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साढ़े सात वर्ष में 1.87 लाख से अधिक मरीजों को दी गई 32.31 अरब की आर्थिक सहायता

लखनऊ: योगी सरकार ने दावा किया है कि बीते साढ़े सात वर्ष में 1.87 लाख से अधिक मरीजों को 32.31 अरब की आर्थिक सहायता दी गई यानी 2012 से 2017 की अपेक्षा पीड़ितों के इलाज के लिए कई गुना धनराशि आवंटित की गई। सीएम योगी ने जनता दर्शन-जनप्रतिनिधियों, जनता द्वारा भेजे गए प्रार्थना पत्र के आधार पर पीड़ितों के लिए आर्थिक सहायता उपलब्ध कराई।

घरवालों के साथ सीएम योगी ने भी पकड़ा शिवम का हाथ
गोरखपुर के शिवम शुक्ला की आयु महज 29 वर्ष है। एक दिन अचानक माता-पिता को पता चला कि शिवम को किडनी की समस्या हो गई। उनका इलाज दिल्ली में होने लगा। अपनी सामर्थ्य के अनुरूप माता-पिता ने इलाज शुरू कराया। धीरे-धीरे जब पैसे की जरूरत पड़ने लगी तो अपने विधायक से पत्र लिखवाया। यह पत्र मुख्यमंत्री कार्यालय पहुंचा तो कागजी कार्रवाई के तत्काल बाद शिवम के इलाज के लिए धनराशि दी गई। शिवम के भाई शशांक कहते हैं कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के कार्यालय में निश्चित समयावधि के भीतर ही सारी प्रक्रियाएं कर इलाज के लिए पैसे आवंटित कर दिए गए। ईश्वर की कृपा से भाई अब शानदार व सरल जीवन व्यतीत कर रहा है।

नवनीत पांडेय के परिवार के लिए यह राशि बनी काफी कारगर
कप्तानगंज के नवनीत पांडेय को भी किडनी की बीमारी हुई। उनकी पत्नी ने उन्हें डोनेट किया। दोनों का छोटा बेटा है। इलाज में शारीरिक परेशानियों के अलावा आर्थिक परेशानी बड़ी टेंशन बनी तो मुख्यमंत्री राहत कोष की याद आई। नवनीत के परिजनों ने सारी कागजी कार्रवाई पूरी की, फिर निश्चित समयावधि में पीजीआई में उनके इलाज के लिए धन आवंटित किया गया। नवनीत और उनकी पत्नी दोनों सकुशल जीवन व्यतीत कर रहे हैं। बातचीत में उन्होंने सीएम योगी आदित्यनाथ के इस कार्य के प्रति आभार जताते हुए उनके लिए दुआएं भी कीं।

2012 से 2017 के दौरान इलाज के लिए दी गई धनराशि
2012 से लेकर 2017 तक मुख्यमंत्री विवेकाधीन कोष से वित्तीय वर्ष 2012-13 में 3362 लोगों को 31 करोड़ 37 लाख नौ हजार 500 रुपये, वित्तीय वर्ष 2013-14 में 4361 लोगों को 31 करोड़ 37 लाख नौ हजार 500 रुपये, वित्तीय वर्ष 2014-15 में 5284 लोगों को 44 करोड़ 98 लाख 80 हजार 750 रुपये, वित्तीय वर्ष 2015-16 में 7762 लोगों को 98 करोड़ 34 लाख 42 हजार 747 और वित्तीय वर्ष 2016-17 में 10431 लोगों को एक अरब 64 करोड़ 94 लाख 17 हजार 732 रुपये की मदद दी गई थी। वहीं योगी सरकार बनने के बाद यह आंकड़ा काफी बढ़ गया।

श्रीरामकथा विश्राम पर बोले CM योगी- लोक और राष्ट्र कल्याण से जुड़ी है भारत की ऋषि परंपरा

गोरखपुर:  गोरक्षपीठाधीश्वर एवं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि भारत की सनातन ऋषि परंपरा व गुरु परंपरा लोक और राष्ट्र कल्याण की परंपरा है। यह परंपरा हमें इस बात के लिए प्रेरित करती है कि हमारे जीवन का एक-एक कर्म, एक-एक क्षण सनातन के लिए, समाज के लिए, राष्ट्र के लिए समर्पित होना चाहिए।

ऐसा करके ही हम गुरु परंपरा के प्रति कृतज्ञता व्यक्त कर सकते हैं। गोरक्षपीठ भी उसी गुरु परंपरा की पीठ है जो दिन-रात लोक कल्याण और राष्ट्र कल्याण के लिए कार्य कर रही है।सीएम योगी रविवार को गुरु पूर्णिमा के पावन पर्व पर गोरखनाथ मंदिर के महंत दिग्विजयनाथ स्मृति भवन में विगत 15 जुलाई से चल रही श्रीरामकथा के विश्राम सत्र और गुरु पूर्णिमा महोत्सव को संबोधित कर रहे थे। गोरक्षपीठ के ब्रह्मलीन महंतद्वय दिग्विजयनाथ एवं महंत अवेद्यनाथ के चित्र पर पुष्पार्चन करने तथा व्यासपीठ का पूजन करने के उपरांत मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि सनातन संस्कृति में ऋषि के साथ गोत्र की परंपरा भी साथ में चलती है।

जब गोत्र की बात होती है तो जाति भेद समाप्त हो जाता है। हर गोत्र किसी न किसी ऋषि से जुड़ी है और ऋषि परंपरा जाति, छुआछूत या अश्पृश्यता का भेदभाव नहीं रखती है। एक ऋषि के गोत्र को कई जातियों के लोग अनुसरित करते हैं।मुख्यमंत्री ने कहा कि भारतीय संस्कृति दुनिया में सर्वाधिक और समृद्ध और प्राचीन है और सनातन पर्व-त्योहार इसके उदाहरण हैं। ये पर्व-त्योहार भारत को और सनातन धर्मावलंबियों को इतिहास की किसी न किसी कड़ी से जोड़ते हैं।

ग्रंथों को पीढ़ियों के अनुकूल मार्गदर्शक बनाया महर्षि वेदव्यास ने
सीएम योगी ने कहा कि गुरु पूर्णिमा को व्यास पूर्णिमा भी कहा जाता है। यह महर्षि कृष्ण द्वैपायन व्यास की जयंती है जिनकी कृपा से वैदिक साहित्य प्राप्त हुए हैं। जिन्होंने वेदों, पुराणों और अनेक महत्वपूर्ण शास्त्रों को उपलब्ध कराया है।

उन्होंने कहा कि 5000 वर्ष पहले महर्षि व्यास इस धराधाम पर थे। उस कालखंड में उन्होंने कई पीढ़ियों का प्रतिनिधित्व किया। अनेक ग्रंथों की रचना कर उसे वर्तमान पीढ़ी के मार्गदर्शन के लिए भी अनुकूल बना दिया। भारत के अलावा 5000 वर्ष का इतिहास दुनिया में किसी के पास नहीं है।

वर्तमान समय द्वापर और कलयुग का संधिकाल है। महाभारत के युद्ध के बाद महर्षि वेदव्यास ने श्रीमद्भागवत पुराण रचा जो मुक्ति और मोक्ष के मार्ग पर चलने को प्रेरित करने वाला पवित्र ग्रंथ है।

टीएमसी की रैली में CM ममता बोलीं- महिलाओं को आरक्षण न दे सकी BJP, अखिलेश ने कहा- जल्द गिर जाएगी NDA सरकार

कोलकाता: प. बंगाल में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) की शहीद दिवस पर चल रही रैली में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि तृणमूल कांग्रेस एकमात्र ऐसी पार्टी है जिसकी 38 फीसदी महिलाएं सांसद हैं। चुनाव से पहले भाजपा ने महिलाओं को 33 फीसदी आरक्षण देने का दावा किया था, लेकिन ऐसा नहीं कर सके। धर्मतला में चल रही रैली में समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव ने भी भाग लिया। उन्होंने कहा कि एनडीए सरकार जल्द ही गिर जाएगी।ममता बनर्जी ने कहा कि अखिलेश यादव मेरे निमंत्रण पर कार्यक्रम में शामिल होने आए, मैं उनका धन्यवाद देती हूं। मैं चाहती हूं कि पूरे देश के साथ बंगाल के रिश्ते बेहतर हों। यूपी में अखिलेश यादव ने जो खेल दिखाया, उसके बाद भाजपा को इस्तीफा दे देना चाहिए था।

वहीं सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने कहा कि भारत को सांप्रदायिक आधार पर बांटने की साजिश रचने वाली ताकतों को अस्थायी सफलता मिल सकती है, लेकिन अंततः उनकी पराजय होगी। केंद्र में भाजपा नेतृत्व वाली एनडीए सरकार लंबे समय तक नहीं टिकेगी, यह जल्द ही गिर जाएगी।

बंगाल को बदनाम कर रही भाजपा: अभिषेक
रैली में टीएमसी के महासचिव अभिषेक बनर्जी रैली में पहुंचे। उन्होंने कहा कि भाजपा ने बंगाल के सभी फंड रोक दिए हैं। भाजपा बंगाल को बदनाम कर रही है। लोकसभा चुनाव में भाजपा ने फर्जी कहानी बनाकर संदेशखली को हथियार बनाकर बंगाल को बदनाम करने की साजिश की। अभिषेक बनर्जी ने कहा कि भाजपा अबकी बार 400 पार का नारा दिया, लेकिन 240 पर रुक गए। टीएमसी के खिलाफ ईडी और सीबीआई का इस्तेमाल किया मगर जीत नहीं मिली। पार्टी महासचिव अभिषेक बनर्जी ने कहा कि 21 जुलाई 2022 को ईडी ने पार्थ चटर्जी के घर छापा मारा और उन्हें गिरफ्तार कर लिया। हम गलती करने वाले किसी व्यक्ति को नहीं बचाते। हम अन्याय करने की अनुमति भी नहीं देते हैं। अगर एसएससी-टीईटी घोटाले में पार्थ चटर्जी को गिरफ्तार किया जा सकता है, नीट घोटाले में
धर्मेंद्र प्रधान को गिरफ्तार क्यों नहीं किया गया? यह भेदभाव क्यों किया जा रहा है?

इसलिए हो रही रैली
21 जुलाई 1993 को ममता बनर्जी के नेतृत्व में राइटर्स अभियान के दौरान 13 लोगों की जान चली गई थी। उस दौरान ममता बनर्जी युवा कांग्रेस अध्यक्ष थीं, लेकिन तृणमूल कांग्रेस के गठन के बाद ममता बनर्जी हर साल 21 जुलाई को शहीद दिवस के रूप में मनाती रही हैं।

सही से गाड़ी चलाने की दी सलाह, तो दंपती ने महिला को बुरी तरह पीटा, मामला दर्ज

पुणे:  महाराष्ट्र के पुणे में एक महिला को वाहन चालक के सही से गाड़ी चलाने के लिए बोलना भारी पड़ गया और कार चालक ने महिला को बुरी तरह पीट दिया। पीड़िता ने इसकी शिकायत पुलिस से की, जिसके बाद पुलिस में आरोपी कार चालक और उसकी पत्नी के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया है।

क्या है मामला
पुणे स्थित एक लग्जरी होटल में मार्केटिंग हेड के तौर पर काम करने वाली जेरलिन डिसिल्वा ने सोशल मीडिया पर एक वीडियो शेयर किया। इस वीडियो में डिसिल्वा की नाक से बहुत खून बहता हुआ दिख रहा है। एक अन्य वीडियो में महिला ने बताया कि वह अपने दो बच्चों के साथ दोपहिया वाहन पर बानेर की तरफ जा रही थी, तभी कार सवार एक व्यक्ति ने उन्हें रास्ता नहीं दिया। इस पर डिसिल्वा ने 57 वर्षीय कार चालक को ठीक से गाड़ी चलाने को कहा। जिस पर कार चालक ने महिला को कथित तौर पर गालियां दी।

महिला ने बताया कि इसके बाद वह आगे निकल गई तो कार चालक ने पीछा कर उन्हें सड़क किनारे रुकने को मजबूर किया। महिला का आरोप है कि कार चालक ने कार से निकलकर उसे गुस्से में गालियां दीं और उसके चेहरे पर तीन से चार बार मुक्का मारा। पीड़िता ने बताया कि जब उसने गाड़ी की चाबी निकालने की कोशिश की तो कार में बैठी कार चालक की पत्नी ने भी उसे गालियां दीं और धक्का-मुक्की की। लोगों के हस्तक्षेप के बाद मामला शांत हुआ। इसके बाद पीड़िता ने पुलिस को घटना की सूचना दी। पुलिस ने आरोपी कार चालक दंपती के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया है और घटना की जांच कर रही है।

मानसून सत्र के लिए निजी सदस्य विधेयक सूचीबद्ध, रिटायर्ड जजों को सियासत में आने से रोकने की मांग

नई दिल्ली: आगामी मानसून सत्र के लिए राज्यसभा में निजी सदस्यों के विधेयकों को सूचीबद्ध किया गया है। इनमें कुछ विधेयक न्यायाधीशों जैसे संवैधानिक पदों पर बैठे लोगों को सेवानिवृत्ति के बाद किसी सियासी दल में शामिल होने से रोकने, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) डीपफेक पर प्रबिबंध से जुड़े हैं। इसके अलावा एक विधेयक को संशोधन के लिए पेश किया जाएगा।

संसद के ऊपरी सदन के आगामी सत्र में निजी सदस्यों के कुल 23 विधेयक पेश किए जाने हैं। एक सूत्र ने बताया कि राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के सांसद एडी सिंह की ओर से सूचीबद्ध संविधान (संशोधन) विधेयक 2024 (अनुच्छेद 124, 148, 319 और 324 में संशोधन और नए अनुच्छेद 220ए और 309 को शामिल करना) न्यायाधीश और पूर्व चुनाव आयुक्त जैसे संवैधानिक पदों से सेवानिवृत्त होने वाले लोगों को राजनीतिक दलों में शामिल होने से रोकता है।

यह विधेयक कलकत्ता उच्च न्यायालय के न्यायाधीश अभिजीत गंगोपाध्याय से जुड़े हालिया विवादों की पृष्ठभूमि में आया है। गंगोपाध्याय ने इस साल पांच मार्च को अपने न्यायिक पद से इस्तीफा दिया और दो दिन के भीतर ही भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए। इसी तरह जुलाई में मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश रोहित आर्य अपनी सेवानिवृ्त्ति के तीन महीने के बाद भाजपा में शामिल हो गए। एडी सिंह द्वारा सूचीबद्ध एक अन्य विधेयक में वैवाहिक दुष्कर्म को अपराध के रूप में शामिल करने के लिए भारतीय न्याय संहिता में संशोधन की मांग की गई है।

भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के सांसद वी. शिवदासन ने दो विधेयकों को सूचीबद्ध किया है। इनमें एक सार्वभौमिक बुनियादी आय की मांग और दूसरा वृद्धावस्था देखभाल के अधिकार का अधिनियम शामिल है। वहीं, तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) सांसद मौसम बेनजीर नूर ने दो विधेयकों को सूचीबद्ध किया है। इनमें एक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से कर्मचारियों के अधिकारों की रक्षा और दूसरा डीपफेक के अपराधीकरण से संबंधित है।

‘हम अच्छा बजट लाएंगे, इसका सभी को इंतजार’; सर्वदलीय बैठक के बाद बोले किरेन रिजिजू

सर्वदलीय बैठक पर जानकारी देते हुए संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा, हमारी चर्चा बहुत उपयोगी रही। मैं सभी दलों के फ्लोर नेताओं को धन्यवाद देना चाहता हूं, जिन्होंने अच्छे सुझाव दिए हैं। इस बैठक में भाजपा समेत 44 दलों ने हिस्सा लिया। जिसमें 55 नेता शामिल हुए, इसमें रक्षा मंत्री, लोकसभा में हमारे उपनेता, राज्यसभा में नेता जिन्होंने आज बैठक की अध्यक्षता की, जेपी नड्डा भी बैठक में शामिल हुए।

‘हमने सभी फ्लोर नेताओं से सुझाव लिए हैं’
संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने बताया कि- हमने सभी फ्लोर नेताओं से सुझाव लिए हैं। संसद को सुचारू रूप से चलाना सरकार और विपक्ष दोनों की जिम्मेदारी है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने अपील की कि हम लोकतंत्र को मजबूत करने के लिए प्रतिबद्ध हैं और जब कोई सदस्य संसद में बोलता है, तो हमें हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए और न ही बीच में बोलना चाहिए।

संसद की कार्यवाही को लेकर रक्षा मंत्री ने की अपील
उन्होंने कहा कि विशेष सत्र में जब पीएम मोदी राष्ट्रपति के धन्यवाद प्रस्ताव पर भाषण दे रहे थे, तो लोकसभा और राज्यसभा दोनों में ही भाषण बाधित हुआ। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने आज अपील की है कि यह संसदीय लोकतंत्र के लिए अच्छा नहीं है। जब प्रधानमंत्री बोल रहे हों, तो सदन और देश को उनकी बात सुननी चाहिए।

‘हमें उम्मीद है कि यह बजट सत्र अच्छा रहेगा’
सर्वदलीय बैठक पर संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने बताया कि हमें उम्मीद है कि यह बजट सत्र अच्छा रहेगा। हम अच्छा बजट लाएंगे, इसका सभी को इंतजार है। कल यानी 22 जुलाई को आर्थिक सर्वेक्षण पेश किया जाएगा और 23 जुलाई को आम केंद्रीय बजट 2024-25 पेश किया जाएगा। सरकार दोनों सदनों के अध्यक्षों से चर्चा करके व्यापार सलाहकार समिति के माध्यम से खुले दिल से किसी भी नियम के तहत बहस करने के लिए तैयार है।

केंद्रीय मंत्री ने कोयले की स्थिति को किया स्पष्ट, बताया- बिजली उत्पादन के लिए आपूर्ति पर्याप्त

कोलकाता:  कोयला मंत्री ने स्पष्ट किया कि देश में बिजली क्षेत्र के लिए कोयले की कोई कमी नहीं है। उन्होंने कहा कि केंद्र मांग को पूरा करने के लिए सूखे ईंधन की पर्याप्त आपूर्ति सुनिश्चित करेगा। देश में कोयले की कोई कमी नहीं है।

वित्त वर्ष 2025 में अतिरिक्त 11 खदानों से उत्पादन शुरू होने की उम्मीद है। इसके अलावा, 65 गैर-परिचालन कोयला ब्लॉक विनियामक मंजूरी प्राप्त करने के विभिन्न चरणों में हैं, जो नौ राज्यों- अरुणाचल प्रदेश, असम, छत्तीसगढ़, गुजरात, झारखंड, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा और पश्चिम बंगाल में वितरित हैं। केंद्रीय मंत्री जी किशन रेड्डी ने बताया कि बिजली क्षेत्र के लिए कोयले की कोई कमी नहीं है। केंद्र मांग को पूरा करने के लिए सूखे ईंधन की पर्याप्त आपूर्ति सुनिश्चित करेगा। उन्होंने कहा कि कोल इंडिया और वाणिज्यिक खदानों की उत्पादकता में वृद्धि करके दीर्घकालिक मांग को पूरा किया जाएगा। कोयला और खान मंत्री किशन रेड्डी ने बताया, “हम सभी ताप विद्युत संयंत्रों को कोयला आपूर्ति कर रहे हैं। हमने आयात हुए कोयले पर आधारित संयंत्रों से अनुरोध किया है कि वे अपनी तकनीक बदलकर घरेलू ईंधन का उपयोग करें। देश में कोयले की कोई कमी नहीं है।”

दरअसल, मानसून के मौसम में कोयले के उत्पादन में आमतौर पर बाधा आती है। उन्होंने कहा कि वाणिज्यिक खदानों से संबंधित कुछ तकनीकी मुद्दों का समाधान किया जा रहा है। घरेलू ताप विद्युत संयंत्रों के लिए 4 प्रतिशत आयातित कोयले के मिश्रण से संबंधित बिजली मंत्रालय की सलाह पर किशन रेड्डी ने कहा, कोल इंडिया सफलतापूर्वक उत्पादन बढ़ा रहा है, लेकिन मिश्रण की सलाह बिजली की मांग में अचानक वृद्धि के कारण ब्लैकआउट के जोखिम को कम करने के लिए दी गई है।

वहीं इस महीने की शुरुआत में कोयला मंत्रालय के नामित प्राधिकरण ने चालू और गैर-संचालन वाली कोयला खदानों की स्थिति की समीक्षा बैठक की। बैठक में प्राधिकरण ने उन कोयला ब्लॉकों को चालू करने की आवश्यकता पर जोर दिया जो विकास के उन्नत चरणों में हैं। साथ ही विभाग ने कोयला उत्पादन बढ़ाने में सभी आवंटियों के प्रयासों की सराहना की। इसके अलावा 2024-25 वित्तीय वर्ष के लिए प्रतिबद्ध उत्पादन लक्ष्यों को प्राप्त करने का आग्रह किया। कोयला मंत्रालय ने 575 मिलियन टन की अधिकतम क्षमता वाली 161 खदानों का आवंटन या नीलामी की है। इनमें से 58 को खदान खोलने की अनुमति मिल गई है जिसमें से 54 चालू हैं। पिछले साल इन खदानों ने 147 मिलियन टन उत्पादन किया था, जो देश के कुल कोयला उत्पादन का 15 प्रतिशत था।

गुजरात सहित इन तीन राज्यों में पहुंचा घातक संक्रमण, क्यों माना जा रहा है इसे खतरनाक?

चांदीपुरा वायरस का संक्रमण अब स्वास्थ्य विशेषज्ञों के लिए दिक्कतें बढ़ाता जा रहा है। करीब एक महीने से गुजरात के कई हिस्सों से संक्रमण के मामले रिपोर्ट किए जा रहे थे, हालिया रिपोर्ट्स के मुताबिक अब ये वायरस मध्यप्रदेश और राजस्थान में भी पहुंच गया है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने विशेषज्ञों के साथ मिलकर पिछले दिनों तीनों राज्यों में चांदीपुरा वायरस और एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम के मामलों की समीक्षा की। स्वास्थ्य मंत्रालय ने एक विज्ञप्ति में कहा कि स्वास्थ्य सेवा महानिदेशक (डीजीएचएस) डॉ. अतुल गोयल ने एम्स, निमहंस सहित कई अन्य राज्य निगरानी इकाइयों के विशेषज्ञों के साथ गुजरात, राजस्थान और मध्य प्रदेश में संक्रमण की समीक्षा की है। फिलहाल गुजरात में इस वायरस का सबसे ज्यादा असर देखा जा रहा है।

गुजरात के स्वास्थ्य मंत्री रुशिकेश पटेल ने बताया, अब तक राज्य में चांदीपुरा वायरस के 50 मामले सामने आए हैं और 16 लोगों की जान गई है। राजस्थान और मध्य प्रदेश से तीन मामले सामने आए हैं। इस बढ़ते संक्रामक रोग को लेकर लोगों के मन में डर देखा जा रहा है।आखिर ये चांदीपुरा वायरस क्या है, क्यों इसे इतना खतरनाक माना जा रहा है? आइए इन सबके बारे में विस्तार से समझते हैं।

चांदीपुरा वायरस का बढ़ता खतरा

गौरतलब है कि चांदीपुरा वायरस के संक्रमण के कारण एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम (एईएस) का खतरा देखा जा रहा है, जिसमें संक्रमण के कारण मस्तिष्क में सूजन सहित गंभीर दिक्कतें हो सकती हैं। इस संक्रमण के घातक होने के पीछे एईएस को प्रमुख कारण माना जा रहा है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक जून से लेकर अब तक तीनों राज्यों में 15 वर्ष से कम आयु के बच्चों में एईएस के 78 मामले सामने आए हैं, जिनमें से अधिकांश मामले और मौतें गुजरात में हुई हैं।

ये संक्रमण बच्चों में अधिक देखा जा रहा है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने कहा है कि प्रभावित क्षेत्रों में सभी लोगों को विशेष सावधानी बरतते रहने की जरूरत है।

मस्तिष्क को क्षति पहुंचा रहा है ये संक्रमण

चांदीपुरा वायरस को घातक संक्रामक रोगों में से एक माना जा रहा है। चांदीपुरा वायरस रैबडोविरिडे फैमिली का सदस्य है, ग्रामीण क्षेत्रों में इसके कारण संक्रमण होने का खतरा अधिक होता है। वैसे को इसके मामले काफी दुर्लभ रहे हैं लेकिन संक्रमितों में घातक स्थितियां उत्पन्न होने का खतरा रहता है। बुखार, फ्लू जैसे लक्षणों के साथ शुरू होने वाला ये संक्रमण बच्चों में इंसेफेलाइटिस का कारण बन सकता है। गंभीर स्थितियों में इसके कारण कोमा और यहां तक कि मृत्यु का भी जोखिम रहता है। इस संक्रमण के कारण मृत्यु दर 56 से 75 प्रतिशत तक देखी जाती रही है।

एक्यूट इंसेफेलाइटिस हो सकती है जानलेवा

संक्रमण की गंभीर स्थिति में एक्यूट इंसेफेलाइटिस (मस्तिष्क में सूजन) हो सकती है। समय पर उपचार न मिल पाने के कारण रोगी की मौत होने का भी खतरा देखा जाता रहा है। एईएस न्यूरोलॉजिकल समस्या है जो कई अलग-अलग वायरस, बैक्टीरिया, कवक, परजीवी, स्पाइरोकेट्स, रसायनों के कारण हो सकता है। मस्तिष्क में होने वाली सूजन की समस्या के कारण भ्रम, दौरे पड़ने, कमजोरी और संवेदना की हानि जैसे लक्षण हो सकते हैं जिसमें तत्काल चिकित्सा की आवश्यकता होती है। गंभीर मामलों में जानलेवा भी हो सकती है।

केरल में फिर से निपाह की दस्तक, मृत्युदर 70% से अधिक; जानिए इसके लक्षण और बचाव के तरीके

केरल में एक बार फिर से गंभीर निपाह संक्रमण का जोखिम बढ़ता हुआ देखा जा रहा है। हालिया रिपोर्ट के मुताबिक कोझिकोड मेडिकल कॉलेज में संक्रमण का इलाज करा रहे 14 वर्षीय एक लड़के की रविवार को मौत हो गई। उसे सांस की दिक्कत के बाद वेंटिलेटर पर रखा गया था। मलप्पुरम निवासी इस बच्चे में शनिवार को संक्रमण की पुष्टि की गई थी।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक रोगी के संपर्क में आए करीब 246 लोगों को सूचीबद्ध किया गया है, जिनमें से 63 में उच्च जोखिम माना जा रहा है। केरल में इस घातक संक्रामक रोग को देखते हुए स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने सभी लोगों को अलर्ट रहने और बचाव के उपाय करते रहने की सलाह दी है।

इससे पहले पिछले साल अगस्त-अक्तूबर के महीने में भी केरल में निपाह संक्रमण के मामले रिपोर्ट किए थे। कोझिकोड जिला इससे सबसे ज्यादा प्रभावित माना जा रहा था। संक्रमण को देखते हुए जिले के शैक्षणिक संस्थानों को बंद करने के भी आदेश जारी किए गए थे।

आइए जानते हैं कि निपाह का संक्रमण क्यों खतरनाक माना जाता है, ये कैसे फैलता है और बचाव के लिए क्या उपाय किए जा सकते हैं?

स्वास्थ्य अधिकारियों ने किया अलर्ट

स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने कहा, संक्रमण का जोखिम बढ़ रहा है, सुरक्षात्मक रूप से सभी लोगों को बचाव के लिए प्रयास करते रहने की आवश्यकता है। निपाह तेजी से बढ़ सकता है इसलिए सावधानी जरूरी है। संक्रमण प्रभावित क्षेत्रों में जाने से बचें।

निपाह वायरस का संक्रमण एक जूनोटिक बीमारी है जो सुअर और चमगादड़ जैसे जानवरों से मनुष्यों में फैलती है। जानवरों से इंसानों में संक्रमण के अलावा संक्रमित व्यक्ति से दूसरे लोगों को भी इसका खतरा हो सकता है। निपाह, बड़ा स्वास्थ्य जोखिम हो सकता है, यह कोरोना से ज्यादा खतरनाक माना जाता है। इसकी मृत्युदर 45-75 फीसदी तक मानी जाती रही है।

निपाह संक्रमण और इसका जोखिम

चमगादड़ों को निपाह वायरस संचार का प्रमुख कारण माना जाता है। चमगादड़ों द्वारा दूषित फलों या अन्य भोजन के माध्यम से ये इंसानों में फैल सकता है। स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, फलों-सब्जियों को खाने से पहले उसे अच्छी तरह से साफ करें। पक्षियों द्वारा कटा हुआ फल न खाएं।

संक्रमण के शिकार लोगों में एसिम्टोमैटिक (कोई भी लक्षण न होना) से लेकर श्वसन बीमारी और घातक इंसेफेलाइटिस का खतरा हो सकता है। इसके लक्षणों में तेज बुखार, उल्टी और श्वसन संक्रमण शामिल हैं। गंभीर मामलों में दौरे पड़ने और मस्तिष्क की सूजन के कारण कोमा भी हो सकता है। निपाह के लिए कोई टीका नहीं है।

निपाह संक्रमण का इलाज

निपाह संक्रमण और इसके जोखिमों में मोनोक्लोनल एंटीबॉडी को प्रभावी माना जाता रहा है। पिछले साल भारत सरकार ने ऑस्ट्रेलिया से मोनोक्लोनल एंटीबॉडी मंगाई थी। इसे अब केरल में दिया जाएगा। फिलहाल निपाह वायरस के खिलाफ कोई टीका उपलब्ध नहीं है। निपाह वायरस से संक्रमित लोगों के साथ शारीरिक संपर्क से ये एक से दूसरे व्यक्ति में फैल सकता है। ऐसे लोगों से दूरी बनाकर रखने की सलाह दी जाती है।

कैसे करें बचाव?

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के मुताबिक अगर किसी को 3-5 दिनों से संक्रमण के लक्षणों का अनुभव हो रहा है और ये सामान्य उपचार से ठीक नहीं हो रहा है तो इसपर गंभीरता से ध्यान दिए जाने की आवश्यकता है। चूंकि इससे बचाव के लिए कोई टीका नहीं है ऐसे में संक्रमण को कम करने के बारे में जागरूकता बढ़ाना जरूरी है।

कांवड़ यात्रा के लिए बेहद जरूरी है सही कपड़ों का चयन, वरना कठिन होगा सफर

22 जुलाई से सावन के महीने की शुरुआत होने जा रही है, ऐसे में लोगों ने इसकी तैयारी भी पूरी कर ली है। सावन के महीने में महादेव की पूजा-अर्चना करने का काफी महत्व होता है। इसीलिए लोग शिव शंकर के मंदिर जाकर भोलेनाथ को प्रसन्न करने के लिए अनुष्ठान करते हैं।

मान्यताओं के अनुसार यदि सावन के महीने में कांवड़ में गंगाजल लाकर महादेव को अर्पित किया जाए तो सभी मनोकामना पूरी होती है। यही वजह है कि उत्तर भारत में कांवड़ यात्रा का काफी महत्व है। इस यात्रा में शिव भक्त गंगाजल लाकर भगवान शिव शंकर को अर्पित करते हैं। बड़ी बात यह है कि गंगा नदी चाहे कितनी भी दूर हो, शिव भक्त यह पूरी यात्रा पैदल ही तय करते हैं।

ऐसे में अगर इस पैदल यात्रा के दौरान सही कपड़े नहीं पहनें जाएं तो शिव भक्तों को कई परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। अगर आप भी कावड़ यात्रा में जाने की सोच रहे हैं तो अपने लिए सबसे पहले सही कपड़ों का चयन अवश्य करें।

कपड़ों का फैब्रिक हो सही

सबसे पहले ये ध्यान रखें कि कांवड़ यात्रा आपको पैदल ही पूरी करनी है। ऐसे में इस यात्रा के दौरान सूती या शिफॉन के कपड़े ही पहनें। गर्मी के मौसम में इस फैब्रिक के कपड़े आपको आराम पहुंचाने का काम करेंगे। अगर आप मोटे फैब्रिक का कपड़ा पहनेंगे तो ये आपको गर्मी में परेशान कर सकते हैं।

आरामदायक हों कपड़े

इस यात्रा के दौरान कभी भी शर्ट न पहनें। यात्रा में ओवरसाइज टीशर्ट आपको आराम पहुंचाने का काम करेगी। अगर आप फिटिंग की शर्ट या टीशर्ट पहनेंगे तो इससे भी आपको उलझन हो सकती है।

जींस से रहें दूर

कांवड़ लेकर आपको मीलों पैदल चलना पड़ेगा। ऐसे में या तो शॉर्ट्स या फिर पायजामे को ही पहनकर यात्रा आरंभ करें। ये काफी ढीले होते हैं, जिस वजह से इसमें आपको पैदल चलने में किसी तरह की परेशानी नहीं होगी, जबकि जींस आपको थोड़ी देर में ही परेशान कर सकती है।

टोपी और गमछा है जरूरी

इस चिलचिलाती गर्मी में अपने सिर को धूप से बचाने के लिए आपको टोपी की जरूरत पड़ेगी। इसके साथ ही गर्मी में बार-बार मुंह पोंछने के लिए आपको गमछा चाहिए ही होगा। ऐसे में यात्रा के आरंभ से ही इन दोनों चीजों को साथ रखें।

जूते हों सही

वैसे तो कांवड़ लेकर जो लोग आते हैं वो नंगे पैर ही चलते हैं, पर अगर आप ऐसा नहीं कर सकते तो ऐसे फुटवियर को अपने साथ रखें जो आरामदायक हों। नई चप्पल कभी भी न पहनें, वो आपको परेशान कर सकती हैं।