Thursday , October 24 2024

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पूर्वोत्तर रेलवे ने जारी किए पांच हेल्पलाइन नंबर, वाया अयोध्या जाएंगी ट्रेनें

गोंडा: पूर्वोत्तर रेलवे के जनसंपर्क अधिकारी पंकज कुमार सिंह ने बताया कि बाराबंकी-गोरखपुर रेलखंड पर मोतीगंज-झिलाही स्टेशन के मध्य डाउन लाइन पर 15904 चण्डीगढ़-डिब्रूगढ़ एक्सप्रेस के दुर्घटनाग्रस्त हो जाने के चलते गोंडा से राहत चिकित्सा यान घटनास्थल पर पहुंच गई हैं।

राहत एवं बचाव कार्य युद्धस्तर पर किया जा रहा है। रेल यात्रियों की मदद एवं अन्य जानकारी हेतु रेलवे द्वारा हेल्पलाइन नंबर जारी किये गये हैं। वहीं हादसे के चलते इस रूट पर आने व जाने वाली सभी ट्रेनों को डायवर्ट कर दिया गया है। लखनऊ से वाया अयोध्या गोरखपुर के लिए ट्रेनें रवाना की जाएंगी।

1. गोंडा – 8957400965
2. लखनऊ – 8957409292
3. सीवान – 9026624251
4. छपरा – 8303979217
5. देवरिया सदर- 8303098950

इस रेलखंड पर चलने वाली निम्न गाड़ियों का मार्ग परिवर्तन कर चलाया जा रहा है:
– 15707 कटिहार-अमृतसर एक्सप्रेस का मार्ग परिवर्तन कर मनकापुर-अयोध्या-बाराबंकी के रास्ते चलाई जा रही है।
– 15653 गुवाहाटी-श्रीमाता वैष्णो देवी कटरा एक्सप्रेस का मार्ग परिवर्तन कर मनकापुर-अयोध्या-बाराबंकी के रास्ते चलाई जा रही है।

किशनी में 70 फीट गहरे कुएं में गिरा राष्ट्रीय पक्षी मोर, लोगों ने बचाई जान

मैनपुरी: मैनपुरी के किशनी में स्टेडियम के सामने एक करीब 70 फीट गहरे कुएं में एक मोर गिर गया। जानकारी होने के बाद वहां लोगों की भीड़ एकत्र हो गई। काफी देर मशक्कत के बाद लोगों ने राष्ट्रीय पक्षी मोर को सकुशल बाहर निकाला। उपचार के लिए वन विभाग कर्मियों के सुपुर्द कर दिया गया।

बुधवार को गांव उदयपुर निवासी किसान श्रीकृष्ण यादव खेत की ओर गए थे। स्टेडियम के पास करीब 70 फीट गहरे कुएं से कुछ आहट होने पर जब पास जाकर देखा तो उसमें एक घायल मोर बाहर निकलने के लिए फड़फड़ा रहा था। जानकारी होने के बाद वहां लोगों की भीड़ एकत्र हो गई।

रस्सी मंगाने के बाद वृद्ध श्रीकृष्ण कुएं में उतर गए और मोर को बाहर निकाल कर ले आए। मोर चोटिल होने के वजह से उड़ नहीं पा रहा था। इस बीच वहां वन विभाग के कर्मी भी आ गए। सूचना पर पहुंचे नायब तहसीलदार पुष्पेंद्र यादव ने वन विभाग की टीम को राष्ट्रीय पक्षी की सुपुर्दगी दी। कहा कि मोर का पशु चिकित्सक से उपचार कराएं। सही होने के बाद उसे सुरक्षित स्थान पर छोड़ा जाए।

हाईटेंशन विद्युत लाइन में छूने से ताजिया में लगी आग, एक व्यक्ति की मौत, आठ गंभीर झुलसे

लखीमपुर खीरी:लखीमपुर खीरी जिले के अमीरनगर क्षेत्र में मुहर्रम पर जुलूस के दौरान दर्दनाक घटना हो गई। गरदहा गांव में गुरुवार को सुबह ताजिया निकाला जा रहा था। इस दौरान हाई टेंशन विद्युत लाइन से ताजिया टकराया गया। इससे ताजिये में आग लग गई। इससे 10 से अधिक लोग झुलस गए। घटना से वहां अफरातफरी मच गई।

लोगों ने आनन-फानन झुलसे लोगों को किसी तरह नजदीकी अस्पताल पहुंचाया, जहां प्राथमिक उपचार के बाद सभी पीड़ितों को शाहजहांपुर के राजकीय मेडिकल कॉलेज रेफर कर दिया गया। जहां हसीब (21) पुत्र शमशाद गांव गरदहा की मौत हो गई। अन्य पीड़ितों का उपचार चल रहा है। इनमें से भी कुछ हालत गंभीर बताई गई है।

इधर, घटना की सूचना मिलने पर पुलिस पहुंची। पुलिस ने छानबीन की। बताया जा रहा है कि ताजिये की ऊंचाई अधिक होने के वह विद्युत लाइन से छू गया था। जिससे करंट उतरने से ताजिया में आग लग गई। बता दें कि जिलेभर में बुधवार को मुहर्रम गमगीन माहौल में मनाया गया था। कुछ इलाके में मुहर्रम की 11 तारीख को ताजिये दफन होते हैं। इसी परंपरा के तहत गरदहा गांव में ताजिया निकाला जा रहा था। ऊंचाई ज्यादा होने के कारण हादसा हो गया।

बुधवार को जिलेभर में निकले थे जुलूस
बता दें कि जिलेभर में बुधवार को मुहर्रम पर अकीदतमंदों ने हजरत इमाम हुसैन व कर्बला के शहीदों के नाम नजरों नियाज कराई। घरों पर मजलिस में हजरत इमाम हुसैन व कर्बला के शहीदों की कुर्बानी को याद किया। दोपहर बाद ताजियों का जुलूस कर्बला रवाना हुआ। सड़कों पर ताजियों का लंबा जुलूस दिखा। गमगीन माहौल में ताजिये सुपुर्दे खाक किए गए। जिले के कुछ इलाके में मुहर्रम की 11 तारीख को ताजिये दफन होते हैं। इसी परंपरा के तहत अमीरनगर क्षेत्र के गरदहा गांव में ताजिया निकाला जा रहा था। ऊंचाई ज्यादा होने के कारण हादसा हो गया।

लखीमपुर जिले के थाना मोहम्मदी के अमीन नगर में मोहर्रम पर निकल जा रहे ताजियों के जुलूस के दौरान बड़ी घटना हो गई। 180 फीट ऊंचा ताजिए का गुंबद हाई टेंशन लाइन से टकराने के बाद इसमें एक व्यक्ति की मौत हो गई जबकि नौ लोग झुलस गए हैं। उन्हें राजकीय मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया है। मोहर्रम से शुरू हुए ताजियों को जुलूस का सिलसिला जारी था। गुरुवार को अमीर नगर गांव से जुलूस रवाना हुआ था। बताते हैं कि करीब 180 फुट ऊंचा ताजिए को करीब 100 लोग लेकर जा रहे थे। 33 केवी लाइन में ताजिये का गुंबद टकराने से लोग झुलस गए। आठ लोगों को गम्भीर हालात में राजकीय मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया। एक की मौत हो गई। शेष का उपचार शुरू हो गया है।

पिता पूर्व CM, खुद मंत्री रहे विधायक फतेहबहादुर सिंह को जान का खतरा-सुरक्षा और सुनवाई नहीं होने से निराश

गोरखपुर:  कैंपियरगंज के सात बार के विधायक और राज्य सरकार के मंत्री रह चुके भाजपा विधायक फतेह बहादुर सिंह ने केंद्रीय गृह मंत्री और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष को पत्र लिखा है। फतेह बहादुर सिंह ने अमर उजाल से फोन पर हुई बातचीत में आरोप लगाया कि ‘विपक्षियों ने साजिश कर उनके हत्या की योजना तैयार की है।

विधायक ने कहा है कि उनके विरोधियों द्वारा हत्या की साजिश रची जा रही है। मेरी जानकारी में यह बात 11 दिन पहले आई। मुझे मारने के लिए एक करोड़ चंदा जुटाकर पेशेवर अपराधियों को दिया गया है। इसकी जानकारी एसएसपी को भी दी थी। इसके बाद मुख्यमंत्री को बताया।

लेकिन, कोई कार्रवाई नहीं हुई। इसलिए यह बात सार्वजनिक करना पड़ा। कल ही दिल्ली जाकर पार्टी शीर्ष नेतृत्व को भी पत्र के जरिए जानकारी दे दी है। पुलिस पूरे मामले को हल्के में ले रही है। कुछ लोग चाहते हैं कि मेरी हत्या हो जाय तो उनका राजनितिक स्वार्थ सिद्ध हो जाएगा।

जबसे मुझे धमकी मिली है घर से निकलना बंद कर दिया है। विधायक ने कहा कि पांच दिन इंतजार करूंगा अगर पुलिस ने पूरे मामले का पर्दाफाश नहीं किया तो दिल्ली में प्रेस कांफ्रेस कर साजिश का खुलासा करूंगा।

आरोपा लगाया कि विपक्षियों ने उनकी हत्या के लिए एक करोड़ रुपये इकट्ठा भी करवा लिया है। इसपर राज्य सरकार और सीएम योगी आदित्यनाथ को कड़ी कार्रवाई करवानी चाहिए। आरोप लगाया, पत्र लिखकर खुद से सूचना देने के बाद भी आज तक राज्य सरकार के किसी अधिकारियों ने उनसे संपर्क नहीं किया है।

‘कर्नाटक के लोगों का अपमान हुआ’, नौकरियों में आरक्षण विधेयक पर रोक को लेकर BJP की सरकार को चेतावनी

बंगलूरू:कर्नाटक सरकार ने निजी क्षेत्र में कन्नड़ लोगों के लिए आरक्षण पर मसौदा विधेयक पर रोक लगाई है। इस बीच, राज्य के मंत्री प्रियांक खरगे ने कहा कि इसे वापस लेने का सवाल ही नहीं है। एक सरकार के रूप में हम स्थानीय स्तर पर अधिक नौकरियां प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। हम यह सुनिश्चित करेंगे कि कर्नाटक एक वैश्विक कार्यबल प्रदान करे। वहीं, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेताओं ने सरकार पर निशाना साधा है।

ध्यान भटकाने की रणनीति का इस्तेमाल कर रहे सीएम: विजयेंद्र
वहीं, भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बीवाई विजयेंद्र ने कहा, “मुझे नहीं लगता कि मुख्यमंत्री सिद्धारमैया कर्नाटक के लोगों के हितों की रक्षा को लेकर गंभीर हैं। इतने सारे घोटाले हो रहे हैं। वे ध्यान भटकाने की रणनीति का इस्तेमाल कर रहे हैं। यह बताता है कि मुख्यमंत्री गंभीर नहीं हैं। मैं मुख्यमंत्री से सभी को भरोसे में लेने और विधेयक को वापस लाने का आग्रह करता हूं।”

‘कर्नाटक के लोगों के गुस्से का सामना करने को तैयार रहें’
भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बी वाई विजयेंद्र ने ‘एक्स’ पर पूछा, “आप कर्नाटक के लोगों को रोजगार देने के लिए विधेयक क्यों लाए? आपने इस पर रोक क्यों लगाई? कर्नाटक के लोगों की जिंदगी के साथ खिलवाड़ क्यों? क्या आपको अपमान करने के लिए कर्नाटक के लोगों की आवश्यकता है? सरकार को कर्नाटक के लोगों के लिए (निजी क्षेत्र की) नौकरियों में आरक्षण के लिए विधेयक पेश करना चाहिए। विधेयक से ग्रामीण इलाकों में उन लाखों बेरोजगार लोगों में उम्मीद जगी है, अपनी योग्यता के बावजूद नौकरी के अवसरों से वंचित हैं। वरना कर्नाटक के लोगों के गुस्से का सामना करने के लिए तैयार रहें।”

विजयेंद्र ने विधेयक को रोकने की निंदा की और इसे कायरतापूर्ण फैसला करार दिया। उन्होंने कहा कि इससे कर्नाटक के लोगों का अपमान हुआ। इस विधेयक का मकसद कन्नड़ लोगों को रोजगार प्रदान करना है।

परामर्श करने के बाद फिर लेंगे फैसला: जी. परमेश्वर
राज्य के मंत्री दिनेश गुंडू राव ने कहा, “मुख्यमंत्री ने कुछ फीडबैक के आधार पर एक बयान दिया है। हम इस पर फिर से विचार करेंगे। हम जो कुछ भी करना चाहते हैं, वह हमारे लोगों के हित में है।” वहीं, मंत्री जी. परमेश्वर ने कहा, “कुछ परामर्श करने की जरूरत है। हम सभी से परामर्श करने के बाद फिर फैसला लेने की कोशिश कर रहे हैं।”

यह सब नाटकबाजी, सरकार के खिलाफ माहौल: सीटी रवि
भाजपा नेता सीटी रवि ने कहा, “यह सब नाटकबाजी है। माहौल मुख्यमंत्री और कांग्रेस सरकार के खिलाफ है।” एक अन्य भाजपा नेता सी.एन.अश्वथ ने कहा, कर्नाटक के लोगों के लिए आरक्षण के संबंध में विधेयक पर रोक लगाने का सरकार का फैसला सराहनीय है। परामर्श और चर्चाएं होने दीजिए और उसके बाद ही हम आगे बढ़ सकते हैं। इसमें श्रम मंत्री का क्या स्वार्थ निहित था? श्रम मंत्री के बहुत सारे स्वार्थ निहित हैं। वह काफी शरारत करने की कोशिश कर रहे हैं।

नीट पेपर लीक में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई; CJI बोले- लाखों छात्र फैसले का कर रहे इंतजार

नई दिल्ली: विवादों में घिरी राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा स्नातक (नीट-यूजी) से जुड़ी याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट आज सुनवाई कर रहा है। इनमें राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी (एनटीए) द्वारा स्थानांतरण की मांग करने वाली याचिकाएं भी शामिल हैं। मुकदमेबाजी की बहुलता से बचने के लिए एनईईटी-यूजी विवाद पर विभिन्न उच्च न्यायालयों में इसके खिलाफ लंबित मामले शीर्ष अदालत में लंबित हैं।मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ 40 से अधिक याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है। पांच मई को हुई परीक्षा में करीब 24 लाख अभ्यर्थी शामिल हुए थे।

लाखों छात्र कर रहे इंतजार
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुनवाई शुरू होने पर कहा कि नीट मामले को शुक्रवार को सुना जा सकता है। जिस पर सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा कि सुनवाई आज ही शुरू करते हैं। हम नीट मामले पर सबसे पहले सुनवाई करेंगे, क्योंकि लाखों छात्र फैसले का इंतजार कर रहे हैं।

सीबीआई ने की दूसरी स्टेट्स रिपोर्ट दाखिल
वहीं, सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया गया है कि सीबीआई ने कथित नीट-यूजी पेपर लीक और कदाचार की चल रही जांच के संबंध में दूसरी स्टेटस रिपोर्ट दाखिल की है। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा, सीबीआई ने इस मामले में कल एक और स्टेट्स रिपोर्ट दाखिल की है। जिस पर सीजेआई ने कहा, हां हमने दूसरी स्टेट्स रिपोर्ट भी पढ़ी है।

रिपोर्ट सामने आने पर जांच होगी प्रभावित: अदालत
याचिकाकर्ता की तरफ से पेश वकील नरेंद्र हुड्डा ने कहा कि हमें सीबीआई की स्टेटस रिपोर्ट नहीं दी गई है। इस पर अदालत ने कहा, ‘हालांकि हम पारदर्शिता की वकालत करते हैं। मगर सीबीआई जांच चल रही है। अगर सीबीआई ने हमें जो बताया है उसका खुलासा होता है, तो यह जांच को प्रभावित करेगा।’

हमें संतुष्ट करें कि पेपर लीक बड़े पैमाने पर हुआ
सीजेआई ने याचिकाकर्ता से कहा कि आप हमें संतुष्ट करिए कि पेपर लीक बड़े पैमाने पर हुआ और परीक्षा रद्द होनी चाहिए। दूसरी इस मामले में जांच की दिशा क्या होना चाहिए वो भी हमें बताएं। उसके बाद हम सॉलिसिटर जनरल को सुनेंगे। सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता से यह भी कहा कि अगर आप हमारे सामने यह साबित कर देते हैं कि बड़े पैमाने पर गड़बड़ी हुई तभी दोबारा परीक्षा कराने का आदेश दिया जा सकता है।

सीजेआई और याचिकाकर्ता के बीच हुए सवाल-जवाब
याचिकाकर्ता छात्रों के वकील ने कहा कि कुछ ऐसे छात्र भी आए हैं, जिनकी रैंक एक लाख आठ हजार छात्रों के बीच है, लेकिन उनको सरकारी कॉलेज नहीं मिला। वहीं, एनटीए ने सभी लोगों का रिजल्ट घोषित नहीं किया है, जबकि दूसरी परीक्षाओं में पूरे रिजल्ट घोषित होते है। इस पर सीजेआई चंद्रचूड़ ने पूछा कि सरकारी कॉलेजों में कितनी सीटें हैं? वकील ने कहा कि 56 हजार सीटें। कम से कम एक लाख का रिजल्ट घोषित हों।
सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा कि क्या आपके हिसाब से कुछ लोग एक लाख आठ हजार के केटेगरी में आ गए है? आप (याचिकाकर्ता) पहले तथ्यों पर बात करें। एक लाख आठ हजार में से कितने याचिकाकर्ता है और कितने छात्र सुप्रीम कोर्ट पहुंचे हैं।

कितने छात्र दोबारा नीट परीक्षा की मांग कर रहे?

अदालत ने कहा कि 131 छात्र दोबारा परीक्षा चाहते है। 254 छात्र दोबारा परीक्षा के खिलाफ है। दोबारा परीक्षा चाहने वाले 131 छात्र ऐसे हैं, जो एक लाख आठ हजार के अंदर नहीं आते और दोबारा परीक्षा का विरोध करने वाले 254 छात्र एक लाख आठ हजार के अंदर आते हैं। अगर 1 लाख 8 हजार लोगों को एडमिशन मिलता है, बाकी 22 लाख लोगों को दाखिला नहीं मिलता तो इसका मतलब ये तो नहीं कि पूरी परीक्षा को रद्द कर दिया जाए?

22 जुलाई से विधानसभा सत्र, नीट परीक्षा में अनियमितता, नए आपराधिक कानूनों पर प्रस्ताव ला सकती है टीएमसी

कोलकाता:पश्चिम बंगाल विधानसभा सत्र के दौरान नीट प्रवेश परीक्षा में कथित अनियमितताओं और नए आपराधिक कानूनों को लागू करने में जल्दबाजी पर तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) अलग-अलग प्रस्ताव ला सकती है। टीएमसी के एक नेता ने इसकी जानकारी दी। बता दें कि पश्चिम बंगाल विधानसभा सत्र 22 जुलाई से शुरू होगा। राज्य के संसदीय कार्य मंत्री सोभनदेव चट्टोपाध्याय ने बताया कि यह सत्र दस दिनों तक चलेगा।

विधानसभा सत्र को लेकर टीएमसी के एक वरिष्ठ विधायक ने कहा, “अब तक संभावना के अनुसार दो प्रस्ताव- नीट में अनियमितता पर और दूसरा तीन नए आपराधिक कानूनों को लागू करने में जल्दबादी पर, पेश किए जाएंगे।” इस दौरान उन्होंने विधानसभा में पेश किए जाने वाले प्रस्तावों पर कुछ भी बोलने से इनकार कर दिया। उन्होंने मीडिया से बात करते हुए कहा, विधानसभा अध्यक्ष ने कहा है कि 22 जुलाई से शुरू होने वाला सत्र दस दिन का रहेगा। उसके बाद कार्य मंत्रणा (बीए) समिति और सर्वदलीय बैठक में तय किया जाएगा कि सत्र आगे बढ़ाया जाए या नहीं

बता दें कि देशभर में एक जुलाई से तीन नए आपराधिक कानून- भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस), भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम (बीएसए), लागू हो चुके हैं। इन तीनों कानूनों के ब्रिटिशकालीन कानूनों-भारतीय दंड संहिता (आईपीसी), दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम, की जगह ली है।

विधानसभा सत्र में भाजपा राज्य में चुनाव के बाद हुई हिंसा और हमले की घटनाओं पर चर्चा की मांग करते हुए एक प्रस्ताव ला सकती है। भाजपा विधायक अग्निमित्रा पॉल ने कहा कि वह राज्य में चुनाव बाद हिंसा और भीड़ द्वारा हमलों की घटनाओं पर विधानसभा में चर्चा चाहते हैं।

ट्रंप पर हमले का जिक्र कर भाजपा ने उठाया पीएम मोदी पर आक्रामक टिप्पणियों का मुद्दा, विपक्ष पर साधा निशाना

नई दिल्ली:अमेरिका में पिछले हफ्ते चुनाव प्रचार के दौरान पूर्व राष्ट्रपति और राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप पर हमला किया गया। इस हमले में वह बाल-बाल बच गए। ट्रंप पर किए गए हत्या के प्रयास की भारत में भी निंदा की गई। ट्रंप पर हुए इस हमले के बाद भाजपा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर किए गए आक्रमक टिप्पियों का मुद्दा उठाया। भाजपा के वरिष्ठ नेता रविशंकर प्रसाद ने कहा कि लोकतंत्र में ऐसा नहीं होना चाहिए। यहां असहमति का अधिकार है, लेकिन ऐसी असहमति, जिससे हिंसा हो यह सही नहीं है। इसी के साथ विपक्ष पर भी निशाना साधा गया।

भाजपा नेता ने यूपी के पूर्व डीजीपी के लेख पर प्रतिक्रिया
रविशंकर प्रसाद ने डोनाल्ड ट्रंप पर हुए इस हमले की निंदा की। उन्होंने कहा, “अमेरिकी राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार और पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप पर हत्या का प्रयास किया गया। भगवान की कृपा से वह सुरक्षित हैं और अपराधी के खिलाफ कार्रवाई की गई। लोकतंत्र में ऐसा नहीं होना चाहिए। यहां असहमति का अधिकार है, लेकिन ऐसी असहमति जिससे हिंसा हो और राजनेताओं को निशाना बनाया जाए, यह सही नहीं।”

भाजपा नेता ने आगे कहा, “उत्तर प्रदेश के पूर्व डीजीपी विक्रम सिंह ने एक अखबार में लेख लिखा, जिसमें उन्होंने बताया कि जिस तरह से भारत के पीएम मोदी पर निशाना साधा गया है, उससे उन पर हिंसा बढ़ सकती है।” रविशंकर ने कहा, “इसका सबूत भी है। 2013 में पटना में उनपर हमला हुआ था, जिसमें छह लोगों की मौत हुई थी। जब वह पंजाब गए, तब उनका रास्ता बदल दिया गया।”

इस दौरान रविशंकर ने कांग्रेस पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा कि कई बार राहुल गांधी भी गैर जिम्मेदाराना बयान दे देते हैं। लोकतंत्र में आपको असहमति का अधिकार है, लेकिन इतनी मर्यादा होनी चाहिए कि हिंसा में किसी राजनेता को निशाना न बनाया जाए।

सुधांशु त्रिवेदी ने विपक्ष को घेरा
यूपी के पूर्व डीजीपी के लेख पर भाजपा सांसद एवं राष्ट्रीय प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी ने भी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा, “आज देश के एक अंग्रेजी अखबार में एक सेवानिवृत्त वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी ने लेख लिखा है। लेख में उन्होंने सुरक्षा से जुड़ी वर्तमान वैश्विक गतिविधियों और उनके भारत पर पड़ने वाले प्रभाव की ओर ध्यान आकर्षित किया है। आप जानते हैं कि एक-डेढ़ साल पहले जापान के पूर्व प्रधानमंत्री शिंजो आबे की एक राजनीतिक कार्यक्रम में हत्या कर दी गई थी। कुछ दिन पहले अमेरिका के राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप पर हत्या का प्रयास किया गया था, जिसमें वह बाल-बाल बचे थे।”

सुधांशु त्रिवेदी ने आगे कहा, “उन्होंने (विक्रम सिंह) कहा कि हिंसा और हत्या को भड़काने वाली ऐसी प्रवृत्तियां ऐसे बयानों से प्रेरित होती हैं, जिसमें राजनीतिक दल अल्पकालिक राजनीतिक लाभ के लिए ‘हिंसा’ और ‘हत्या’ जैसे शब्दों का इस्तेमाल करना चाहते हैं। यह दुर्भाग्यपूर्ण और चिंता का विषय है कि हिंसा के लिए उकसाने वाले ऐसे शब्द और भाषा का इस्तेमाल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए किया जा रहा है। कांग्रेस नेता और विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने कई बार पीएम मोदी के लिए अपमानजनक शब्दों का इस्तेमाल किया। अगर आप लोकसभा में विपक्ष के नेता बन गए हैं, तो थोड़ी परिपक्वता दिखाएं। इसलिए, मैं सभी राजनीतिक दलों से आग्रह करना चाहूंगा कि ‘हिंसा’, ‘हत्या’, ‘किसी के प्रति आक्रमण’, ‘मारना-पीटना’ और ‘कब्र खुदेगी’ जैसे शब्दों का इस्तेमाल बंद होना चाहिए।”

सीएम सरमा ने दोहराया बाल विवाह रोकने के लिए सख्त कदम उठाने का संकल्प; हर छह महीने पर चलेगा विशेष अभियान

गुवाहाटी:  बाल विवाह जैसी कुप्रथा को रोकने के लिए असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने विशेष अभियान चलाने की घोषण की। इस अभियान के तहत हर छह महीने में विशेष अभियान चलाया जाएगा। दरअसल बुधवार को एक एनजीओ की रिपोर्ट जारी की। जिसमें कहा गया है कि बाल विवाह के खिलाफ राज्य सरकार की कार्रवाई से ऐसे मामलों की संख्या में कमी आई है।

इसके बाद सीएम ने बुधवार शाम को एक वीडियो संदेश जारी किया। जिसमें उन्होंने कहा, “बाल विवाह के खिलाफ हमारा अभियान और सख्त कार्रवाई जारी रहेगी। हर छह महीने में एक विशेष अभियान चलाया जाएगा और डीजीपी को इस साल नवंबर-दिसंबर में बाल विवाह पर अगली कार्रवाई के लिए प्रारंभिक सर्वेक्षण करने का निर्देश दिया गया है।” उन्होंने कहा कि शुरुआत में कुछ लोग “बाल विवाह के खिलाफ कार्रवाई से खुश नहीं थे, लेकिन अब लोग अल्पसंख्यक क्षेत्रों में भी इस सामाजिक बुराई को रोक रहे हैं।” सीएम सरमा ने कहा कि भारत बाल संरक्षण (आईसीपी) रिपोर्ट के आंकड़े “नारी शक्ति को सशक्त बनाने में हमारे निरंतर प्रयासों का प्रमाण हैं।” बता दें बाल विवाह मुक्त भारत, जिसका आईसीपी एक हिस्सा है, 2022 में शुरू किया गया एक राष्ट्रव्यापी अभियान है और देश भर में इसके लगभग 200 एनजीओ भागीदार काम कर रहे हैं।

सीएम सरमा ने एक्स से कहा, “@IndiaCPOrg की यह असाधारण रिपोर्ट नारी शक्ति को सशक्त बनाने के हमारे निरंतर प्रयासों का शानदार प्रमाण है। 3,000 से अधिक गिरफ्तारियों और हमारे शून्य-सहिष्णुता दृष्टिकोण के कारण 2021 से बाल विवाह में 81 प्रतिशत की गिरावट आई है। हम तब तक आराम नहीं करेंगे, जब तक हम इस सामाजिक बुराई को खत्म नहीं कर देते।” असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा कि पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) को इस साल के अंत में बाल विवाह पर अगले दौर की कार्रवाई के लिए प्रारंभिक सर्वेक्षण करने का निर्देश दिया गया है।

क्या कहती है रिपोर्ट?
रिपोर्ट, ‘न्याय की ओर: बाल विवाह को समाप्त करना’, बुधवार को नई दिल्ली में विश्व अंतर्राष्ट्रीय न्याय दिवस पर जारी की गई। इसमें कहा गया है कि 2021-22 और 2023-24 के बीच असम के 20 जिलों में बाल विवाह के मामलों में 81 प्रतिशत की कमी आई है, उन्होंने कहा कि राज्य सरकार द्वारा ऐसे मामलों में कानूनी हस्तक्षेप पर जोर दिया जाना इसका कारण है। सरमा के नेतृत्व में राज्य सरकार ने कानूनी साधनों के साथ-साथ जागरूकता अभियानों के माध्यम से फरवरी 2022 से पूरे राज्य में बाल विवाह के खिलाफ कड़ी कार्रवाई शुरू की थी।

सर्वेक्षण में यह तथ्य आए सामने
वहीं राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़ों और राज्य के 20 जिलों के 1,132 गांवों में सर्वेक्षण हुआ। इसके अनुसार 30 प्रतिशत क्षेत्रों में बाल विवाह का पूर्ण उन्मूलन हुआ है, जबकि 40 प्रतिशत में सामाजिक बुराई की एक बार प्रचलित प्रथा में काफी गिरावट देखी गई है। बता दें कि सर्वेक्षण किए गए गांवों की कुल आबादी 21 लाख है, जिसमें आठ लाख बच्चे हैं। रिपोर्ट के अुनसार “20 जिलों में से 12 जिलों में, 90 प्रतिशत से अधिक उत्तरदाताओं का मानना है कि बाल विवाह से संबंधित मामलों में व्यक्तियों को गिरफ्तार करने और एफआईआर दर्ज करने जैसी कानूनी कार्रवाई करने से ऐसे मामलों की घटना को प्रभावी ढंग से संबोधित किया जा सकता है।”

चार दिन बाद फिर खोला गया जगन्नाथ मंदिर का रत्न भंडार, मूल्यवान चीजों को स्ट्रॉन्ग रूम ले जाया जाएगा

ओडिशा : पुरी रत्न भंडार आज खोला जा चुका है। इसके भीतर से कीमती सामान और आभूषण सरकार द्वारा निर्धारित एसओपी के अनुसार अस्थायी रत्न भंडार में स्थानांतरित कर किए जा रहे हैं। इस दौरान भक्तों के मंदिर में प्रवेश पर रोक रहेगी।

पुरी में 12वीं सदी के जगन्नाथ मंदिर के प्रतिष्ठित खजाने रत्न भंडार को गुरुवार को एक सप्ताह में दूसरी बार फिर से खोल दिया गया ताकि कीमती सामान को अस्थायी स्ट्रांग रूम में स्थानांतरित किया जा सके। भगवान जगन्नाथ और उनके भाई-बहनों के समक्ष प्रार्थना करने के बाद, रत्न भंडार से कीमती सामान को स्थानांतरित करने के लिए ओडिशा सरकार द्वारा गठित एक पर्यवेक्षी समिति के सदस्य सुबह करीब 9 बजे मंदिर में प्रवेश कर गए।

श्री जगन्नाथ मंदिर के रत्न भंडार के आभूषणों को मंदिर में अस्थायी रत्न भंडार में स्थानांतरित किया जाएगा। हालांकि इस दौरान भक्तों के मंदिर में प्रवेश पर रोक भी रहेगी। श्री जगन्नाथ मंदिर प्रशासन (एसजेटीए) ने बताया कि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) के लिए स्थानांतरण जरूरी था। एएसआई यहां आंतरिक कक्ष के अंदर संरक्षण कार्य करेगी। इसके पहले कीमती वस्तुओं की सूची तैयार करने और इसकी संरचना की मरम्मत के लिए 46 साल बाद 14 जुलाई को फिर से खोला गया था। बता दें कि रत्न भंडार सुबह 9.51 बजे से दोपहर 12.15 बजे के बीच खुला है, इस दौरान ही सभी कीमती सामान और आभूषणों को स्थानांतरित किया जाएगा।

श्री जगन्नाथ मंदिर के रत्न भंडार के खुलने पर, कलेक्टर और जिला मजिस्ट्रेट सिद्धार्थ शंकर स्वैन ने कहा, “गुरुवार को भीतर रत्न भंडार से सभी कीमती सामान और आभूषण सरकार द्वारा निर्धारित एसओपी के अनुसार अस्थायी रत्न भंडार में स्थानांतरित कर दिए जाएंगे।” बता दें कि मंदिर के रत्न भंडार को खोलने और उसका सामान स्थानांतरित कर संरक्षण का कार्य करवाने का यह फैसला एसजेटीए के मुख्य प्रशासक अरबिंद पाधी, रत्न भंडार को खोलने के दौरान देखरेख के लिए राज्य सरकार की ओर से नियुक्त पर्यवेक्षक समिति के अध्यक्ष न्यायमूर्ति विश्वनाथ रथ, पुरी के जिलाधिकारी और अन्य अधिकारियों की उपस्थिति में हुई बैठक में मंगलवार को लिया गया था।

पिछली बार 46 साल बाद 14 जुलाई को खजाना खोला गया था। 14 जुलाई को रत्न भंडार के बाहरी कक्ष के आभूषण और कीमती सामान को स्ट्रांग रूम में शिफ्ट किया गया था। न्यायमूर्ति रथ ने पुरी के राजा और गजपति महाराजा दिव्य सिंह देब से भी अनुरोध किया कि वे रत्न भंडार में मौजूद रहें साथ ही वहां से कीमती सामानों को बाहर निकालने की प्रक्रिया की निगरानी करें। पुरी कलेक्टर सिद्धार्थ शंकर स्वैन ने कहा कि केवल अधिकृत व्यक्तियों को पारंपरिक पोशाक के साथ खजाने में प्रवेश करने की अनुमति है। यदि आज कीमती सामानों को बाहर निकालने का काम पूरा नहीं हो पाता है, तो मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) के अनुसार काम जारी रहेगा। पूरी प्रक्रिया की वीडियोग्राफी की जा रही है। मंदिर प्रशासन ने गुरुवार सुबह 8 बजे से मंदिर में श्रद्धालुओं के प्रवेश पर रोक लगा दी है। वहीं एक अधिकारी ने बताया, “केवल अधिकृत व्यक्तियों और कुछ सेवकों को ही कीमती सामान को मंदिर में स्थानांतरित करने के दौरान प्रवेश की अनुमति दी गई है।”