकिन साथ ही न्यायालय लोगों को अतिक्रमण करने के लिए प्रोत्साहित भी नहीं कर सकते। जब सब कुछ आपकी आंखों के सामने हो रहा है तो सरकार के रूप में आपको भी कुछ करना था। जस्टिस कांत ने पूछा, तथ्य यह है कि लोग 3-5 दशकों से, बल्कि शायद आजादी से भी पहले से वहां रह रहे हैं। आप इतने सालों से क्या कर रहे थे?

कलेक्टरों को जवाबदेह क्यों नहीं ठहराया जाना चाहिए
एएसजी ने पीठ को सूचित किया कि सार्वजनिक परिसर (अनधिकृत कब्जाधारियों की बेदखली) अधिनियम 1971 के तहत कार्यवाही भी उनके खिलाफ लंबित है। इस पर जस्टिस सूर्यकांत ने पूछा, उन्होंने क्या किया? हमें कलेक्टरों को जवाबदेह क्यों नहीं ठहराना चाहिए? चूंकि कई निवासी दस्तावेज के आधार पर मालिकाना हक का दावा कर रहे हैं इसलिए जनहित याचिका तथ्यों के विवादित प्रश्नों को संबोधित करने के लिए प्रभावी उपाय नहीं है।

भूमि न मिलने से बुलेट ट्रेन समेत कई परियोजनाओं पर प्रभाव
एएसजी ने पीठ से रोक हटाने का अनुरोध किया और कहा कि भूमि की अनुपलब्धता के कारण रेलवे की कई विस्तार योजनाएं विफल हो गई हैं। वहां बुलेट ट्रेन चलाने की भी योजना है। पीठ ने पूछा कि वर्तमान उद्देश्यों के लिए कितने लोगों को बेदखल करना होगा। भाटी ने जवाब दिया, 1,200 झोपड़ियां।लगभग 30.40 हेक्टेयर रेलवे/राज्य के स्वामित्व वाली भूमि पर अतिक्रमण किया गया है और वहां लगभग 4,365 घर और 50,000 से अधिक निवासी हैं।

प्रभावित परिवारों की पहचान की जाए
पीठ ने कहा कि भूमि की उस पट्टी की पहचान की जाए, जिसकी आवश्यकता है। उन परिवारों की पहचान की जानी चाहिए, जो उस पट्टी से खाली होने की स्थिति में प्रभावित होंगे। ऐसी जगह का प्रस्ताव किया जाना चाहिए, जहां इन प्रभावितों का पुनर्वास किया जा सके।

करीब 20 हजार करोड़ से यूपी में बदलेगी रेल की तस्वीर, नई रेल लाइनों के साथ स्टेशन भी होंगे अपग्रेड

लखनऊ:  उत्तर रेलवे में नई रेलवे लाइनों को बिछाने, सेफ्टी बेहतर करने, रेलवे स्टेशनों के अपग्रेडेशन व यात्री सुविधाओं आदि की वृद्घि के लिए 19,848 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे। यह यूपीए सरकार के दस वर्षों के कार्यकाल के बजट की तुलना में 18 गुना अधिक है।

रेलमंत्री अश्विनी वैष्णव ने यह जानकारी बुधवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए आयोजित प्रेसवार्ता में दी। वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए उत्तर रेलवे लखनऊ मंडल के डीआरएम सचिंद्र मोहन शर्मा व पूर्वोत्तर रेलवे के डीआरएम आदित्य कुमार जुड़े रहे। रेलमंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया कि रेलवे को कुल 2.62 लाख करोड़ रुपये का बजट दिया गया है, इसमें 1.08 करोड़ रुपये सेफ्टी के मद में दिया गया है। वर्ष 2004-14 तक के दस वर्ष के कार्यकाल में उत्तर प्रदेश को औसतन 1109 करोड़ रुपये दिए जाते रहे हैं।

वहीं वर्ष 2024-25 में उत्तर प्रदेश में रेलवे के डेवलपमेंट के लिए 19,848 करोड़ रुपये दिए गए हैं, जोकि यूपीए सरकार की तुलना में 18 गुना है। रेलमंत्री ने बताया कि उत्तर प्रदेश में रेलवे का विद्युतीकरण शतप्रतिशत हो गया है। वर्तमान में रेलवे स्टेशनों के विकास से लेकर ट्रैक मेंटीनेंस आदि के 92 हजार करोड़ रुपये की परियोजनाएं चल रही हैं, जिसके लिए भी पैसा दिया गया है। 157 अमृत भारत स्टेशनों का प्रदेश में विकास किया जा रहा है। पिछले दस वर्षों में 1490 आरओबी-आरयूबी बनाए गए हैं। इतना ही नहीं 490 किमी रेलवे ट्रैक का निर्माण प्रतिवर्ष किया गया है। इस लिहाज से दस वर्षों में 4900 किमी ट्रैक बनाया गया है, जबकि स्विट्जरलैंड में रेलवे का कुल नेटवर्क ही पांच हजार किमी का है।

60 प्रतिशत घटे रेल हादसे
रेलमंत्री ने कहाकि रेलवे हादसों की बात की जाए तो इसमें 60 प्रतिशत की कमी दर्ज हुई है। वहीं रेल फ्रैक्चर 85 प्रतिशत तक कम हो गए हैं। इतना ही नहीं पैंट्रीकार की डीप क्लीनिंग पर काम किया जा रहा है, ताकि यात्रियों को गुणवत्तापरक खाना उपलब्ध कराया जा सके।

हिमालयन टनलिंग मेथेड है खास
रेलमंत्री ने कहाकि हिमालय नई पर्वत श्रृंखला है। ऐसे में यहां रेलवे के लिए टनल बनाना आसान नहीं है। ऐसे में रेलवे ने हिमालयन टनलिंग मेथेड विकसित किया है। इससे टनल का डिजाइन पहाड़ के अनुसार बनाया जाता है, जिससे हादसे की आशंका घट जाती है।

रामलला पर भक्त कर रहे हैं सोने-चांदी की बरसात, हिसाब रखने के लिए रखे गए दो अतिरिक्त लोग

अयोध्या:  रामलला को रोजाना लाखों का दान प्राप्त होता है। इसमें नगदी के अलावा अन्य माध्यमों से भी दान प्राप्त होता है। इसके अलावा रामलला को बड़ी मात्रा में भक्त आभूषण यानी सोना, चांदी, हीरा, मोती भी अर्पित करते हैं। इसका हिसाब रखने के लिए ट्रस्ट की ओर से संघ के दो कार्यकर्ताओं को लगाया गया है।

संघ के ये कार्यकर्ता आभूषण दान करने वाले भक्त का नाम, पता, मोबाइल नंबर नोट करते हैं। अलग-अलग शिफ्ट में इन कार्यकर्ताओं को लगाया जाता है। पूरे दिन का हिसाब यानी संख्या, मात्रा बनाकर आभूषणों को लॉकर में जमा कराया जाता है। इसके लिए सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया में लॉकर बनवाया गया है। यही नहीं कुछ भक्त रामलला के दान काउंटर में धन न अर्पित कर नगदी देते हैं, इसका भी हिसाब ये कार्यकर्ता रखते हैं। यही नहीं रामलला के निजी आभूषणों की रखवाली के लिए भी सेना के रिटायर्ड धर्मगुरु को लगाया गया है। रोजाना सुबह- शाम जब रामलला का श्रृंगार किया जाता है तो पुजारी धर्मगुरु की निगरानी में ही आभूषण लॉकर से निकालते हैं और रामलला के पहनाते हैं। रात में रामलला को शयन कराने के लिए जब ये आभूषण उतारे जाते हैं तब भी इनकी गणना की जाती है। रामलला की सुरक्षा में इस समय छह अंगरक्षकों को लगाया गया है। आठ-आठ घंटे की तीन शिफ्ट में दो-दो गनर रामलला की रखवाली करते हैं।

सेना के 20 सेवानिवृत्त जवान भी दे रहे सेवा
राममंदिर में विराजमान रामलला की सेवा में सेना के रिटायर्ड 20 जवानों को भी लगाया है। इनमें तीन जवान धर्म गुरु पद से सेवानिवृत्त हुए हैं। इनकी ड्यूटी राम मंदिर में ही गर्भगृह के बाहर लगाई गई है। धर्मगुरुओं को रामलला की पूजा-अर्चना के अलावा दर्शनार्थियों पर निगाह रखने की जिम्मेदारी दी गई है। धर्म गुरु गर्भगृह के बाहर की आरती-पूजा के समय व्यवस्था में सहयोग के साथ घंटा-घड़ियाल बजाने व आरती दिखाने में मदद करते हैं। इसके अतिरिक्त शेष 17 सेवानिवृत्त सैनिकों को परिसर में सादी वर्दी में श्रद्धालुओं के साथ-साथ व्यवस्थाओं की निगरानी की जिम्मेदारी दी गयी है।

शेषावतार मंदिर का निर्माण शुरू
श्री राम जन्मभूमि परिसर में शेषावतार मंदिर का निर्माण कार्य शुरू कर दिया गया है। यह मंदिर राम मंदिर और कुबेर टीला के मध्य में निर्मित किया जा रहा है। इस मंदिर की डिजाइन तैयार हो चुकी है। शेषावतार मंदिर की ऊंचाई भी राम मंदिर के आसन के बराबर रहेगी। इसकी सलाह दक्षिण भारत के संतों ने दी थी। यहां भगवान शेषनाग की छत्रछाया में भगवान श्री सीताराम के विग्रह की प्रतिष्ठा की जाएगी। उधर सप्त मंडपम के फाउंडेशन का काम लगभग पूरा हो चुका है। यहां फर्श का निर्माण भी चल रहा है। साथ ही दीवार के पत्थरों की सेटिंग की जा रही है।

बिना तले ऐसे बनाएं स्वादिष्ट ब्रेड पकौड़ा, खाकर घरवाले करेंगे तारीफ

तेज चिलचिलाती गर्मी के बीच अब लगातार हो रही बारिश ने लोगों को काफी राहत पहुंचाई है। ऐसे में बारिश का मौसम आते ही लोगों ने घऊमने-फिरने का प्लान बनाना शुरू कर दिया है। इसके साथ-साथ बहुत से लोग बारिश का लुत्फ घर पर ही रहकर उठाते हैं। अगर आप भी घर पर रहकर बारिश के मजे ले रहे हैं, तब तो कुछ चटपटा सा खाने का मन अवश्य करता होगा। पर, आप चाह के भी हर रोज तला-भुना नहीं खा सकते।

अब जब आप अपनी हेल्थ का भी ध्यान रखना चाहते हैं लेकिन कुछ चटपटा भी खाना चाहते हैं तो आप बिना तले ब्रेड पकौड़ा भी तैयार कर सकते हैं। सुनकर अजीब लगा न, पर ये सच है। आप बिना तले भी स्वादिष्ट ब्रेड पकौड़ा तैयार कर सकते हैं। आइए हम आपको इसकी आसान रेसिपी बताते हैं, ताकि बारिश के मौसम में आप बिना कुछ सोचे पकौड़ों का मजा ले सकें।

ब्रेड पकौड़ा बनाने के लिए सामान

ब्रेड स्लाइस
उबले हुए आलू
बेसन- 1 कप
बारीक कटी हरी मिर्च
बारीक कटा हरा धनिया
थोड़ा सा तेल

मसाले

धनिया पाउडर: 1 छोटा चम्मच
जीरा पाउडर: 1/2 छोटा चम्मच
लाल मिर्च पाउडर: 1/2 छोटा चम्मच
हल्दी पाउडर: 1/4 छोटा चम्मच
नमक: स्वादानुसार
बेकिंग सोडा: 1/4 छोटा चम्मच

विधि

ब्रेड पकौड़ा बनाने के लिए आपको सबसे पहले इसकी स्टफिंग तैयार करनी है। स्टफिंग बनाने के लिए उबले हुए आलूओं को छील कर अच्छी तरह से मैश करें। अब एक कढ़ाई लेकर उसमें थोड़ा सा तेल डालें और फिर बारीक कटी हरी मिर्च, हल्दी और जीरा डालकर भूनें। जीरा सुनहरा होने पर इसमें आलू डालें। इन आलुओं में अब धनिया पाउडर, लाल मिर्च पाउडर, और नमक मिलाएं। जब ये सही से पक जाए तो इसमें कटी हुई धनिया की पत्तियां डालें।

अब इसे ठंडा होने के लिए साइड में रख दें। जब तक ये ठंडा हो रहा है तब तक बेसन का घोल तैयार करें। इसके लिए एक बाउल में बेसन, नमक, हल्दी पाउडर और बेकिंग सोडा मिलाएं। इसमें धीरे-धीरे पानी डालते हुए गाढ़ा घोल तैयार करें।
सबसे आखिर में ब्रेड स्लाइस को तिरछे काटकर दो हिस्सों में बांट लें। हर ब्रेड के टुकड़े पर आलू का मिश्रण फैलाएं और दूसरी ब्रेड का टुकड़ा ऊपर रख दें। अब इन तैयार ब्रेड सैंडविच को बेसन के घोल में डुबोएं और तुरंत निकाल लें। ध्यान रखें कि बेसन का बेटर ज्यादा गाढ़ा न हो।अब एक गर्म तवे पर हल्का सा तेल डालें और उस पर ये बेसन में डूबा ब्रेड सैंडविच रख। अब इसे हर तरफ से सुनहरा होने तक सेकें। कुरकुरा होने के बाद इसे चाय और खट्टी-मीठी चटनी के साथ परोसें।

117 भारतीय खिलाड़ियों के दल में 40 महिलाएं, पीवी सिंधु समेत ये नाम हैं शामिल

पेरिस ओलंपिक 2024 शुरू होने वाले हैं। ओलंपिक में शामिल होने के लिए भारतीय खिलाड़ी पेरिस पहुंचने लगे हैं। इस बार भारत की ओर से 117 एथलीट्स का दल पेरिस जा रहा है। इस दल में लगभग 40 महिला खिलाड़ी शामिल हैं। जिसमें मीराबाई चानू से लेकर पीवी सिंधु जैसी टाॅप एथलीट्स हैं, तो वहीं महज 14 साल की धिनिध देसिंघु जैसी सबसे युवा खिलाड़ी भी हैं। आइए जानते हैं पेरिस ओलंपिक में जा रहे 117 खिलाड़ियों के भारतीय दल में शामिल महिला एथलीट्स के बारे में। यहां पेरिस ओलंपिक में भाग लेने वाली भारतीय महिला खिलाड़ियों की लिस्ट दी जा रही है।

 

ओलंपिक 2024 में शामिल महिला खिलाड़ियों की सूची

  1. पीवी सिंधु – बैडमिंटन (महिला सिंगल्स)
  2. अश्विनी पोनप्पा – बैडमिंटन (महिला डबल्स)
  3. तनिषा क्रैस्टो- बैडमिंटन (महिला डबल्स)
  4. मीराबाई चानू – वेटलिफ्टिंग (महिला 49 किग्रा)
  5. निकहत जरीन- मुक्केबाजी (महिला 50 किग्रा)
  6. प्रीति पवार- मुक्केबाजी (महिला 54 किग्रा)
  7. जैस्मीन लेम्बोरिया- मुक्केबाजी (महिला 57 किग्रा)
  8. लवलीना बोरगोहेन – मुक्केबाजी (महिला 70 किग्रा)
  9. विनेश फोगाट – कुश्ती (महिला 50 किग्रा)
  10. रीतिका हुड्डा- कुश्ती (महिला 76 किग्रा)
  11. निशा दहिया कुश्ती ( महिला 68 किग्रा)
  12. अंतिम पंघाल – कुश्ती (महिला 53 किग्रा)
  13. अंशु मलिक – कुश्ती (महिला 57 किग्रा)
  14. दीपिका कुमारी- तीरंदाजी (महिला व्यक्तिगत, महिला टीम)
  15. भजन कौर- तीरंदाजी (महिला व्यक्तिगत, टीम)
  16. राजेश्वरी कुमारी- निशानेबाजी (महिला ट्रैप)
  17. श्रेयसी सिंह – निशानेबाजी (महिला ट्रैप)
  18. रिदम सांगवान- शूटिंग (महिलाओं की 10 मीटर एयर पिस्टल, 10 मीटर एयर पिस्टल मिक्सड टीम)
  19. मनु भाकर – शूटिंग (महिलाओं की 10 मीटर एयर पिस्टल, 10 मीटर एयर पिस्टल मिक्सड टीम, महिलाओं की 25 मीटर पिस्टल)
  20. ईशा सिंह- शूटिंग (महिला 25 मीटर पिस्टल)
  21. माहेश्वरी चौहान- शूटिंग (महिलाओं की स्कीट और स्कीट मिक्सड टीम)
  22. रायजा ढिल्लों- शूटिंग (महिला स्कीट)
  23. अंजुम मौदगिल- शूटिंग (महिल 50 मीटर राइफल 3 पोजीशन)
  24. सिफ्त कौर समरा- शूटिंग (महिला 50 मीटर राइफल 3 पोजीशन)
  25. एलावेनिल वलारिवन – शूटिंग (महिलाओं की 10 मीटर एयर राइफल, 10 मीटर एयर राइफल मिक्सड टीम)
  26. रमिता जिंदल- शूटिंग (महिलाओं की 10 मीटर एयर राइफल, 10 मीटर एयर राइफल मिक्सड टीम)
  27. श्रीजा अकुला- टेबल टेनिस (महिला सिंगल्स)
  28. अर्चना कामथ – टेबल टेनिस (महिला टीम)
  29. मनिका बत्रा- टेबल टेनिस (महिला सिंगल्स, टीम)
  30. अदिति अशोक-गोल्फ (महिला व्यक्तिगत)
  31. दीक्षा डागर- गोल्फ (महिला व्यक्तिगत)
  32. धिनिधि देसिंघु – तैराकी (महिला 200 मीटर फ्रीस्टाइल)
  33. नेत्रा कुमानन- नौकायन (महिलाओं की एक व्यक्ति डिंगी)
  34. किरण पहल -एथलेटिक्स (महिला 400 मीटर, 4X400 मीटर रिले)
  35. विथ्या रामराज- एथलेटिक्स (महिलाओं की 4X400 मीटर रिले)
  36. सुभा वेंकटेशन -एथलेटिक्स ( महिलाओं की 4X400 मीटर रिले)
  37. पूवम्मा एमआर- एथलेटिक्स (महिला 4X400 मीटर रिले)
  38. प्राची -एथलेटिक्स (महिला 4X400 मीटर रिले)
  39. प्राची चौधरी कलियार एथलेटिक्स (रिजर्व)
  40. तुलिका मान – जूडो (महिला + 78 किग्रा)

पंकज त्रिपाठी का सितारों पर तंज, बोले- अब लोग वैनिटी वैन में बंद रहते हैं

अनुराग कश्यप की फिल्म ‘गैंग्स ऑफ वासेपुर’ में सुल्तान कुरेशी का किरदार निभाकर पंकज त्रिपाठी को काफी लोकप्रियता मिली। हाल ही में, अभिनेता ने सेट से कुछ यादें ताजा कीं। उन्होंने यह भी दावा किया कि इस तरह के सेट अब मौजूद नहीं हैं। पंकज त्रिपाठी के अनुसार, फिल्मों में वे सिर्फ अभिनेता होते हैं लेकिन वास्तविक जीवन में उन्हें अभिनेता और निर्देशक की भूमिका भी निभानी पड़ती है।

एक इंटरव्यू में पंकज त्रिपाठी ने कहा, ‘वासेपुर की शूटिंग से मेरी बहुत अच्छी यादें हैं। यूपी में सर्दी का मौसम था। सभी कलाकार थिएटर पृष्ठभूमि से थे। वासेपुर जैसा माहौल अब सेट पर नहीं मिलता। अब अलग-अलग वैनिटी वैन आती है, सब अपने-अपने कमरे में शॉट नहीं है तो बंद हैं। वासेपुर में ऐसा नहीं होता था क्योंकि वैनिटी ही नहीं थी।’

पंकज त्रिपाठी ने पुरानी यादों को ताजा करते हुए कहा, ‘तब बाहर कुर्सी लगाके बैठते थे और बातें ज्यादा करते थे। फिल्मों में, हम सिर्फ अभिनेता हैं। लेकिन असल जिंदगी में हम अभिनेता और निर्देशक दोनों हैं।अभिनेता ने अपनी बात में आगे जोड़ा, ‘अगर हम गलत राह पर चलेंगे तो हम किसी और के हो जायेंगे। एक अभिनेता को दर्शकों से जोड़ने के लिए सापेक्षता बेहद महत्वपूर्ण है, लेकिन इसे जैविक होना चाहिए और यही शिल्प काम आता है।’

पंकज त्रिपाठी अगली बार अमर कौशिक की ‘स्त्री 2’ में दिखाई देंगे। फिल्म में श्रद्धा कपूर, राजकुमार राव, फ्लोरा सैनी, अपारशक्ति खुराना, विजय राज और आकाश दाभाड़े भी प्रमुख भूमिका में हैं। फिल्म में तमन्ना भाटिया, वरुण धवन और अभिषेक बनर्जी कैमियो भूमिका निभाएंगे। यह फिल्म 15 अगस्त को सिनेमाघरों में दस्तक देगी।

सावन में भगवान शिव पर बनीं इन फिल्मों को लुत्फ उठाएं, लिस्ट में रणबीर और अक्षय की फिल्में शामिल

सावन का पवित्र महीना शुरू हो चुका है। इस महीने को भक्त भगवान शिव का महीना भी कहते हैं। चलिए आज हम आपको भगवान शिव पर बनी हुई कुछ बेहतरीन बॉलीवुड फिल्मों के बारे में बताते हैं। ये फिल्में जब रिलीज हुई थी तब दर्शकों को काफी पसंद भी आई थी। आप भी इस सावन में इन फिल्मों का लुत्फ उठा सकते हैं–

इस लिस्ट में रणबीर कपूर और आलिया भट्ट की फिल्म ब्रह्मास्त्र का नाम सबसे पहले आता है। साल 2022 में रिलीज हुई इस फिल्म में भगवान शिव की महिमा को दिखाया गया है। यह साल 2022 की सबसे ज्यादा कमाई करने वाली हिंदी फिल्मों में से एक थी। दर्शकों को आलिया और रणबीर की यह फिल्म काफी पसंद आई थी।

इस लिस्ट में अक्षय कुमार की फिल्म ‘ओएमजी 2′ का भी नाम शामिल है।’ओएमजी 2’ में अक्षय कुमार भगवान शिव की भूमिका में नजर आए थे। बॉक्स ऑफिस पर इस फिल्म में अच्छा कारोबार भी किया था। इस फिल्म की कहानी भी काफी नई थी। इस फिल्म में पंकज त्रिपाठी भी अहम भूमिका में दिखाई दिए थे।

बॉलीवुड की टैलेंटेड अभिनेत्री सारा अली खान ने फिल्म ‘केदारनाथ’ से अपना डेब्यू किया था। इस फिल्म में उनके साथ सुशांत सिंह राजपूत भी नजर आए थे। इस फिल्म को दर्शकों ने काफी सराहा भी था। अगर आप भी शिव भक्त हैं तो इस फिल्म को देख सकते हैं। भगवान शिव की महिमा को इस फिल्म में बेहतरीन तरीके से दिखाया गया है।

इस लिस्ट में अजय देवगन की फिल्म ‘शिवाय’ का भी नाम शामिल है। अजय देवगन की इस फिल्म ने बॉक्स ऑफिस पर अच्छा कलेक्शन किया था। सावन के महीने में अगर आप भगवान शिव पर बनी फिल्मों को देखने को बेताब हैं तब आपके लिए यह फिल्म एक बेहतरीन पसंद है। इस फिल्म में अजय देवगन ने शानदार अभिनय किया था।

पहले के 30 मिनट सीट से हिल नहीं पाएंगे, आखिर के 30 मिनट एमसीयू की दिशा बदल देंगे

ऐसा हॉलीवुड फिल्मों में कम ही होता है और जब भी होता है कमाल ही होता है। अपनी अपनी शैली के दो दिग्गज कलाकार पहले किसी एक कमाल के निर्देशक के साथ अलग अलग काम कर चुके हों, दोनों कलाकार आपस में दोस्त भी हों और फिर एक दिन किस्मत मौका दे तीनों को एक साथ अमर, अकबर, एंथनी जैसा कुछ करने का! फिल्म ‘डेडपूल एंड वूल्वरिन’ में शॉन लेवी, रयान रेनॉल्ड्स और ह्यू जैकमैन ने ऐसा ही कुछ करने की कोशिश की है और काफी हद तक कामयाब भी रहे हैं। फिल्म को देखने के लिए आपको एमसीयू का सिलेबस याद करके आने की कतई जरूरत नहीं है, इस फिल्म को समझने के लिए जितना एमसीयू ज्ञान आपको चाहिए, इसके ज्ञानचंद फिल्म के दौरान ही दे देते हैं।

ध्यानचंद, ज्ञानचंद और करमचंद की तिकड़ी
फिल्म ‘डेडपूल एंड वूल्वरिन’ दरअसल एमसीयू के ध्यानचंद, ज्ञानचंद और करमचंद तीनों का लिटमेस टेस्ट जैसा है। साल 2022 और 2023 में एमसीयू की छह फिल्में और आठ वेब सीरीज ने एमसीयू के समर्पित भक्तों को भी बागी बनने पर मजबूर कर दिया। इन सारी किताबों को एमसीयू के क्लासरूम में बाहर फेंककर निर्देशन शॉन लेवी ने अपने पुराने दोस्त ह्यू जैकमैन को एक्स मैन सीरीज की आखिरी फिल्म ‘लोगन’ से उठाया और अपने कुछ ही साल पहले बने पक्के दोस्त रयान रेनॉल्ड्स को ‘डेडपूल’ से। फिर कहानी वहां से शुरू की जहां डिज्नी ने हॉलीवुड की दिग्गज कंपनी ट्वेंटिएथ सेंचुरी फॉक्स का अपने में विलय किया था। फिल्म में इसका विशालकाय पत्थर का बना लोगो धरती में धंसता दिखता भी है और यहीं से शॉन लेवी को एक्स मेन के दूसरे सितारे भी चमकते दिखाई देते हैं।

ध्रुव शक्ति और धरती बचाने की मुहिम
फिल्म ‘डेडपूल एंड वूल्वरिन’ देखने के लिए आपको बस इतना समझना है कि टाइम वैरिएंस अथॉरिटी (टीवीए) क्या है और मल्टीवर्स क्या है? अलग अलग कालखंडों में और अलग अलग धरतियों पर हो रही घटनाओं पर नजर रखने वाली ये एजेंसी इस बार डेडपूल को उठा ले जाती है। डेडपूल को अलग अलग दुनियाओं में भटकने का मौका मिलता है तो इस जानकारी के बाद कि उसकी अपनी दुनिया बस अगले 72 घंटों में नष्ट होने वाली है। समय में आगे-पीछे डोलती इस कहानी की ‘ध्रुव शक्ति’ उसे तमाम यूनिवर्स में भटकने के बाद मिलती है। दोनों एक दूसरे से अमिताभ बच्चन और विनोद खन्ना की तरह लड़ते हैं। हैं तो एक दूसरे की जान के प्यासे लेकिन एक दूसरे के बिना रह भी नहीं सकते। आगे मामला हिंदी फिल्मों जैसा ही है। शाकाल टाइप की एक विलेन भी है, जिसे दूसरों के दिमाग में ‘उंगली’ करने की खराब आदत है।

अजीब दास्तां है ये, कहां शुरू, कहां खत्म!
शुरू के 30 मिनट फिल्म कमाल है। यूं लगता है कि रयान रेनॉल्ड्स ने फिल्म ‘किल’ के कत्लों का रिकॉर्ड तोड़ने का प्रण कर लिया है। इतना खून खराबा परदे पर मचता है लेकिन दर्शक उसमें भी मजे लेते दिखते हैं। वीभत्स, रौद्र, वीर और भयानक सारे रस एक दूसरे में गुत्थमगुत्था होते जाते हैं और बीच बीच में हास्य का छौंका माहौल को महकाए रखने की पूरी कोशिश करता है। कहानी तय हो जाती है। दोनों सुपरहीरो एक दूसरे से मिल भी जाते हैं। बस इसके बाद लेखक टी ब्रेक ले लेते हैं। कहानी नीचे गोता लगाती है और इसके पहले कि बीते दो साल की एमसीयू की अधिकतर फिल्मों की तरह ये फिल्म और गहरा गोता लगाए, पांच पांडव सरीखे फिल्म के पांच लेखक मिलकर ‘महाभारत’ संभाल लेते हैं। फिल्म हॉलीवुड में ‘आर’ श्रेणी में पारित है और अपने यहां ‘ए’ यानी ‘वयस्कों के लिए’ से ऊपर कोई दूसरी श्रेणी होती नहीं। बस सोच लीजिए कि ‘सेक्रेड गेम्स’ के दौर के अनुराग कश्यप अगर डिज्नी की कोई फिल्म निर्देशित करते तो क्या होता, फिल्म ‘डेडपूल एंड वूल्वरिन’ वही फिल्म है।