Friday , October 25 2024

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सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने नोटबन्दी की बरसी पर साधा निशाना

सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने नोटबन्दी की बरसी पर साधा निशाना
सपा राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव का ट्वीट

नोटबंदी की 5वीं बरसी- अखिलेश यादव

जो कालाधन लेकर विदेश गए उनका खुलासा हो

विदेश फ़रार होने वालों का भाजपा खुलासा करे-अखिलेश

न कालाधन रुका, न भ्रष्टाचार, न आतंकवाद-अखिलेश

ज़रूरत नोटबंदी की नहीं खोटबंदी की है-अखिलेश

इटावा आज ही के दिन हुई थी नोटबन्दी व्यापारियो ने मनाया काला दिवस

इटावा आज ही के दिन 8 नबम्बर को केंद्र सरकार ने नोटबन्दी का एलान किया था जिससे किसानों और व्यापारियो की कमर टूट गयी थी नोटबन्दी के छै साल पूरे होने पर इस कानून के विरोध में व्यापारियों ने काला दिवस मनाते हुए मौन जुलूस निकाला

इटावा समाजवादी पार्टी स्पोर्टस विंग का किया गया गठन,

 

इटावा समाजवादी पार्टी स्पोर्टस विंग का किया गया गठन,

स्पोटर्स विंग के प्रदेश अध्यक्ष हसन उद्दीन सिद्दीकी ने सपा कार्यालय पर इरशाद मेव को नियुक्त किया स्पोर्ट्स विंग का जिलाध्यक्ष,

नवनियुक्त जिलाध्यक्ष इरशाद ने प्रदेश प्रभारी हसनउद्दीन सिद्दीकी, जिला अध्यक्ष गोपाल यादव, शहर अध्यक्ष वसीम चौधरी, व आनन्द यादव टंटी का स्वागत सम्मान किया

इस अवसर पर जावेद अखतर, सन्तु भदौरिया, सलीम हुसैन ,रानू मेव, अमित यादव ,जीतू यादव, सीटू यादव, हीमांशु शर्मा आदि मौजूद रहे।

आगरा डी ए पी खाद की किल्लत को लेकर किसानों ने लगाया जाम

आगरा- काला बाजारी ओर डीएपी न मिलने पर किसानो का आक्रोश,

सड़क पर लेटे किसानों ने सरकार के खिलाप खोला मोर्चा,

सैया इरादतनगर मार्ग पर सेकड़ो किसानों ने लगाया जाम,

कई दिनों से डीएपी किल्लत से परेशान थे किसान,

जल्द प्रशासन अधिकारियों से डीएपी की आपुर्ति करने की मांग,

मौके पर किसानों को समझाने बुझाने के लिए पहुची पुलिस,

थाना इरादतनगर के सहकारी समिति का पूरा मामला,

बाराबंकी रामनगर:राजस्व और पुलिस की मिलीभगत से ग्राम चाँदामऊ में हो रहा है अवैध खनन

बाराबंकी रामनगर:राजस्व और पुलिस की मिलीभगत से ग्राम चाँदामऊ में हो रहा है अवैध खनन

*रिपोर्ट:-कृष्ण कुमार शुक्ल/बाराबंकी*
रामनगर बाराबंकी
माधव संदेश:रामनगर तहसील के अंतर्गत ग्राम पंचायत कटियारा के चाँदामाऊ में खनन माफिया रातो रात खनन कर रहे है।जहाँ पर खनन हो रहा है वहाँ पर हरे भरे पेड़ लगे हुवे है वहाँ मानको को दरकिनार कर अवैद्म रुप से चल रहे मिट्टी खनन के कार्य को खनन पुलिस एंव राजस्व प्रशासन असमर्थ दिखाई दे रहे है।जिसके कारण अगल बगल के खेत के किसानों में भारी रोष व्याप्त है।भुईया माता मंदिर का अस्तित्व अब जागरुक जनो को खतरे मे दिखाई पड रहा है।यह हाल तब है जब भुईया माता मंदिर को चौबीस गांवो के कुल देवी देवता के रुप मे पूज्य रहकर नगर पंचायत रामनगर के निवासियो के लिये भी सर्वश्रेष्ठ मान्यता हासिल है।रामनगर निवासी प्रेमशंकर पुत्र संकटा प्रसाद का कहना है कि मेरा खेत जहाँ खनन हो रही है उसके बगल में 6 बीघा खेत है ट्यूबेल है 40 फिट का कुंवा का गढ्ढा है और खनन के बगल में हरे भरे आम सीसम, के पेड़ है उनके अस्तिव पर खतरा बढ़ गया है।प्रेमशंकर ने कहा इसकी शिकायत रामनगर थाने पर भी की है लेकिन कोई सुनवाई नही हुई है।मालुम हो कि तहसील रामनगर के क्षेत्र मे अवैद्म खनन का कार्य बहुत बढ चुका है।कोई परमिट की आड मे भौगौलिक महत्व से खिलवाड कर अवैद्म आय अर्जित कर रहा है तो कोई बिना कागजी कोरम के ही अधिकारियो कर्मचारियो की मिली भगत से रात्रि भर अवैद्म खनन कर अपनी और समबंधित लोगो की जेबे भर रहे है।क्षेत्र के ऊपर जगह जगह जारी काफी गहरी खुदाई से क्या प्रभाव पडेगा इससे उनका दूर दूर तक कोई लेना देना नही है।विछलखा और चांदामऊ के बीच मे तमाम ऐसे स्थान है जहा पर चार चार पांच पांच मीटर तक गहरी खुदाई खनन माफियाओं के लोगो ने की है।लेकिन भुईया माता मंदिर की नीव के बीस तीस मीटर की दूरी पर ही तालाब बना दिये जाय तो जागरुक जनो की ओर से सवाल उठना लाजिमी है।जिसके कारण अब चौबीस गांवो के कुल श्रेष्ठ मंदिर के अस्तित्व को खनन माफिया सीधे चुनौती दे रहे है। खनन माफिया ग्राम चांदा मऊ में जहां पर खनन हो रही है उस के बीचो बीच में हरे भरे आम के पेड़ लगे हुए उसके चारों तरफ हरे भरे पेड़ हैं उनको पोकलैंड व जेसीबी के माध्यम से गिराया जा रहा है पर्यावरण के साथ छेड़छाड़ की जा रही है वहां के किसानों का भी कहना है कि जहां खनन हो रही है उसके बगल में मेरे खेत हैं और हरे भरे पेड़ भी हैं।उनके ऊपर खतरा बढ़ गया है।अब लोगो मे सवाल तो इस बात का है कि योगी सरकार मे भी इन खनन माफियाओ के हौसले इतने बुलंद कैसे है।इस समबंध मे तहसील दार सुरेन्द्र कुमार रामनगर से जब हमारे संवाददाता ने दूरभाष पर संपर्क किया उनका कहना था।कि उक्त खनन का जिले से परमीशन है यदि खुदाई मानक विहीन है और मंदिर परिसर के निकट है तो मै अभी जाच करवा रहा हूँ।

फिरोजाबाद मन्दिर से घण्टा चुराने वाला गिरफ्तार

फिरोजाबाद थाना उत्तर पुलिस ने मंदिर से चोरी हुए घंटे के मामले में एक व्यक्ति को गिरफ्तार किया है, जोकि चोरी करने में इतना माहिर,उसने मंदिर को भी नहीं छोड़ा और अपने पैसे की जरूरत पूरी करने के लिए मंदिर में टंगे घंटे को भी चुरा लिया,लेकिन वह घंटा बेच पाता उससे पहले पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया और जेल भेज दिया।

फिरोजाबाद पुलिस कस्टडी में खड़े यह चार युवक जिन पर चोरी करने का आरोप लगा है,और पुलिस इन्हें जेल भेज रही है,दरअसल पूरा मामला थाना रसूलपुर क्षेत्र का है,जहां एक नग बेचने वाले दुकानदार के यहां दो युवक काम करते थे तो उन्होंने यह प्लान किया कि दुकानदार के यहां करीब 24 सौ पैकेट नग आया हुआ है इसे हम चुरा लेते हैं और ओर उसे बेच देंगे जिससे हम पर काफी रुपया आ जाएगा,लेकिन कहते हैं कि जैसी करनी वैसी भरनी दुकान में काम करने वाले दो शातिर नौकरों ने 24 सौ पैकेट नगों को चुराया और एक व्यक्ति को बेचने का प्रयास किया जब पुलिस ने दुकान मालिक की तहरीर पर दुकान में काम करने वाले दो चोरों को उठाया और उनसे पूछताछ की तो पूरा मामला खुल गया, पुलिस ने इस घटना में चार चोरों को जेल भेजा है और जो चोरी का माल था उसे बरामद कर लिया है,यह नग चूड़ी ओर कड़े पर लगाया जाता है,इन 2400 नगों के पैकिट 5 लाख रुपये है।

हरदोई त्योहारों पर खूब बिकी मिलावटी मिठाई

*त्यौहारों पर खूब बिकी मिलावटी मिठाईयां, प्रभावी कार्यवाई ना होने से मिलावटखोरों के हौसले बुलंद।*
*कछौना(हरदोई)।* दीपावली व भाईदूज के पर्व पर कछौना नगर में धड़ल्ले से नकली व मिलावटी मिठाइयों की बिक्री जारी रही।खाद्य विभाग द्वारा प्रभावी कार्यवाई ना होने के चलते मिलावटखोरों के हौसले बुलंद हैं और चंद रुपयों की खातिर वो आमजनमानस के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ करने से बाज नहीं आ रहे हैं।
बताते चलें कि देश के प्रमुख त्यौहारों में से एक दीपावली व भाई बहन के परस्पर स्नेह के प्रतीक पर्व भाईदूज पर मिठाइयों की बिक्री में जबरदस्त तेजी आ जाती है और मिलावटखोर त्यौहारों के इस समय का बाखूबी फायदा उठाते हुए नकली मावे, चांदी के वर्क की जगह एल्युमिनियम वर्क लगी रंग बिरंगी और मिलावटी मिठाइयों की बड़ी खेप बाजार में उतार देते हैं।नगर में स्थित बंगाली स्वीट हाउस(चौराहा), बालाजी मिष्ठान भंडार, दिनेश मिष्ठान भंडार, नारायण स्वीट्स(मुन्नीलाल), राज स्वीट्स, महेंद्र मिष्ठान भंडार व बंगाली स्वीट्स हाउस(गाजू-हथौड़ा तिराहा) सहित लखनऊ हरदोई रोड, स्टेशन रोड व गाजू-हथौड़ा रोड पर स्थित मिठाई की दुकानों पर त्यौहारों के समय धड़ल्ले से नकली, रंगबिरंगी और मिलावटी मिठाइयों की बिक्री जारी रही।एक अक्टूबर से प्रभावी हुए नियम ‘जिसमें प्रत्येक मिठाई(अथवा उसकी ट्रे पर) पर एक्सपायरी डेट लिखना अनिवार्य कर दिया गया है’ जिसका पूरे नगर में कहीं पर भी अनुपालन होता नहीं दिखाई दिया।रोड के किनारे खुले में रखी मिठाइयों पर मख्खियां भिनभिनाने के साथ साथ उड़ती धूल जमती जा रही थी, ऐसी मिठाई खरीदने/खाने वाले के स्वास्थ्य पर क्या प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा इसका अंदाजा सहज ही लगाया जा सकता है।चंद रुपयों की खातिर ऐसे मिलावटखोर व बेपरवाह दुकानदार अपने मुनाफे के लिए आमजनमानस के स्वास्थ्य के साथ जमकर खिलवाड़ कर रहे हैं।अत्यधिक रंगदार, एल्युमिनियम वर्क से तैयार व नकली मावे से बनी ऐसी मिलावटी व बासी मिठाईयां आपके और आपके परिवार की सेहत पर बहुत ही भयंकर दुष्प्रभाव डाल सकती हैं।
नगर में मिलावटी मिठाइयों की धड़ल्ले से जारी बिक्री के संदर्भ में जब जिले के खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन विभाग के अभिहित अधिकारी(डी.ओ.) सतीश कुमार से वार्ता की गई तो उन्होंने बताया कि शासन के निर्देश पर समय समय पर मिलावटखोरों के विरूद्ध अभियान चलाया जाता है।त्यौहारों के समय मिलावटी खाद्य सामग्रियों/मिठाइयों की बिक्री बढ़ जाती है जिसके लिए विभाग द्वारा अभियान चलाकर कार्रवाई की जाएगी।वहीं मुख्य खाद्य सुरक्षा अधिकारी अतुल कुमार पाठक ने बताया कि विभाग द्वारा कई बार कछौना में मिलावटखोर मिठाई दुकानदारों के विरूद्ध अभियान चलाकर मिलावटी व रंगीन मिठाइयों को नष्ट कराया गया है।मिठाइयों पर एक्सपायरी डेट ना लिखने वाले व एल्युमिनियम वर्क, नकली मावे का प्रयोग कर मिलावटी मिठाइयाँ बेचने वाले दुकानदारों के खिलाफ जल्द ही औचक अभियान चलाकर कड़ी कार्यवाई की जाएगी।

इटावा छठ समाज को जोड़ने वाला व्रत है

*छठ समाज को जोड़ने वाला व्रत है*

*सूरज सबसे जुड़े हुए हैं, सबको जोड़ते भी हैं।*

ए ,के, सिंह
इटावा,भारतीय पर्वो में दीपावली और छठ का अपना एक गुढ़ अर्थ और आध्यात्मिक महत्व रहा है। भगवान बुद्ध ने कहा “आत्म दीपो भवः” यानि अपना प्रकाश स्वंय बनो। संत कबीर साहब ने कहा “अपने घट दियना बारू रे” अर्थात अपने शरीर रुपी घट में प्रकाश रुपी दीप जलायें। इन संत महापुरुष का कहना है कि सांसारिक दीपावली के साथ- साथ पारमार्थिक दीपावली भी मनायें। अपने अंतर्मन में ज्ञान, वैराग्य, दया, प्रेम जैसे सदगुण रुपी दीप जलाकर खुद को और संसार को प्रकाशित करें।
हर साल दीपावली पर करोड़ों रुपयों के पटाखों का उपयोग होता है। यह सिलसिला कई दिन तक चलता है। कुछ लोग इसे फिजूलखर्ची मानते हैं तो कुछ उसे परम्परा से जोड़कर देखते हैं। पटाखों से बसाहटों, व्यावसायिक, औद्योगिक और ग्रामीण इलाकों की हवा में तांबा, कैलशियम, गंधक, एल्युमीनियम और बेरियम प्रदूषण फैलाते हैं। धातुओं के अंश कोहरे के साथ मिलकर अनेक दिनों तक हवा में बने रहते हैं। उनके हवा में मौजूद रहने के कारण प्रदूषण का स्तर कुछ समय के लिये काफी बढ़ जाता है। विभिन्न कारणों से देश के अनेक इलाकों में वायु प्रदूषण सुरक्षित सीमा से अधिक है। ऐसे में पटाखों से होने वाला प्रदूषण, भले ही अस्थायी प्रकृति का होता है, उसे और अधिक हानिकारक बना देता है। पटाखों के चलाने से स्थानीय मौसम प्रभावित होता है। आवाज के 10 डेसीबल अधिक तीव्र होने के कारण आवाज की तीव्रता दोगुनी हो जाती है, जिसका बच्चों, गर्भवती महिलाओं, दिल तथा सांस के मरीजों पर बुरा प्रभाव पड़ता है। पटाखे से निकलने वाले धुएं, रसायन और गंध दमा के रोगियों के लिए घातक साबित होते हैं। इसलिए दिवाली के दिन और उसके बाद के कुछ दिनों में भी दमा के रोगियों को हर समय अपने पास इनहेलर रखना चाहिये और पटाखों से दूर रहना चाहिये। इन दिनों उनके लिये सांस लेने में थोड़ी सी परेशानी या दमे का हल्का आघात भी घातक साबित हो सकता है। पटाखों के कारण वातावरण में हानिकारक गैसों तथा निलंबित कणों का स्तर बहुत अधिक बढ़ जाने के कारण फेफड़े, गले तथा नाक संबंधी गंभीर समस्यायें भी उत्पन्न होती हैं। दिवाली से पहले अधिकतर घरों में रंग-रोगन कराया जाता है, घरों की सफाई की जाती है। पेंट के गंध एवं धूल-कण सांस के रोगियों के लिए आफत बन जाती है।
दिवाली खुशियों और उल्लास का त्योहार है। आप फूड वेस्टेज को कम करने में मदद कर पर्यावरण संरक्षण में योगदान दे सकते हैं और गरीब बच्चों व परिवारों को मिठाईयां व कपड़े बांट सकते हैं। यह न सिर्फ आपकी दिवाली को खास बना देगा, बल्कि आसपास के माहौल को भी खुशनुमा बना देगा। खरीदारी करने में पर्यावरण के अनुकूल और प्राकृतिक संरक्षण को ध्यान रखना चाहिए।
आज के समय में विज्ञान ने कितनी तरक्की कर ली है। सरकार को पटाखा निर्माताओं को कम धुआं और आवाज करने वाले ‘एनवायरमेंट फ्रेंडली पटाखों’ के आविष्कार के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए। सरकार और पर्यावरण प्रेमी पर्यावरण को बचाना चाहते हैं तो उन्हें पटाखों के निर्माण और उनकी गुणवत्ता पर पूरा ध्यान देने की जरूरत है न कि पटाखे जलने से रोकने पर। वरना दीवाली अंधकार पर प्रकाश की नहीं, बल्कि प्रकाश पर धुएं की विजय का ही त्योहार बनी रहेगी। पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने वाले उत्पादों को खरीदने से बचना चाहिए।
मनुष्य तो व्रत करता ही है, परंतु इस पर्व को उत्सव बनाने के लिए मनुष्य ने प्रकृति और पर्यावरण का ही सहारा लिया है। हम सब जानते हैं कि सूरज से ही जीवन है। प्रकृति और पर्यावरण की रक्षा भी सूरज ही करता है। इसलिए कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी, पंचमी, षष्ठी एवं सप्तमी 4 दिनों तक लगातार चलने वाला छठ पर्व भारत ही नहीं, अब तो इसके बाहर भी काफी धूमधाम से मनाया जाता है। सभी लोग घाट पर सूर्य के प्रति कृतज्ञता प्रकट करते हैं और उनसे पुनः बहुत कुछ मांगते हैं क्योंकि पूरा जीवन देने वाला तो वही है। सूरज से बेटा के साथ-साथ बेटी भी व्रती महिलाएं मांगती हैं। वह एकमात्र देवता है जिनकी डूबते समय भी पूजा होती है।
छठ पर्व सूर्योपासना का यह अनुपम लोकपर्व मुख्य रूप से बिहार, झारखण्ड, पूर्वी उत्तर प्रदेश और नेपाल के तराई क्षेत्रों में मनाया जाता है। यह पर्व बिहार वासियों का सबसे बड़ा पर्व है। ये उनकी संस्कृति है। स्वच्छता का प्रतीक है। इन दिनों लोग अपने घर के प्रत्येक सामान की साफ- सफाई करते हैं। साथ ही सार्वजनिक स्थलों को भी साफ करते हैं। बिहार और आसपास के राज्यों में सुर्योपासना का पर्व ‘छठ’ धूमधाम और हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। अंततः सूर्य के पूर्ण प्रकाश का दर्शन होता है। इस ईश्वरीय प्रकाश को पाकर साधक कृत-कृत्य हो जाता है।
छठ पर्व में भारतीय जीवन दर्शन भी समाहित है। यह समूचे विश्व को बताता है कि उगते हुये अर्थात उदीयमान सूर्य को तो संपूर्ण जगत प्रणाम करता है लेकिन हम तो उसी श्रद्धा और भक्ति के साथ ससम्मान डूबते हुये अर्थात अस्ताचलगामी सूर्य की भी उपासना और पूजा करते है। सूरज का समय अटल है। यह हमारे भारतीय समाज का आशावादी विश्वास है। छठ समाज को एक करने वाला व्रत है। सूरज सबसे जुड़े हुए हैं इसलिए वह सबको जोड़ देते हैं। जाति- वर्ग, अमीर-गरीब, स्त्री-पुरुष सब मिलकर एक घाट पर एक साथ सूरज को प्रणाम करते हैं।
बड़ा ही प्यारा और सुखद अनुभूति होती है। बिना सामूहिक हुए पर्वों का आनंद नहीं लिया जा सकता है किंतु कोविड-19 के प्रभाव को देखते हुए दो गज की दूरी बनाना जरूरी है।