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‘भारत को कमजोर करने की कोशिश को बर्दाश्त नहीं करेंगे’, ममता बनर्जी के बयान पर भड़की भाजपा

कोलकाता:  पश्चिम बंगाल भाजपा ने राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर निशाना साधा है और आरोप लगाया है कि सीएम राज्य में घुसपैठ को जायज ठहरा रही हैं। भाजपा ने यह आरोप ममता बनर्जी के उस बयान के बाद लगाया है, जिसमें ममता बनर्जी ने कहा कि वह बांग्लादेश के हिंसा प्रभावित लोगों को राज्य में शरण देने के लिए तैयार हैं। भाजपा नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि भारत की एकता को कमजोर करने की कोशिश को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

‘शरण देने का अधिकार सिर्फ केंद्र के पास’
ममता बनर्जी ने ये भी कहा कि वह चाहती हैं कि बंगाल के भारत के साथ अच्छे संबंध रहें। इस बयान पर हमला करते हुए रविशंकर प्रसाद ने हैरानी जताई और कहा कि उनका कहने का क्या मतलब है? बंगाल तो भारत का ही हिस्सा है। बांग्लादेश में जारी हिंसा के बीच कोलकाता में एक रैली के दौरान ममता बनर्जी ने कहा था कि पड़ोसी देश बांग्लादेश में जारी हिंसा के बीच हिंसा पीड़ितों को शरण देने के लिए बंगाल के दरवाजे खुले हैं। ममता बनर्जी के इस बयान पर भाजपा नेता ने कहा कि किसी को शरण देने का अधिकार सिर्फ केंद्र सरकार के पास है और राज्य सरकार इस पर फैसला नहीं ले सकती।

‘बंगाल की जनसांख्यिकी में आ रहे बदलाव’
रविशंकर प्रसाद ने तंज कसते हुए कहा कि ‘टीएमसी की नेता नागरिकता संशोधन कानून का विरोध कर रही हैं, जो पड़ोसी देशों में धर्म के आधार पर सताए गए लोगों को नागरिकता देता है, लेकिन वह घुसपैठियों की मदद करना चाहती हैं।’ प्रसाद ने ममता बनर्जी पर घुसपैठ को जायज ठहराने का आरोप लगाया और कहा कि ‘बंगाल में जनसांख्यिकी बदल रही है। राज्य में पहले मुस्लिम बहुल जिलों की संख्या तीन थी, लेकिन आज यह बढ़कर नौ हो गई है। कोलकाता की जनसांख्यिकी में भी बदलाव आ रहे हैं क्योंकि बांग्लादेश से बड़ी संख्या में लोग कोलकाता आ रहे हैं। कई आतंकी हमलों के आरोपी भी राज्य में शरण लिए हुए हैं।’ रविशंकर प्रसाद ने कहा कि ‘जो लोग राष्ट्रवाद की बात करते हैं, उन पर राज्य में हमले होते हैं।’

हिंसा की वजह से भारत-बांग्लादेश के बीच व्यापार लगातार दूसरे दिन ठप, लोगों की आवाजाही जारी

कोलकाता:  बांग्लादेश में हिंसा अभी भी जारी है और इसका असर व्यापार पर भी पड़ रहा है। पश्चिम बंगाल के बंदरगाहों से भारत और बांग्लादेश के बीच होने वाले वाला व्यापार लगातार दूसरे दिन सोमवार को भी ठप रहा। हालांकि, अधिकारियों का कहना है कि एक तय संख्या में यात्रियों की आवाजाही जारी है। उधर, बांग्लादेश के पेट्रापोल बंदरगाह से माल ढोने वाले ट्रकों के पहिए भी रविवार से थमे हुए हैं। बांग्लादेश में हिंसक घटनाओं की वजह से सरकार ने अवकाश घोषित किया हुआ है। आपातकालीन सेवाओं को छोड़कर बाकी सभी सेवाओं पर फिलहाल रोक लगाई गई है।

पेट्रापोल बंदरगाह से लगातार दूसरे दिन व्यापार ठप
आपको बता दें कि पेट्रापोल बंदरगाह उत्तर 24 परगना जिले के बनगांव में स्थित है। यह बंदरगाह दक्षिण एशिया के सबसे बड़े बंदरगाहों में से एक है। यह बंदरगाह भारत और बांग्लादेश के बीच व्यापार में अहम भूमिका निभाता है। सामान्य दिनों में यहां से हर दिन सैकड़ों मालवाहक ट्रक गुजरते हैं। पेट्रापोल बंदरगाह में भारतीय अधिकारी कमलेश सैनी का कहना है कि व्यापार पर फिलहाल रोक लगाई गई है। हालांकि, लोगों, खास तौर पर छात्रों की आवाजाही जारी है। उन्होंने बताया कि अब तक 700 से अधिक छात्र पेट्रापोल बंदरगाह पहुंचे हैं।

बांग्लादेश से अब तक 4,500 भारतीयों की वतन वापसी
कमलेश सैनी ने आगे बताया कि अब तक 4,500 से अधिक भारतीय छात्रों की बांग्लादेश से वतन वापसी कराई गई है। आपको बता दें कि बांग्लादेश में हिंसा की वजह से 100 से अधिक लोगों की मौत हुई है। पेट्रोपोल बंदरगाह में बीते शनिवार को आखिरी व्यापारिक गतिविधि देखी गई है। उस दौरान बांग्लादेश में भारत में 110 मालवाहक ट्रक भेजे गए थे। इसके अलावा भारत से बा्ंग्लादेश के लिए 48 मालवाहक ट्रक भेजे गए थे। अधिकारियों ने बताया कि इस समय पेट्रापोल बंदरगाह में 800 ट्रकों के पहिए थमे हुए हैं।

क्या है बांग्लादेश हिंसा की वजह
बांग्लादेश को साल 1971 में आजादी मिली थी। आजादी के बाद से ही बांग्लादेश में आरक्षण व्यवस्था लागू है। इसके तहत स्वतंत्रता सेनानियों के बच्चों को 30 प्रतिशत, देश के पिछड़े जिलों के युवाओं को 10 प्रतिशत, महिलाओं को 10 प्रतिशत, अल्पसंख्यकों के लिए 5 प्रतिशत और दिव्यांगों के लिए एक प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान था।

कांवड़ यात्रा पर ‘सुप्रीम’ फैसले का विपक्ष ने किया स्वागत, मोइत्रा बोलीं- ये भारतीयों की जीत

उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड सरकार के कांवड़ यात्रा मार्ग से जुड़े आदेश पर सुप्रीम कोर्ट के अंतरिम रोक लगाने के फैसले का तृणमूल कांग्रेस सांसद महुआ मोइत्रा और तमाम विपक्षी सांसदों ने स्वागत किया है। बता दें कि यूपी और उत्तराखंड सरकार के आदेश में कांवड़ यात्रा मार्ग पर मौजूद सभी फलों और खाने-पीने की दुकान के मालिकों को दुकान के सामने उनका नाम लिखने को कहा गया था।

ये भारतीयों की जीत- महुआ मोइत्रा
इस मामले में याचिकाकर्ता और टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा ने कहा कि हमें यूपी सरकार और मुजफ्फरपनगर पुलिस की तरफ से शुरू किए गए अवैध और असंवैधानिक कांवड़ यात्रा आदेश पर पूरी तरह से रोक मिली है। इस आदेश को पूरे यूपी और उत्तराखंड के कुछ हिस्सों में लागू किया गया था। उन्होंने आगे कहा इससे धार्मिक भेदभाव हो रहा था। हमने इसके खिलाफ याचिका दायर की थी। सुप्रीम कोर्ट ने अभी इस पर पूरी तरह से रोक लगाई है और किसी भी दुकान के मालिकों को अपना नाम दुकान के बाहर लिखने की जरूरत नहीं है। यह संविधान और भारत के सभी लोगों के लिए एक बड़ी जीत है।

अखिलेश यादव ने भाजपा पर लगाए आरोप
वहीं इस पर समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा कि दुकानों के सामने मालिक का नाम लिखने का निर्देश, इसके साथ ही सरकारी कर्मचारियों को आरएसएस की गतिविधियों में भाग लेने की अनुमति देने का फैसला भाजपा की हताशा को दर्शाता है। उन्होंने कहा कि सांप्रदायिकता की राजनीति अपने अंतिम चरण में है, इसलिए सरकार की तरफ से ऐसे फैसले लिए जा रहे हैं। उन्होंने कहा वे (भाजपा) और भी ऐसे कदम उठाएंगे। वे सांप्रदायिक राजनीति को जीवित रखने के लिए ऐसा कर रहे हैं।

अन्य विपक्षी सांसदों ने दी फैसले पर प्रतिक्रिया
इधर कांग्रेस सांसद कार्ति चिदंबरम ने कहा कि उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड सरकारों की तरफ से दिया गया निर्देश नाजी शासन के समान है। उन्होंने कहा, “यह अच्छा है, हमें ऐसा नहीं करना चाहिए। आज नाम हैं, कल वे कहेंगे कि अपनी जाति बताएं। इससे और अधिक भेदभाव ही होगा। वहीं शिवसेना (यूबीटी) सांसद संजय राउत ने कहा, मैं अपने दिल की गहराई से सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत करता हूं। उन्होंने संविधान की रक्षा की है। उन्होंने कहा कि निर्देश का उद्देश्य सांप्रदायिक विभाजन को गहरा करना था। उन्होंने कहा, वे नफरत फैलाना चाहते हैं, दंगे कराना चाहते हैं। भाजपा की इस नीति के लिए जितनी भी आलोचना की जाए, कम है। वहीं आजाद समाज पार्टी (कांशीराम) के सांसद चंद्रशेखर ने कहा कि लोग अपनी आजीविका के मुद्दों पर बात करना चाहते हैं और कांवड़ यात्रा के नाम पर हो रहे प्रयोग को स्वीकार नहीं करेंगे, जो सदियों से होता आ रहा है। चंद्रशेखर ने कहा, कांवड़ यात्रा सदियों से होती आ रही है। यह तब भी होती थी, जब भाजपा सत्ता में नहीं थी। लोग यात्रा के नाम पर किए जा रहे प्रयोग को स्वीकार नहीं करेंगे।

सुप्रीम कोर्ट ने सरकारों से मांगा जवाब
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड सरकारों की तरफ से जारी निर्देशों पर अंतरिम रोक लगा दी, जिसमें कहा गया था कि कांवड़ यात्रा मार्ग पर मौजूद दुकानों के सामने दुकान मालिकों अपने नाम प्रदर्शित करने होंगे। मामले में न्यायमूर्ति ऋषिकेश रॉय और न्यायमूर्ति एस. वी. एन. भट्टी की पीठ ने उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और मध्य प्रदेश सरकारों को नोटिस जारी कर निर्देश को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर जवाब मांगा है।

‘मैं मुस्लिम युवक के शाकाहारी होटल में खाना खाता था’, अदालत में न्यायमूर्ति भट्टी ने ऐसा क्यों कहा? जानें

नई दिल्ली:देश की सर्वोच्च अदालत के न्यायाधीश एसवीएन भट्टी का कहना है कि जब वे केरल में थे तो एक मुस्लिम द्वारा संचालित शाकाहारी भोजनालय में भोजन करने जाते थे। न्यायमूर्ति भट्टी ने आगे कहा कि उस भोजनालय में अंतरराष्ट्रीय स्तर के स्वच्छता के मानकों का पालन किया जाता था।

शीर्ष अदालत में सुनवाई के दौरान साझा किया अनुभव
अब सवाल ये है कि आखिर न्यायमूर्ति भट्टी ने यह टिप्पणी क्यों की? दरअसल, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड सरकार ने कांवड़ यात्रा को लेकर दिशा-निर्देश जारी किए थे। निर्देश में कहा गया था कि कांवड़ यात्रा मार्ग पर स्थित भोजनालयों के मालिकों का नाम साफ साफ लिखा जाए। सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड सरकार के आदेश पर रोक लगाई है। शीर्ष अदालत में न्यायमूर्ति ऋषिकेश रॉय और न्यायमूर्ति एसवीएन भट्टी ने मामले की सुनवाई की। इस दौरान न्यायमूर्ति भट्टी ने केरल में अपने अनुभव को भी साझा किया।

न्यायमूर्ति भट्टी ने क्या कहा?
न्यायमूर्ति भट्टी ने कहा,‘जब मैं केरल में था तो वहां एक हिंदू का शाकाहारी भोजनालय था। वहां एक अन्य शाकाहारी भोजनालय भी था, जिसका संचालन एक मुस्लिम द्वारा किया जाता था। मैं मुस्लिम द्वारा संचालित शाकाहारी भोजनालय में भोजन करने जाता था। वह मुस्लिम युवक दुबई से लौटा था। स्वच्छता के मामले में मुस्लिम युवक द्वारा अंतरराष्ट्रीय मानकों का पालन किया जाता था। इसलिए, उस भोजनालय में जाना मुझे पसंद था।’

उत्तराखंड-उत्तर प्रदेश सरकार को नोटिस जारी
अदालत में सुनवाई के दौरान तृणमूल कांग्रेस सांसद महुआ मोइत्रा की तरफ से पेश हुए वकील अभिषेक सिंघवी ने कहा कि आप मैन्यू कार्ड देखकर भोजनालय का चयन करते हैं ना कि नाम देखकर। इस मामले में सर्वोच्च अदालत की पीठ ने उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड सरकार को नोटिस जारी किया है। कोर्ट ने कहा कि दुकानदारों को अपना नाम बताने की जरूरत नहीं है। वे सिर्फ यह बताएं कि उनके पास कौन-से और किस प्रकार के खाद्य पदार्थ उपलब्ध हैं।

‘सब्सिडी के बावजूद कृषि नीतियों में बदलाव की जरूरत’, मुख्य आर्थिक सलाहकार की अहम टिप्पणी

नई दिल्ली: मुख्य आर्थिक सलाहकार वी अनंत नागेश्वरन ने कहा है कि देश के कृषि क्षेत्र के मुद्दे पर राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि कृषि में सब्सिडी के बावजूद कृषि नीतियों में बदलाव की जरूरत है। मुख्य आर्थिक सलाहकार ने आर्थिक सर्वेक्षण 2023-24 की प्रस्तावना में कहा कि सरकार पर्याप्त मात्रा में किसानों को सहायता देती है और ये सहायता पानी पर सब्सिडी, बिजली और फर्टिलाइजर्स पर सब्सिडी के रूप में किसानों को मिलती है।

मौजूदा नीतियों से बढ़ रही समस्याएं
नागेश्वरन ने कहा कि किसानों को आयकर में छूट के साथ ही न्यूनतम समर्थन मूल्य भी दिया जाता है, लेकिन इन सब के बावजूद कृषि नीतियों में बदलाव करने की जरूरत है ताकि किसानों को फायदा पहुंचाया जा सके। आर्थिक सर्वेक्षण में राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर लागू मौजूदा नीतियां अक्सर विपरीत उद्देश्यों पर काम करती हैं और इनसे अपेक्षित परिणाम नहीं मिल पाता है। मुख्य आर्थिक सलाहकार ने कहा कि मौजूदा नीतियों की वजह से उर्वरता में गिरावट, भूजल में कमी, पर्यावरण प्रदूषण और फसल उत्पादन और आहार में पोषण संबंधी असंतुलन जैसी समस्या बढ़ रही हैं।

देश की आर्थिक तरक्की में अहम भूमिका निभा सकता है कृषि क्षेत्र
नागेश्वरन ने इस बात पर जोर दिया कि अगर कृषि क्षेत्र की नीतियों में जटिलताओं पर ध्यान दिया जाए तो इससे फायदा हो सकता है। नागेश्वरन ने कहा कि देश के आर्थिक विकास में कृषि की भूमिका को अहम बनाने के लिए कुछ आदर्श बदलाव करने की जरूरत है। कृषि क्षेत्र भारत की आर्थिक तरक्की का वाहक बन सकता है। उन्होंने कहा कि टिकाऊ खेती के तरीकों और कृषि नीतियों में बदलाव करके, खाद्य प्रसंस्करण और निर्यात में अवसर पैदा करके किसानों की आय में वृद्धि हो सकती है।

केंद्र सरकार मंगलवार को बजट पेश करेगी और माना जा रहा है कि इस बजट में देश के किसानों के लिए कई बड़े एलान हो सकते हैं। साथ ही पीएम आवास योजना की राशि में भी बढ़ोतरी होने की उम्मीद जताई जा रही है।

मॉल्स के लिए गाइडलाइन बनाएगी कर्नाटक सरकार, धोती पहनकर पहुंचे किसान को रोकने के बाद उठाया कदम

बंगलूरू: कर्नाटक की कांग्रेस सरकार मॉल के लिए गाइडलाइन बनाने जा रही है। डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार ने सोमवार को बताया कि धोती पहनकर पहुंचे किसान को मॉल में घुसने से रोकने के मामले को सरकार ने गंभीरता से लिया है। अब मॉल के लिए नए दिशा-निर्देश जारी किए जाएंगे। 16 जुलाई को बंगलूरू के एक मॉल में धोती पहनकर पहुंचे किसान को घुसने से रोक दिया गया था। इसके बाद 18 जुलाई को कर्नाटक सरकार ने मॉल को सात दिन के लिए बंद करने का आदेश दिया था।

सोमवार को विधानसभा में डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार ने कहा कि यह किसान के आत्मसम्मान और प्रतिष्ठा का अपमान है। इसे किसी दिशा में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उन्होंने कहा कि पिछले सप्ताह विधानसभा में मॉल में धोती पहनकर पहुंचे किसान को रोके जाने के मामले पर चर्चा की गई थी। इसके बाद हमने मॉल को बंद करने के आदेश दिए थे। ऐसे मामलों को रोकने के लिए हम गाइडलाइन जारी करेंगे। चाहे वह बड़ा मॉल हो या छोटा।

उन्होंने कहा कि मॉल को बंद करने के साथ ही नोटिस दिया गया। साथ ही मॉल प्रबंधन से लिखित स्पष्टीकरण और माफीनामा लिया गया है। इसके अलावा जांच में सामने आया कि मॉल पर दो करोड़ रुपये टैक्स बकाया था। इसमें उन्होंने कुछ टैक्स जमा कर दिया। बाकी बकाया जमा करने के लिए मॉल को 31 जुलाई तक का वक्त दिया गया है। इसके लिए उन्होंने चेक दे दिया है।

विपक्ष बोला- क्लब को भी दायरे में लाएं
कर्नाटक सरकार के मॉल को गाइडलाइन जारी करने के मुद्दे पर विपक्ष ने भी बयान जारी किया। जेडी (एस) के नेता सीबी सुरेश बाबू ने डिप्टी सीएम शिवकुमार से प्राइवेट क्लबों को भी गाइडलाइन के दायरे में लाने की मांग की है। इस पर कानून मंत्री एचके पाटिल ने कहा कि यह गाइडलाइन एक विशेष घटना को लेकर बनाई गई है। इसलिए गाइडलाइन में क्लब और बार को शामिल करने की जरूरत नहीं है।

वहीं नेता विपक्ष आर अशोक ने सरकार की योजना का स्वागत करते हुए कहा कि हम जानते हैं कि छह महीने बाद आदेशों को भुला दिया जाएगा। इसलिए लाइसेंस देते वक्त यह निर्देश दिए जाएं कि किसी भी ग्रामीण पोशाक पहने व्यक्ति का शोषण नहीं किया जाएगा। लाइसेंस में शामिल करने से यह मददगार होगा और निर्देशों का पालन होगा।

इंडिया गठबंधन की खुल चुकी पोल, टकाटक पैसे देने के नाम पर बेवकूफ बनाया

इटावा:  इंडिया गठबंधन की पोल खुल खुल चुकी है। उन्होंने टकाटक पैसे देने के नाम पर जनता को बेवकूफ बनाया है। यह बात शनिवार को कृषि इंजीनियरिंग कॉलेज में आयोजित पौधरोपण कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में आए उच्च शिक्षा मंत्री योगेंद्र उपाध्याय ने पत्रकारों से वार्ता करते हुए कही। कहा कि चुनाव खत्म होते ही कर्नाटक में पेट्रोल, डीजल और गैस के दाम बढ़ा दिए हैं।

अब वहां जनता से टकाटक रुपये वसूले जा रहे हैं। कहा इंडिया गठबंधन ने आरक्षण और संविधान को लेकर जो भ्रम फैलाया था अब वह जनता का भ्रम खत्म हो गया है। अखिलेश यादव के मानसून ऑफर वाले बयान 100 विधायक लाओ सरकार बनाओ पर पलटवार करते हुए कहा कि मुंगेरी सिंह के सपने देख रहे हैं। वहीं उप चुनाव में 10 सीटें भाजपा के जीतने का दावा किया। कहा कि पांच सीट पहले से भाजपा की थी उन्हें तो भाजपा जीतेगी ही बाकी की पांच सीटें भी जीतने के लिए रणनीति बना ली गई है।

राहुल ने परीक्षा प्रणाली को बकवास बताया तो शिक्षा मंत्री ने याद दिलाया इतिहास; पढ़ें तीखी नोकझोंक

नई दिल्ली: लोकसभा में मानसून सत्र के दौरान नीट पेपर लीक मुद्दे पर जमकर हंगामा हुआ। विपक्ष ने सरकार को इस मुद्दे पर खूब घेरा। विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने कहा कि देश के लाखों छात्रों से जुड़े मुद्दे पर कुछ नहीं हो रहा है। यह बेहद चिंता का विषय है। मामले में केंद्रीय शिक्षा मंत्री ने पलटवार किया। उन्होंने राहुल को नीट परीक्षा का इतिहास बताया। इस दौरान सदन में खूब हंगामा हुआ।

उन्होंने कहा कि भारत की परीक्षा प्रणाली धोखे से भरी है। लाखों लोग मानते हैं कि अगर आप अमीर हैं और आपके पास पैसा है, तो आप भारतीय परीक्षा प्रणाली को खरीद सकते हैं। उन्हाेंने शिक्षा मंत्री से पूछा कि नीट के मुद्दे को लेकर क्या कार्रवाई की जा रही है।

वहीं सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने कहा कि यह सरकार पेपर लीक का रिकॉर्ड बनाएगी। कुछ सेंटर ऐसे हैं जहां दो हजार से ज्यादा छात्र पास हुए हैं। जब तक यह धर्मेंद्र प्रधान शिक्षा मंत्री हैं, तब तक छात्रों को न्याय नहीं मिलेगा। इस मामले में केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने पलटवार किया कि देश की परीक्षा प्रणाली को बकवास कहने की विपक्ष के नेता की बात की मैं निंदा करता हूं।

पति-पत्नी को अलग बिस्तर पर सोने की जरूरत क्यों? जानिए क्या है स्लीप डिवोर्स

अगर आप भी अपने साथी के खर्राटों या उनके अजीब तरह से सोने के तरीकों से परेशान हैं तो उनसे ‘स्लीप डिवोर्स’ ले लें। घबराइए मत, यह डिवोर्स रिश्ते तोड़ता नहीं, बल्कि उन्हें मजबूत बनाता है। नेहा की शादीशुदा जिंदगी पटरी पर चल रही है। कोई मनमुटाव नहीं, कोई झगड़ा नहीं। फिर भी रात में नेहा अपने पति के साथ न सोकर अलग कमरे में सोती है। एक दिन उसके घर आई सहेली ने हैरान होते हुए इसकी वजह पूछी, क्योंकि उसे लगा कि झगड़ा हुआ है। पर नेहा ने हंसते हुए समझाया, “हमारा कोई झगड़ा नहीं हुआ, बस ‘स्लीप डिवोर्स’ किया है।” नेहा की सहेली यह टर्म पहली बार सुन रही थी।

डिवोर्स शब्द सुनते ही हमारे मन में दो व्यक्तियों के बीच अलगाव होने की छवि उभती है, लेकिन ‘स्लीप डिवोर्स’ में ऐसी कोई बात नहीं। अलग-अलग सोने का बस यही मतलब है कि आपकी नींद की जरूरतें आपके साथी की जरूरतों से मेल नहीं खाती हैं। इसमें संबंधों में कुछ भी अटपटा नहीं है और यह सामान्य है। असल में, नेहा अपने पति से अलग दूसरे कमरे में सिर्फ इसलिए सोती है, ताकि रात में वह शांति से चैन की नींद ले सके। पति से दूर अलग बिस्तर या अलग कमरे में सोने की इसी अवधारणा को ‘स्लीप डिवोर्स’ कहा जाता है।

भोपाल के रहने वाले सुमित एक आईटी प्रोफेशनल हैं। वह अपनी पत्नी के लगातार खर्राटों के कारण रात में सो नहीं पा रहे थे, जिस कारण उनकी सेहत बिगड़ रही थी। इस सिलसिले में उन्होंने मनोचिकित्सक से संपर्क किया और रात में चैन से सोने के लिए दवाएं देने का अनुरोध किया, लेकिन मनोचिकित्सक ने उन्हें स्लीप डिवोर्स करने की सलाह दी। सुमित ने अपनी पत्नी से बात की और अलग दूसरे कमरे में सोने लगे। आज वह इस परेशानी से उभर चुके हैं।

स्लीप डिवोर्स टर्म का पहली बार प्रयोग कब हुआ, यह ठीक-ठीक कह पाना मुश्किल है। लेकिन 2013 से ही इस टर्म को पत्र-पत्रिकाओं में पढ़ा जा सकता है। अच्छी नींद और सेहत से जुड़े कई हालिया शोधों में भी यह टर्म तेजी से उभरकर सामने आया है। कई विशेषज्ञ अच्छी सेहत को अच्छी नींद से जोड़ते हैं। उनका मानना है कि स्लीप डिवोर्स से न सिर्फ रिश्ते मजबूत होते हैं, बल्कि सेहत भी सुधरती है।

सोमवार के व्रत के लिए ऐसे तैयार करें साबूदाना खिचड़ी

आज 22 जुलाई से सावन के पावन महीने की शुरुआत हो गई है। इस पूरे महीने लोग भोलेनाथ को प्रसन्न करने के लिए उनकी पूजा-अर्चना करते हैं। ऐसी मान्यता है कि जो भी व्यक्ति सच्चे मन से शिव-शंकर की पूजा करता है, महादेव उसके कष्ट हर लेते हैं।इस पूरे महीने में जो सोमवार पड़ते हैं, उस दिन लोग व्रत-उपवास भी करते हैं। सोमवार के साथ-साथ सावन में लोग मंगला गौरी, एकादशी, प्रदोष, शिव तेरस और हरियाली तीज समेत कई सारे व्रत रखते हैं। इन सभी दिनों पर फलाहार का सेवन किया जाता है।

आज 22 जुलाई को ही सावन का पहला सोमवार पड़ा है। ऐसे में अगर आज आपका व्रत है और आप इस सोच में हैं कि खाने में क्या तैयार करें तो साबूदाना की खिचड़ी एक बेहतर विकल्प है। ये खाने में काफी स्वादिष्ट लगती है और इसे बनाना भी काफी आसान होता है।

साबूदाना खिचड़ी बनाने का सामान

साबूदाना – 1 कप
मूंगफली – 1/2 कप ( भुनी हुई )
आलू – 1
हरी मिर्च – 2-3
करी पत्ता – 8-10 पत्ते
जीरा – 1 चम्मच
घी – 2-3 चम्मच
सेंधा नमक – स्वादानुसार
नींबू का रस – 1 चम्मच
धनिया पत्ती – सजावट के लिए

विधि

साबूदाना बनाने के लिए आपको सबसे पहले इसे अच्छी तरह से धोकर पांच से छह घंटे के लिए भिगोकर रखना है। जब ये सही से फूल जाए तो फिर साबूदाना को छलनी से छानकर अतिरिक्त पानी निकाल दें और इसे कुछ देर के लिए ऐसे ही रहने दें, ताकि यह पूरी तरह सूख जाए।

अब एक कढ़ाई में घी गर्म करके इसमें जीरा डालें। जीरा जब सुनहरा होने लगे तो कढ़ाई में करी पत्ता और बारीक कटी हरी मिर्च डालें और हल्का भूनें। इसके बाद आप कढ़ाई में उबले हुए कटे आलू डालें और हल्का सुनहरा होने तक भूनें।

आखिर में इसमें भिगोया हुआ साबूदाना और भुनी हुई मूंगफली डालें और अच्छी तरह मिलाएं। इसी बीच साबूदाना में अपने स्वाद के हिसाब से सेंधा नमक भी एड करें।
अब इसे मध्यम आंच पर 5-7 मिनट तक पकाएं। जब साबूदाना पारदर्शी हो जाए तो इसमें नींबू का रस डालकर अच्छी तरह मिलाएं। अब गैस बंद करें और साबूदाना के ऊपर बारीक कटा हरा धनिया डाल दें।

टिप्स

अगर आप चाहती हैं कि आपकी साबूदाना खिचड़ी बिना चिपके बन जाए तो इसे सही तरह से भिगोकर इसका पूरा पानी जरूर निकाल दें। जब ये पूरी तरह से सूख जाएगा, तभी ये खिला-खिला बनेगा।