Thursday , October 24 2024

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लोस चुनाव में हार की समीक्षा करने पहुंची कांग्रेस फैक्ट फाइंडिंग कमेटी, नेताओं से ले रही फीडबैक

लोकसभा चुनाव में प्रदेश की पांच सीटों पर हार के कारणों की समीक्षा के लिए कांग्रेस की फैक्ट फाइंडिंग कमेटी आज उत्तराखंड पहुंची। कमेटी के सदस्य पूर्व सांसद पीएल पुनिया व सांसद रजनी पाटिल तीन दिनों तक लोकसभा वार बैठक कर पार्टी नेताओं व पदाधिकारियों से चुनाव हार की समीक्षा करेंगे।प्रदेश कांग्रेस उपाध्यक्ष संगठन मथुरादत्त जोशी ने बताया कि सबसे पहले अल्मोड़ा संसदीय क्षेत्र के पूर्व सांसद, सांसद प्रत्याशी, विधायक, पूर्व विधायकों के साथ समीक्षा बैठक की जा रही है।

इसके बाद संसदीय क्षेत्र के सभी एआईसीसी, पीसीसी सदस्यों, जिला, ब्लाक व नगर कांग्रेस अध्यक्षों के साथ बैठक आयोजित की जाएगी। दोपहर 3.30 बजे से नैनीताल संसदीय क्षेत्र के पूर्व सांसद, सांसद प्रत्याशी, विधायक, पूर्व विधायकों, एआईसीसी, पीसीसी सदस्यों, जिला, ब्लाक व नगर कांग्रेस अध्यक्षों के साथ बैठक होगी।

19 जुलाई को 10 बजे से गढ़वाल संसदीय, दो बजे से टिहरी संसदीय और शाम पांच बजे से हरिद्वार संसदीय क्षेत्र की समीक्षा बैठक होगी। 20 जुलाई को पार्टी के वरिष्ठ नेताओं और फ्रंटल संगठन, विभाग व प्रकोष्ठ के अध्यक्षों के साथ बैठक करेंगे। कमेटी लोकसभा चुनाव में हार के कारणों पर पार्टी नेताओं व पदाधिकारियों से फीडबैक लेगी।

रिकॉर्ड तेजी से सेक्टोरल फंड में अच्छा रिटर्न, पावर-इन्फ्रा के साथ इसमें हो सकती है बेहतर कमाई

घरेलू शेयर बाजार में रिकॉर्ड तेजी के बीच निवेशक अच्छे रिटर्न के लिए सेक्टोरल फंडों में दांव लगा सकते हैं। अर्थव्यवस्था भी इस समय अच्छा काम कर रही है। विश्लेषकों का कहना है कि बाजार में घरेलू संस्थागत निवेशक (डीआईआई ) खरीदारी की होड़ में हैं। इससे इनके और विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) के बीच निवेश का अंतर मुश्किल से 9 फीसदी रह गया है। उम्मीद है कि डीआईआई जल्द ही एफआईआई से आगे निकल जाएंगे। कोई आश्चर्य नहीं कि कोर सेक्टर इस विकास इंजन में सबसे आगे हैं।

पावर, इन्फ्रा व बैंकिंग थीम में हो सकती है कमाई
बोडेविजन इन्वेस्टर्स सर्विसेज के आलोक अग्रवाल का कहना है कि ऐसे उत्साहपूर्ण समय में थीम आधारित सेक्टोरल फंडों में निवेश का अवसर बनता है। पावर, इन्फ्रा, बैंकिंग, वित्तीय सेवाओं, नवाचार और उपभोग थीम में निवेश से रिटर्न में शानदार वृद्धि देखने को मिल सकती है। निप्पॉन इंडिया पावर एंड इन्फ्रा फंड ने एक साल में 82.73 फीसदी रिटर्न दिया है। फंड हाउस के फार्मा और कंजम्प्शन फंड ने भी क्रमशः 40.92 फीसदी व 39.34 फीसदी रिटर्न दिया है।

आर्थिक प्रगति में भी कर सकते हैं योगदान
अगर आप प्रमुख सेक्टर फंडों में श्रेणी के रिटर्न को देखें तो इन्फ्रास्ट्रक्चर ने 46.05 फीसदी, कंजम्पशन फंड ने 47 फीसदी, फार्मा फंड ने 47.06 फीसदी और टेक्नोलॉजी आधारित फंड ने 30 फीसदी से अधिक रिटर्न दिया है। कुल मिलाकर, पिछले एक साल में सेक्टोरल फंड्स ने निवेश पर 44.40 फीसदी रिटर्न दिया है। रणनीतिक रूप से तैयार किए गए इन फंडों में निवेश कर निवेशक न सिर्फ सेक्टर आधारित ग्रोथ से लाभान्वित हो सकते हैं, बल्कि भारत की दमदार आर्थिक प्रगति में भी योगदान दे सकते हैं।

सात फीसदी की रफ्तार से बढ़ेगी जीडीपी, बेहतर मानसून से कृषि क्षेत्र में सुधार की उम्मीद

एशियाई विकास बैंक (एडीबी) ने चालू वित्त वर्ष के लिए भारत के आर्थिक वृद्धि दर अनुमान को सात प्रतिशत पर बरकरार रखा है। कहा, सामान्य से बेहतर मानसून के कारण कृषि क्षेत्र में सुधार की उम्मीद है।

एडीबी का यह अनुमान ऐसे समय में आया है, जब अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने भारत के लिए अपने जीडीपी वृद्धि दर अनुमान को 6.8 फीसदी से बढ़ाकर 7 फीसदी कर दिया है। आरबीआई ने पिछले महीने अपने वृद्धि अनुमान को 7 फीसदी से बढ़ाकर 7.2 फीसदी कर दिया था।

एडीबी ने कहा, भारतीय अर्थव्यवस्था 2025-26 में 7.2 फीसदी की दर से बढ़ने की राह पर है, जैसा कि अप्रैल, 2024 में अनुमान लगाया गया है। रिपोर्ट में कहा गया, 2022-23 में धीमी वृद्धि के बाद सामान्य से अधिक मानसून अनुमानों को देखते हुए कृषि क्षेत्र में सुधार की उम्मीद है। ऐसा जून में मानसून की धीमी प्रगति के बावजूद है। ग्रामीण क्षेत्रों में वृद्धि की गति को बनाए रखने के लिए कृषि में सुधार महत्वपूर्ण होगा। विकासशील एशिया के वृद्धि अनुमान के संबंध में एडीबी ने कहा, 2024-25 के लिए पांच फीसदी तक संशोधित किया गया है, जबकि 2025-26 के लिए 4.9 फीसदी पर कायम रखा गया है।

सीमा शुल्क को युक्तिसंगत बना सकता है केंद्र, घरेलू उद्योगों की रक्षा के लिए लिया जा सकता है फैसला

सरकार पूर्ण बजट में देश को वैश्विक विनिर्माण केंद्र बनाने और घरेलू उद्योगों की रक्षा के लिए इस्पात, सौर बैटरी, एल्युमीनियम और लिथियम सेल सहित विभिन्न क्षेत्रों में सीमा शुल्क को युक्तिसंगत बना सकती है। इंडियन चैंबर ऑफ कॉमर्स (आईसीसी) के अध्यक्ष अमेय प्रभु ने कहा, कच्चे माल पर शुल्क से घरेलू कंपनियों और खासकर डाउनस्ट्रीम इकाइयों पर असर पड़ता है। इसलिए, इन क्षेत्रों में घरेलू उद्योग को बढ़ाने के लिए सुरक्षात्मक उपायों की आवश्यकता है। इन उपायों के जरिये हम घरेलू विनिर्माण को मजबूती से बढ़ावा देकर भारत को वैश्विक केंद्र बना सकते हैं।

मिश्रित पेट्रोलियम गैस पर शुल्क 2.5 फीसदी करने की सिफारिश
आईसीसी अध्यक्ष ने कहा, मिश्रित पेट्रोलियम गैस पर शुल्क को पांच फीसदी से घटाकर 2.5 फीसदी किया जाना चाहिए। ऐसा कर उलटे शुल्क ढांचे में सुधार लाया जा सकता है। उन्होंने सरकार से लाभांश पर कर नही लगाने की भी सिफारिश की है।

राजकोषीय घाटे व वृद्धि पर रह सकता है जोर
अर्थशास्त्री संदीप वेम्पति का मानना है कि मोदी सरकार तीसरे कार्यकाल के पहले बजट में राजकोषीय घाटा लक्ष्य और आर्थिक वृद्धि पर जोर दे सकती है। उन्होंने कहा, आरबीआई से अधिक लाभांश मिलने व कर संग्रह में उछाल से राजकोषीय स्थिति बेहतर हुई है। सरकार चालू वित्त वर्ष के लिए राजकोषीय घाटे को 5.1 फीसदी पर सीमित रखने व 2025-26 तक इसे 4.5 फीसदी से नीचे लाने के लक्ष्य पर टिकी रह सकती है।

अर्थशास्त्री ने कहा, सरकार इस बजट का इस्तेमाल 2030 और 2047 के लिए आर्थिक दृष्टिकोण का संदेश देने के लिए करेगी। इसके लिए वह पूंजीगत खर्च में वृद्धि, कर प्रोत्साहन, ग्रामीण विकास, विनिर्माण, एमएसएमई, स्वास्थ्य व शिक्षा पर खर्च बढ़ा सकती है।

अनंत-राधिका की शादी में नहीं परोसी गई शराब, शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद ने की अंबानी परिवार की तारीफ

अनंत अंबानी और राधिका मर्चेंट के भव्य शादी समारोह में शामिल हुए धर्मगुरु शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद ने अंबानी परिवार की तारीफ की है। शंकराचार्य ने अपने एक बयान में इतनी भव्य शादी के बावजूद उसमें शराब और मांस नहीं परोसे जाने पर अंबानी परिवार की प्रशंसा की है। अंबानी परिवार ने अनंत अंबानी और राधिका मर्चेंट के विवाह के लिए एक भव्य समारोह का आयोजन किया था। जिसमें दुनियाभर के अतिथि शामिल हुए थे। इस शादी समारोह में शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद का भी स्वागत किया गया था।

शंकराचार्य ने अंबानी परिवार की प्रशंसा में कही यह बात
हाल ही में शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद ने मीडिया से एक बातचीत के दौरान कहा कि अंबानी परिवार ने अपने बेटे का विवाह किया जिसमें लंबे समय तक कई कार्यक्रम को आयोजित किया गया, लेकिन किसी भी दिन शराब नहीं परोसी गई। अलग-अलग मौके पर हजारों व्यंजन बनाए गए लेकिन एक भी दिन मांसाहारी भेजन नहीं परोसा गया। यह बहुत खास है। उन्होंने कहा कि भारतीय संस्कृति का अनुसरण करते हुए विवाह संपन्न किया गया तो हम भी आशीर्वाद देने पहुंचे। उन्होंने कहा कि जहां देश में ऐसी स्थिति बन गई है कि बिना शराब के कोई कार्यक्रम संपन्न नहीं हो रहा। वहां इतना बड़ा आयोजन बिना शराब और मांसाहारी भोजन के बिना करना वाकई अद्भुत है।

बड़ी राहत, बैंक-बिल्डरों की ओर से घर खरीदारों के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई करने पर रोक

उच्चतम न्यायालय ने दिल्ली-एनसीआर के उन मकान खरीदारों को बड़ी राहत दी है जिन्हें अब तब बिल्डर से उनके फ्लैट का कब्जा नहीं मिला है। अदालत ने निर्देश दिया है कि ईएमआई भुगतान को लेकर बैंक, वित्तीय संस्थान या बिल्डर घर खरीदारों के खिलाफ कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं करेंगे और उनसे संबंधित चेक बाउंस के किसी भी मामले पर विचार नहीं किया जाएगा।

शीर्ष अदालत दिल्ली उच्च न्यायालय के उस आदेश के खिलाफ कई याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी। उच्च न्यायालय ने कई मकान खरीदारों की वे याचिकाएं खारिज कर दी थीं जिनमें बैंकों और वित्तीय संस्थानों को निर्देश देने की मांग की गई थी कि जब तक रीयल एस्टेट डेवलपर्स अपने फ्लैटों का कब्जा नहीं दे देते तब तक समान मासिक किस्त (ईएमआई) नहीं वसूला जाए। उच्च न्यायालय के आदेश से असंतुष्ट मकान खरीदारों ने शीर्ष अदालत का रुख किया था, जहां अदालत इस मुद्दे पर गौर करने के लिए सहमत हो गई और संबंधित पक्षों से जवाब मांगा।

न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति उज्जल भुइयां की पीठ ने 14 मार्च, 2023 के उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ दायर याचिकाओं पर केंद्र, बैंकों और अन्य को नोटिस जारी किए हैं। इस बीच, सभी मामलों में अंतरिम रोक रहेगी। इस दौरान घर खरीदारों के खिलाफ बैंकों/वित्तीय संस्थानों या बिल्डरों/डेवलपर्स की ओर से परक्राम्य लिखत अधिनियम, 1881 की धारा 138 के तहत शिकायत सहित कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं की जाएगी।

ज्यादातर वित्तीय संस्थानों/बैंकों ने जवाबी हलफनामा दाखिल कर दिया है। जिन लोगों ने अभी तक अपना जवाबी हलफनामा दाखिल नहीं किया है, उन्हें दो सप्ताह के भीतर आवश्यक कार्य करने का अंतिम अवसर दिया गया है। यह मामला शीर्ष अदालत के समक्ष 27 सितंबर को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया गया है। मकान खरीदारों ने शीर्ष न्यायालय में दायर अपनी याचिका में कहा है कि वे आरबीआई के दिशानिर्देशों का उल्लंघन कर बैंकों की ओर से सीधे बिल्डर के खाते में अवैध तरीके से कर्ज देने के के पीड़ित हैं।

उच्च न्यायालय ने अपने आदेश में इस आधार पर रिट याचिकाओं पर विचार करने से इनकार कर दिया था कि याचिकाकर्ताओं के पास उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, दिवाला और दिवालियापन संहिता और रियल एस्टेट विनियमन और विकास अधिनियम जैसे विभिन्न कानूनों के तहत वैकल्पिक उपाय हैं। यह मामला 123 घर खरीदारों से संबंधित है।

पहली तिमाही में इंफोसिस का मुनाफा 7.1% बढ़कर 6,368 करोड़ रुपये पर पहुंचा, नतीजे जारी

इंफोसिस ने गुरुवार को 30 जून 2024 को समाप्त तिमाही में ₹6,368 करोड़ के समेकित मुनाफे (PAT) की जानकारी दी है। यह एक वर्ष पहले की अवधि में रिपोर्ट किए गए ₹5,945 करोड़ के मुनाफे से 7.1% अधिक है। वित्तीय वर्ष 2024-25 की पहली तिमाही में कंपनी का परिचालन से राजस्व 39,315 करोड़ रुपये रहा, जो पिछले वित्त वर्ष की समान तिमाही में 37,933 करोड़ रुपये था। इसमें 3.6% की वृद्धि दर्ज की गई। हालांकि, अनुक्रमिक आधार पर, कंपनी का समेकित शुद्ध मुनाफा वित्तीय वर्ष 2024 की चौथी तिमाही के 7,975 करोड़ की तुलना में 20.1% कम हो गया।

‘मॉस्को के साथ ऊर्जा संबंधों के कारण भारत पर दबाव बनाना अनुचित’, रूस के विदेश मंत्री का पश्चिम पर निशाना

रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने मॉस्को के साथ उर्जा सहयोग के कारण नई दिल्ली पर पड़ रहे दबाव को पूरी तरह से अनुचित बताया। उन्होंने कहा कि भारत एक महान शक्ति है, जो अपने राष्ट्रीय हित खुद ही तय करता है और खुद ही अपने साझेदार चुनता है। इसके अलावा, लावरोव ने राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच हुई हालिया बैठक पर यूक्रेन की टिप्पणी को अपमानजनक करार दिया।

जुलाई माह के लिए यूएनएससी की अध्यक्षता संभाल रहा रूस
यहां एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए लावरोव ने कहा, मुझे लता है कि भारत एक महान शक्ति है जो खुद ही अपने राष्ट्रीय हित तय करता है और अपने भागीदार चुनता है। हम जानते हैं कि भारत पर भारी दबाव पड़ रहा है, जो पूरी तरह से अनुचित है। लावरोव प्रधानमंत्री मोदी की हालिया मॉस्को यात्रा और रूस के साथ उर्जा सहयोग को लेकर भारत की हो रही आलोचना के बारे में पूछे गए सवाल का जवाब दे रहे थे। लावरोव मॉस्को की अध्यक्षता में होने वाली संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) की बैठकों की अध्यक्षता करने के लिए न्यूयॉर्क में हैं। यूएनएससी की जुलाई महीने की अध्यक्षता रूस के पास है।

पीएम मोदी ने किया था रूस का दो दिवसीय दौरा
प्रधानमंत्री मोदी ने 22वें भारत-रूस वार्षिक शिखर सम्मेलन के लिए राष्ट्रपति पुतिन के निमंत्रण पर 8-9 जुलाई के रूस का आधिकारिक दौरा किया। यूक्रेन युद्ध की शुरुआत के बाद मोदी की यह पहली रूस यात्रा थी। भारत ने अभी तक यूक्रेन पर रूस के आक्रमण की निदा नहीं की है और लगातार बातचीत व कूटनीति के जरिए संघर्ष के समाधान की पैरवी की है।

जेलेंस्की ने की थी मोदी-पुतिन की मुलाकात की आलोचना
यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की ने मोदी की मॉस्को यात्रा की आलोचना की थी। उन्होंने एक्स पर कहा था, “एक रूसी मिसाइल ने यूक्रेन में बच्चों के सबसे बड़े अस्पताल पर हमला किया, जिसमें युवा कैंसर रोगियों को निशाना बनाया गया। कई लोग मलबे में दब गए।” मोदी और पुतिन की बैठक को लेकर उन्होंने कहा था, “दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के नेता को ऐसे दिन मॉस्को में दुनिया के सबसे बड़े खूनी अपराधी को गले लगाते देखकर बड़ी निराशा हुई। यह शांति प्रयासों के लिए एक झटका है।” भारत ने उनकी टिप्पणी पर अपनी नाराजगी जाहिर की थी।

लावरोव ने जेलेंस्की के बयान को बताया ‘अपमानजनक’
जेलेंस्की की टिप्पणी का जिक्र करते हुए लावरोव ने कहा, “यह बहुत अपमानजनक था और यूक्रेनी राजदूत को तलब किया गया था और भारतीय विदेश मंत्रालय ने उनके बात की कि उन्हें कैसे व्यवहार करना चाहिए।” कुछ अन्य यूक्रेनी राजदूतों द्वारा की गई टिप्पणियों का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा, “राजदूत वास्तव में ऐसा व्यवहार कर रहे थे जैसे वे गुंडे हों। इसलिए मुझे लगता है कि भारत सब कुछ सही कर रहा है।”

जयशंकर की पश्चिम पर की गई टिप्पणी का दिया हवाला
लावरोव ने जिक्र किया कि विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने पश्चिमी देशों का दौरा करने के बाद इन सवालों के जवाब दिए हैं। जिनमें यह भी शामिल है कि भारत रूस से अधिक तेल क्यों खरीद रहा है। उन्होंन कहा कि जयशंकर ने आंकड़ों का हवाला दिया, जो दिखाते हैं कि पश्चिमी देशों ने भी कुछ प्रतिबंधों के बावजूद रूस से गैसे और तेल की खरीद बढ़ाई है। रूस के विदेश मंत्री ने कहा कि भारत खुद फैसला करेगा कि उसे किसके साथ कैसे व्यवहार करना है और कैसे अपने राष्ट्रीय हितों की रक्षा करनी है।

इच्छामृत्यु चाहने वालों के लिए बनी खास मशीन, बटन दबाते ही निकल जाएगी जान, जानें कैसे करती है काम

स्विट्जरलैंड में पहली बार इच्छामृत्यु करने वालों के लिए अहम कदम उठाया गया है। लोगों को इच्छामृत्यु के लिए यहां एक पोर्टेबल मशीन बनाई गई है, जहां बिना किसी चिकित्सा पर्यवेक्षण के ही मौत हो सकती है। अंतरिक्ष के तरह दिखने वाले इस कैप्सूल को 2019 में बनाया गया था। इस मशीन में ऑक्सीजन नाइट्रोजन में बदल जाता है, जिसके कार हाइपोक्रेसी से व्यक्ति की मौत हो जाती है। इसे इस्तेमाल करने में केवल 20 डॉलर का खर्च आता है।

लास्ट रिजॉर्ट संगठन ने कहा कि स्विट्जरलैंड में इसके इस्तेमाल पर कोई प्रतिबंध नहीं है, क्योंकि यहां पर कानून इच्छामृत्यु की अनुमति देता है। लास्ट रिजॉर्ट के मुख्य कार्यकारी फ्लोरियन विलेट ने कहा, “हमारे पास कई ऐसे लोग हैं जो सरको का उपयोग करने के लिए कह रहे हैं। ऐसा बहुत जल्द होगा।” उन्होंने आगे कहा, “मैं अनंत निद्रा अवस्था में बिना ऑक्सीजन के हवा में सांस लेने की इससे अधिक सुंदर प्रक्रिया की कल्पना नहीं कर सकता हूं।”

क्या है पूरी प्रक्रिया
जो व्यक्ति इच्छामृत्यु चाहता है, उसे पहले अपनी मानसिक क्षमता का मनोरोग मूल्यांकन कराना होगा। इसके बाद व्यक्ति को बैगनी कैप्सूल पर चढ़ाकर उसका ढक्कन बंद कर दिया जाएगा। इस दौरान उससे कुछ सवाल भी पूछे जाएंगे, जैसे आप कौन हैं, आप कहां हैं इत्यादि। उनसे यह भी पूछा जाएगा कि क्या आपको मालूम है कि बटन दबाने से क्या होगा? सरको के आविष्कारक फिलिप निट्स्के ने कहा, “अगर आप मरना चाहते हैं तो प्रोसेसर से एक आवाज आएगी, यह बटन दबाएं।” उन्होंने पूरी प्रक्रिया समझाते हुए कहा कि एक बार जब बटन दब जाएगा, तब प्रोसेसर में ऑक्सीजन का स्तर 20 फीसदी से गिरकर 0.05 फीसदी तक पहुंच जाएगा। ऐसा होने में केवल 30 सेकेंड का समय लगेगा।

प्रोसेसर में ऑक्सीजन की कमी होने से ही व्यक्ति की हो जाएगी मौत
प्रोसेसर में ऑक्सीजन का स्तर गिरने से ही अंदर मौजूद व्यक्ति बेहोशी की हालत में आ जाएगा। मृत्यु से पांच मिनट पहले तक वह बेहोशी की ही हालत में रहेगा। फिलिप निट्स्के ने बताया कि एक बार आपने बटन दबा दिया तो फिर इसे वापस नहीं लिया जा सकता है।

चाहइस मशीन का इस्तेमाल करने वाला पहला व्यक्ति कौन होगा, फिलहाल इसपर निर्णय नहीं लिया गया है। उन्होंने बताया कि इस तरह के विवरण घटना के बाद तक सार्वजनिक नहीं किए जाएंगे। वकील फियोना स्टेवर्ट ने कहा, “हम नहीं चाहते कि किसी व्यक्ति की इच्छा स्विट्जरलैंड की मीडिया सर्कस में आ जाए।” उन्होंने बताया कि इसका इस्तेमाल एकांत स्थान और प्राकृतिक सुंदरता के बीच किया जाएगा।

‘यात्रा करने से बचें’, बांग्लादेश में भड़की हिंसा को देखते हुए भारतीय उच्चायोग ने जारी की एडवाइजरी

बांग्लादेश में फिलहाल माहौल अशांत बना हुआ है। यहां सरकारी नौकरियों में आरक्षण की व्यवस्था में सुधार की मांग कर रहे छात्र प्रदर्शन कर रहे हैं। वहीं, पुलिस भी जवाबी कार्रवाई कर रही है। हालात किस कदर बेकाबू हैं इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच हुई झड़प में मंगलवार को तीन विद्यार्थियों सहित कम से कम छह लोगों की मौत हो गई और 100 से ज्यादा अन्य लोग घायल हो गए। बिगड़े हालातों को देखते हुए ढाका में भारतीय उच्चायोग ने बांग्लादेश में रहे रहे अपने नागरिकों और छात्रों के लिए एक तत्काल एडवाइजरी जारी की। इसमें देश में बढ़ती अशांति के वजह से गैर जरूरी यात्रा से बचने और अपने घरों से बाहर कम से कम निकलने की सलाह दी है।

यह सलाह बांग्लादेशी सरकार द्वारा सभी सरकारी और निजी विश्वविद्यालयों को बंद करने के फैसले और ढाका में छात्रों तथा पुलिस के बीच हाल ही में हुई हिंसक झड़पों को देखते हुए दी गई है।

सरकारी नौकरियों में लागू कोटा प्रणाली में सुधार की मांग
बता दें, बांग्लादेश के प्रमुख शहरों में छात्र सरकारी नौकरियों में लागू कोटा प्रणाली में सुधार की मांग कर रहे हैं। प्रदर्शनकारी छात्रों का कहना है कि मौजूदा आरक्षण व्यवस्था सरकारी सेवाओं में मेधावी छात्रों के नामांकन को काफी हद तक रोक रही है। ढाका यूनिवर्सिटी के छात्रों ने फर्स्ट और सेकंड क्लास की सरकारी नौकरियों में भर्ती के लिए चल रहे विरोध प्रदर्शन में अग्रणी भूमिका निभाई है। छात्रों की मांग है कि मौजूदा आरक्षण प्रणाली में सुधार करते हुए प्रतिभा के आधार पर सीटें भरी जाएं।

हालांकि, देखा जाए तो छात्र जिस आरक्षण व्यवस्था को खत्म करने की मांग कर रहे हैं वह मौजूदा समय में है ही नहीं। दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने 1971 में बांग्लादेश के स्वतंत्रता संग्राम के नायकों के बच्चों और पौत्र-पौत्रियों के लिए 30 फीसदी आरक्षण लागू करने के हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगाई हुई है।

झड़प के बाद विरोध-प्रदर्शन तेज
ढाका के विभिन्न स्थानों पर गुरुवार को छात्रों और पुलिस के बीच झड़प के बाद विरोध-प्रदर्शन तेज हो गए। बीआरएसी विश्वविद्यालय के पास मेरुल बड्डा में प्रदर्शनकारियों ने सड़कों को जाम कर दिया और पुलिस से भीड़ गए। इस भड़की हिंसा में कई घायल हो गए। ढाका ट्रिब्यून की खबर के अनुसार सुबह तक पुलिस ने भीड़ को तितर-बितर करने के लिए आंसू गैस के गोले छोड़े, जिससे इलाके में यातायात बाधित हो गया।